परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज का नवीनतम अन्तर्घट सन्देश :

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 06:04:2019

मालिक की दया से आज दिनांक 6-4-19 को सायं 7:27 pm पर मालिक द्वारा अंतर में सुनाया गया सत्संग जिसे मालिक ने लिखने व सबको बताने का आदेश दिया।
मालिक के वचन :
"सतगुरु जयगुरुदेव।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।प्रभु का पावन पवित्र नाम - सतगुरु जयगुरुदेव।
सुरत जब अंतर में चलती है तो बार-बार उसका मन उसका साथ छोड़ देता है।सतगुरु उसे बार-बार सतपथ पर लगाते हैं लेकिन कई बार मन संसार की इधर-उधर की उलझनों में या किसी से प्रभावित होकर अपने असली लक्ष्य से भटक जाता है।सतगुरु तो हर पल सुरत को देखते रहते हैं कि वो कहां भटक रही है।सतगुरु स्वामी भी प्रतीक्षा करते हैं कि सुरत जल्दी से स्वामी के संकेतों को समझ कर अपना कार्य करे और सतपथ पर लौट आए।पर जब सुरत को भटकने में ही आनन्द आने लगता है तो थोड़े समय के लिए सतगुरु स्वामी उसको वहीं भटकने के लिए छोड़ देते हैं कि जब तुम्हारा मन भर जाए यहां के भटकाव से तो लौट आना।
अनेक प्रकार से सतगुरु स्वामी सुरत को समझाते हैं।पर सुरत जब तक अपने भावों को सतगुरु के चरणों में समर्पित नहीं कर देती तब तक वो यूं ही भटकती रहती है।बाहर से कुछ समझ में नहीं आ सकता कि हो क्या रहा है।केवल सतगुरु स्वामी ही इतने समरथ होते हैं जो सुरत को हर प्रकार से समझाने में समर्थ हैं,सक्षम हैं।उनके सिवा कोई दूसरा सुरत की न तो सम्हाल कर सकता है ना ही उसकी अगुवाई कर सकता है।ये सब कुछ इतनी बारीकी से होता है की किसी के भी समझ के परे है।जब तक सतगुरु स्वामी स्वयं ना बता दें। सुरत समझती है कि वो जो कर रही है उससे श्रेष्ठ कुछ और है ही नहीं।पर जहां सुरत की सोच ख़तम होती है वहां से तो सतगुरु स्वामी का खेल शुरू होता है।नाना प्रकार के खेल सतगुरु स्वामी खेलते हैं जिनमें सुरत उलझ जाती है। जहां बुद्धि का प्रयोग किया जाता है वहां भक्ति रूष्ट हो जाती है।इसीलिए तो जिसने भी सतगुरु स्वामी की दया को पाया सरल हृदय से ही पाया।प्रेम से पाया।और प्रेम भी वहीं निवास करता है जहां चतुराई और बुद्धि का प्रयोग न किया गया हो। सारा खेल तो सतगुरु स्वामी का ही रचाया बसाया है।उनके खेल को समझने के लिए बुद्धि नहीं अपितु भक्ति की आवश्यकता होती है।जब सुरत भक्ति भाव से सज्ज होकर सतगुरु स्वामी से अपनी विरह वेदना को कहती है कि उसे इतनी पीड़ा क्यों हो रही है तो सतगुरु स्वामी सुरत को समझा देते हैं और थोड़ा भेद भी बताते हैं कि किस प्रकार से ये जगत बाहरी खेल में उलझा हुआ है और जो असली खजाना अंतर में छुपा है वो कोई-कोई ही जान पाता है।अंतर में स्वामी सुरत को अमृत वचन सुनाते हैं जिसको सुनकर सुरत की सारी पीड़ा पल में समाप्त हो जाती है।
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी, देवो दरस तुम घट में नामी-२
बिन सतगुरु कोई राह न सूझे, सतगुरु तुम ही पहेली बूझे
अंतर घट में सुनाओ हे अनामी, शब्द सरल समझाओ हे नामी
सतगुरु स्वामी मेरे...
मोह निशा का है अंधियारा, मिलता नहीं मुझको है किनारा
अंतर करो उजियारा हे अनामी, प्रीत जगे बस तुमसे ही नामी
सतगुरु स्वामी मेरे...
हर पल राह तुम्हारी मैं देखूं, कौन घड़ी मिलोगे मैं सोचूं
विरह सताए मोहे हर पल अनामी, सह ना पाए मेरी सुरत हे नामी
सतगुरु स्वामी मेरे...
अचरज भारी जगत ये सोचे, सतगुरु शब्द सुनाएं मोहे कैसे
सतगुरु दात दया तेरी अनामी, दया मेहर हुई शब्दन नामी
सतगुरु स्वामी मेरे...
घट घनघोर दया जो उतरी, नाम के संग हुई सुरत ये लय री
प्रीत जगी तुम संग जो अनामी, सुरत हुई अब तुम्हारी नामी
सतगुरु स्वामी मेरे...
अनुभव अंतर सहज कराते, सतगुरु तुम सब खेल दिखाते
सीख सिखाते तुम ही हो अनामी, पग पग तुम ही चलाओ हे नामी
सतगुरु स्वामी मेरे...
सुरत व्यथा से तुम नहीं अनजाने, जानते हो सब भाव पुराने
भाव जगाए तुम ही मेरे अनामी, अंतर अमृत बरसाओ हे नामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी, देवो दरस तुम घट में नामी
सतगुरु स्वामी अपनी सुरत से अपार प्रेम करते हैं उसको किसी भी पीड़ा या चिंता में होने से सतगुरु स्वामी स्वयं भी चिंतित हो जाते हैं।फिर अपनी मौज से स्वामी सुरत की सम्हाल करते हुए उसको अमृत वचन सुनाते हैं जिससे सुरत की व्यथा का अंत होता है।इस प्रकार सुरत अपने स्वामी में पुनः मगन होने लगती है।स्वामी हर पल सुरत की राह देखते हैं कि कब आएगी मुझसे मिलने। सुरत भी हर पल यही सोचती है कि अब स्वामी से कब मिलना होगा। सुरत - स्वामी की यही व्यथा युगों युगों से चली आ रही है जिसका अब अंत होने जा रहा है।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक आपको कोटि धन्यवाद और नमन।अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखना।

सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई - महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 30:04:2018

मालिक की दया से आज दिनांक 5-4-19 को प्रातः 9:05 am पर मालिक द्वारा अंतर में सुनाया गया सत्संग जिसे मालिक ने लिखने व सबको बताने का आदेश दिया।
मालिक के वचन:
"सतगुरु जयगुरुदेव।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।प्रभु का पावन नाम - सतगुरु जयगुरुदेव।
जब आप अपने तीसरे नेत्र में जहां आपकी सुरत - जीवात्मा बैठी हुई है वहां अंतर में यानी दोनों आंख बंद करके देखोगे तो आपको तीसरा तिल दिखाई देगा।तीसरे तिल को देखते हुए जब अंतर में वो फूट जाए तो आपको आत्म दर्शन होंगे।अपने आपको यानी अपनी ही सुरत - जीवात्मा को आप अंतर में देखोगे।ऐसा लगेगा जैसे आप सामने किसी और को देख रहे हो।लेकिन वास्तव में वो आपकी सुरत है।धीरे- धीरे ऐसे ही अंतर में चलते हुए आपको अपने सतगुरु स्वामी के भी दर्शन होंगे।और वहीं अंतर में सतगुरु स्वामी से बात भी होगी।जो भी प्रश्न आपके मन में उथल पुथल करते हों वो वहीं सतगुरु स्वामी से अंतर में पूछने पर हर प्रश्न का उत्तर सतगुरु स्वामी सुरत को देते हैं।चाहे जो भी आप पूछ लो अंतर में उसका उत्तर अवश्य मिल जाएगा।
जब मन एकाग्र नहीं होता इधर उधर की बातें सोचता है उल्टे सीधे विचार मन में आने लगते हैं तो समझना चाहिए कि आपका मन विकारग्रस्त हो गया है।विकार कहां से आए इससे अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि विकारों से बचा कैसे जाय।और यदि विकार आ गया है तो उसे समझ कर दूर कैसे किया जाय।तो विकारों से बचने के लिए और विकार आ जाने पर उसे दूर करने लिए 'नाम सुमिरन' एकमात्र औषधि है।नाम सुमिरन करते रहने से विकार आप पर कभी हावी नहीं होगा। यदि हो भी गया तो अधिक देर तक टिक नहीं पाएगा।
जब भी मन व्यथित हो और बुरे विचारों, भावों से घिर जाए तो समझ लेना चाहिए कि विकार आ गया है। वहीं दूसरी तरफ यदि मन शांत होकर सतगुरु चरणों में पुनः लग जाए तो समझना चाहिए कि विकार अब नहीं है।
सुरत - स्वामी का बंधन अटूट होता है।किसी के भी चाहने से वो टूट नहीं सकता।कभी-कभी उतार चढ़ाव सभी के जीवन में आते हैं लेकिन जो सतगुरु को समर्पित जीव होते हैं सतगुरु स्वामी हर परिस्थिति में उनके साथ होते हैं।यदि कभी ऐसा लगे कि आप अकेले हो गए हो सतगुरु स्वामी आपके साथ नहीं हैं तो ऐसा नहीं है।सतगुरु स्वामी हर पल साथ होते हैं।जीव अपने ऊपर चढ़े विकारों के कारण सतगुरु स्वामी के साथ को अनुभव नहीं कर पाता।और जब वो नाम सुमिरन से अपने विकारों से मुक्त होता है तब तुरंत ही सतगुरु स्वामी के साथ होने की अनुभूति उसको होने लगती है।स्वामी सुरत की अनेकों बार परीक्षा लेते हैं कि जीव उन पर कितना विश्वास करता है।और अनेकों बार जीव विफल भी हो जाता है।लेकिन एक ना एक दिन सतगुरु स्वामी उसको सफल बना ही देते हैं।
सारे खेल सतगुरु स्वामी के ही रचाए बसाए होते हैं।उनके खेल में तो अच्छे अच्छे ठोकर खाते हैं।केवल सतगुरु स्वामी की भक्ति से ही उनको रिझाया जा सकता है।विरह भाव जब लेकर सुरत सतगुरु से विनती करती है तो सतगुरु को सुरत की सुननी ही पड़ती है।स्वामी भी अपनी सुरत को रोता देख कर व्याकुल हो जाते हैं।और उसकी सम्हाल तुरंत ही करते हैं। सुरत की सभी व्यथाओं को सतगुरु स्वामी अपने अमृत रूपी वचनों से दूर करते हैं।स्वामी भी यही चाहते हैं कि उनकी सुरत सदैव आनंदित रहे और शब्दमई बनी रहे।शब्द देश की सैर करती रहे और अपने सतगुरु स्वामी के वचनों को सुनती व गु नती रहे।सतगुरु स्वामी हर प्रकार से सुरत को समझा देते हैं जिससे उसकी सभी शंकाओं का निवारण हो जाता है।
इतनी अरज मोरी सुन लो हे स्वामी, घट में दरस दिखा दो अनामी
दरस दिखा दो, दरस दिखा दो, घट में चरण खिला दो अनामी
नैनन नीर बहे दिन राती, दरस बिना ये अंखियां प्यासी उदासी
इतनी अरज मोरी...
डूब मैं जाऊं भव जल धारा, मिलता नहीं है कहीं अब किनारा
पार लगाओ अन्तर्यामी, घट में दया उमगा दो अनामी
इतनी अरज मोरी...
तुम जो ना मिलते अंतर में स्वामी, सुनी पड़ी सब घट फुलवारी
चरण शरण दो हे सतनामी, घट में दया उमगा दो अनामी
इतनी अरज मोरी...
इक इक पल मेरा तुमको समर्पित, जीवन किया है तुमको ही अर्पित
अंतर शब्द सुनाओ हे स्वामी, घट में दया उमगा दो अनामी
इतनी अरज मोरी...
है तुमसे ये नाता जन्म जन्म का, जो तोड़े ना टूटे सुरत स्वामी का
सुरत कहे जो सुन लें वो स्वामी, शब्द दया बरसाए अनामी
इतनी अरज मोरी...
जगत झकोले खाए भारी, तुमसे ही प्रीत बंधी है हमारी
कोऊ ना जाने सुध बुध हमारी, हिय में बसे हो तुम रघुरारी
इतनी अरज मोरी...
है बंधन जुड़ा तेरा मेरा है स्वामी, जबसे बनाया मुझको तुमने हे नामी
नाम रंगी रहूं हर दिन तुम्हारी, नाम से मिलते तुम हो अनामी
इतनी अरज मोरी सुन लो हे स्वामी, घट में दरस दिखा दो अनामी
सुरत - स्वामी हर हाल में एकसाथ होते हैं।चाहे कुछ भी हो जाए स्वामी कभी भी अपनी सुरत का साथ नहीं छोड़ते। सुरत विरह से जब जब रोती है सतगुरु स्वामी सुरत की तरफ खिंचे चले आते हैं।ऐसा अद्भुत प्रेम तो केवल सुरत - स्वामी का ही हो सकता है।
तो अपने सतगुरु स्वामी पर पूर्ण विश्वास करते हुए अंतर के सभी वचनों को सत्य जानना व मानना चाहिए।इसी में सबका कल्याण निहित है।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक आपको कोई धन्यवाद और नमन।अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखना।

सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई - महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 4-4-19, प्रातः 9:34

मालिक की दया से आज दिनांक 4-4-19 को प्रातः 9:34 am पर मालिक द्वारा अंतर में सुनाया गया सत्संग जिसे मालिक ने लिखने व सबको बताने का आदेश दिया।
मालिक के वचन :
" सतगुरु जयगुरुदेव।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।प्रभु का पावन पवित्र नाम - सतगुरु जयगुरुदेव।
सुरत स्वामी से पूछती है कि हे स्वामी ! ऐसी कौन सी युक्ति है जिससे सभी सुरतें अपने सच्चे मार्ग पर चल पड़ें और अपने असली घर पहुंच सकें?
स्वामी कहते हैं की हे सुरत! वैसे तो सभी सुरतों का एक समय होता है जब उन्हें आध्यात्म को प्राप्त करना होता है।लेकिन सबसे बड़ी चीज जीव की इच्छा होती है।जब तक स्वयं जीव की इच्छा नहीं होगी कुछ पाने की तब तक समय आ जाने पर भी उसे कुछ नहीं मिल सकता।यदि जीव की इच्छा है कि उसे सच्चे रास्ते को पाना है, अपना भेद जानना है, जन्म मरण के चक्कर से मुक्त होना है तो निश्चय ही उसे कोई ना कोई मार्ग अवश्य उसके गंतव्य तक ले जाएगा।
सुरत स्वामी से पूछती है कि हे स्वामी! जब इस संसार में सब कुछ आप की ही मौज मर्जी से होता है तो जीव की निजघर जाने की इच्छा भी आपकी ही मौज से होती है ना?इसमें जीव स्वयं क्या कर सकता है?
स्वामी कहते हैं की हे सुरत! जिस प्रकार मनुष्य को कर्म करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है उसी प्रकार ये इच्छा की उसे आध्यात्मिक विद्या पाना है या नहीं इसके लिए भी मनुष्य स्वतंत्र है।पर हां जब जीव अपने सभी कार्यों को, सभी भावों को सतगुरु के प्रति समर्पित कर देता है तो उसके हर कर्म में सतगुरु स्वामी की मौज सम्मिलित होती है।उसी प्रकार ऐसे दुर्लभ/विशेष जीव की इच्छा में भी सतगुरु स्वामी की ही इच्छा प्रगट रहती है।
सुरत स्वामी से पूछती है कि हे स्वामी ! मृत्यु के पश्चात जिन सुरतों ने आध्यात्मिक धन नहीं प्राप्त किया परन्तु सतगुरु या किसी भी गुरु की शरण में रहे तो उनका क्या होता है?और जिन्होंने आध्यात्मिक धन को पा लिया उनका क्या होता है?
स्वामी कहते हैं कि हे सुरत ! मृत्यु तो इस संसार का सबसे बड़ा सत्य है।एक ना एक दिन सभी को आनी है चाहे वो सतगुरु के जीव हों या नहीं।परन्तु यदि कोई जीव किसी गुरु की शरण में है और अभी तक आध्यात्मिक प्रगति नहीं कर पाया या पूरे गुरु को प्राप्त नहीं कर पाया तो मृत्यु के पश्चात उसको उसके कर्मों के हिसाब से दोबारा जन्म मिलता है जिससे वो नए जन्म में पूरे सतगुरु की शरण को प्राप्त कर अपना काम पूरा कर ले।और जिन्होंने पूरे सतगुरु की शरण पाई और आध्यात्मिक धन को फिर भी नहीं पाया तो उनको पुनः पूरे सतगुरु अपनी शरण में ही दूसरा जन्म देते हैं।यदि किसी जीव ने पूरे सतगुरु की शरण में होकर अपनी आध्यात्मिक प्रगति कर ली तो जहां तक भी वो पहुंचा है उसको अगले जन्म में वहीं से साधना शुरू करनी होती है।ऐसे जीव अपने नए जन्म में सभी सुख सुविधाओं को प्राप्त करते हुए सतगुरु की शरण भी आसानी से प्राप्त करते हैं और अपने इस जीवन में अपनी इच्छानुसार आगे की आध्यात्मिक प्रगति करते हैं।और एक दिन ऐसा आता है जब अपने सभी भावों को ,क्रिया कलापों को वो जीव सतगुरु स्वामी पर समर्पित कर देते हैं।उसके बाद उनकी हर इच्छा, हर बात, हर कार्य में सतगुरु स्वामी स्वयं उपस्थित होते हैं।और फिर वो अपने परमधाम को प्राप्त करते हुए अपने स्वामी में विलीन हो जाते हैं।
सुरत स्वामी से पूछती है कि हे स्वामी ! इस अमूल्य मनुष्य शरीर में रहकर जीव अपना कल्याण कर सकता है ये बात जीव को किस प्रकार समझ में आएगी?जीव तो इन सभी बातों से अनभिज्ञ होता है कि सतगुरु की शरण का महत्व क्या है उनके बिना कोई भी परमपद नहीं पा सकता ये सब बातें जीव किस प्रकार से समझ सकता है?
स्वामी कहते हैं की हे सुरत !जिस प्रकार रस्सी को पत्थर पर रगड़ने से धीरे धीरे ही पत्थर पर निशान पड़ता है उसकी प्रकार जीव भी धीरे धीरे ही ये सारी आध्यात्मिक बातें समझ सकता है।एक दिन में संभव नहीं।तो जब एक जन्म में जीव पर कुछ संस्कार पड़ते हैं फिर अगले जन्म गुरु की शरण और इसी प्रकार अंततः पूरे सतगुरु बड़े भाग्य से मिलते हैं।और जिनको मिल जाते हैं उनमें भी कोई कोई ही उनके महत्व को समझ सकता है।यह मनुष्य शरीर कितना अनमोल है यही समझाने के लिए समरथ सतगुरु बार बार धरा पर आते हैं।और तरह तरह से जीवों को समझाते हैं।
सुरत स्वामी से पूछती है कि हे स्वामी ! क्या नरक में पड़ा हुआ कोई जीव भी यदि अपनी इच्छा करे तो क्या सतगुरु की शरण को प्राप्त कर सकता है?
स्वामी कहते हैं की हे सुरत! सतगुरु तो दयाल होते हैं।उनके पास दया का अथाह सागर होता है।यदि कोई जीव अपने बुरे कर्मों के कारण नरक जाता है तो उसे अपने कर्मो का फल तो भोगना ही पड़ता है।लेकिन यदि उसके मन में यह इच्छा उत्पन्न हुई कि सतगुरु स्वामी उसको अपनी शरण में ले लें तो अपने कर्मों को भोगने के बाद उसको ऐसा जन्म सतगुरु स्वामी की दया से मिल सकता है जहां से उसे सतगुरु या किसी भी गुरु की शरण मिल जाए।ऐसे जीव को उसके भाव के आधार पर जन्म मिल जाता है।परन्तु ये तभी संभव है जब उसने अपने सभी कर्मो को भुगत लिया हो।
सतगुरु की शरण प्राप्त होना अत्यंत सौभाग्य की बात है।जिन्हें सच्चे सतगुरु मिल जाते हैं उन्हें अपने जीवन को सतगुरु भक्ति में ही व्यतीत करना चाहिए जिससे उनकी जीवात्मा का कल्याण हो सके।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक आपको कोटि धन्यवाद और नमन।अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखना।

सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई - महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 3-4-19

मालिक की दया से आज दिनांक 3-4-19 को प्रातः 10:35 am पर मालिक द्वारा अंतर में सुनाया गया सत्संग जिसे मालिक ने लिखने व सबको बताने का आदेश दिया।
मालिक के वचन:
" सतगुरु जयगुरुदेव।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।प्रभु का पावन पवित्र नाम - सतगुरु जयगुरुदेव।
सुरत स्वामी से कहती है कि हे स्वामी ! अब इस संसार में एक पल भी आपके बिना रहा नहीं जाता।अब मेरा ये जीवन कैसे कटेगा।क्या करूं और कैसे रहूं अब इस संसार में मैं? स्वामी कहते हैं की हे सुरत ! तू उदास मत हो।तनिक भी चिंता मत कर।जो नाम तुझे मैंने दिया उसी नाम जड़ी को अपना गहना बना ले।उसी नाम से अपना श्रृंगार कर।तो नित प्रतिदिन मैं तेरे अंतर घट में तुझसे मिलने आऊंगा।हर पल उस नाम को अपनी जीवात्मा पर धारण किए रहना।हर पल मैं तेरे संग रहूंगा। ऐसी कोई जगह नहीं जहां मैं तेरे साथ ना रहूं। यहां तक कि सैन बैन में भी तेरे संग रहूंगा।नित नित नए अनुभवों के साथ तुझे मैं दर्शन देता रहूंगा।यह संसार तो कुछ दिनों का मेला है। यहां के तमाशे देखते हुए आगे बढ़ती चल।कहीं रुकना नहीं है तुझे।अपने असली मुकाम को याद रख।और हर प्रकार से मैं तेरे साथ हूं इतना अडिग विश्वास अपने मन में जगा ले।
सुरत ये सुनकर अत्यंत पुलकित होती है और सतगुरु स्वामी के चरणों में शीश नवाए रहती है।हर पल सुरत भाव विभोर रहती है और जैसे सुरत के अपने स्वामी के प्रति भाव होते है सतगुरु स्वामी उसको वैसे ही अंतर में उससे मिलते हैं।फिर चाहे आंख खुली हो या बंद हो हर तरफ केवल सतगुरु स्वामी ही दिखाई पड़ते हैं। जहां भी दृष्टि चली जाए सतगुरु स्वामी वहीं दिखने लग जाते हैं।सतगुरु स्वामी की ऐसी कृपा पाकर सुरत धन्य हो जाती है।
फिर सुरत स्वामी से कहती है कि हे स्वामी ! अब इस संसार में रहते हुए मैं अपने सभी कार्यों को, अपनी सभी इच्छाओं को आपके चरणों में समर्पित करती हूं।अब जो कुछ भी हो मेरे जीवन में वो आपकी मौज मर्जी से ही हो।अब मेरा मेरे जीवन से कोई लेना देना नहीं है।आपके कार्यों को करने में ही मेरा आगे का जीवन बीते यही मेरी आपसे प्रार्थना है।
स्वामी भी सुरत की प्रार्थना को स्वीकार करते हैं और सुरत की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।जितनी स्वांसे जीव की यहां बची है उनको अपने नियंत्रण में ले लेते हैं और हर सांस पर सतगुरु की ही मौज मर्जी से काम होने लगता है।जीव की हर बात में सतगुरु स्वामी सम्मिलत होते हैं।खाना, पीना चलना, उठना, बैठना हर कार्य में सुरत स्वामी एक साथ होते हैं।नित नित स्वामी अपनी विभिन्न लीलाओं से सुरत को नई नई सीख देते हैं।और कब कैसे क्या करना है ये भी समझाते हैं। सुरत के लिए उसके सतगुरु स्वामी ही सब कुछ होते हैं।उसको अन्य सभी लोग अपने सतगुरु स्वामी के आगे फीके दिखने लगते हैं। ऐसी अवस्था में सतगुरु स्वयं ही सुरत के भीतर निवास करने लगते हैं और उसके अंदर से ही बोलने लगते हैं। सुरत अब हर पल स्वामी के विषय में ही सोचती है और यही चाहती है कि उसके और स्वामी के मध्य कोई ना आए।किसी प्रकार की बाधा न आए।सतगुरु स्वामी भी हर बाधा को हटाने में सक्षम होते हैं और बाधा हटा देते हैं।जिस प्रकार वो सुरत को रखना चाहते हैं वैसे ही रखते हैं वैसी ही परिस्थती बना देते हैं। जहां जो करना है वो सुरत से स्वामी करवा देते हैं। सुरत के मन के हर भाव भी सतगुरु स्वामी की मौज से बनते बिगड़ते हैं।कुल मिलाकर सतगुरु स्वामी ही सुरत के आचरण और उसकी हर बात में सम्मिलत होते हैं।
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
बिन सतगुरु मोहे चैन ना आवे
मन मेरा बस यूं ही घबराए
कब से बुलाऊं स्वामी तुमको अनामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
नैनन नीर झरत दिन राती
तुम्हरे बिना सब लगे उदासी
चरण कमल दिखला दो हे स्वामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
दया मेहर सब जो है लुटाई
कोऊ ना पावे जब तक अंतर ना जाई
अंतर घट बरसे नूर अनामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
नित नित रूप दिखाओ हे स्वामी
तुम्हरे दरस बिन दिन न बीते नामी
तुम्हरे वचन अमृत है घुलानी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
दरस परस कर सुरत मुस्काई
नाम रंग डाली चुनरिया रंगाई
तुम्हरे ही रंग में सुरत रंगे नामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
मन ये चाहे हरदम तुम चरणा
चरण कमल दिन रात मोहे रहना
हिय की प्यास बुझावें अनामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
हे दाता सतगुरु तुम मोरे
किस विधि रखूं तुम्हें घट में पूरे
पूरण सतगुरु तुम ही हो स्वामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
जुगन जुगन की सोई सुरतिया
अब जागे है नाम रंग रंगिया
आस तुम्हीं से लगाऊं हे स्वामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
अरज सुनो सतगुरु हे स्वामी
दासी तुम्हरी अरज लगाई
हर पल रहो तुम संग में हे स्वामी
सतगुरु स्वामी मेरे तुम ही अनामी
ऐसी वो सुरत धन्य हो जाती है जो अपने हर भाव में सतगुरु को ही देखती है और उनको ही सुनना चाहती है। सुरत स्वामी की यह अद्भुत लीला कभी कभी ही सतगुरु स्वामी की मौज से बनती है।वो सुरते अत्यंत भाग्यशाली होती है जो स्वामी की ऐसी लीला का पात्र बनती हैं। सतगुरु जयगुरुदेव।" मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक आपको कोटि धन्यवाद और नमन।अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखना।

सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई - महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 30:04:2018

मालिक की दया से आज दिनांक 3-4-19 को सायं 4:45 pm पर मालिक द्वारा अंतर में सुनाया गया सत्संग(भाग -2) जिसे मालिक ने लिखने व सबको बताने का आदेश दिया।
मालिक के वचन :
" सतगुरु जयगुरुदेव।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका - प्रभु का।प्रभु का पावन पवित्र नाम - सतगुरु जयगुरुदेव।
सुरत स्वामी से पूछती है कि हे स्वामी ! कुलमलिक अनामी प्रभु को पाने का सुगम मार्ग क्या है? ऐसी कौन सी दशा सुरत की हो जो उसे अनामी महाप्रभु जो की आप स्वयं है की प्राप्ति सुगमता से हो सके।कृपा करके बताइए।
स्वामी कहते हैं कि हे सुरत ! इस संसार में जो जिसे भी मानता है जिसे वो खुदा, गॉड, ईश्वर कहता है जिस किसी भी रूप में प्रभु परमात्मा की पूजा करता है वो उनके उस स्वरूप को इस कलयुग के मलीन समय में बड़ी ही आसानी से प्राप्त कर सकता है। यहां तक कि अनामी महाप्रभु जिन्होंने सारी सृष्टि बनाई सब कुछ बनाया उनको भी इस समय में बड़ी सुगमता से केवल नाम के सहारे पा सकता है।
दिव्य दरस पाए सतगुरु स्वामी
नाम सहारे पाए पुरुष अनामी
सतगुरु स्वामी जो नाम सुरत को देते हैं उसी नाम से सुरत अनामी पुरुष को भी पा सकती है।
दाता सतगुरु दियो नाम पिटारी
चढ़े सुरतिया तब अटल अटारी
जब नाम मिल जाता है तो इसी नाम के सहारे सुरत धीरे धीरे अनेकों दिव्य धामों के दर्शन अंतर में करते हुए ऊपर चलने लगती है।
देखे सुरत तब दिव्य लोका
अनुपम दृश्य भयी विलोका
नाना प्रकार के ऐसे सुंदर दृश्य सुरत देखती है जिसकी उसने अपने जीवन कल्पना भी नहीं की थी।ऐसे सुंदर पहाड़, नदियां, झरने,विभिन्न लोक अंतर में वो देखते हुए चलती है।
भान नहीं अब देह वो धारे
सतगुरु ले चलें नूर किनारे
सुरत को ये ध्यान नहीं होता कि उसका कोई शरीर भी है।वो एकदम मगन होकर अंतर में उड़ रही होती है।सुंदर दृश्यों का आनंद लेती है।
उड़ उड़ जाए सुरतिया न्यारी
देखे अंदर सतगुरु क्यारी
सुरत अंतर में उड़ते हुए सभी लोकों को देखती है।अद्भुत नजारे देखती है।सतगुरु जो दिखाए दृश्य वो देखती है।
बंकनाल चढ़ मृदंग दिखाई
उड़ उड़ जाए बाजे शहनाई
चलते चलते सुरत बंकनाल पहुंचती है जहां अनेकों बाजे देखती है।
मानसरोवर पहुंचे वो न्यारी
कर्म कटे हुई सतगुरु प्यारी
मानसरोवर में तब पहुंच कर स्नान करती है जहां उसके कर्म धुल जाते हैं।अब सतगुरु स्वामी हर पल अंग संग होते हैं और सुरत को लेकर आगे बढ़ते हैं।
दिव्य झरोखा सतगुरु संग पाई
कौन वहां तोहे और ले जाई
केवल सतगुरु स्वामी ही सुरत को वहां ले जा सकते है।उनके बिना कोई और इतना समरथ नहीं होता जो जीवात्मा को वहां ले जा सके।
धीरे धीरे सतगुरु का संग पाकर सुरत आगे की आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ करती है और अनेकों कठिनाइयों को पार करते हुए सुरत अपने स्वामी कुलमलिक अनामी महाप्रभु के पास पहुंच जाती है।ये सारे भेद सुरत को स्वामी बताते हुए चलते हैं।
भेद अभेदा सतगुरु से पाई
सुरत की दशा होए मिल पाई
सतगुरु स्वामी से उस अभेदी अनामी प्रभु का भेद सुरत प्राप्त करती है और धीरे धीरे आध्यात्मिक परीक्षाओं को पास करते हुए सुरत की यह दशा हो पाती है कि वो एक दिन अनामी महाप्रभु से मिल पाए।
नाम जड़ी जो मिल तुझे जाई
सब सुख होए परम पद पाई
हे सुरत जब तुझे नाम जड़ी मिल गई और तूने उसको अपने अंतर में प्रगट कर लिया रगड़ कर तो तुझे सभी सुखों की प्राप्ति होगी व परम पद मिल जाएगा।
ये सुरत स्वामी संवाद जगत के सभी जीवों के कल्याण के लिए सतगुरु की मौज से उत्पन्न होता है।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक आपको कोटि धन्यवाद और नमन।अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखना।

सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई - महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 30:04:2018

मालिक की दया से अंतः प्रेरित प्रार्थना(दिनांक - 30-4-18): नामी पुरुष करतार हैं मेरे, दर्शन देते सांझ सबेरे रघुनंदन शिव शंकर आते, सतगुरु महिमा वो भी गाते हैं समरथ पूरे स्वामी सतगुरु, कृपा करें वो सबके सतगुरु दया मेहर गाई प्रभु नामा, कष्ट हरे सब मिलें अनामा सब पर कृपा करें वो स्वामी, दया की दात देते हैं अनामी देख रहे प्रतिपल चहुं ओ री, दया दिखावें वो तो पूरी हे सतगुरु हे स्वामी मोरे, दया मेहर करो दोऊ कर जोरूं कौन विधि सुरतन समझाऊं, कोई ना मानी सब मनमानी दाता विनती सुनते हृदय की, निमित बनाते काज कराते हैं स्वामी सतगुरु परम दयालु, दया करें शरणागत पर कृपालु सुनो शब्द जो आवें अंतर में, ध्यान लगाओ भेद बताई इक इक शब्द हैं मणि समाना, प्रकट भए स्वामी स्वयं बखाना निरख परख कर लो सब अपनी, अंतर विद्या पढ़ लो गहरी नाम शब्द जो हैं घट छाए, सतगुरु इक इक पाठ पढ़ाए सतगुरु संग हैं हर पल साथा, पकड़ो सतगुरु का अब हाथा सतगुरु साथ चलावेंगे अब तुमको, चिंता करे क्यों मन हो निराशा सतगुरु समरथ हैं वो दयालु, कृपा करेंगे नाथ कृपालु
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई - महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 30:04:2018

( ये वचन गुरुबहन बिंदु सिंह को गुरु महाराज द्वारा आध्यात्मिक रूप से लिखवाये गए )
दिव्यता की बरसात हो रही है | अभी क्या सच्चा समय है | सब अपने अपने हिस्से की नूरानी दौलत बटोर लो |
|| नूर बरसे अनामी के घरवा , चलो चलि चढ़ि अनाम नूर भरि आयी ||
बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलेगा | दया कुलदानी की है | वो हर हाल में मिलेगी ही | रुख परिवर्तन का है | धरती आकाश सब दिव्यता भरने सहेजने में लगे हैं | हम सब भी साथ रहकर दिव्यता भरते ग्रहण करते चल चले | दोष पराये में कुछ भी साथ जाने वाला नहीं है | सच्चाई सतपथ अटल है | शब्द चरण ऊपर असंख्य अनगिनत योजन ऊपर से आया है |
|| आवन की गति न्यारी साधो , आवन की गति न्यारी ||
शब्द चरण के लिए कुछ भी असंभव नहीं है | जब जहाँ इच्छा होगी प्रकट होकर दर्शन दीदार करते रहेंगे | यह अनाम चरण अनादि से रक्षित हैं | रक्षित चरण ही भरपूर हैं |

सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
गुरु बहन बिंदु सिंह
अंतर्घट एवं अखंड सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर
ग्राम बड़ेला, रुदौली, फैज़ाबाद

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 24/03/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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जब जब शब्द मुहुर्त उतरती है धरती पर नाम का फैलाव शुरु होने लगता है।नाम प्रकट होता है नामी की विशेष इनायत पर।। या शब्द इनायत नामी की,नाम जहाज जो लाये है।नाम जहाज है शब्द शिरोमणि ,शब्द रुप प्रकट प्रकाशमय स्वयं धरा पर दिखलाये है।।
सतगुरु जयगुरुदेव: Date: 25.3.18 , 5.41 a.m.
बिन पग चले सुने बिन काना,नामवृक्ष भये मधुमेह समाना।नाम शब्द से धार ये आयी,अनाम धार सदा सुखदायी।नाम उदर अंडज है अमायी ,शब्द नाम की करो दुहाई।दुआ दान से घाट खुलेगा,घाट पार प्रकट देव मिलेगा ।प्रकट होवे जब नाम दुवारा,दया दुआ, आशीर्वाद की बहे निरन्तर धारा।।
सतगुरु जयगुरुदेव: Dat; 25.3.18
सतगुरु जयगुरुदेव। भयी प्रकट अनामी माला ,शब्द मुख ले जपू मैं नामा ।। भव सागर से अनाम सागर तक शब्द बाँध बँध गया ।अब हर असंभव भी संभव होने जा रहा है।संसार की जलन शब्द गलन ठीक है।शब्द में रहो शब्द के पार चलो।शब्द के पास से जैसे कोई मुझे बुलाता है।शब्द नाम ही निज नाम से अपने स्वयं मुझको जगाता है।जगाने की रीति से मुझको नित नाम नव लोरी सुनाता है। नामी संगीत सुनते ही सुरत होश में आ जाती है।संसार की जलन स्वयंमेव मिट जाती है।अमिट नामी सागर ही ऐसा है।।
सतगुरु जयगुरुदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
रेलवे स्टेशन : रुदौली (Rudauli) (Code: RDL)
प्रेषक : सुनील कुमार
संपर्क सूत्र : 09711862774

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 18/03/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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नूतन युग का सृजन होने जा रहे है |
नाम अकह आया जब जग में |
जगमग जलवा हुआ अनंत में ||
नाम अनंत से चलकर आया है |भूल भूलईया में मत फसो ,निशाना एक से रखोगे, काम बनता चला जायेगा | जीवात्मा जीवात्मा का सच्चा हितैसी है कौन , इसका जबाब अन्तर में मिलेगा |नाम घर घर व्यापी है |शब्द रूप ब्यापक है नामी घट घट बैठे स्वयम अनामी , अनामी कुल प्रभु धरा मंडल पर मानव पोल पर स्वयम हाजिर नजीर है |परस दरस करने , दिव्य दृष्टि खुलवाने , खोलने वाले के पास आना पड़ेगा घर बैठे ना खुला है ना खुलेगा |

सतगुरु जयगुरुदेव।

नाम ही सकय नाम गुण गाई।शब्द नाम की करो कमाई।शब्द मौज की करो अगुवाई।शब्द जहाज नाम से आई।। अभी समझाया जा रहा है शब्द संदेशे पर संदेश भेजवाये।तुम्हारे लिये पर्चे बटवायें।परम संदेशों पर अमल करो।शब्द विधाता की मौज अकह है।इसको कोई बदल नहीं सकता।परम भेद शब्द का है।शब्द नाम ही सार है।वचनामृत धार है।ये धार शब्द से आ रही है तुम्हें लिवाने के लिये तैयार हो जाओ अब भी समय है।

सतगुरु जयगुरुदेव 15 -03 -2017 1 :9 am
चेतन जौहर का किया शुभारम्भ, गगन मंडल में हुआ कोलाहल
ये फुरना गगन में होइ ,अखंड दर्पण मंडल में सेई शब्द मंडल से अमर सतगुरु जयगुरुदेव का महकमा उतरता है धरती को जगाने के गरज से -
गरज सुनो घनघोर ये बाजा | अंतर नाद अनवरत छाजा ||
शब्द सज्जन अनंत से आये |अंतर भेद सतगुरु सुनवाई ||
सुनो बैन अंतर की ध्वनिया | नामी नयन में बसय ये दुनिया ||
शब्द कारीगरी बरन न जाई | शब्द युग अथाह सुहाई ||
सुनो गौर से शब्द बचनिया | चुन चुन बसे शब्द की दुनिया ||
शब्द लड़ी से नाम पिरोयी | शब्द गाठ अथाह यह होइ ||

सतगुरु जयगुरुदेव 3 :21 am
वो नाम डमरू आता है ओ नामी स्वयम लाता है ओ डमरू कर भरता है ओ डमरू स्वयम चलता है ओ विश्व विचरण करता है अखंड अकह चलता है ओ नाम सतगुरु लाता है सतगुरु जयगुरुदेव स्वयम आता है प्रकट महिमा सुनाता है शब्द स्वामी स्वयम गाता है ओ दानी गात आता है ओ शब्द नाम लाता है

सतगुरु जयगुरुदेव 1 : 21 am
सुनो प्रेमियों अमरदेश से शब्द उतरता है सत्संग बनाने के गरज से
सुनो आज सत्संग आयी ध्वनात्मक वेला फैलाओ अब शब्द आये शब्द गुरु अलबेला
अमर वेळ सतगुरु ने सींचि नामसिन देखो ये कैसी शब्दात्मा कैसी उतरती है इस उतरने की गति से धरती आकाश कैसे गुंजायमान शब्दायमान होते है ओ जो रोज उतरते चढ़ते देखेगा ओ जाएगा बयां करेगा पूरा पूरी बात सुनाएगा पूरी शब्द नुमायी करेगा पुरे बचन सुनकर जाएगा सुनाने वाले सुनते है सुनकर आते है पूरी की शब्द नुमाई और बचन पुरे सुने ये हिलने वाले नहीं है इनको कोई डिगा नहीं सकता |

सतगुरु जयगुरुदेव
शब्द जननी मै बालक कोरा | सब अवगुण अब बक्सों मोरा ||
खाली झोरी नाम निहोरा | शब्द बक्सीस भरो यह झोरा ||
नाम घना घनघोर है छायी | जग फेरु फिर फिर नाम दुहाई ||
शब्द साथ अब निसदिन करिहो | शब्द बिना कुछ और न गईहो ||
शब्द रटा सतगुरु भगवाना | इन्ही का मय भरम सुनइहो ||
सुनी सुनी मरम भरम दुरईहो | दुबिधा दुरमत दूर भगईहो ||

सतगुरु जयगुरुदेव
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 15/03/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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महान आत्मा के सारे कार्य महानता से भरे होते है | अति निश्छलता इनके रोम रोम में भरी होती है सदा वास् करती है | जीव त्रासदगी से बच जाय अपने घर की रह पकड़ ले, यही एक मात्र उद्देश्य होता है | हा उस्ताद कुस्ती सिखाता है, सारे पेंच ढीले कर देता है पर कुंजी अपनी मुट्ठी में रक्षित कर लेता है | अब भी समय है चेत जाओ गियर तो लग ही गया है , अब सब सामने देखो | मेरे पास पीछे पलट कर देखने का समय नहीं है ||

सतगुरु जयगुरुदेव : १५ /०३/२०१८
पूरब से पश्चिम बहने वाली नदी दिशा परिवर्तित कर उत्तर - दक्षिण बहना शुरू कर देगी तब परिवर्तन होगा | उसी समय सत संविधान की घोषणा / लागू किया जायेगा | चौथा महान यज्ञ होगा | सारी शब्द नुमाई मेरे बच्चे करेंगे |
अभी इनमे कुछ भरा जा रहा है , कुछ निकाला जा रहा है | ये जन कल्याण के जागृति का समय अपने आप में बेजोड़ और निराला है | आने वाला समय कहने में नहीं है |

सतगुरु जयगुरुदेव : १५ /०३/२०१८, २:२१ am
सुना कर नाम सतगुरु जी, शब्द सच्चे नगर से लाये है |
बना कर शब्द का लिबरस, शब्द जलवा अनंत दिखलाये है |
शब्द जल गहो ही नित, शब्द जहाज पर बरसाए है |
शब्द जहान में नित नव नूतन खेल दर्शाये हैं |
शब्द का मार्ग है शब्द सरनाई गहो, शब्द रहनी से गहन गहराई में ले आये हैं |

सतगुरु जयगुरुदेव :१७/०३/२०१८
क्या गति मति कहूँ विधाता , मोहि मिले शब्द रस दाता |
गुण दोष ख़त्म हो गया , सत असत कुछ भी नहीं रहा |
सूरत शब्दमय हो गयी | अमीरस दाता के अमर सरोवर में सराबोर हो गया |
छिन -जाओ - छिन आओ, आने जाने का सिलसिला शुरू हो गया | मछली गल तो नहीं जाती , महासागर में दिन रात गोते लगाती है |
ये शब्द रस दाता सतगुरु स्वामी की महान अनुकम्पा महा अदभुद अभूतपूर्व महादान है |

सतगुरु जयगुरुदेव
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प्रेषक : सुनील कुमार
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक 13-3-18

मालिक की दया से आज दिनांक 13-3-18 को प्रातः 8:30 am पर जब मैं साधन में बैठी तो मालिक ने आध्यात्मिक स्वरूप से कुछ वचन कहे जो इस प्रकार हैं -
"सतगुरु जयगुरुदेव।
सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका, प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका , प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका, प्रभु का।प्रभु पावन नाम - सतगुरु जयगुरुदेव।
प्रेमियों।आप जो साधन भजन कर रहे हैं तो कुछ बातें आपको बता रहा हूं सुन लीजिए।जब साधन में मन नहीं लग रहा चित भटक रहा हो तो सतगुरु के चरणों जिसमें दया की अविरल धारा बह रही है उनको देखना चाहिए। उन चरणों में शीश नवाने से वो दया की धार आपको जब मिलेगी तो फिर भटकाव बंद हो जाएगा। उन चरणों में तो अनवरत वो अविरल धारा बहती है रहती है, कभी बंद नहीं होती।
दूसरी बात ये कि आप जो इतना संसार में लगे रहते हैं।इतने लोगो से मिलना जुलना करते हैं तो वो थोड़ा कम करके अपने में सिमटाव करिए।और अगर किसी से मिलना ही पड़ जाए तो मन में "सतगुरु जयगुरुदेव - सतगुरु जयगुरुदेव" ऐसे बोलते रहिए।तो सामने वाले व्यक्ति की चीजें आप पर नहीं आएंगी।आपके साधन भजन में कोई विघ्न - बाधा नहीं आएगी उससे।उसकी चीजें आपसे टकराकर उसी पर वापस चली जाएंगी।
तीसरी बात ये कि अब आप दूसरों के बारे में मत सोचिए कि कौन क्या रहा है,कौन क्या कह रहा है और कौन क्या सोच रहा है आपके बारे में।
आप बस अपने आप को देखिए और अपने सतगुरु को देखिए।बाहर में किसी के बारे में कुछ नहीं सोचना है।
जब आप भजन करते हैं तो तीन प्रकार से दया होती है।एक तो आवाज़ जो ऊपर की बताई गई वो आती है।दूसरा सतगुरु के शब्द आते हैं।और तीसरा अंतर में दिखाई देने लगता है।तो जो आपका बने वो रास्ता पकड़ लीजिए।जब अंतर में शब्द आवें तो उनको आप लिख लीजिए। क्योंकि अंतर में शब्द सागर हिलोरें मारता रहता है।शब्द आते है और फिर वापस सागर की लहरों की तरह चले जाते हैं।तो जब उन शब्दों को लिख लेंगे तो लगन लगी रहेगी कि आज हमको ये सुनाई दिया।उससे आपकी चीजें बनने लगेंगी।तो ये आपको बातें बता दी।आज के लिए इतना ही काफी है।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
इसके बाद मालिक ने मुझे ये लिखने व सबको बताने की आज्ञा दी।
मालिक के ये अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखिए।
।।सतगुरु जयगुरुदेव।।
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुम्बई -महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक 07-3-2018

मालिक की दया से आज दिनांक 7-3-18 को प्रातः 7:12 am पर जब मैं साधन में बैठी तो मालिक ने आध्यात्मिक रूप से कुछ वचन कहे जो प्रकार हैं -
"सतगुरु जयगुरुदेव।
आप लोगों को बहुत कुछ बता दिया समझा दिया।मेरे बच्चे चारों तरफ से अपना काम कर रहे हैं।अब इनकी कीर्ति पूरे विश्व में फैलेगी।उसको कोई रोक नहीं सकता।
ये काल का देश है।चाहे कोई कितना भी बड़ा साधक क्यों ना हो काल अपना दांव सब पर लगाता रहता है।तो सब ऊपर नीचे होते रहते हैं।
फिर आप सोचते हैं कि साधन नहीं बन रहा।क्या हो गया है।तो ऐसा नहीं है।आपको अपने आपको इतना दृढ़ कर लेना है कि काल भी आपके आगे हार जाए।तो वो दृढ़ता कैसे आएगी वो सुन लीजिए।जब आपको ऐसा लगे कि कुछ नहीं बन रहा मन नहीं रुक रहा तो अपने मालिक को याद कर लीजिए उनके चरण पकड़ लीजिए अंतर में।और उन्हीं से प्रार्थना करिए कि हे मालिक!हमसे जो भी गलती हुई उसके लिए क्षमा करिए और अब आप ही हमको बचाइए।तो जब काल देखेगा की इस जीव ने तो अनामी पुरुष करतार के चरण पकड़ लिए हैं तो वो कुछ नहीं कर सकता।वो काल भी उनके आगे थर्रा ता है।उसकी एक नहीं चलती उन अनामी पुरुष कुल मालिक के आगे।तो जब आप ऐसा करेंगे तो वो मालिक आप पर दया करके आपको धीरे से ऊपर की तरफ खींच लेंगे।और जो आपका चित अब तक भटक रहा था, वो भी एकदम शांत हो जाएगा।जब उसको सतदेश, अनाम देश का अमृत मिलेगा, वहां की शांति मिलेगी तो वो भी इधर - उधर भटकना बंद कर देगा।
तो ऐसे काम होता है।
गुरु चरनं की करो वंदना
सतगुरु मिले तोही अंतर घट मा
अपने सतगुरु के चरणों की जब अंतर में वंदना करेंगे तो वो आपको दृढ़ता प्रदान करेंगे।और आप पर दया दृष्टि डालेंगे।
सतगुरु स्वामी घट अविनाशी
चरण कमल में सुरत है वासी
जब सुरत ने सतगुरु स्वामी के चरण कमलों में वास पा लिया और उनको अपने घट बसा लिया तो अब काल उसका कुछ नहीं कर सकता।
सतगुरु समरथ संग हैं संता
अब उसका चित भी भाग नहीं रहा।अपने चित को सुरत ने समझाया कि जब सतगुरु स्वामी स्वयं तुम्हारे साथ हैं तो अब क्या भागना।
तो आपको यही करना है कि अपना काम थोड़ा निपटा कर 1 घंटा 2 घंटे जो भी समय दे सको अपने साधन में दो।वो अनी अनामा सबके भीतर वास करता है।उससे कुछ भी छुपा नहीं है।वो हर समय आपको देखता रहता है।उसके पास आपका पूरा लेख जोखा जन्म - जन्मांतर का लिखा हुआ रखा है। तो बस उनके चरण पकड़े रहिए।बाकी यहां किसी भी काम की आपको चिंता नहीं करनी है।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक अपनी दया मेहर ऐसे ही बनाए रखिए।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुम्बई -महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 10/03/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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उस अनंतकार का कोई आकार नहीं होता।ओ महाअनामी प्रभु अंतर चरण से चल कर ही आये है।। अनंत आवन की गति न्यारी,अंतर चरण धरणी जग आये।जगमगात काहू न जनाये।। जो अंतर में चलेगा अंतर चरण वेग को पायेगा। पायन की पावन है महिमा।परम पावन पुनीत चरण की गाथा खोल कर गायी जाती है।। बन्दहु अंतर चरण सुहागा,सुख सौभाग्य अनंत है जागा।।
सतगुरु जयगुरुदेव
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 05/03/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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वो डमरु खेल करता है।वो शब्द नामी स्वयं कर्ता है।कुल मालिक के खेल में बड़े बड़ों के होश ठिकाने लग जावेंगे।दीन होकर चरणों से चरणों में समां जायेगा।अमिट समां योग की कभी बुझने वाली नहीं है।चरण मणी ही अथाह अगम बेनाम है।इसका कोई भी नाम रख लो।यही है कि नाम महात्माओं के अधीन है।राज पाठ दुनिया भर के धन दौलत से बेपरवाह नाम खरीदा नहीं जा सकता।। नामी दौलत अथाह अपारा , शब्द सतगुरु नाम उचारा ।। उतरत शब्द निज नयन समाया , नामी परभू स्वयं है आया ।।
सतगुरु जयगुरुदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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प्रेषक : सुनील कुमार
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 6/12/2014

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव अब मालिक के साथ चलने की तैयारी करो।दो युग आमने सामने खड़े है।मेरे अनुभवियों,मेरे महारथियों अब पूरे विश्व को तुम्हारी जरुरत है।तुम अपने काम में लग जाओ।पीछे मत हटना शक्ति मैं परदान करुँगा।तुम सब मेरी ताकत हो।तुम्हारी आजमाइश होने जा रही है।तुम सब पूरी देश दुनिया को बदलने जा रहे हो।पूरे विश्व में सतगुरु जयगुरुदेव का डमरु बजने जा रहा है।अपने मानवी धर्म से ऊपर उठकर सतगुरु की धार पर आ जाओ।अपने सतगुरु की रुहानी आवाज सुनो और आगे बढ़ो।मेरी आवाज विश्व के कोने कोने में पहुँचा दो।ये आवाज जहाँ तक जायेगी वहाँ से दया का सोर्त निकल कर पूरे विश्व में छा जायेगा।बस तुमको निमित्तमात्र बनना है।मेरा काम सब हो चुका है।इतिहास दोहराता है।भगवान राम के समय में रीछ और वानरों ने सहयोग किया।उनका इतिहास बना।ये मिशाल है।इसमें सब मिलकर जी जान से सहयोग करो ।अपने सतगुरु का भाल ऊँचा रखने में कोई कमी न रखना मेरे बच्चों।बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव ।।

सतगुरु जयगुरुदेव। 6.3.18, 7.33 a.m.
शब्द की मस्ती चढ़ी तो शब्द ही आने लगा, शब्द सतगुरु रुप धर स्वयमेव सतगुरु जयगुरुदेव का शब्द करिश्मा धरा पर छाने लगा।।
सतगुरु जयगुरुदेव 7.3.18, 5.14 a.m.
जिस संत सतगुरु को बाहर खोज रहे हो वही परम शब्द सतगुरु घाट पर निरन्तर बैठे शब्द आदेश निर्देश दे रहे है।हमें उस अन्तर आदेशों को सुनना पढ़ना पकड़कर अंतर में चलना है बाहर भी ।जब तक परम पाँवर की परख पकड़ मजबूत नहीं होगी अंतर में सुरत कैसे चलेगी चढ़ेगी ।शब्द गुरु सतगुरु सतनाम ही साथ साथ चलते है।एक पल भी दूर नहीं होते उस परम पल में पलना पढ़ना चलना ही सच्ची अंतर शब्द भक्ति है।शब्द धार अनवरत आ रही है।उसी धार पर चलो चढ़ो बढ़ो कौन मना करता है।। अंतर भेद अथाह है,अगम अकह देश अति दूर।शांत सुरत शब्द देश हँसे,बसय जहाँ सतनूर ।।
सतगुरु जयगुरुदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
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प्रेषक : सुनील कुमार
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक 28-2-18

मालिक की दया से आज दिनांक 28-2-18 को सायं 5:25 pm पर जब मैं साधन में बैठी तो मालिक ने आध्यात्मिक रूप से कुछ वचन सुनाए जो प्रकार हैं -
"सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका प्रभु का।प्रभु पावन नाम सतगुरु जयगुरुदेव।
जब समस्त समाज में त्राहि- त्राहि मच जाएगी।जब सबकी बुद्धि काम करना बंद हो जाएगी,जब किसी को कोई रास्ता समझ में नहीं आएगा तो वो अनी अनामा अपने प्रकट किए हुए नाम "सतगुरु जयगुरुदेव" के साथ प्रत्यक्ष हो जाएगा।

चित में धरो गुरु की शरना, मिले नाम आधार
अपने चित (हृदय) को गुरु की शरण में लगा दो तो नाम का सहारा आपकी रक्षा करेगा।
नाम नामनि जीव को खोजे, मिलो पुरुष करतार
वो अनी अनामा कुल मालिक और उनके द्वारा जगाया हुआ नाम(शब्द)दोनों ही आपको(जीवों) खोज रहे हैं।अब आप अपने सतगुरु से मिल जाओ।

प्रगटहि सतगुरु नाम को धारें, दियो दया की दात
सतगुरु स्वामी अपने जगाए हुए नाम के साथ प्रकट होने वाले हैं।और सब जीवों पर जो अपार दया करते हैं उन्होंने दया करके सबको धन्य कर दिया।

शब्द विहंगम अंतर साजे,सुने सुरत सुर - ताल
अंतर में अनवरत शब्द उतर रहे हैं जिन्हें सुरते सुनती हैं।अनेकों बाजे बज रहे हैं। उनको भी सुनती है।

सुरत शब्द का है ये नाता,युगं युगं से सुरत बुलाता
सुरत और शब्द का अनोखा रिश्ता है कि शब्द हर छन सुरत को अंतर से आवाज़ लगाता रहता है।

कोटिं तीरथ करे जगत में, अंतर स्वामी ना देखे घट में
जीव हर तरफ तीरथ करने जाता है लेकिन अपने अंतर घट में नहीं देखता जो की सच्चा तीरथ है।

प्रेममय सतगुरु फुलवारी, खिले शब्द की अंतर क्यारी
जब सुरत अपने सतगुरु स्वामी के प्रेम में मगन हो जाती है तो अंतर में अनहद शब्द सुनाई देते हैं।

घट रामायण सुनी श्रवण से, अंतर देखि चरण रघुराई
अंतर में ही सब कुछ देखती और सुनती है और प्रभु राम के चरण कमल को भी देखती है।

श्री रघुवीर के चरण कमलिया, देखि सुरत मुसकाई
उनके श्री चरणों को देखकर सुरत एकदम प्रसन्नचित हो जाती है।

परम पावन सतगुरु स्वामी, मिले पुरुष सतगुरु सतनामी
सतगुरु स्वामी से जब सुरत मिलती है तो उसके अहोभाग जग जाते हैं।

सतगुरु दियो यही वरदान, चल री सुरत अपने निज धाम
सतगुरु स्वामी अपनी दया से सुरत को निजधाम लेे चलते हैं।

दर्शन पाई सुरत हुई निहाल, अब कैसे कहूं सुरत का हाल
स्वामी के दर्शन पाकर सुरत अत्यंत सुख से भर गई कि उसका वर्णन नहीं किया सकता।

स्वामी चरण की धूल बनूं, करूं दिन रात इन्हीं की सेवा
और कहूं क्या कहा जाए, क्या चाहूं अब मैं फल मेवा
सुरत कहती है कि अब और क्या चाहूं कोई इच्छा बाकी नहीं है।आपके इन चरणों की में हमेशा सेवा में लगी रहूं बस यही चाहती हूं।
सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह अनमोल वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाए रखिए।
।।सतगुरु जयगुरुदेव।।
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुम्बई -महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक 21-2-18 सायं 5:45 pm

मालिक की दया से कल दिनांक 21-2-18 को सायं 5:45 pm पर जब मैं साधन में बैठी तो मालिक ने सत्संग सुनाया।
मालिक के वचन:
"सतगुरु जयगुरुदेव।
ग्राम बड़ेला के प्रांगण में बैठे दूर दूर से आए हुए लोगों मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूं।"सतगुरु जयगुरुदेव"नाम तो अब पूरे अखंड भारत में गूंजेगा।पूरे विश्व गूंजेगा।
वो अनी अनामा कुल मालिक अपनी सुरत को समझा रहे हैं और कहते हैं कि मैं तो तुझको(सुरत) लेने के लिए आया हूं।पर तू सोई पड़ी है।अब उठ और अपनी मोह की नींद से जाग जा।तू स्वयं भी जाग और दूसरी सोई हुई सुरतो को भी जगा।अब यही तेरा काम है।
सुरत कहती है कि हे स्वामी! मैं इन सोई हुई सुरतो को कैसे जगाऊं।ये तो उठने को तैयार ही नहीं हैं।
तो मालिक कहते हैं कि हे सुरत! तू चिंता मत कर अपने काम में लगी रह।जो नहीं उठता उसको छोड़ कर आगे बढ जा।
यानी सबको "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम की महिमा के बारे बताते चलो।और जो मान जाए तो ठीक नहीं तो उनको छोड़ कर फिर आगे बढ़ो।
दिन रात इसी नाम के सहारे रहो तो इस तरह से काम करते चलो और जो तुम्हारा सांसारिक कार्य है उसको मैं पूरा करवा दूंगा उसकी चिंता तो बिल्कुल मत करो।और तुम्हे कुछ नहीं करना है।जैसा अंतर में मालिक आदेश करें वो करो।
मालिक कहते हैं की जिन सुरतों को मैं अपने काम के लिए लाया था उनके जीवन में अनेकों बाधा आती हैं लेकिन धीरे धीरे सब बाधाएं दूर होती हैं।
जब एक के बाद एक सब सुरते जागने लगेंगी तो इसी तरह सुरतो की लड़ियां बनने लगेंगी।और फिर पूरी माला बन जाएगी।
बोलो सतगुरु जयगुरुदेव।"
मालिक के यह वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाए रखें। ।।सतगुरु जयगुरुदेव।।
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुम्बई -महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक 9-2-18 सायं 5:52pm

मालिक की दया से आज दिनांक 9-2-18 को सायं 5:52pm पर जब मैं साधन में बैठी तो मालिक के आध्यात्मिक स्वरूप के दर्शन हुए।मुझे ऐसा लगा मालिक बड़ेला में एक कुर्सी पर बैठे थे और सत्संग सुना रहे थे। मालिक के वचन:"बोलो सतगुरु जयगुरुदेव। आप सभी लोग जो यहाँ आये हैं उनका सबका मैं स्वागत करता हूँ।मैं यहाँ अखंड मंदिर में विराजमान हूँ।और जो लोग नहीं आ पाये और उनका मन यहीं लगा है वो आध्यात्मिक रूप से यहाँ आ गए हैं उनका भी मैं स्वागत करता हूँ। ये जो महाशिवरात्रि का पर्व आ रहा है उसमें बड़ा ही अच्छा समय है।आप सब लोग जो जहाँ पर भी है अपने अपने घर में जब जिसको समय मिल जाये जो स्थान अच्छा लगे वहाँ बैठकर 10 min,आधा घंटा, 1 घंटे सुबह शाम जितना कर सको साधन कर लीजिये।उससे आपको आगे का जो विनाशकारी समय आ रहा है उसमें सम्हाल हो जाएगी। सुमिरन ध्यान भजन को स्वासों की पूंजी से जोड़ दीजिये।हर समय चलते फिरते "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम लेते रहिये।"सतगुरु जयगुरुदेव" नाम में अनाम देश की पावर है।और ये नाम आपकी जीवात्मा की औषधि है।इस नाम को लेने से आपकी बड़ी से बड़ी तकलीफ दूर हो जाएगी। और जो नामदानी नहीं हैं वो भी इस नाम को ले सकते हैं।जिसकी जो श्रद्धा है जिस भगवान में वो इस नाम को लेने से उसको मिल जाएंगे।राम,कृष्ण,ईशा,खुदा जो जिसको मानता है वो मिल जाएंगे।जो जिस धाम तक जाने की इच्छा रखता है वो उस धाम को जाएगा।इसलिए आप लोग अनाम देश जान की इच्छा बनाइये।जिससे कि आना जाना खत्म हो। आपको ये रास्ता बता दिया।नाम बता दिया।अब करना आपको है।ये नाम जिसको मिल गया वो सबसे बड़ा धनी है।और जिसने नाम की रगड़ कर ली तो उसका तो कुछ कहना ही नहीं।
अमर अजर नाम आधारा, उसका न कोई वारा पारा
तो जो नाम के सहारे है उसकी सम्हाल कुल मालिक स्वयं करते हैं।
आप चलते फिरते कुल मालिक को याद करते रहिए।तो सारे करम कर्जे कट जाएंगे और यहाँ संसार में जो भी मुसीबत आने वाली है उससे भी बचे रहेंगे। अभी तो चारो तरफ कोहराम मचेगा।तो आप उससे बचे रहोगे।यहाँ का सारा काम करते हुए धीरे से निकल चलिए।और जब जिसका समय पूरा हो गया तो वो चल देगा यहाँ से।जब आप अंतर में मन लगाओगे तो यहाँ का खेल समझ आएगा कि यहाँ जो है वो तो वास्तव में है ही नहीं।सब थोड़े समय के लिए है। तो जो अमोलक मनुष्य शरीर आपको थोड़े समय के लिए मिला है उसमें बैठकर मालिक का भजन कर लीजिए। सतगुरु जयगुरुदेव।"
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुम्बई -महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 05/02/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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|| भर दिया शब्द से तन मेरा सतगुरु तुम्हारी जय हुई | दे दिया खोज शब्द नूर मेरा सतगुरु जयगुरुदेव तुम्हारी अतिशय विजय हुई ||
सतगुरु जयगुरुदेव
|| गुप्त प्रकट का हुआ जमावड़ा आँख खुले दिखे वह न्यारा ||
संतो का पूरा जखीरा धरा धाम पर मौजूद है दादू दरिया फकीर कबीर आँख खुलने पर परम शब्द सत्ता दृष्टिगोचर होगी |
सतगुरु जयगुरुदेव
दर्पण स्वच्छ रखो , दर्पण धुंधला होगा कुछ नहीं दिखेगा | आईने पर जमी काई नाम से कटेगी | परम स्पष्ट आध्यात्मिक शब्द ज़ेहन में उतरते चले जायेंगे | मिलौनी से काम न हुआ है न होगा | फँसाहट धोखाधड़ी शब्द देश में नहीं चलती | स्वच्छ दर्पण - सत सिंहासन पर परम संत सतगुरु जयगुरुदेव सदा सर्वदा अखंड रूप से विराजमान हैं | अंतर दर्शन करो सच्ची इनायत दुआ दान बरक्कत अवश्य मिलेगी |
सतगुरु जयगुरुदेव
अपने कोरे कैनवास पर सतगुरु जयगुरुदेव नाम अलंकृत करा लो | आगे का दुरूह समय आसानी से कट जायेगा | वक़्त के अमल नामी सतगुरु से काम बनेगा | जल्दी करो समय किसी का इंतज़ार नहीं करता |
सतगुरु जयगुरुदेव: ( दिनांक : 06/02/2018)
हेराफेरी क्यों करते हो | शब्द वचन अकाट्य होते हैं | शब्द अधर से आ रहे हैं |
|| शब्द वचन पलटे नहीं पलट जाये ब्रह्माण्ड ||
शब्द वचन अमोघ अस्त्र हैं | जब जहाँ इच्छा होती है प्रकट होकर बुलंदी का रूहानी सैलाब उड़ेलते चले जायेंगे |
|| मानो न मानो जाने भाग्य तुम्हारा , शब्द देश का सन्देश है अपारा ||
सतगुरु जयगुरुदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
रेलवे स्टेशन : रुदौली (Rudauli) (Code: RDL)
प्रेषक : सुनील कुमार
संपर्क सूत्र : 09711862774

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक 05/02/2018

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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जब जब धरा पर नाम आएगा शब्द शिव का सच्चा पैगाम सुनायेगा। महाशिवरात्रि का परम पावन पर्व आ रहा है कार्यक्रम होने जा रहा है , समूचे भारत एवं साथ ही विश्व के समस्त लोगो / मुल्को को कार्यक्रम में सम्मिलित होने का आहवान किया जा रहा है निमंत्रण दिया जा रहा है सब ससमय आकार आतम खुराक आतम बरक्कत ग्रहण करे, जाति कौम फिरका परस्ती से ऊपर आये , अमर अजर अविनाशी सतशिव परम संत सतगुरु के दर्शन दीदार का लाभ अवश्य ले , शब्द सतगुरु जयगुरूदेव अजर अमर है घट घट के वासी है अमर घाट पर उनकी बैठक है घट घट के वासी अविनाशी , सतशिव सतगुरु जयगुरूदेव अपनी मौज से आये है , जन जन को सच्चा पैगाम सुनाये है।
बच्चो सतगुरु जयगुरूदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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सतगुरु जयगुरुदेव :

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में लिखवाया
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अगहन सुदी दसमी तिथि आयी, सतगुरु संत ने मौज फ़रमाई |
मेरे शब्द सतगुरु जयगुरुदेव नाम का बिगुल पूरी दुनिया में बजने जा रहा है | जिसको जानना समझना है आ जाये , घर बैठे अटकले लगाने का समय अब समाप्त हो गया , होगा वही मिलेगा वही जो कमाई करोगे | लिखाकर लाये हो वो मिलेगा मिलेगा | चंटई चालाकी से प्रभु न मिला है न मिलेगा | उसकी खोज करनी पड़ेगी , रोना पड़ेगा , नाम की परख में आओ नाम पारखी है |
नाम शब्द सबके अंदर अंतर में गुप्त रूप से समाया है , वो घट घट के भावों को पढ़ता जनता है |
तुम तो अपने को नहीं समझ पाए अभी तक , अपने किये कुछ न हुआ अभी तक न होगा |
आगे का समय ठीक नहीं है | अधिक बैठक बाजी ठीक नहीं | निकट महात्माओ के आने पर रहस्य की परते खुलती जाएँगी | शब्द की पैठ गहराई तक ले जाएगी | शब्द नामदान सतगुरु के मुख से उच्चारित महादान है |
नामी धरती नामी आसमान के निचे आना ही पड़ेगा | प्रतीक्षा परीक्षा समय की है |

बच्चो सतगुरु जयगुरूदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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प्रेषक : सुनील कुमार
संपर्क सूत्र : 09711862774

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 04/01/2015

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गुरु मालिक ने गुरु बहन बिन्दु सिंह को अंतर में सभी प्रेमियों के लिए संदेश लिखवाया
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बच्चो सतगुरु जयगुरूदेव
बच्चो तुम्हारा करम भी दिव्य हो तुम्हारा धर्म भी दिव्य है बच्चे तुम जहा से आये हो वो देश निराला है उसके समान यहाँ कुछ भी नहीं है जिसकी तुलना यहाँ की जाये वहा से संत आये है वो अपने ढंग से यहा समझाते है मेला लगाते है तमाशा देखने बहुत से लोग संत के दरबार में पहुचते है साझा मंच बनाते है टेर लगाते है सब कुछ समझाते है,माय का सारा पसारा है सोच समझ कर चलो क्योकि माया किसी को छोड़ती नहीं है|
चौसठ बाजी बिछी हुई है सोच समझ जो खेला ,
वह तो बाजी जीत के जावे नही फसेगा झमेला,
मेले में तो मेली बहुत है कोई गुरु कोई चेला,
सतगुरु जयगुरूदेव शहंशाह है सबसे न्यारा ना वो गुरु न चेला।
परमार्थ के रास्ते पर माया अनेक विघ्न करती है लेकिन उस विघ्न को हटाने के लिए कोई मददगार चाहिए सहयोगी चाहिए जो सहायता करे वो मददगार आपका सतगुरु जयगुरूदेव है जो हर वक्त आपके पास है अगर सतगुरु स्वामी आपके पास ना रहे बराबर निगरानी न करे तो आप फस जायेंगे इसलिए अपने सतगुरू को हर वक्त याद करते रहो । अंतर में मालिक सत्संग, सतगुरु और उसके प्रेमी अंतर में मिलेंगे, कुल मालिक यही कहते है जागते सोते सदा होश में रहो और उस दिव्य परम पिता सतगुरु जयगुरूदेव को याद करते रहो जो सब जनता है ये दुनिया बावरी है पता नही क्या कर डाले जरा सा चुकने पर, हमारा संदेसा बड़ेला सतगुरु जयगुरूदेव मंदिर सतयुगी आगवानी का सब जगह गांव गांव कोई जगह छूटे नही पंहुचा दो राम ने रावण को मारा बाली को मारा अकेले नही मारा यह परम दिव्य आध्यात्मिक भक्ति है कोई क्या समझ सकता है इस दिव्य भावना को , यह सतगुरु की लीला है अनामी प्रभु की लीला है कुल मालिक जिसे चाहे उसे क्षमा कर सकते है जो चाहे वह कर सकते है कुल मालिक की दिव्य शक्ति स्थायी होती है वह दिव्य शक्ति शिरोमणि है, वो जो संकल्प करेंगे अपने दिव्य शक्ति के साथ वह काम होगा इसलिए आप सब लोग सदभावना और प्रेम के साथ मेरे बड़ेला सतगुरु जयगुरूदेव अन्तरघट मंदिर उत्सव सतयुगी स्वागत की तैयारी में लग जाये।
बच्चो सतगुरु जयगुरूदेव
अंतर्घट सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर एवं अखंडेश्वर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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प्रेषक : सुनील कुमार
संपर्क सूत्र : 09711862774

सतगुरु जयगुरुदेव :

गुरु महाराज द्वारा अंतर में सुनाया गया नवीनतम सत्संग
मालिक की दया से आज दिनांक 29-9-17 को प्रातः 7:36 am पर जब मैं साधन में बैठी तो मालिक के आध्यात्मिक स्वरूप में सत्संग सुनाई दिया।
मालिक के वचन:
"सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका प्रभु का।सतगुरु जयगुरुदेव नाम किसका प्रभु का।प्रभु का पावन नाम सतगुरु जयगुरुदेव।
प्रेमियों,
साधन करना बहुत जरूरी है।रोज़ 1 घंटा सुबह 1 घंटा शाम को साधन में दो।कम से कम 2 घंटे रोज़ साधन करो।संसारी काम तो होते रहेंगे।सूरत जीवात्मा के कल्याण के लिए ये बहुत जरूरी है।
"सतगुरु जयगुरुदेव" नाम में इतनी पावर है कि इस नाम के जाप से बड़ी से बड़ी मुश्किल हल हो जाएगी।मेरी ये बात गाँठ बांध लो कि इस नाम के अलावा और कोई मंत्र नहीं है जिससे तुम्हारी सुरत-जीवात्मा का कल्याण हो सके।
आपके कर्म कर्जें सुमिरन से कम हो सकते हैं।और जब किसी की निंदा करते हो या सुनते हो तो अपने तो साफ हुए नहीं दूसरों के भी कर्म कर्जे अपने ऊपर लाद लिए।तो जब कोई आपसे किसी की बुराई करे तो मन में "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम का जाप करते रहो तो उससे आपका कुछ नुकसान नहीं होगा।और जो बुराई कर रहा है सब उसके ऊपर ही जायेगा आप नाम से उसके प्रभाव में नहीं आओगे।
मेरी ये बात नोट कर लो कि आगे जो विनाशकारी समय आ रहा है उससे कोई बचा नहीं पायेगा।इस मनुष्य शरीर रूपी मंदिर में बैठकर अपनी सुरत-जीवात्मा का कल्याण कर लो।हर सांस पर सतगुरु जयगुरुदेव नाम लेते रहो।बैठकर नहीं कर पाते तो चलते फिरते हर समय नाम लेते रहो।अपनी जीवात्मा का कल्याण कर लो।
सतगुरु जयगुरुदेव"

मालिक के वचन सुनकर मैं धन्य हो गई।मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाये रखें।

।।सतगुरु जयगुरुदेव।।
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुम्बई महाराष्ट्र)

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 06/01/2015

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चे सेवा करते चलो | थोड़ी थोड़ी सेवा करते रहोगे तो काम हो जायेगा | अपना काम समझ कर करो | यहाँ कुछ तुम्हारा नहीं है | यहाँ अँधेरा ही अँधेरा है | अँधेरे में क्या ढूंढ रहे हो | अँधेरे में हाथ पाँव मारने से कुछ मिलेगा नहीं | इसलिए सतगुरु के हर काम में मदद करो | समझौती करा लो | यहाँ से धीरे धीरे निकल चलो | यहाँ रहना थोड़े ही है | ये देश तुम्हारा नहीं है | तुम्हारा देश जहाँ से आये हो परमदिव्य प्रकाशवान चैतन्य है |
|| परम प्रकाश रूप दिन राति , नहीं कछु चाहि दिया घृत बाती ||
सेवा करते रहोगे तो सफाई हो जाएगी | शुद्धिकरण करवा लो | रगड़ाई करा लो तो मनुष्य शरीर चमचम चमकने लगेगा | निखार आ जायेगा | इसमें फिर जब चाहो जहाँ चाहो इससे काम ले लो | पहले अपना काम बना लो | अपना काम तो बनाये ही रखो | फिर सतगुरु से आदेश लेकर दूसरों की पूरे जहान की मदद करो | इसी के लिए ही तो आये हो | इस अमूल्य मनुष्य शरीर की कीमत अदा कर दो |
परम दिव्य शक्ति का भंडार अंतर गुप्त रूप से समाया है | बच्चे सत्संग सेवा के लिए लालायित रहो | सत्संग की चाह हर वक़्त बनाये रखो |
|| राम बुलावा भेजिए दिया कबीरा रोये , जो सुख है सत्संग में सो बैकुंठ न होये |
सत्संग शिरोमणि के पास पहुँचकर सत्संग सुनो |
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव |
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 15/01/2015

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव - की रटन लगाते लगाते अपने मालिक परम दिव्य सत्ता में समा जाओ | सतगुरु के शिवा और कोई नही सच्चा हितैसी जो तुम्हारी भटकती रूह की अंतरि सम्भाल कर सके | जहां सब वेद कुरान पुरान आदि धर्म ग्रन्थ मौन हो जाते हैं | वहां सतगुरु जयगुरुदेव परम दिव्य शक्ति शिरोमणि अखंड दिव्य परम ज्ञान ध्यान उतरता है | ऐसी परम सुहानी लुभावनी , परम पुनीत दिव्य घटी बड़ी मुदद्त के बाद आती है |
ऐसे अनाम प्रभु धरती को अपना बिछौना बना लेते हैं और उस कल्याण मई बसुंधरा की गोद में अपने गिनती के दैनिक बच्चों के साथ एक सुहानी रहस्य मयी पराम् दिव्य लीला खेलते हैं | ये नूरानी खेल जल्दी किसी के समझ में नही आता | मालिक का कुदरती करिश्माई खेल, कोई नाम दिवाना परम भक्त शिरोमणि ही समझ सकता है | बच्चे मेरे खेल में हैरान मत हो , इसमें परम हित हैं | ये जागृति का सुहाना समय है | इसमे अपने सतगुरु कुल मालिक का अंतर साथ गह कर अपना काम बना लो | मेरे सतयुग सेनानियों अब इस नूतन मंगलमयी कुदरती घडी की सुइयां अबाध गति से चल रही हैं | अब अन्तजार का सोने का वक्त नही हैं | सतगुरु जाग्रति का डंका बजा दो | अब दो युग आमने सामने खड़े है मेरे सतयुगी बच्चों अब देखने का समय नहीं है | कुदरत भी तुम्हारा इंतिजार कर रही हैं | सब कुछ तो वह मालिक बता ही रहा है | बच्चे तुम्हारा पल पल बढ़ता आत्म विश्वास अब सतगुरु जयगुरुदेव का प्रकट रूप बनने जा रहा है | अब आगे आगे देखते जाइये क्या क्या होने जा रहा है | बच्चे तुम नादान नही हो सब समझ रहे हो , अब अपने सतगुरु जयगुरुदेव को हाजिर समझ कर अपने रूहानियत की कुदरती पहचान धीरे धीरे करते चलो वक्त पर काम आएगा |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 17/02/2017

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
हे स्वामी आप बड़ेला नगर में क्यों आये ? अपने आने का कारण हमे बता दीजिये |
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कारण सुनो सुरत हमारी, दिन रात तुम हमय जुहारी|
दिन रात तू जोहत रहिया, हे स्वामी तुम कहिया अहिया |
होत बिहान बड़ेला आया , अति उच्छाह अंतर्घट उमगाया |
अंतर्घट निज रूप धराया, अति अलौकिकता नाम में लाया |
नाम रूप सचर सयाना, संत सुरत मरम है जाना |
मन्तर दिया शब्द का सारा , संत सुरत नही करे अबेरा |
सतगुरु संत किये कहाँ हैं डेरा |
बन्दों की बस्ती में आया, बंद रूप का परचम लहराया |
बंद रूप बंदउँ बंदउँ हरि आई , हरि नामी सतगुरु सहाई ||

सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 07/03/2017

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
उस अनामी प्रभु के रोम रोम से असीम चैतन्य धार निरंतर प्रवाहित हो रही हैं | चरणों की असीम धारा में समस्त सृष्टि का विमोचन होता आया है | उस महा प्रवाह के अखंड धार की कोई पैमाइस ही नही है | वहां चरणों में आदि अंत है नही | ओ अनादि अनंत से अनंत में शब्द चरण ज्यों के त्यों धसे हैं | शब्द चरणों की गती निराली हैं |
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शब्द चरणों की महिमा निराली |
अदभुद चरण अइले, जगवा में आली |"
सतगुरु जयगुरुदेव : अंतर में मुझसे बात करो| अंतर में कोई मिलौनी नही | निखालिश चैतन्य शब्द है | शब्द सतगुरु ही सर्वोपरि है दूसरा है कौन जो शब्द धार की शब्द धारा निरंतर प्रवाहित करे , शब्द सतगुरु एक पल चुप नही हैं | अकाट्य शब्द का तोड़ नही | शब्द सतगुरु बोल अनमोल यही | शब्द बोल सतगुरु के सुन लो | अंतर वाणी अनहद धुन लो | अनहद धुनी शब्द से आयी | सतगुरु नाम की दात दिलाई |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 05/03/2017

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
जीव, आत्मा का वस्त्र धारण कर कर जीवात्मा बन जाती है | वह अपनी सचर समर सत्ता को पहचानने में समर्थ हो जाता हैं | वह समर्थ आत्मा वस्त्र, सतगुरु ही धारण कराते हैं, दूसरा है कौन | सत के शिवा जो नामी लिबास धारण करा सके | अभेद सुरक्षा कवच, उसको काल जाल की फ़िक्र नही रहता | ओ अपने नाम में परम् हुआ रहता है | वो शब्द होकर शब्द सागर में समाहित हो जाता है | वो अपना तो कल्याण कर ही लेता है , साथ दूसरों का भी परम कल्याण करने का वीणा उठाने में सर्व समर्थ बन जाता है | पारस से मिल सब पारस ही बनते चले जाते हैं | आगे आने वाले समय में सब योगविज्ञानं की परा विद्या सीखकर परम ज्ञानी ध्यानी बनते चले जायेंगे और क्या चाहिए |
सतगुरु जयगुरुदेव :
वर्दास्त असह्य असीम सहन करने की कोई सीमा नही हैं | बस इतना है, सभी सूरतों का परम पिता एक अनीह अनामा बड़ेला की पावन धरती पर अखंड रूप से हाजिर - नाजिर हैं | आँख खुलने पर सारे रहस्य दृष्टि गोचर होंगे |
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समस्त सत कार्य सब पूरे होंगें | अखंड रूप के दर्शन होंगे |
दर्शन देंगे अखंड अनामी , आने वाले अगम में होंगे |
अखंड अदम्य घड़ी सुहायी, सुनी सुनाई रीत न भायी |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 14/02/2017

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
मोहन मुरली ध्वनि सुनाई , कोटि कृष्ण बलिहारी जाइ|
बीन बासुरी बैन है आई , संत सतगुरु स्वयं सुनाई |
सुनी शब्द की सारी बतियाँ , पूर्ण रूप स्वयं हैं धारे |
अति अनंत कह कथा पुरानी, अंतर घट उतरे सच खंड की बानी |
अंतर घट निज बैन सुनावे , भेद अपनों खोल के गावे |
पंडित ज्ञानी ध्यानी आये , अंतर वचन सतगुरु सुनावे |
अंतर कथा महान हैं , सुनलो चतुर सुजान |
विन अंतर महिमा सुने होय नही कल्याण |
करुणा करि करुणा है छाई, करुणा की देवी मुसकाई |
करुणा मई करुण है गाथा , अति अनंत अमिट अगाधा|
अति आनंद उर आँगन छाया, शब्द शब्द जहाँ स्वयं अमाया |
आय गई अब सत की बेला, विल्ब पत्र पुष्प से मेला |
खिलकत खिलै शब्द से सारी , निज शब्द धरि खिलकत है आई |
अपने आने का भेद है खोला, भेद गूढ़ शब्द संग डोला |
शब्द गगन में जड़ा हिंडोला , रतन जड़ित सिंघासन आया |
शब्द रूप धरि नाम है आया , सर्वज्ञान धाम शब्द साथ है आया |
सतगुरु जयगुरुदेव :
शब्द की महिमा खोल के गाओ , नाचो गाओ धूम मचाओ |
शब्द ध्यान की कथा सुनाओ , सर्वज्ञान सम्मान में आओ |
सत मान सच्ची सरणाई, आय गहो गुरु मुख गरुआई |
श्री मुख बैन सुनो दिन राती, शिव शम्भू कैलाश के वासी |
शैल शिखर से शब्द सतगुरु आये , शब्द भेद सब खोल के गाए |
शब्दयान की सचर है वेला , शब्द यज्ञ रचे अलवेला |
शब्द पूज्य सब होवे सुखारे , संत सतगुरु वचन उचारे |
शब्द शब्द की बाग़ लगाई , बचन बाँध वीथिका सजाई |
सजी धजी सब मंगल क्यारी , फूल खिलै नित वारी वारी |
वार वार वार नही होई, दर्शन दुर्लभ सुलभ है होई |
दुराधय , शब्द शिव आराधी , तीरथ पुष्पित फलित गुसाई |
गुण गावन की बेला आई , शब्द ध्यान करो सत साईं |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 14/11/2016

(ये वचन गुरु मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
अनाम मशीहा जब धरती पर प्रकट होकर अपने अचरज मयी पैगाम जीवों को जगाने की गरज से सुनाता है | उस अचरज पैगाम को समझ पाना असम्भव है, जब तक ओ खुद व्याख्या विवेचन कर समझाए न | अनाम मशिहे पैगाम के लिए विवश होकर सब आएंगे | हाहाकार कोहराम में सब हाथझाड़ कर किनारे खड़े हो जायेंगे | वो अजन्मा फकीर सबके दिलों में खुदा खुदाई नूर भरेगा | सब आत्म परा विद्या/ज्ञान को हासिल करेंगे | जिसके हौंसले बुलंद होंगे वो ही परम बुलंदी पार कर अनामी प्रभु कुल मशीह के सामने हाथ जोड़ कर हर वक्त हाजिर मिलेगा |
कुल प्रभु के मशीही अभेदकारियों को समझ पाना आसान नही हैं |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 29/01/2017

ऐसा अखंड मंदिर बड़ेला में बन रहा है, कैसा गजब जलवा सतगुरु का हो रहा है |
पैसा नही है पाई, कौड़ी छदाम न जाई|
सतगुरु बनाये मंदिर , घट घाट की करे रहनुमाई |
उत्तर काशी काबा अनगिनत तीरथ का है ये ढाबा |
अखंड शरण सतगुरु के हम है आये, सचखंड के सतगुरु स्वयं है चलकर आये |
सतगुरु जयगुरुदेव नाम की अलख है जगाये, करो सब शब्द नाम की कमाई |
लखपति खरबपति या हो कोई , कुछ है साथ न जाई |
क्यों फिरत हो गरुआई|
गरब तन का छोडो , धन धान्य से भी मुख मोड़ो |
उठ द्वार अंतर निहारो , कैसा गजब जलवा सतगुरु दिखा रहे हैं |
ऐसा अखंड मंदिर बड़ेला में बन रहा है, कैसा गजब जलवा सतगुरु का हो रहा है |

सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 07/01/2017

(ये वचन गुरुबहन को मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
कोई लखे तो लखता चले, हम आदि अनादि अनंत लखायेंगे |
कोई चले तो चलता चले हम अखंड अनाम में ले आयेंगे |
अन्तर नाम की गागर है , सतगुरु भी सच्चे सौदागर है |
सच मान चलो सत सागर में , हम शब्द नाम ले आये हैं |
नाम गहो नामी को लखो, हम नाम की दात दिलाएंगे|
कोई चले तो चलता चले हम अखंड अनाम में ले आयेंगे |
रहमान की नगरी है, सत सार ही सगरी है |
हम सतगुरु जयगुरुदेव नाम की जय जय कार कराने आये है |
कोई लखे तो लखता चले, हम आदि अनादि अनंत लखायेंगे |
सतयुगी ध्वजा फहराये सतगुरु जयगुरुदेव नाम धराये |
सतगुरु राधास्वामी सतगुरु जयगुरुदेव अनामी प्रभु स्वयं है प्रकटाये |
प्रकट रूप आति पावन लागे , सतगुरु नाम में सुरत है जागे |
कोई नाम जपे तो जपता चले, हम नाम देश ले आये हैं |
कोई लखे तो लखता चले, हम आदि अनादि अनंत लखायेंगे |
अनामी प्रभु बड़ेला नगरी को अपना बनाये है |
अन्तर भेद अभेद अलौकिक अपना स्वयं दिखाए हैं |
कोई लखे तो लखता चले, हम आदि अनादि अनंत लखायेंगे |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०4 अक्टूबर २०१६, समय : सुबह ४.३६

(ये वचन गुरुबहन को मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
"मुदित होय सब करिहैं पाना , सत चरित का करू बयाना |
गुण दोष कुछ साथ न जाई, गुणातीत की कथा सुनाई |
गुण अवगुण की टाटी खोली , सुरत बोल अपनी निज बोली|
शीव पीव की महिमा आनी, पीव शीव हैं सुन्दर दानी/औधर दानी |
नामदान सत शीव ने दीन्हा , दीन दयाल की दया प्रवीना|
दीनों पर नित दया उतरहीं, दीन होय सत द्वार पर चलही|
चलने का अब करो यतनिया, सबको मिले राम नाम की दुनिया |"
******************************
सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक : 02 अक्टूबर २०१६
हे अनंत स्वामी , सारे जीव आप के देश कैसे जायेंगे, कब जायेंगे , कैसे सारे चले जायेंगे ?
जो मुझमे/गुरु में ईश्वर के दर्शन को देखेगा वो पास हो जाएगा | बाकी कर्मानुसार भोग बने हैं , कर्म अकर्म जो करते हैं करेंगे, सब भोग कर ही जायेंगे | इन भोगों से बचने का बस एक ही रास्ता है , शब्द नामयोग साधना |
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु राधास्वामी सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०१ सितंबर २०१६

(ये वचन गुरुबहन को मालिक ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया )
उसी गंगा में मछली रहती है अन्य जीव रहते हैं| मछुवारा दिन रात उसी में डुबकी लगाता है , क्या उनका उद्धार हो जाता है ? पतंगा दीपक के पास मंडराता रहता है, अपने आप को जला देता है क्या मिलता है ?
***********************
सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक : ०१ सितंबर २०१६
"आदि अनंन्त अकथ है , आदि अंत अनंन्त है |
अकथ कहा नहीं जाये शब्द रूप अनुपम अमिट, काहि कहूँ समझाय|
कोई नहीं समझे सत निज बैना, भजे भार दिन रात चबैना , सत चरित का काहि कहौं बयाना|
कोई न समझे , मूढ़ मंद मति अयाना|
और कहौं भरम का मरमा , भूल भरम सब मिटै अपरमा |
अति विचित्र सत चरित बखाना, साधु संत नित करिहैं पाना |
नित नई लीला का करू बयाना , सत धर्म की बेल सुजाना |
अतिशय प्रिय जेहिं शब्द बिदेहीं, कर कल्याण हाथ तिन लेही|
करो आय शब्द की पूजा , शब्द से बड़ा कोई देव न दूजा |"
********************************
सतगुरु राधास्वामी सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक : ०१ सितंबर २०१६
अपने स्वधर्म का पालन करना , सत पथ पर निरंतर चलते रहना, जो सच्चा सत्य है , वही सच्चा स्वरुप सतरूप है | सच्चे के साथ मिलकर सच्चे बनते चले जाओगे | पूर्ण निश्छलता आती जाएगी | ओ रहनुमा स्वमं हाथ बढ़ा कर उठा लेगा | बिना निश्छल हुए सुरत इस पार से उस पार नहीं जायेगी | इस बात को अच्छी तरह समझ लो |
"समझ लो जो सद्गुरु बताते है , सतपथ की सच्ची खबर दिलाते हैं "
********************************
सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक : ०१ सितंबर २०१६
इस बात को अच्छी तरह जान लो , जब तक सच्ची चाहना नही होगी , सच्ची राह नही मिलेगी | जिसने रास्ता देखा हो रोज रोज आता जाता हो ओ तो सेकेंडों में इस पार से उस पार पहुंचा देगा | लेकिन इसके लिए निश्छल होकर आना पड़ेगा | आया गया राम से पार नहीं जाते , थोड़ा सा रंच मात्र में काम बनता है | उठते संभलते रस्ते पर चलने लगते हैं, धीरे धीरे रास्ता तय करो , सफर आसान हो जायेगा |
********************************
सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक : ०१ सितंबर २०१६
घमण्ड क्यों करते हो , घमण्ड अहंकार तुम्हारे कर्मों के बखेड़े है | ओ सामने काल की तरह मुँह फैलाकर खड़े हो जाते हैं | कुछ साथ नहीं जाएगा , बच्चा बच्ची सब छोड़कर चले जाएंगे | न दिन का किया हाथ आएगा न रात का ||
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सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक : ०१ सितंबर २०१६
"रहम का द्वार खुला है भारी, रहम करे सतगुरु सम्हारि सम्हारी "
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सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक: ०२ सितंबर २०१६
"हम दयाल देश से आये हैं , जीवों पर दया बरसातें हैं |
जीव की जिवंत महिमा सुना जीव सीव बनाते हैं ||"
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सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक: ०२ सितंबर २०१६
"ओ कैसा संत सतगुरु आया , युगों का बंद राज सब खोला है|"
संत सतगुरु इस धरती पर जब जीवों को जगाने की गरज से आते हैं | ओ धरती को ही अपना विछौना बना लेते हैं | वह जहाँ जाते हैं , वहीँ तीर्थ बन जाता है, धाम बनने लगते हैं | सतगुरु के चरणों में अजस्त्र अनगिनत , वेशुमार तीर्थ धाम समाये हुए | शब्द की गहराई ऊंचाई नापना आसान नही ||
सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:१३/०२/२०१५ प्रातः ३.२३

बच्चे - बच्चीयों ये दुनियावी मेले झमेले सब झगड़ा झंझट यहीं छोड़ना पड़ता है | सुरत अकेले जाती है | वो खुद इतनी ताकतवर हो जाती है, कि अकेले सब कुछ रचने की क्षमता आ जाती है |
लेकिन उसकी क्षमता , उसका भेद कोई - कोई ही जान सकता है | बताये भी किसको किसी को समरथ नही देखती सद्गुरु के शिवा |
**********************************
"जगत में समरथ सद्गुरु दिखता, अब तो आ गयी सद्गुरु द्वारे तुम्हारे |
युगों की फसी ये नौका हमारी , अब खेय के लगा तो किनारे |"
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अपने सतरूपी पिता के वचनों को माला की तरह फेरती है | एक़ पल के लिए भूलती नही | लेकिन बाहर की रूहानी दिव्य ताकत , अंतर में रूहानी शौकत बनकर ऊपरी अंतरी चढाई में मदद करती है | ये रूहानी शौकत अंतर की दुरूह चढाई , ऊँची नीची घाटियों, वन पर्वत पहाड़ चढ़ने चलते जाने में , भरपूर मदद करती है | अब सबके सब अपने साधन भजन करते हुए , मालिक के सच्चे देश जाने की तैयारी करो , सच्चे सद्गुरु से मदद ले लो | मददगार सद्गुरु मदद करने के लिए ही उतर के आया है | "सद्गुरु उतर के आया , बड़ेला की पाक जमीं पर| बड़ेला की पाक जमीं को , सिर माथे लगाया सभी के "|| बच्चे तुम्हारे लिए आये हैं , इसलिए सब लोग ससमय पहुँच कर, सद्गुरु की हथबटाई करो, चूको नही , वो सद्गुरु सबको , दिव्य रूहानी अंतरी अत्यंत पोशीदा पाठ पढ़ा कर रख देगा| इसी के लिए लाये गए हैं | अब सतगुरु की बातों को गहराई से समझते हुए, अंतर बाहर के सब कार्यों को करते जाओ ||
सतगुरु जयगुरुदेव


सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ३१/०५/२०१५ प्रातः ४:४२

बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव बोलो
फकीर की फरिश्ती मौज की सुहानी घड़िया करीब आ रही है,
फकीर की फरिश्ती मौज अब दुनिया पर छा रही है|
----------------------
मालिक की मौज में रहकर फकीरी मौज का आहवान करो सेवा साधन का विशेष मुहुर्त चल रहा है | नवीन युग का सृजन होने जा रहा है बढ़ चढ़ कर आगे आओ , ये शुभ अवसर बड़े सौभाग्य से आया है समय किसी का इन्तजार नही करता बड़ी तेजी से करवट ले रहा है मेरे पास लाईन लगी है एक से एक धुरंधर पड़े है, देखते रहिये मेरा खेल बन्द नही हुआ है| सबकी निगाहे सतयुगी द्वार दरबार पर टिकी है सतगुरू के अमिट दरबार का आदि अन्त न है न होगा| सतगुरू ही परमेश्वर है और होगा सम्बल बहुत मजबुत है |
||सतगुरु जयगुरुदेव||


सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ३०/०९/२०१६ प्रातः ३:४२


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने आध्यात्मिक रूप से लिखवाया गुरुबहन को अंतर सन्देश:
जल्दी करो सब समय निकला जा रहा है | आगे बढ़ो पीछे पलट कर देखने का समय अब मेरे पास नहीं है | पिछले शब्दों का मनन करो , शब्दों का विखंडन करना किसी के लिए ठीक नहीं है | वक़्त किसी की परवाह नहीं करता समय निश्चित है , जो होनी है समय पर होकर रहेगी | उसको कौन रोक सकता है |
---------------------------------------------------------------------
सतगुरु जयगुरुदेव ------------ प्रातः ३:५०
अपने सतपथ पर चलते रहना | सारी सच्चाई सारा सत मुखर होकर स्वयं सामने आ जायेगा | अपने ही किये कर्म धर्म एक एक कर सामने आ रहे हैं | तीर धनुष उठाने की जरुरत नहीं है | जो भी जिसको कहना सुनना करना भरना हो जी भर कर करो | सही सच्ची बातें कड़वी लगती हैं | सतराह पर चलना आसान नहीं है |
--------------------------------------------------------------------
सतगुरु जयगुरुदेव ------------ प्रातः ३:५५
|| दिया नाम सतगुरु ने अपारा , सुमिर सुमिर उतरे सब पारा
सतसिन्धु का नूर है भारी , सत सत सब सत सुना री ||
-------------------------------------------------------------------
सतगुरु जयगुरुदेव ------------प्रातः ४:१४
आये बैठे हैं सतगुरु जयगुरुदेव अविनाशी , चलो चलो जल्दी करो दर्शन सभी देशवासी
देसवा विदेसवा में खबर जनावे , लेकर सायकिलिया पुरानी
अंतरदेश का पता बतावें , नाम जहाज ले आये रूहानी
अपना सच्चा देस दिखावें , सतरूप अंतर में परखावें
सतरूप निरख निरख सुरत भयी दीवानी , नित सफर करावें सैलानी
लेकर आये जहाज रूहानी
--------------------------------------------------------------------
सतगुरु जयगुरुदेव
पीठ पीछे छुरा चलाने से काम बिगड़ जाता है | कहाँ फ़क़ीर द्रवित होकर दया नित उड़ेलते रहते हैं | लेकिन दया ठहरे कहाँ | दया राउंड कर वापस पुनः फकीरी झोली में वापस आ जाती है |
सतगुरु जयगुरुदेव


सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
www.satgurujaigurudev.org

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 16/05/2016, समय: 6.33 AM


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
कब तक रहोगे परदे में , हमको बता दो स्वामी |
भूल तो सबसे होती है होती रही , सबके भूल पर धूल डाल कर, कर्मो की माफ़ी करा दो स्वामी |
कब तक रहोगे परदे में , हमको बता दो स्वामी |
कर्म कर्जे चुकाना जलना खूब आता है तुमको स्वामी , हम सबके कर्जे को जलाकर माफ़ी करा दो स्वामी |
कब तक रहोगे परदे में , हमको बता दो स्वामी |
जन्नत पार से बनकर आये हो फरिस्ता , जन्नत पार की खबर लाये हो स्वामी |
धरती को जन्नत बंनाने की गरज से , स्वयं अपनी मर्जी से पुनः निज धरा धाम पर प्रकट हुए हो आये |
कब तक रहोगे परदे में , हमको बता दो स्वामी |
धरती पर बढ़ रहा अनाचार भारी , अब तो सत सत सब सच का खुलासा करा दो स्वामी |
फिर हम सब अज्ञानी , जीव आये है शरण तुम्हारे |
शरण आये की लाज रखो , राधास्वामी बन आये हमारे |
कब तक रहोगे परदे में , हमको बता दो स्वामी ||
सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
सोहावल , फैजाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १२/०३/२०१५, प्रातः ६:४८ am


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव :
सतगुरू तुम भूले मैं क्या गाँऊ
जिस अन्तर हिय में बसे उसे जग के कण कण मैं क्या बिखराऊँ
बच्चे ये मिलौनी का संसार है ये देश तुम्हारा नही है| ये भूल भुलैया का देश है| ये अपना देश है ही नही , अपना देश तो सतगुरू ही बतायेंगे|
बसी है सुरत अब सतगुरू के अन्तर हिय देश
जहॉ नित नित सुने सतगुरू का नित सत संदेश
संत सतगुरू जीवो को समझाने के लिये इस धरा पर आते है आये है, और उनको अपने तौर तरीके से अथक परिश्रम कर समझाते है| सत्संग वचनो का पालन कराते है| जो चेत जाते है वो सतगुरू के साथ अन्तर में कड़ाई के साथ खड़े हो जाते है और उन्ही को लेकर सतगुरू देश दुनिया को बदलने के लिये निकल पड़ते है|
निकल पड़े सतगुरू हाथ में रूहानी सतयुगी झण्डा लेकर|
निकल रहे है सतगुरू साथ में नवरत्नो को लेकर||
बच्चे अब तुमको अतिशय परम आदर्श बनकर सतगुरू जयगुरूदेव का साथ निभाना है| मै निजधाम नही गया मै यही विराजित हुँ| मेरे लिये मेरे बताये पुर्ववत स्थान पर झोपड़ी बना दो| मै आज ही अभी वही दर्शन दुगाँ| देर मत करो मुझे देरदार बिल्कुल पसन्द नही है, ना ही मिलौनी पसन्द है | क्योकि जहॉ से तुम लाये गये हो वो मिलौनी का देश नही है| झोपड़ी पत्ते से, घास फुस से ही बना दो वही अन्त: गुफा में बैठकर इन्तजार कर रहा हुँ , करूगाँ| चिन्ता क्यों करते हो तुम्हारा सतगुरू जयगुरूदेव पुर्ण समरथ है| उस पर पुर्ण भरोसा रखो| अपना निजकाम जल्दी सम्पन्न करो ना समझ में आये तो मुझसे पुछ लो मै तुम्हारी एक एक बात का जबाब दुगाँ | तुमको एेसे ही नही लाया हुँ| तुम मेरे अतिशय परम प्रिय महापावन बच्चे हो तुम्हारे साथ हरपल रहता हुँ और हर युगों से रहता आया हुँ | अब निर्भिग्न होकर अपना सतयुगी साधन पूर्ण रूप से सम्पन्न करो कराओ| असंख्य करोड़ो क्या अनगिनत असंख्य करोड़ो युगों की मिन्नते अर्जीयाँ पुरी होने जा रही है| तो समय के साथ बीच बखेड़े भी आ जाते है लेकिन उसकी परवाह मत करो|
पर्वतों को काटकर सड़के बना देगें ये/ देते है ये
असंख्यों अनगिनत मरभूमि में पड़ी रूहों में जान डाल देते है ये/ जान डाल देगें ये
अब अपना सतयुगी कार्य सतगुरू जयगरूदेव से मिलकर अतिशीध्र सम्पन्न कराओ मुझे बहुत जल्दी है|
बच्चे तुम्हे विश्व में अतिशय परम आदर्श बनना है
सचखण्ड से आ रहा सतगुरू का अमर सन्देश जन जन को सुनाना है, जगाना है
अब स्वंय जागृती लाते हुये निकल पड़ो किसी की परवाह मत करो| तुम्हारा कोई बाल बाँका नही कर पायेगा|
निकल पड़ो सब सतगुरू के संग
सतगुरू जयगुरूदेव की अगवानी करने
सतगुरू जयगुरूदेव का सतयुगी मंगलमय स्वागत अभिनन्दन करो
रूहानी सतयुगी मंगलमय भव्य कलश सजा सजा कर
बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०८/०३/२०१५, प्रातः २:१५ am


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव :
सतयुगी साधिकाये जाग जाये सतयुग उतरता चला आयेगा
हर युग में ये जागृती लाये सतयुग भी इनको देखकर उतरता चला आयेगा|
बच्चे तुम सब अपने आप में पूर्ण जागृती लाते हुये सबको जन जन उठाने में, जागृती लाने में लग जाओ, निकल पड़ो |शक्ति मैं प्रदान करूगाँ
निकल पड़े सतगुरू/ सतयुग जी हाथ में झण्डा लेकर
बगल में खड़ी है सतयुगी देवी/ शक्ति देवी हाथ में लिये सतयुगी दिव्य ग्रन्थ करे सतयुग की चर्चा भारी
सतयुग की अगुवाई करने घरों में ताले लगा लगा कर निकल पड़ो नर नारी
सबको ग्यान मिले इतना सब हो जावे/ सब बन जाये सत्तधारी
सब लोग जितनी जल्दी हो सके मेरे बड़ेला दरबार पहुँचने की कोशिश करो क्योंकि आगे समय अच्छा नही है| द्रुह समय में हर आने वाली मुसीबत से छुटकारा पाना चाहते हो तो शीध्र मेरे बड़ेला दरबार में हाजीर हो बीच बचाव मै करूगाँ| लेकिन इसके लिये सतगुरू के दरबार में झुकना पड़ेगा, अर्जी लगानी पड़ेगी
अर्जी पर अर्जी लगाते चलो
मर्जी लखो सतगुरू दयाल की
सतगुरू की अखण्डता एवं अमरता का विश्वास करना पड़ेगा अमर सत्संग वचनो को सुनना पड़ेगा
सत्संग से विवेक सब होई
सतगुरू सत्संग में सुख समोई
विना सतगुरू के यह सुलभ न होई
सतगुरू जयगुरूदेव का दरश करो सब कोई
सतगुरू के दर्शन के लिये निकल पड़ो तुम्हारा सतगुरू जयगुरूदेव निजधाम नही गया है , वो मै यही विराजमान हुँ क्योंकि-
जाकि रही भावना जैसी, सतगुरू जयगुरूदेव दिखे उन वैसे
सतगुरू जयगुरूदेव पर जेहिकर सत्य सनेहु
सतगुरू जयगुरूदेव मिले बारम्बार यामे नही कछु सन्देहु
सतगुरू अखण्ड सतगुरू जयगुरूदेव कथा अखण्डा
विविध विधी कहत सुनावत बहु विधी सब सन्ता
बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०६/०३/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
मेरे बच्चों में कुछ विशेषताएं हैं l इन्हें वे स्वयं भी पूरी तरह नहीं जानते l जान जाते तो सेकेंडों में सब इधर का उधर कर देते l मैंने उन्हें बड़ा संभालकर रखा है l अब उनके पूर्ण जागरण का समय आ चुका है l जितनी जल्दी मेरे बच्चों को काम की है उतनी ही जल्दी मुझे भी है अपने बच्चों से मिलने की l
पापों का घड़ा कभी न कभी तो भरना ही होता है l जब भर जाता है तभी फूटता है l संत सदैव मर्यादा में रहते हैं किन्तु उनकी शक्तियां अपार होती हैं l इस अपार शक्ति को कोई तंत्र विद्या खंडित नहीं कर सकती l इस बात का प्रमाण कुछ समय में मिलने लगेगा l
मेरे बच्चों को मै अगर छूट दे दूं तो वो सेकेंडो में काम तमाम कर देंगे किन्तु वो मेरे बच्चे हैं और मेरी ही तरह हर कार्य सतगुरु की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए करते हैं l तुम उन्हें छोटा मोटा मत समझना l तुम उन्हें अगर जान गए कि वो कौन हैं तो उनके चरणों के लिए लालायित रहोगे l
सतगुरु ने घोषणा कर दी है l जो भेद जानते हैं वो समझ जायेंगे l जो नहीं जानते उन्हें समय समझा देगा l अपनी भूल पर पछतावे का समय समाप्त हो चूका है l अब तो दंड की बारी आई है l वो कार्य मै अपने बच्चों को सौप देता हूँ l वो स्वयं जानते हैं उन्हें क्या करना है l अब तुम अपने परिणाम की चिंता करो l तुम्हारी इच्छानुसार तुम्हें मान सम्मान और धन तो मिल ही गया l
अब मेरे बच्चे इतिहास लिखेंगे l अब वो होगा जो मेरे बच्चे चाहेंगे l तुम चाहो कितना कुछ कर लो , होगा वही जो मेरे बच्चे चाहेंगे l ये वो बच्चे हैं जो गलती करने पर अपने माँ बाप को नहीं छोड़ेंगे , तुम सब क्या चीज हो l इनकी शक्ति और सत्ता को चुनौती देने का साहस समस्त विश्व में तो क्या , ब्रह्माण्ड में भी किसी के पास नहीं है l
तुम सब अपने अपने अंगों को संभालकर रखो l ऐसा न हो तुमसे ये भी ले लिए जाएँ l
वक़्त तो बहुत करीब है l तुम लोग जितनी मौज कर सकते हो कर लो आगे किसी लायक नहीं रह जाओगे l
मेरे बच्चों तुम सब जागकर खड़े हो जाओ l तुम्हारा सतगुरु तुम्हें पुकार रहा है l अब तुम्हारे काम करने का समय आ गया है l कमर कस के तैयार हो जाओ l इसी समय के लिए तुमको लाया गया था l अब अपने सतगुरु के सन्मुख खड़े होने का समय आ गया है l
ll कुछ हस्ती है ऐसी मिटती नहीं तुम्हारी , बाकी रहेगा सदियों तक नामों निशां तुम्हारा ll
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०५/०३/२०१५, प्रातः ४:२४ am


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरू जयगुरूदेव :
अन्तर अँखियों के झरोखे से देखा जो सतगुरू को:
दुर दुर तक सतगुरू ही नजर आये:
बच्चे संसार में सतगुरू नर तन धारण करके आते है लेकिन संसार वाले, मिलौनी वाले नही समझ पाते| सतगुरू की पहचान कोई कोई कर पाता है|निखालिश सुरत ही सतगुरू को अपने हिये में बसा लेती है| सारी मिन्नती प्रार्थना अर्जी मर्जी सतगुरू से करती है| उलाहना देती रहती है, दे भी तो किसको दे क्योंकि सतगुरू के सिवा समरथ कोई इसको दिखता नही है :
अब तो समरथ सतगुरू को पायी:
पूर्ण समर्पण ही पूर्ण समरथ को भायी:
सतगुरू को पूर्ण समझती है समझ लिया:
सरहद की ये हसी वादियॉ सतगुरू मय लगने लगी :
सतगुरू साई ही साई बहार बनकर छाने लगे है:
इसलिये हिमालय पर्वत को छोड़कर सतगुरू जयगुरूदेव को छोड़कर कही जा ही नही सकती| सतगुरू स्वामी भी रूहो के सच्चे बादशाह सच्चे स्वामी बनकर लिवाने आये है| अपने सच्चे साई को पाकर सुरत अपने भाग्य को सराहती है और अपने स्वामी के साथ मिलकर यहॉ का काम पुरा होते ही फिर अपने सच्चे पिता के घर वापस चली जायेंगी| जहॉ कोई मिलौनी नही जहॉ नित नित परमानन्द बरसता रहता है लेकिन अपने सच्चे रूहानी पिता के वचनों को एक पल नही भुलती, माला की तरह दिन रात फेरती है| अपने सच्चे पिता को छोड़कर एक एक पल एक युग के समान बीत रहा है, लग रहा है| लेकिन अपने सच्चे पिता के वचनो पर ढृढ़ है| संकल्पित है| अपने कुल मालिक सच्चे सतगुरू के वचनो पर उनकी आन बान शान के लिये मर मिटने को तैयार है | अमिट होते हुये भी बार बार अपने आप को धुल में मिला रही है क्या, मिल गयी है| अब वचन के सिवा उसके पास कुछ बचा ही नही है| अब सब लोग मालिक की धार पर आकर अपना उध्दार अतिशीध्र कराओ| मेरे बड़ेला दरबार में घरो में ताले लगाकर निकलो, ताला लगाना भूल भी गये तो रखवाली मैं करूगाँ चिन्ता क्यो करते हो| मेरे पास समय नही है जल्दी से मेरे दरबार में हाजीर होने की तैयारी करों मेरा काम मुझे समय से काम चाहिये| देरदार पसन्द नही है| अपनी अपनी सम्भाल मेरे दरबार में पहुँचकर कराओ दुर से नही| सबके खाते को भस्म करवा दुँगा| जला दुँगा , चिन्ता क्यों करते हो लेकिन बच्चे इसके लिये झुकना पड़ेगा मिन्नत करनी पड़ेगी | मेरे बड़ेला दरबार के देवता अतिशय प्रार्थना करनी पड़ेगी क्योंकि:
शीश दिये जो सतगुरू जयगुरूदेव मिले तो भी सस्ता जान:
बच्चे बोलो सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०५/०३/२०१५, समय: १२:०२


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बोलो बच्चु सतगुरू जयगुरूदेव :
रेड एेर्लट लागु हो गया फटाफट एक दुसरे को फोन/ नेट से सुचना देकर मोर्चा सम्भालने की तैयारी करो अब देर मत करो| सबमें अतिशय वीरता का जोश भर दो जल्दी करो , अतिशय शीध्र समय बहुत कम बचा है| सबके सतगुरू की एक आवाज पर संगठित होकर निकलने की तैयारी अतिशीध्र बना लो| शक्ति मैं प्रदान करूगॉ, चिन्ता क्यों करते हो | तुम्हारा सतगुरू जयगुरूदेव निजधाम नही गया है, यही विराजित है| मैं अपना काम पुरा करके ही जाऊँगा| मेरा एक भी वचन इधर उधर होने वाला नही है | मेरी एक आवाज पर सिर झुकाने वाले, सिर कटाने वाले लाश बिछाने वाले वीर हाजीर है| इनकी अतिशय हाजीर जबाबी का, इन जवानो के उबलते, दहकते खुन का कोई जबाब नही कोई मिशाल नही| ये अपने सतगुरू के बलिदान का खुलासा करने के लिये बेताब है, अधीर है| लेकिन यह सतगुरू के वचनो से बँधे है| बार बार सतगुरू के वचन उनकी अतिशय उज्जवल रूहानी पगड़ी का सम्मान, पगड़ी की ऊचाई का ख्याल आते ही अपने खौलते हुये लहु को दबाने की कोशिश करते है| लेकिन कब तक| अब इनको कोई नही रोक सकता ये वीर बालायें वीर वधु बन गयी आज और अभी | ये अपने सतगुरू की आन बान शान के लिये जलती चिता पर बैठ गयी| अपने आप से गले में फॉसी का फंदा लगाकर झुल रही है| अपने सतगुरू जयगुरूदेव की मान मर्यादा आन बान के लिये इनके जौहर की गाथाए सदा से लिखी पढ़ी जा रही है| सदा तक लिखी जाती रहेगी | ये जौहरी वीर वधूए अब हाथ में चुड़ियों के साथ नंगी तलवार भी चलाने के लिये अधीर है क्योंकि ये अपने सतगुरू जयगुरूदेव के बलिदान से पुरी तरह वाकिब है| ये सब जानती है| सतगुरू के एक एक अंग को किस तरह काटा छॉटा गया ये सब प्रतिदिन देख रही है(अन्तर में)| इनको कुछ बताना छुपाना नही है बस चुप है| पिता के वचन और इनके अतिशय रूहानी परम पुनीत पगड़ी के लिये लेकिन कब तक| ये अन्दर ही अन्दर दहक रही है लेकिन मालिक ने वचनों से बॉध के रखा है| इनकी वीर गाथा इनके जौहरी बलिदान की वीर गाथा मैं लिखुगाँ, मैं लिख रहा हुँ | अब तो वो होगा जो किसी युग में नही हुआ | ये मेरे अतिशय प्रिय रूहानी बच्चे हर वो काम वो मोर्चा सम्भाल लेगें जिसको आज तक कोई कर ही नही पाया| क्योंकि फुल पॉवर आजाद रोशनी सतगुरू जयगुरूदेव सदा से इनके साथ साथ है और सदा तक साथ रहेगें
बोलो बच्चो सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०३/०३/२०१५, प्रातः ७:४२ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
वीरो वीरांगनाओ सतगुरू जयगुरूदेव :
बच्चे अब तुम्हारे सतगुरू की तुम्हारी जरुरत है| अब अपनी अपनी कमान सम्भाल लो और अपने सतगुरू की आन बान के लिये निकलने की तैयारी करो थोड़ी बहुत सेवा जो बची हो मैलाई समझकर निकालते चलो करते चलो| वैसे ही जैसे किसी के दो चार बच्चे पॉच है तो एक बच्चा मुझे भी समझ लो मेरा है कौन| तुम्ही लोगो को लेकर तो इतना बड़ा सतयुग पुन: स्थापना का बीड़ा उठाया हुँ| अब सब मिलकर अपना अपना सेवा साधन सम्पन्न करो| अपनी गुत्थी सुलझाओ गठरी खोलो क्योकि-

यहॉ भुखा कोई नही सबकी गठरी में लाल
गिरा खोल खुलत नाही कुंजी लिये सतगुरु सरकार

क्योंकि नाम धन की बक्शिश करने के बाद भी रुहानी कुंजी सतगुरू स्वामी के हाथ स्वत: आ जाती है| इसके लिये मिन्नत करनी पड़ती है मिन्नती करनी पड़ेगी| इसके लिये सतगुरू के पास आना ही होगा, तन,मन,धन सब एवं विकरित अंगो को भी साथ साथ भेट करना पड़ेगा|

कौन सी अमोलक भेट करू सतगुरू को
नही वस्तु दिखे चौलोकन में
सतगुरू को दे ही क्या सकते हो, क्या है तुम्हारे पास| लेकिन सतगुरू की दयालुता कहन मनन से दुर है क्योंकि ये छोटी छोटी तुच्छ भेट भी स्वीकार करते है| कर लेते है| हमारे हम सबके भाव खराब न हो |अब समय की कीमत पहचानो और सतगुरू के वचनो पर मर मिट मिटने के लिये निकल पड़ो तो पूर्ण तैयारी बना लो| अब मेरे पास समय नही है सबको पुन: आमन्त्रण सतगुरू जसगुरूदेव की तरफ से भिजवा दो| मेरे बड़ेला दरबार पहुँचने के लिये पुरे विश्व में खबर कर दो मेरे रूहानी बड़ेला दरबार की | जो आ जायेगा सतगुरू के वचनो को सुनकर समझकर मान जायेगा उसका भी बचाव सतगुरू सतगुरू कर देगे|माफी दिलवा देगें|

माफी का माफीनामा सतगुरू जी ले आये
सबके माफी का परवाना दिलाता चलुँ
इतनी शक्ति दे मेरे सतगुरू जयगुरूदेव में
कि पुरी दुनिया में सतगुरू जयगुरूदेव का ढ़ंका बजाता चलुँ तहलका मचाते चलुँ
बच्चे अब सतगुरू के परम रुहानी स्वागत की बारी, शुभ मुर्हुत आ गया है| सतगुरू की परम दिव्य अतीशय रुहानी स्वागत के लिये मेरे बड़ेला दरबार घरो में ताले लगाकर पहुँचो घर बाहर दुनियादारी की सम्भाल मैं करूगॉ | चिन्ता क्यों करते हो तुम्हारा बाल बॉका कोई नही कर पायेगा | बच्चो अब तुम विश्व भ्रमण की अपनी पुरी तैयारी बनाओ अब मेरे पास समय नही जो पहुँच जाये मेरे दरबार उसे होश दिला दो माने या ना माने ये उसके उपर है|

जो भूलकर भी आ जाये मेरे बड़ेला दरबार
उसकी भी बेहोशी दुर कराते चलो
उसे भी सतगुरू जयगुरूदेव नाम की महिमा जताते चलो
वीरो वीरांगनाओ सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०२/०३/२०१५, प्रातः ७:२४ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बच्चियों सतगुरु जयगुरूदेव :
हँसी हँसी कन्त न पाइयॉ , जिन पाया तीन रोय
अरे बच्चे बच्चियों वह सतगुरू साई हँस हँस कर नही मिलता| उसके लिये रोना पड़ता है| बिना रोये तड़पे उसका दिदार नही होता है, अन्तर दर्शन की बात ही नही| बिन रोये नही पाइयों साहब को दीदार| मालिक के दरबार में अर्जी करनी पड़ती है| अंसख्य करोड़ो युगों से मिन्नत प्रार्थना करते करते तब भाग्य से सतगुरू मिलते है| विनती प्रार्थनाओं की झड़ियॉ लगा देते है और अखण्ड अमर सतगुरू जयगुरूदेव से मिलने के लिये विनती प्रार्थना करते रहते है
विनती प्रार्थना सतगुरू जयगुरूदेव मेरी सुन लिजियेगा
अरज पुरी करना या मत किजियेगा
सतगुरू स्वामी दाता दयाल बनकर हर युगों में आते रहे है और अबकी सतगुरू जयगुरूदेव बनकर अवतार लिये है, आये है| उनके एक एक बातो को सुनने के लिये बड़ेला दरबार पहुँचने की तैयारी करो देर मत करो | अब भी समय है जीवो को जागृत करने का जगाने का| एक नया तरीका अनोखा अपने ढ़ग से सबसे अलग थलग लेकर के इस पावन धरा धाम पर अवतरित हुये है| इस कुदरती करिशमाई अदभुत विलछण तरीके का स्वागत अभिनन्दन करो और अपने अपने घरो से निकलो और मेरे बड़ेला मन्दिर के बच्चो की सच्ची सदगुरू भक्ति को देखो और परखो क्योंकि ये इसी के लिये लाये जाते| अनन्त अजस्त्र सतगुरू मय दिव्य भक्ति धाम से इनकी महादानशिलता इनकी दिव्य सच्ची सतगुरूमय भक्ति को देखने के लिये दुनिया के कोने कोने से लोग लाये जा रहे है| अभी तो वो होगा जो किसी युग में नही हुआ है| सारे विश्व को एक ही झटके में झकझोर के रख देगें सब चकित रह जायेंगे| इनकी अमर सच्ची सतगुरू भक्ति को देखकर इनके अर्पुव सच्चे सतगुरू मय बलिदान को सुनकर समझकर
सुनने में ना आये समझने में ना आये
तो आ जाओ मेरे बड़ेला दरबार
ये मेरे बलिदानी बच्चे वो है जिनके लिये अभी शब्द नही, यहा शब्द है ही नही जिससे इनके बलिदान का बखान करूँ बस|
जब तुम सब मनाओगे दिवाली
ये खेल रहे होगें होली
जब तुम बैठोगें घरों में
ये झेल रहें होगे गोली
है धन्य भक्त ये सतगुरू के
और धन्य है इनकी अतिशय सच्ची सतगुरू भक्ति
बच्चे बच्चियो सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

प्रार्थना

छायी थी निशा अधेरी लेकर नया उजाला
सतगुरू जयगुरूदेव है पधारे, स्वागत करूँ मैं कैसे
कछु हाथ ना हमारे स्वागत करू मैं कैसे
मैं सतगुरू की शरण में आया, प्रण न निभाया
माया का भार भारी स्वागत करू मैं कैसे
ये सुरज चाँद सितारे इनको भी साथ लाया
फिर भी सतगुरू का स्वागत न कर पाया
बताओ सतगुरू अब तुम्ही मैं स्वागत कैसे करू तुम्हारा
छायी थी निशा अधेरी लेकर नया उजाला
वह दिव्य भाव व तेज कहॉ से लाऊ जो स्वागत करे तुम्हारा
तुम्हारे दिव्य तेज से तेजस होकर ही सतगुरू स्वागत कर सके तुम्हारा
छायी थी निशा अधेरी लेकर नया उजाला
अपने दिव्य तेजसमयी तेज की पावन धार हमें भी दिलाओ सतगुरू
फिर स्वागत करें हम सब मिलकर तुम्हारा
अब दुर हो निशा हमारी छा जाये नया उजाला
उस नये उजाले में उजास में स्वागत करें हम सब तुम्हारा
अब छा जाये दिव्य उत्सव हम स्वागत करें तुम्हारा
छा गया नया उजाला स्वागत करें हम सब तुम्हारा
सतगुरू जयगुरूदेव

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०१/०३/२०१५, प्रातः ४:४५ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
अब सब मिलकर बोलो बच्चो सतगुरु जयगुरुदेव:
ये तुम्हारे सतगुरु जयगुरुदेव का रूहानी सत्संग है | इसका कोई वारा पार नहीं है | ये अबाध गति से ऊपर ,अतिसय ऊपर अखंड रूप से हो रहा है | इसको सुनने क,पपीहे की तरह मु फैलाये रहो | एक-२ बूँद के लिए लालायित रहो | जब दया की निर्झर धार आएगी ,सबको खींच ले जायेगी | चिंता क्यों करते है | अपने सतयुगी काम को जो करने का बीड़ा उठाया है ,उसे लगन और म्हणत के साथ पूरा करो |
मेरा रूहानी बरदहस्त तुम्हारे सिर पर है |सत्संग की बड़ी महिमा है |
"बिन सत्संग विवेक न होई ,राम कृपा यह सुलभ न होई "
इसके लिए सत्संग के लिए ,संतों की खोज करनी पड़ेगी |संतों के दरबार में जाना पडेगा | सतगुरु की रहनुमाई का ,उनके कुदरती करिश्माई खेल का भरपूर स्वागत अभिनन्दन करना पडेगा |
संत सतगुरु आये हुए है ,इनके स्वागत,अभिनन्दन का कब ध्यान आएगा |
अपने शुभ अशुभ भावों को सतगुरु को समर्पित करते चलो ,क्योंकि समरथ सतगुरु ही जीव के समस्त शुभ अशुभ भाव को जला देते है |कर्म की रेख पर मेख मार देते है | बड़ेला दरबार में तत्काल हाज़िर होने की तैयारी करो | देर मत करो | मेरे पास समय नहीं है |
मुझे मेरे ये अपने बच्चे अतिसय, प्रिय है | इनको ही लेकर पूरी दुनिया में तहलका मचा दूंगा | ये पूर्ण समर्थवान है | इन्हे किसी गैर की जरूरत नहीं |
इतनी शक्ति मुझे दी मेरे सतगुरु जयगुरुदेव ने ,की पूरी दुनियां में सतगुरु जयगुरुदेव नाम का डंका बजाता चलूँ |
सबको सच्ची सद्गुरु भक्ति का पाठ पढ़ा कर ले चलूँ |
जो आ जाए मेरे बड़ेला दरबार उसे भी रूहानियत का सच्चा कराते चलूँ |
जिसके आँख कान न खुले ,उसके आँख कान का टाला कहलाता चलूँ |
अब सबके सब आ जावो ,सद्गुरु के बड़ेला दरबार |सबसे सतगुरु के मिन्नत प्राथनावो की फुलझड़ियाँ लगा के रहूँ |
माफ़ी का माफ़ी नामा सतगुरु जी ले आये ,सबके माफ़ी का परवाना दिलाता चलूँ |
इतनी सतगुरु भक्ति मुझे दी मेरे सतगुरु ने पूरी दुनियाँ को सतगुरु भक्ति का पाठ पढ़ाता चलूँ |
पूरी दुनियाँ को सतगुरुमय बनाता चलूँ |
अब सब मिलकर बोलो बच्चो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २८/०२/२०१५

सुरत जाने भेद वा घर का , सतगुरु दियो बतायी मोहे
खोजत खोजत रही फिरी मै , मिले पता न वा घर का
ढूंढत फिरूँ यहाँ वहाँ जग में , भेद समझ न पायी मै
अंतर भेद कैसे मिले जगत में , पिंड ये किसे छुड़ाऊं मै
वो घरी ले चले पिया मोरे , फिरूं न भेद हेरायी हो
सतगुरु स्वामी नाम अनामी , परमपद दियो बतायी हो
वा के घर से लौट न पाऊं , जगत में फिर न आऊँ मै
एक बार चढ़ी जो उपरि रह गयी , नीचे आवन के मन न मनाई मै
हे सतगुरु मोरे पिया बसे जहाँ , कैसन करो पहुंचाई हो
ता से मै कोई भेद न जानूं , तुम्हरी दया से पहुँच पायी हो
भेद कहूँ कैसे मै वा घर का , शब्दन मोहे न आन हो
मोरे पिया का देश है ऊँचा , चढ़त चढ़त थक जायी हो
पिया मोहे आवें लेवन खातिर , मनुज रूप धरायी हो
मोको समझ न आवे अब कुछ , पिया कौने देश बसायी हो
पिया भेद मोहें दीन्ही वा घर को , कछु न समझ मै पायी हो
सतगुरु स्वामी कहे भेद वो , हम संग तुम घर जायी हो
चढ़ी चलो अपनी अगम अटारी, पिया से मिलन कराई हो
मै मिल जाऊं रहूँ पिया संग , मन में यही समाई हो
शुकराना करूँ मै सतगुरु का , मोसे मुझको मिलाई हो
ता घर का कोई भेद ना कइहे , जो सतगुरु न बतायी हो
कहे मोरे सतगुरु जयगुरुदेव स्वामी , अंतर भेद बतायी हो ll

सतगुरु जयगुरुदेव l
अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २७/०२/२०१५

ll मोरे कृष्ण कन्हैया तोहे राधा तेरी बुलाये
पल पल तेरी बाट ये जोहे अखियाँ बिछाए
कब आयेंगे मेरे कृषणा कोई तो मुझे बताये
दिन दिन पीर बढे अब मोरी कछु न समझ मोहे आये
हे गिरधर हे दीन दयाला तोहे राधा तेरी बुलाये
आन पड़ो हे मेरे स्वामी क्यों तुम मोहे तड़पाये
विष की प्याली पी रही जो तुझ बिन चैन न आये
हे समरथ हे कृपानाथ मोरे तोहे राधा तेरी बुलाये
ज्यूँ ज्यूँ बीते रैन दिवस तो ये पीर न मुझमें समाये
कासे कहूँ व्यथा अब अपनी कोई न समझने पाये
ह्रदय में ये प्रेम की ज्वाला हर दिन बढ़ती जाये
प्रियतम मोरे आन पड़ो तोहे राधा तेरी बुलाये
निशदिन देखूं स्वप्न मै तेरे रात्रि न मोहे सुलाये
काज न कोई सोहे मोहे मन बिलख बिलख रह जाये
क्यूँ समझो न प्रेम ये मेरा कौन जो तोहे बताये
स्वामी मोरे कान्हा मोरे तोहे राधा तेरी बुलाये
अब तरसूँ ये नैन ये बरसे कछु न मोहे सोहाये
बार बार तेरा रस्ता देखे नैन मेरे बरसाए
जो तुम न आये तो बोले राधा प्राण न मेरे छूट जाए
पिया मिलन की आस लगाए तोहे राधा तेरी बुलाये
मोरे कृष्ण कन्हैया मोरे तोहे राधा तेरी बुलाये ll

सतगुरु जयगुरुदेव l
अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:२६/०२/२०१५

हे रघुनन्दन जानकी नंदन , तुम हो मेरे सतगुरु स्वामी
तुम ही सबको भेद दिए हो , नाम खजाना लुटा रहे हो
जग जो जाने तुम्हें न पहचाने , तुम ही मेरे स्वामी अनामी
रात्रि दिन जो चल रहे हैं , सतगुरु मोरे आ रहे हैं
आन पधारो हे जगजीवन , तुम ही मेरे सतगुरु स्वामी
खोलो जल्दी घट के ताले , सतगुरु मोरे आ रहे हैं
अन्तर देखो भेद ये समझो , सतगुरु स्वामी को पहचानो
दया करो हे दीनदयाला , प्रभु मोरे धारे रूप निराला
रूप न समझे जो अंतर न देखे , सतगुरु मोरे आ रहे हैं
हे रघुनन्दन जानकी नंदन , तुम हो मेरे सतगुरु स्वामी
सतगुरु जयगुरुदेव l
अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:२२-०२-२०१५

सतगुरु न्यारी दया तुम्हारी , तुम बिन सतगुरु चैन कहा री
रैन दिवस तोहे नैन ये ढूंढें , सतगुरु तुम्हरी सूरत प्यारी
अंतर ढूंढें बाहर खोजे , खोजत खोजत नैन ये रोवे
अब तुम बिन कहीं रहा न जाये , कैसे कहूँ कछु कहा न जाये
नींद चैन सब खोये सुरतिया , तुम बिन अब ये जगत न भाये
तुम बैठे जो धाम अनामा , सुरत ढूंढें जाये उस धामा
ता की देखि छटा निराली , मनमोहक और अति मतवाली
पुनि पुनि लौट सुरत वहीं जाये , स्वामी सतगुरु के दर्शन पाना चाहे
हे सतगुरु स्वामी हे मुरारी , अब न खेलो आँख मिचौली
आ बैठो प्रत्यक्ष जगत , विनती करे सब जीव ये तुमसे
तुम बिन अब यहाँ रहा न जाये , आ जाओ प्रभु और कुछ कहा न जाये ||
सतगुरु जयगुरुदेव l
अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २८/२/२०१५, प्रातः ६:३६ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव :
बच्चे कर्मो का विधान अटल है लेकिन सतगुरू में वो ताकत है| सतगुरू दिव्य अत्यन्त फुल पावर आजाद रोशनी है| इसमें सब कुछ करने की, बदलने की छमता है| सतगुरू कर्म की रेख पर मेख मार देते है, सारे कर्मो को जलाकर भस्म कर देते है | अब बोलो बच्चो सतगुरू से और क्या चाहते हो| बच्चो जैसे तुम सतगुरू के लिये रोते हो अहकते हो, वैसे सतगुरू भी तुम्हे देखने के लिये बैचेन है| जब से यहा लाये गये धाम धाम सुना पड़ा है| हर धाम में तुम्हारा कोलाहल तुम्हारी किलकारियॉ गुंजायमान रहती थी | लेकिन इस समय सुना हो गया है| अब सतगुरू को तुम्हारा एक एक दिन एक घड़ी एक पल भी रहना अखर रहा है| वो अपने बच्चो के लिये बच्चो को मिलने के लिये बेताब है | इन अपने बच्चो के सिवा अपना है ही कौन| उनको बहुत जल्दी है| जल्दी से सतयुग की स्थापना कर कराके अपने निज पिता अपने कुल स्वामी के घर पहुच कर चीर विश्राम क्या | अपने स्वामी में लय हो जाओ, जहॉ मिलौनी का नामो निशान नही लेकिन जीव जागरण सतयुग की पुन: स्थापना और यहॉ के समस्त धर्म कार्यो का सम्पादन पूर्ण सम्पन्न कर करा कर ही | क्योंकि इसी के लिये लाये गये हो इसलिये ही आये हो

अब नीव धर्म की रखनी है
वो नुरानी हस्ती खुदा से उतरी है
कोई गैर नही सब अपने है
सबसे वो मुहब्बत करती है
सतगुरू जयगुरूदेव को रहनुमा बना
सतगुरू की सतयुगी आदेशो में चलती है
सतगुरू जयगुरूदेव उन्हे सब कहते है
वो राहे सतगुरू जयगुरूदेव की लगती है

अब दो युग सामने खड़े है जिसको जो पसन्द हो अनुकरण करे वरण करे| मेरे तरफ से कोई जोरजबरदस्ती नही है जो सतपथ पर चलेगे उनके साथ मै चलुगाँ, उनका साथ मैं दुगाँ| तुम्हारा अमर सतगुरु जयगुरूदेव साथ साथ चलेगा और क्या चाहिये| सब कुछ तो अपना सर्वस्त्र अपने बच्चो को लुटाने के लिये आया बैठा हुँ| बाकी जो जहॉ चाहे चला जाये मेरी तरफ से छुट है| अब मेरे बच्चो आरत भाव से दिन रात मिन्नती प्रार्थना करते रहो | मै तुम्हारे साथ साथ हुँ और साथ ही चलुगाँ | चिन्ता क्यो करते है| तुम्हारा कोई बाल बाँका नही कर पायेगा|

बच्चे सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २७/०२/२०१५, प्रातः ७:२१ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरू जयगुरूदेव :
बच्चे सन्त सतगुरू यहॉ इस पावन धरा धाम पर सुरतो को जोड़ने के लिये अवतरित होते है, क्योंकि ये स्नेह जो कुल मालिक की अंश है| सच्चे पिता को भूल गयी है| अपने निज घर का होश ही नही है, इन्हे होश दिलाने के लिये समय समय पर ( सन्तो ) सन्त आते रहते है | जो कुल मािलक , के दरबार के दरबारी है लेकिन अबकी वो कुल मालिक, अनामी मालिक स्वंय आये है| सुरतों को लिवाने, (और) जोड़ने

जोड़ो री कोई सूरत नामी से
यह तन धन कुछ काम न आवे
जिस दिन छिड़े लड़ाई जान से
जीव जिस दिन जिस घड़ी यहॉ से चलता है उसकी सहाय करने वाला कोई नही, सारे मेले, मेली सब यही छुटने से लगते है | छुट ही जाते है| जीव को अकेले ही जाना पड़ता है, क्योंकि यह दो दश दिन का लगाया बसाया है| झमेला है | इस दुनियावी झमेले से छुटकारा पाने के लिये सतगुरू जी की शरण में जाना पड़ेगा, सच्चे सतगुरू की

शरण सत सतगुरू गहो दृढ़कर
बिना सतधारी नही शरणा
सूरत को सतधारण करना पड़ेगा क्योंकि सत से ही सच्चे सतगुरू मिलते है| सतगुरू मिल भी जाये तो हमारे अन्दर कपट छल है तो हम पहचान नही कर पायेगें, क्योंकि " निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र नही भावा" अब सबके सब निष्कपट, निष्कंटक भाव से सच्ची सतगुरू भक्ति करो, क्योंकि सतगुरूओ को मिलौनी नही पसन्द है| सूरत निखालिश ही आयी है और निर्मल होकर ही जाना चाहती है| अब अपनी सफाई करने में लग जाओ क्योंकि अब अपने आप को अपना आपा मिटाना पड़ेगा | गिन गिन कर बुराईयों को निकालना पड़ेगा, चढ़ाना पड़ेगा | मेरे दरबार में मेरे बड़ेला दरबार में हाजीर होने के लिये अतिशय मिन्नत प्रार्थना करनी पड़ेगी | अब एेसे कोई बचकर नही जा सकता| अब समय नही बचा, अब तो वही होगा जो किसी युग में किसी के भी समय में नही हुआ क्योंकि सतगुरू के इन्तजार इन्तहार हो गया है| वो तो चाहते ही है कि बचाव हो जाये लेकिन इसके लिये न जाने कितने सन्देश भेजवाये, पर्चे बटवाये कुछ बाकी नही जो जीवो को अपने मेरे बड़ेला दरबार में बुलाने के लिये न किया गया हो |

तुम्हारे लिये मैने सतसंदेशो पर सत सत संदेश भिजवाये
गाँव-गाँव, शहर-शहर पर्चे बटवाये
अब भी न आये, न समझे तो जाने भाग्य तुम्हारा
सुनते ही आ जाओ मेरे बड़ेला दरबार में
सुन लो समझ लो सत सत सत संदेश हमारा
सत संदेशो को पकड़ करके आ जाओ सतधाम न्यारा
अनुभवियों की अनुभव की सतफुलझरिया लगाकर
अनुभव की परम सत गंगा बहाकर
अनुभव की परम सत दिव्य दुनिया का नजारा दिखाओ
समझ न आये तो सतसंगति गहाओ
अब सब मिलकर संत सतगुरू परम पावनी गंगा बहाओ, नहाओ

अब देर किस बात की अपना सबका मिल मिलकर कल्याण कराओ
बच्चो सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २६/०२/२०१५, प्रातः ६:५५ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
मेरे परम वीरो वीरांगनाओ सतगुरू जयगुरूदेव :
सतगुरू तुम्हारे लिये जग में आते है और दुर दुर से दुर दुर तक बिछुड़ी रूहो की खोज करते रहते है| बच्चे अब मेरी खोज पुरी हो गयी| इन्ही की खोज करते करते युग बीत गयी, ना जाने कितनी सदिया निकल गयी लेकिन अब कलयुग में कुछ एक वर्षों के लिये सतयुग उतर रहा है| सतयुग तुम्हारे द्वारा ही स्थापित किया जायेगा| क्योंकि तुम सतयुग की नीव हो|आधार सुदृढ और मजबुत होना चाहिये जिसको कोई भी माई का लाल हिला ना सके, ढ़िगा ना सके, क्या टस से मस भी न कर सके| ये सब मैने करके देख लिया| तुम सब खरे उतरे| मेरा अजस्त्र अमर वरदहस्त्र तुम्हारे सर पर है| तुम्हारे साथ है| मै तुम्हारे साथ हमेशा से रहता चला आया हुँ, और अन्त तक रहुँगा|

हे सतगुरू अब आदि अन्त निर्वाहिये जैसे नौको अंक|

जाओ तुम सब दिगदिगन्त में अपनी किलकारियों से कोलाहल मचा दो किलकारियाँ गुजा दो और बच्चे सच्चा सतगुरू सतगुरू होता है| तुम सब तो खरे हो खरे उतरे| अब तुम सब सतगुरू की आन-बान, मान - मर्यादा का पुरा ख्याल करते हुये सतयुग की विश्व विजयी पताका को लहराओ और ऊचा करो यही मेरा अमर शुभ आर्शिवाद है और बसन्ती बयार बनकर छाया रहेगा चिन्ता क्यों करते हो

वीरो का एेसा हो बसन्त
सब मौन हे गये दिग दिगन्त
वीरो का एेसा हो बसन्त
सतगुरू की आनबान में [ के लिये] निकल पड़े ये दिग दिगन्त
वीरो का एेसा हो बसन्त
है उदधी गरजना भुल गया हिमाचल भी हो गया मौन
वीरो का एेसा हो बसन्त
अब हँस रहे है, खिलखिला रहे है दिगदिगन्त
वीरो का एेसा हो बसन्त

अब अपनी और अपने अमर सतगुरू जयगुरूदेव की भरपुर मर्यादा का ध्यान रखते हुये आगे बढ़ो क्योंकि अब सतगुरू के एक एक वचनों पर कुर्बान होना पड़ेगा| सच्ची सतगुरू भक्ति करनी पड़ेगी क्योंकि मिशाल बनने जा रहे हो| सतगुरू की शान हो| सतगुरू की मान मर्यादा तुम्हारी मान मर्यादा है| बस निकलकर |

निकल पड़े सतगुरू हाथ में सोटा लेकर
बगल दबी है गुदड़ी
हाथ कमण्डल शोभा न्यारी
सतयुग लाने की हो गयी, हो रही तैयारी
पहचानो नर नारी
आसन वो लगाये जमीं पर
एेसी लीला मौज हो गयी अब सतगुरू की भारी
सतगुरू के नये स्वरुप से मिल लो हे नर नारी
माल खजाने की भूख नही है इनको
यही है सतगुरू जयगुरूदेव सनातनधारी
हर युग में ये आते रहे है क्यों नही पहचाने नर नारी
फिर अब भी तो/ अब तो सतगुरू जयगुरूदेव बनकर आये है
क्यों नाही पहचानत नर नारी
सतगुरू जयगुरूदेव वचन ये सतगुरू के
कोई न मेटन हारी
बोलो परम वीरो वीरांगनाओ सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २५/०२/२०१५,प्रातः ६:३० बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे, बच्चियों सतगुरू जयगुरुदेव :
तुम्हारे सतगुरू को अब तुम्हारी जरूरत है| अब अपने सतपथ पर चलकर अपने सतगुरू की भरपूर मदद करो| दुर असत से रहे बने हम सतपथ के अनुगामी, वाणी में हो अमृत-अनृत की पड़े हम पर छाया| इसके लिये तुम्हे अपने आप को अपने भाव कुभाव को सतगुरू को समर्पित करना पड़ेगा क्योंकि सतगुरू सबको अपनी तरह बनाना चाहता है| लेकिन जिसके जैसे भाव होते है वैसे मदद मिलती है|

हे सतगुरू तुम जिसे जैसा चाहो बनाकर निकालो ये सर्वसृष्टि है नाट्यशाला तुम्हारी|
नटो में कभी सतगुरू तुम बनकर आते हो नायक, ले आती है प्रेम प्रतिमा तुम्हारी||

सतगुरू महादानी होता है, अभेद है| उसका भेद कोई कोई ही जान सकता है| वो भी जिसको बताता है और वह भी जो अपने आप को मिटा कर सतगुरू में लय हो गया |

मिटा कर खुदी को खुदा बन गया
वही है जो पहचानते पुरे पुरे|
खिली क्यारियाँ सतगुरू की घट में
वही है जो पहचानते पुरे पुरे||

अब वचनो को माला की तरह पिरोते रहो | एक भी वचन की फिरौती नही सतगुरू के लिये, सतगुरू की दयालता का वर्णन नही हो सकता| उसके लिये शब्द ही नही बने है|

जो नही दे सका कोई भी आज तक
पुज्य सतगुरू जयगुरूदेव जी दे दिया आपने
आपने तप किया पुण्य हमको दिया
सतगुरू हमारे लिये विष पिया आपने
शिव हमारे लिये विष पिया आपने|

तो सतगुरूओ की लीला महिमा निराली है| बखान से परे है| अब जिस तरह बन पड़े, हो सके सेवा साधना समर्पण भाव से बस निमित्त मात्र करते रहो क्योंकि कोई कोई विरला ही सुरमा बन पाता है| जिसके लिये सतगुरू आते है और अथक परिश्रम करते है| चलना तो सबको है| इसलिये धरा धाम पर अवतरित हुये है | उनकी दानशीलता कहन मनन से परे है|उनसे मिलकर उन्ही की तरह बनने, लय होने की कोशिश करते रहो | सतगुरू को हम दे ही क्या सकते है, क्या है हमारे पास|

तन मन दिया तो भल दिया, सिरका जासी भार|
अगर कहा कि मै दिया, बहुत सहेगा मार||
अरे भाई सतगुरूओ ने जिस सच्चे धन की बक्शिश की है उसके बदले हमारे पास है ही क्या जो हम अपने सतगुरू को समर्पित करे अब तो बस

खुश रहना देश के सतपथियों, अब हम तो सफर करते है|
अब हम तो जहॉ से चलते है, अब हम तो यहा से चलते है||
बच्चे बोलो सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २३/०२/२०१५,प्रातः ६:१४ बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बोलो बच्चु सतगुरू जयगुरूदेव :
सतगुरू के वचन आदेश पालन ही सतगुरू भक्ति है| सतगुरू के एक एक वचनो को माला की तरह पिरोते रहो, सहेजते रहो| एक शब्द की हेराफेरी नही, मिलौनी नही|सतगुरू के यहा उनके यहॉ उनके सच्चे साई के दरबार में मिलौनी नही चलती, उनके यहा आँख मिचौली का खेल नही होता| सच्चे साई के दरबार में दिव्य खुली आँख का दिव्य खुला नजारा एहसास पल पल होता रहता है| लेकिन इसको देखने समझने के लिये दिव्य सतगुरू भक्ति की जरूरत है|अपने भाव अभाव अपने आप को सतगुरू में मिलाकर ही ये सम्भव है,अन्यथा नही| वहा चतुराई फितरत नही चलती, बहसबाजी बकवासबाजी को अपने देश से निकालकर बाहर फेक दिया|अब सच्चा सतपथ सच्चे सतपथिक साथ साथ चल रहे है| जो सतगुरू के एक एक वचनो पर कुर्बान है, मर मिट रहे है| इनकी सतगुरू भक्ति की मिशाल कायम होने जा रही है| ये भारत मॉ के वो लाल है जिनसे ये धरती स्थिर है, टिकी है| इनके कुर्बानी लहु से हमेशा नहाती आयी है और आज भी इन वीरो वीरांगनाओ ने धरती को अपने लहु से सींच सींच कर सरोबार कर दिया है| अपने बच्चो के कुर्बानी का अमर इतिहास तो मै लिखने जा ही रहा हुँ| मै इनके कदमों में सारे विश्व को लाके खड़ा कर दुँगा, तब भी कुछ नही| सभी देव दानव इनके चरणो को देखने के लिये लालायित है | अभी आपने क्या देखा सतगुरू जयगुरूदेव का जलवा, अभी तो ठीक से शुरुवात ही नही हुयी है| ये मेरे बच्चे जो कह देगें सुन लेगें और देगें, वो एक भी इधर उधर होने वाली नही है| बस इतना है कि सतगुरू जयगुरूदेव नाम प्रभु का सच्चा नाम है|
सच्चा सतगुरू जयगुरूदेव खुद उतर के आया जमी पर मेरे लिये हम सबके लिये|
रूहानियत का सच्चा पैगाम ले करक सुनाया जमी पर मेरे लिये हम सबके लिये ||
अब अपने आप को देखो और सतगुरु को देखो, इधर देखो और सच्चाई के रास्ते पर चलकर मालिक का सच्चा दर्शन दिदार करो| खुली आँख से, और क्या चाहिये | मेरे बड़ेला दरबार में अतिशीध्र पहुँच कर सच्ची सतगुरू भक्ति का लाभ लो और दर्शन करो| यहा हर दिन उत्सव है| यहॉ पहुचने पर पलपल अन्तर उत्सव का एहसास लाभ होता है, होगा|
कल्याणेश्वर के शरण में आते ही दुखहारी दर्शन पाते ही पथ दर्शक सतगुरू जयगुरूदेव को बनाते ही आनन्द लाभ अतिशय होये|
सतगुरू तुम्हारी जय होवे
सतगुरू जयगुरूदेव तुम्हारी जय होवे||
बोलो बच्चु सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
ग्राम : सोहावल, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २२/०२/२०१५,प्रातः 6:0 बजे


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन अनु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बोलो बच्चु सतगुरू जयगुरूदेव :
बच्चे मेरे इस खेल में हैरान मत होना, जो मैने ठान लिया है वही होगा| उसे मैं करके दिखा दुगाँ, जो मेरे काम में बाधाँ पहुँचाने की कोशिश करेगा उसे मैं चुटकियों में मसल कर रख दुगाँ| तुम्हारे सतगुरू जयगुरूदेव का ये रूहानी कार्य (काम) होकर ही रहेगा| गाँधी महात्मा चुक हारे, मैं चुकने वाला नही ना ही चुकने वालो मे से हुँ| मुझे एेसा वैसा मत समझना, मुझे समझते समझते चकरघिन्नी खा जाओगे और जल्दी उठ नही पाओगे| अब जो कुछ होना था हो गया| सतगुरू के दरबार में लाइन लगी हुयी हुयी है| आने जाने वालो की कमी नही " आना हो तो आ जाओ, सतगुरू बुलावा भेजिया|
जाना है तो चले जाओ, दुबारा फिर सतगुरू बुलावा नही भेजिया||"
अब बडी होशियारी से सतगुरू के सच्चे बच्चे बनकर डटकर काम करने की जरूरत है| इधर उधर देखने से कोई लाभ नही है| अपने सतपथ को देखो, सतगुरू को बेकली से अधीर होकर पुकारो अवश्य सुनेगा| सब सुनेगा , यही सुनने के लिये मशीहा बनाकर लाया गया| सतगुरू के मशीहे खेल में हैरान मत होना, इससे सुरतों मे निखार आता है| सतगुरू मशीहा बनकर आते है| उनके दरबार मे/ बड़ेला दरबार में ऊँच नीच का, जात पात का कोई भेदभाव नही | सबके दु:ख दर्द की सुनवाई वो मशीहा सतगुरू जयगुरूदेव स्वंय करते है| क्योंकि वही कुल मालिक यहाँ विराजमान है, जिनके बिना सृष्टि में कम्पन्न नही होता| एक पत्ता भी नही हिलता|
" सतगुरू तुम्हारी कृपा बीन एक पग भी नही चल पाती|
हाथ पकड़ा है सतगुरू तुमने हमारा
बाँह पकड़ते ही सतगुरू तुम्हारी मुझे भी सतधाम की राह दिखाती||
सतधाम मे जाकर मिलाती||
लगन बढ़ाते चलो लगन लगते ही खीचाव शुरू हो जायेगा अब जल्दी करो देर मत करो, मुझे तुमसे भी ज्यादा जल्दी है| तुम्हारी अधीरता और बेकली सतगुरू को अतिशय प्रिय लग रही है| ये महात्माओ के खेल है| इसको समझते चलो| आसमान में गोले बारूद छुट रहे है| बराबर आवाज आ रही है | सुरत उपर जाने के लिये विकल है | ऊपर आगवानी के लीये स्वागत का थाल सजा सजा कर हर मण्डलों में खड़े है| लेकिन सतगुरू स्वामी अपनी सुरत को जाने नही दे रहे है| साथ साथ लाये है और साथ ही लेकर जायेगें परेशान मत होना, धीरे धीरे सब काम होगा एकबारगी नही| सब लोग इसी तरह बेकली में आ जाये , सतगुरू हाजीर नाजीर | इसमें देर किस बात की, अब सब लोग सेवा साधन मिल मिल कर करते रहो काम आसान हो जायेगा|
बोलो बच्चु सतगुरू जयगुरूदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - अनु सिंह
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सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 21/०२/२०१५

उस अनामी महाप्रभु की मौज से ये सारा पसारा बनाया गया l इस पसारे का सिमटाव भी उसी की मौज से होगा l वो जब चाहे इसे समेटने की मौज फरमा सकता है क्यूंकि वो सर्वसमरथ है l ऐसे सर्व समरथ सतगुरु को छेड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए l उसे पल भर लगता है सब कुछ मिटाने में l वो पल भर में सब कुछ समेट सकता है l
वो अनामी प्रभु अपनी मौज से ही सब कुछ करवाता है और अपनी मौज से ही वो स्वयं यहाँ आता है l उसके साथ उसकी अनेक शक्तियां जो स्वयं उनके धाम में उन्ही के साथ रहती हैं , वो भी यहाँ उनके साथ रहती हैं l कोई उन्हें जान समझ नहीं सकता न ही पहचान सकता है क्यूंकि वे स्वयं भी सतगुरु के समान ही सदैव मर्यादा में रहते हैं l
सतगुरु के वचनों में बड़ा भेद छुपा होता है l यदि कोई जीव सतगुरु के वचनों को बार बार पढ़े और उसका भेद जानने का प्रयास करे तो वस्तुतः स्वयं सतगुरु उसकी मदद कर देते हैं और जीव उसके सार को समझ पाता है l
जब जीव को अपने सतगुरु के समरथ होने का बोध होता है तो उसे दुःख होता है कि इतने समरथ संत के अधीन होकर भी आजतक वो ये भेद क्यूँ नहीं समझ पाया और सतगुरु के चरणों में रोकर अपनी भूल की क्षमा याचना करता है l
सतगुरु भी जीव के प्रेम में विह्वल होकर उसे उसका भेद बताते हैं और यही भेद ही उस जीव की असली पहचान होती है जिसे आत्मसाक्षात्कार कहते हैं l
इस आत्म साक्षात्कार के बाद जीव इस जगत के बंधन से स्वयं को मुक्त पाता है l उसे हर जीव में सतगुरु का अंश नजर आता है और वो यही चाहता है कि ये जीव भी सतगुरु की दया कृपा को समझ सकें l उसे इस जगत से कोई लगाव नहीं रहता बल्कि सतगुरु के जीवों व अन्य लोगों को समझाबुझाकर उन्हें इस पथ पर लगाकर वो जीव कल्याण का कार्य करना चाहता है l
वह जीव स्वयं भी सतगुरु के समान ही हर प्रकार से इस जगत मर्यादा का पालन करता है और रंग मंच के एक मंझे हुए कलाकार की भांति इस जगत में एक साधारण जीव के रूप में रहता है l इस जग में रहते हुए भी इस जगत से जुड़ता नहीं बल्कि अपने असली धाम से जुडा रहता है और हर पल अपने सतगुरु की याद में रहते हुए इस जगत के सारे कार्य करता है l
ऐसा जीव कोई विरला होता है जो संत सतगुरु की दया से अपना भेद समझ पाता है l यह जीव अन्य लोगों के लिए मिसाल कायम करता है l
जीव को चाहिए कि वो सतगुरु में लगन बनाए रखे l उस पथ पर चलता रहे और चलता रहेगा तो एक न एक दिन अपने सतगुरु की दया कृपा से निजधाम अवश्य ही पहुँच जाएगा l

सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २०/०२/२०१५,प्रातः ५:३८


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव :
सतगुरु हाड मांस का पुतला नहीं है | वो एक पावर है ,फुल पावर ,वो एक आजाद रोशनी है | जहाँ जिसकी जब इच्छा होती है वहीँ प्रकट होकर मदद करता है | फुल पावर काम करती है |सतगुरु की ये दिव्य रूहानी अतिसय प्रिय खेल है |उनकी रूहानी सौकत है | इसमें हैरान मत होना | ये रूह जनम जनम से यहाँ कैद है | इस कैद खाने से छूटने के लिए उसके रोम रोम से सतगुरु जयगुरुदेव की गोहार निकलती है | वो अपने सतगुरु स्वामी को ढूंढती है | खोजती है | वो खुद नहीं समझ पाती की उसे क्या हो गया है |उसके सतगुरु साईं उसकी सुनते नहीं है ,न उसकी बातों को ध्यान देते है |उसकी ब्याकुलता दिन-२ बढ़ती जाती है | अधीर होकर सतगुरु को पुकारती है |
पुकारे भी किसको उसको सतगुरु के सिवा दिखता नहीं |
"जगत में यहाँ वहां न समरथ किसी को पायी |
बतावो सतगुरु अब समर्पण किसको करायी |"
सतगुरु के दरश के लिए ब्याकुल है |पलकों के छावों में सतगुरु को बिठाने के लिए बेचैन है |
"निगाहें झुक गयीं ऐसे /झुक रहीं ऐसे ,मिलन हमराज कब होगा|
निगाहें रो रही ऐसे ,जैसे मिलन हमराज होता है |"
सतगुरु साईं करें भी तो क्या करें उनकों तो सबको पार करना है |लेकर चलना है |वो जगत के मशीहा बनकर आते हैं |जीवों को जगातें है ,चेतातें है | सबको साथ लेकर चलतें है |सब उसी देश से आयें है | वहीँ सबका मूल निवास है,दिव्य निवास है |फिर क्या सतगुरु से माफ़ी कराकर अपने दिव्य देश चलने की तैयारी करो | यहाँ का रोना धोना छोड़ों | अब जल्दी करो ,समय की कीमत समझो ,सतगुरु के पास समय नहीं है |इसलिए सभी साधकों अपने आप को सतगुरु के भरोसे छोड़कर साधना करो |दृव काम भी आसान हो जाएगा |लेकिन इसके लिए अंतर से रोना /अतिसय रोना पड़ता है |
"बिन रोये नहीं पाइए ,साहब का दीदार|
सतगुरु साहब तेरी दिव्यता जग में रही समाय|
बलिहारी वह जग की जिस जग में प्रकट भयो आय |"
सतगुरु बुलावा भेजिया ,सुरत हो गयी मौन |
क्या सतगुरु की छाँव में ,क्या दुनिया की झाँव |
दोनों में सतगुरु दिखे ,दोनों की कर लेई सेव |
सतगुरु के शब्दों को माला की तरह पिरोते रहो ,और आगे बढ़ते रहो| अनवरत गति से आगे पीछे ,और अनंत युग आगे का रहस्य धीरे-२ खुलता जाएगा |सूरत की मौन भाषा जल्दी किसी को समझ में नहीं आती | जितना बताती है ,उतना समझते चलो ,आसानी से खराब समय भी कट जाएगा |बीत जाता ही है |करम की रेख पर ,सतगुरु से मिलकर मेघ मार दो ,और भजन करो |
"भजन कर मंगन रहो मन में |
बिन शब्द तेरा कोई नहीं जग में |
शब्दन से समझौती कर अभिन चढ़ो गगन में |
सतगुरु सूर्य का दर्शन करो ,चढ़ी चलो अपने भवन में |"
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 19/०२/२०१५

सतयुग सतगुरु आगमन की बेला का शुभ नूतन संदेश -
गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
आज इस पावन बेला पर मै अपने सभी सतयुगी बच्चों को आशीर्वाद देता हूँ कि वो जो भी कार्य करेंगे , उनके अन्दर सतगुरु का जो तेज है वो उन्हें कार्य में सफल बनाएगा l हर हाल में सतगुरु के बच्चों की ही विजय होगी l उनके पास जो आतंरिक शक्तियां हैं वो बेजोड़ हैं l ऐसी शक्तियां समूचे विश्व में सिर्फ सतगुरु के बच्चों के पास ही हैं l
सतगुरु के खेल निराले हैं और तुम्हारी बुद्धि से परे हैं l इन्हें अपनी बुद्धि से समझने का प्रयास कभी मत करना l सतगुरु सर्वसमरथ है और जो चाहे वो कर सकते हैं l सतगुरु की सतयुगी पावर उनके बच्चों में निहित है l उनके बच्चे बोध कर रहे हैं और कार्य पर लग गए हैं l अब विश्व को चौंका देने का वक़्त आएगा l जब तुम दांतों तले उंगली दबा लो तो समझ लेना सतगुरु के बच्चे कार्य कर रहे हैं l उनकी शक्तियों को देखकर हैरान मत होना l ये वही शक्तियां हैं जो पुरातन काल से भारत का इतिहास रचती आ रही हैं l पुनः ये भारत का इतिहास बनाने आई हैं l पहले से इनमें शक्तियां थीं किन्तु इन्हें इनका बोध न था l अब ये बोध में आ रही हैं और खुद का रचा हुआ इतिहास समझ रही हैं l यही इतिहास इन्हें इनकी शक्तियों का बोध करा देगा l पूरे बोध में आ जब ये खड़ी हो जायेंगी तो कोई इनके आगे टिक नहीं पायेगा l भारत का इतिहास इन्ही शक्तियों की गाथाओं से भरा पड़ा है l
मेरे बच्चों अपने कार्य पर अडिग रहो l तुम्हारी हिम्मत और साहस का पूरा विश्व कायल होगा l अब तुम सब कार्यों को समझो और उसे पूरा करने में लग जाओ l तुम जैसे जैसे काम करते जाओगे तुम्हें अपनी शक्तियों का ज्ञान होता जाएगा l तुम्हारा विश्वास ही तुम्हारी शक्ति है l अपने विश्वास को कायम रखना l ये तुमसे बड़े से बड़ा काम करवा लेगा l
जब सतगुरु की मौज और उनके बच्चों का बोध पूरा होगा तो सतगुरु प्रत्यक्ष दर्शन की मौज करेंगे l सतगुरु को जल्दी इसलिए है ताकि उनके बच्चों की प्रत्यक्ष दर्शन की मुराद जल्द से जल्द पूरी हो जाए l यही इच्छा सतगुरु की भी है l वो भी अपने बच्चों से मिलने के लिए उतनी ही तड़प रखते हैं जितनी उनके जीव और बच्चे l
ll सतगुरु दया करो , मौज फरमाओ
प्रत्यक्ष दर्शन दे , अधूरी प्यास बुझाओ
आ जाओ ह्रदय की वेदना न और बढाओ
आपके जीव पुकार रहे अब जल्दी आओ ll
मालिक ने इन वचनों को लिखवाया है और अंत में मैंने मालिक से प्रत्यक्ष दर्शन की विनती करी |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २०/०२/२०१५,प्रातः ५:३८


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
मालिक के शब्दों में सुरत स्वामी संवाद :
"हे सतगुरु तुम कहाँ से आये ,कौन है देश तुम्हारा"
सुरत अपने सतगुरु से पूंछ रही है |हे सतगुरु मेरे मालिक तुम कहाँ से आये |कौन सा देश तुम्हारा है |
"मै तुमको खोजत फिरूँ ,कहीं न मिले ठौर ठिकाना ":
सुरत अपने सतगुरु को हर जगह खोज रही है और मालिक से प्रश्न करती है |हे मालिक मुझे अपना पता बता दीजिये |आपका अता पता नहीं मिल पा रहा है |:
"मुझको कहाँ ढूंढे रे बन्दे ,मै तो तेरे पास में "
सतगुरु मालिक कहते है |मुझको कहाँ ढूंढ रहे हो बच्चे ,मै तो तुम्हारे पास अंतर में बैठा हूँ |अपने बच्चों का अंतर्घट ही मेरा पता है ,यही मूल ठिकाना है ,यहीं मै रहता हूँ |
अपने अंतर्घट जाग री,सुरत सुहागिन |
तेरे अंतर्घट में ही ,तेरा अमर सतगुरु जयगुरुदेव सदा विराज री |
सुरत सुहागिन |
हे सुरत तेरे निज अमर घाट पर ही तेरे अमर सतगुरु जयगुरुदेव का आसन है ,बैठक है |वाही तेरा सतगुरु जयगुरुदेव आसन लगाकर विराजमान है और वहीँ से निरंतर पुकार लगा रहा है |
"हे सुरत तुम निज घाट पे आवो ;
यही से दिखे इक तारा,बिन्द निराला|
यही बुंद तुम पकड़ कर आवो ,
तोहे मिल जाए अमर सतगुरु जयगुरुदेव सिंधु अपारा"
हे सुरत तू अपने निज घाट पर बैठकर सदा विराजमान अपने सतगुरु को अपलक निहारने की कोशिश में लग जावो |वहीँ तेरे सतगुरु की झलक दिखाई देगी ,वाही तेरा मूल आधार है | जो कुछ दिखाई दे उसे पकड़ कर अपने सच्चे सतगुरु के देश चलने की तैयारी करो | इसी बिंदु को पकड़ कर अपने अमर सतगुरु जयगुरुदेव रुपी सिंधु में मिलने की कशिश ,जतन करो |वहीँ सतगुरु तुझे सच्चा पता ठिकाना दिखायेंगे |
"चल री सुरत सुहागिन ,अब अमर सतगुरु जयगुरुदेव के देश |
जहाँ मिले न सतगुरु के सिवा ,कोई दूजा सन्देश |
अमर सतगुरु जयगुरुदेव दया से मिला यही देश |
यही अखंड सतगुरु जयगुरुदेव ,मंदिर बड़ेला |
यही तेरे अमर अमिट सतगुरु जयगुरुदेव का देश |
यही सतगुरु देशवा की ,करीय खोजरी मोरी सुरत सुहागिन |
यही बड़ेला देशवा में आई ,विराजत अमर सतगुरु जयगुरुदेव तोर री |
मोरी सुरत सुहागिन |"
हे सुरत अब अपने सतगुरु के बड़ेला मंदिर में पहुँच कर | अपने निज काम में लगकर अपने सतगुरु में मिलने की कोशिश करो |
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 18/०२/२०१५

सतयुग सतगुरु आगमन की बेला का शुभ नूतन संदेश -
गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चों तुम अपने को प्रकाशित समझो l तुम्हारा वो सतगुरु अपने तेज से तुम्हें प्रकाशित कर रहा है l तुम स्वयं को सर्वशक्तिमान समझो l विश्व में कोई भी दूसरा तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता है l तुम्हारे अन्दर तुम्हारे सतगुरु का तेज प्रकाशित है l यह प्रकाश तुम्हारे कार्यों के रूप में पूरे विश्व को चकित कर देगा l चारों तरफ ‘सतगुरु जयगुरुदेव’ नाम गुंजायमान कर दो l विश्व में अध्यात्म का ज्ञान फैला दो l देश और दुनिया को दिखा दो कि सतगुरु के बच्चे कितने वीर होते हैं और क्या कर सकते हैं l
तुम्हारी एक ललकार से सारा पूरा विश्व गूंज उठेगा l अपनी शक्ति को किसी के आगे कम मत समझना l मै सदैव अपने बच्चों के साथ हूँ l हर प्रकार से उन्हें उठाने और उनकी मदद के लिए तैयार हूँ , तुम हाथ बढाकर तो देखो l
बच्चों अब समय ज्यादा नहीं रह गया है l तुम सब भी जल्दी जल्दी तैयार हो जाओ और अपने अपने काम पर लग जाओ l किसी भी काम में डरो नहीं , न ही व्यर्थ की चिंता करो l सब काम समय से हो जाएगा | बस तुम्हें प्रयास मात्र करना है l सतयुग जी का आगमन उत्सव हो चुका है l नित नए कामों को करते जाओ और उत्सव मनाते जाओ l अब तो उत्सव मनाने का समय आ चुका है l सतगुरु आगमन के उत्सव की भी तैयारी कर लो l तुम लोग अपने कार्यों में तेज़ी लाओ l मै भी तुम सब से मिलने के लिए बेचैन हूँ l
अब सतयुग देवता अपने सिंहासन पर आ विराजेंगे l उनकी गर्जना से अलग अलग स्थानों पर कलयुग के पाँव उखड़ने लगेंगे l सारा काम कुछ ही समय में होना प्रारम्भ हो जाएगा l
मेरे बच्चों अधीर मत होना तुम्हारा सतगुरु हर पल तुम्हारी संभाल कर रहा है l तुम उसकी नज़रों से ओझल नहीं हो | वह तुम्हारे पल पल पर अपनी निगाह रखे हैं l अपनी पुरानी स्म्रतियों को भूलकर नए सतगुरु स्वरुप के आगमन की तैयारी कर लो l अंतर में तो हर प्रकार से भेद बता ही चुका हूँ l नए लोग जो आये उन्हें भेद समझा देना l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 17/०२/२०१५

सतयुग सतगुरु :
सतयुग बोले छटा निराली , मनभावन और अति मतवाली
झूम उठे सब नाचे गाये , आओ देखो सतगुरु आये
सब मिल गाओ मंगलगान , धूम मचे और गूंजे तान
ढोल नगाड़े बाज रहे हैं , देखो सतगुरु मोरे आ रहे हैं
सतयुग की अब बेला आई , धाम बड़ेला खुशहाली छाई
रामराज्य पुनः फिर आये , धर्म की बेल चढ़ी है जाये
सतगुरु काज पूर्ण करने को , सतगुरु जी के बच्चे आये
वीर और वीरांगनायें है तैयार ,सतगुरु आदेश पर बैठे आज
जगत में कोई जान न पाए , पुनः ये तो वही हैं आये
भारत का इतिहास रचा है , उनके बलिदान की ये गाथा है
पुनः वही इतिहास दोहराए , सतगुरु काज करन वो जाए
संग जो उनके संगी साथी , हैं आसाधारण अति बलशाली
सतगुरु जी की दया निराली , कहे वो गाथा वही पुरानी
बार बार वो ये दोहराते , काज करन को ही तुम आये
सतगुरु बोले भेद पुराना , जान समझ और तुम लो माना
अपने आप को तुम पहचानो , अपनी शक्ति स्वयं में ही जानो
उठो चलो अब हो तैयार , सतगुरु आवन का है ये विचार
सब मिल गाओ मंगलगान , चले चलो सतगुरु के धाम
ग्राम बड़ेला में आ के विराजे , सतयुग जी सतगुरु के संग
अखंडेश्वर है नाम बतायो , मिले जहाँ सतगुरु के अंग
सब मिल बैठो आज यहाँ तो , सतगुरु जी हो जाये प्रकट
सब मिल करो सतगुरु के काम , सतगुरु के अंग जो धाम अनाम
समझ बूझ से सतगुरु दिये समझायी , सब मिल काज करो अब जायी
नूतन यह बेल है आयी , सुरत सतगुरु का स्वागत गायी
सब मिल गाओ मंगल गान , धूम मचे और गूंजे तान ||
अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 16/०२/२०१५

सतयुग सतगुरु :
सतगुरु दया कीन्ही बतलानी , निर्मल सुरत होये यह जानी
स्वयं में फूले वो न समाय , विचलित होये पर खुशी मनाय
सतगुरु होवे प्रसन्न अरूप में , हुए पुलकित वो सब स्वरूप में
ता की कृपा कोऊ न जानी , अंतर जीव वो ही भेद यह जानी
सुरत चले जब गगन आकाशा , स्वयं में पाये अनाम प्रकाशा
सतगुरु स्वामी दियो मिलाई , स्वामी में सुरत जाये समाई
सतगुरु पुनः कृपा बरसानी , दे वरदान फिर वो मुस्कानी
राधास्वामी नाम जगत में , पुनः स्थापित होये यह जानी
सुरत सुहागिन होई ये जाय , जग में लौट कबहुँ न आय
पिता दीन्ही मोहे रूप सुहाना , अचरज पुलकित होये यह जाना
सतगुरु दया का रूप दिखाना , स्वामी शब्द का भेद बताना
हे नाथ दयालु यह दया विचारी , बोलूँ मै क्या कोई शब्द न जानी
आपकी महिमा अब मै जानी
छोड़ूँ न अपने पिता का घर मै , स्वामी संग चाहे जाये बसानी
हे दयालु हे करूणानिधि , मेरी तुमसे ये विनती
मुझ पर ऐसी दया की धार देना
सतगुरु के वचनों को पूरा कर पाऊँ ये वर देना
मात पिता सखा पिया सब तुमको माना
जो तुम कहो वही करूँ अब ये है जाना
जगत तलवार की धार पर चलती रहूँगी
सतगुरु का नाम रौशन करने मरती मिटती रहूँगी ||
अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: 14/02/2015 प्रातः 5:30


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव :
वीरों वीरंग्नावों सतगुरु जयगुरुदेव
बच्चे अतिसय दृव परिस्थियों में हँसते रहो ,रहना। तुम्हारा जुझारू करमठी ब्याक्तिव सतगुरु को अतिसय प्रीय है ।
"पर्वतों को काट कर सड़कें बना देंगें ये।
असंखों मरभूमि में रूहे जगा देंगें ये ।"
अब सब काम तुम सब को करना है ।जो कोई भी नहीं कर पायेगा ,वो सब काम तुम सब चुटकी बजाते हुए निपटा दोगे। तुम्हारी अंतर शक्तियों का अभी किसी को पता नहीं है ।पता चलते ही तुम्हारे ऊपर खतरे मंडराने लगेगें ।अतः कुछ दिन के लिए तुम सब को छुपा लिया जाएगा ।बस निमित मात,तुम्हारे छुपते ही सबके क्रिया कलाप बंद हो जायेंगें ।सब अबाक रह जायेंगे ।फिर क्या होगा कुदरत का अद्भुत करिश्मा बनकर सबके बीच आयेगा और अपने तौर तरीके से शुरू हो जायेंगें ।कुदरती सारे क्रिया कलाप फिर से शांत और स्थिर भाव से स्फ्रीत हो जायेंगे ।
" बंद नहीं अब चलतें रहेंगें ,नियत नटी के क्रिया कलाप।
पर कितने एकांत भाव से और कितने चुपचाप ।"
मेरे शांति के मिसाल मेरे बच्चो पर कोई खतरा ,कोई डोरे डालने की कोशिश करेगा ,कोई तंत्र मंत्र करने की कोशिश करेगा ।मै फाड़ के रख दूंगा ।बहुत देख चुका ।बहुत बर्दास्त किया ।अब तो वो होगा जो किसी युग में नहीं हुआ ।मेरी अखंडता और एकता के सपनों को मेरे बच्चे साकार करने जा रहें है ।देखता हूँ कौन माई का लाल रोक सकता है।
अब बच्चो तुम सब हंसी खुसी से अपनी हर आने वाली सुबह का स्वागत अभिनन्दन करो ।अब तो तुम्हारा हर एक दिन नया नया उत्सव लेकर आएगा। खुद सतगुरु के रूहानी उत्सव में नहावो और सबको रूहानी उत्सव रूहानी गहराई में तैरने के लिए बुलावा भेज कर बुला लो।
तुम्हारा समरथ सतगुरु बड़ी बेसब्री से इंतजार रहा है ,अपने सभी बच्चों का ।
अब देर मत करो ।सतयुग स्वागत उत्सव म्नावो ।मेरी अतिसय मंगल सुभकामना तुम सबके साथ है ।
वीरों वीरंग्नावों सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १०/०२/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चों ये तुम्हारे सतगुरु का सतयुगी सत्संग की धार है |
ये सतगुरु की मौजमर्जी से बह रही है | कितने युगों से कितने अनंत युगों तक बहती रहेगी | इसका कोई वारा पार नहीं |
सतगुरु के सतयुगी निर्मल दिव्य सत्संग का अलौकिक दिव्य आनंद , इनके सतयुगी बच्चे तो ले ही रहे है | जाने अनजाने में , ये अपूर्व आनंद उनको भी मिल रहा है | जो मेरे बड़ेला दरबार पहुँचने की तैयारी कर रहे हैं |
अब मेरे पास पीछे देखने का समय नहीं है | बहुत हो गया ,अब सब लोग अपनी कमान स्वयं सम्भालो | मुझे किसी की जरूरत नहीं है |
मेरा काम पूरा हो गया , रंच मात्र बाकी है वो भी पूरा हो गया समझो | इसे कोई रोकने वाला नहीं है | मेरे रूहानी खेल में हैरान होने की जरूरत नहीं है | हैरान भी मत होना | मेरे रूहानी खेल मेरे सतयुगी बच्चे ही समझ सकतें है | इनके अलावा मेरा है ही कौन |
ये मेरे छत विछत अंग है | मेरे छत विछत एक एक अंगों को , मेरे बच्चे जोड़ रहें है | बच्चे ये सब अंग जब जुड़ जाएंगे , तो तुम्हारा सतगुरु प्रकट हो जाएगा | अब जल्दी करो देर मत करो | तुम्हारे सतगुरु को तुम्हारी जरूरत है | तुम अपने आप को सतगुरु के हवाले कर दो |
"हो गये हम फ़िदा जाने तन सत साथियों |
अबतो सतगुरु के हवाले कर दिए सबकुछ सत साथियों|
साँस थमने न पाये ,नब्ज रुकने न पाये |
अब लाहू सतगुरु का गिरने न देंगे |
हो गाये फ़िदा अपने सतगुरु पर ,जाने तन सत साथियों |
अब तो सतगुरु के हवाले ,सत साथियों |
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १२/०२/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
ll सतगुरु मोहे दिखाए भेदा , छुप कर रहा वो सतगुरु अभेदा
सबसे अलग सबसे अनूठा , ब्रह्म , पारब्रह्म , अनाम में बैठा
ता का भेद न समझे कोई , सतगुरु कहे तो समझे सोई
ता में प्रभु लीला दिखलाये, भेद बताये क्यूँ लीलाधारी कहलाये
उनमें वो जा जा के समाये , बार बार मोहे यही दिखलाये
सुरत अचंभित बैठी उसमें , सतगुरु कहे रहो तुम जिसमें
ता का भेद ना जाने कोई , अंतर जीव भी कोई कोई पहचाने
सतगुरु दिखाए मोहे रूप अनोखा , सतगुरु दया से मैंने देखा
रूप निराला अति मन भाये , बार बार सुरत उसे देखे जाए
देखे रोये और पछताए , पहले जो भेद समझ ना पाए
रह रह कर मन पुलकित होवे , भेद समझ यह अति प्रसन्न होवे
कीन्ही दया प्रभु भेद बतायी , मुझसे स्वयं की पहचान कराई
सुरत रोये चरनन में जाए , क्यूँ यह भेद समझ नहीं पाए
सतगुरु दया पे मर मिट जाए , सतगुरु स्वामी को निहारे जाए
सुरत को हुई अति पीड़ा भारी , कहहुँ भेद तो हुई आभारी
मन पुलकित पर नैनन से रोये , सतगुरु भेद अब उसे समझाए
मत रोवो और न पछताओ , जगत मर्यादा जो तोड़ ना पाओ
संस्कार थे ऐसे भारी , विचलित हुई वो जाए विचारी
तुमको तुम्हारा भेद बताया , अंतर में स्वामी से मिलवाया
भेद जब तक न जाने पायी , विचलित रही हर मन में समाई
अब समझो और बूझो जानो , लीलाधारी को पहचानो
स्वयं की शक्ति स्वयं में मानो , अंतर में असली पहचान तुम जानो
सतगुरु उसे समझाए हर पल , दोषी न समझो खुद एक पल
सतगुरु को सदैव है तुमने माना , तभी आज ये भेद है जाना
दो नहीं तुम अब एक हो शक्ति , करो सतगुरु की पूरण भक्ति
सतगुरु काज को सर पर धारो , दिव्य सुरत बन दिव्यता को धारो
करो तुम अपना काज पुराना , विश्व को तुम्हें है पुनः बताना
सतगुरु प्रेम ही सब कुछ जाना , जगत मिथ्या का ताना बाना
पुनः निर्माण करो उस स्वरुप का , राधा गोविन्द के रूप का
जग को तुम दियो जाए बताई , सुरत स्वामी भेद दियो समझाई
राधा सुरत और गोविन्द हैं स्वामी , बिन गोविन्द राधा अधूरी मानी
सुरत को स्वामी से दियो मिलाये , राधा गोविन्द फिर एक होयी जाए
ये आशीर्वाद मैं तुमको देता , सतगुरु काज तुम्हें है सेता
अपने को सम्पूर्ण है जानो , अपनी शक्ति स्वयं पहिचानो
शुरू करो सतगुरु काज आज तुम , सतगुरु काज की बनो मिसाल तुम
समय के भेद को तुम अब जानो , स्वामी इच्छा को सब कुछ मानो
सतगुरु काज तुम मिल करो जाई , मिलजुल काज सम्पूर्ण होई जायी
करूँ विश्वास मैं अपने देखा , सतगुरु सर्वश्रेष्ठ आलेखा
उनके काज अब करूँ मैं जायी , काज करत ही अपने धाम को पायी ll
सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ११/०२/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
|| हरि अनन्त हरि कथा अनंता ||
इस अनंत के भेद को जानने के लिए पूर्ण विश्वास के साथ हरिमय होना पड़ता है | उस हरि के धाम को जाना पड़ता है | मन मगन रहता है उसके चरणों में तब जाकर वो हरि मिलता है |
|| मन माने ना जाने कोई , हरी को भजे सो हरि का होई || तुम सब अपने मन में शंका मत लाओ | जो कहा जाए उसे समझो और मानो | कोई विरला ही ये करता है | तुम वो विरले बन जाओ | हर आज्ञा को सिर पर रखकर चलो | बुद्धि का प्रयोग करने वाले तो दरकिनार हो गए | अब मुझे ऐसे लोगों की जरुरत नहीं | जो हैं वो पर्याप्त हैं |
अब एक बात गांठ बाँध लो | जो इधर उधर में हैं उन्हें तुम्हें समेटना है | जल्दी में काम होने वाला है सारा | अभी तुम लोग थोड़ा और तैयार हो जाओ | सतगुरु का कार्य छोटा मोटा नहीं होता | हँस खेलकर कर लोगे तुम लोग | ये शक्तियाँ तुम्हारी विरासत हैं | तुम इनका प्रयोग पहले भी कर चुके हो पुनः फिर करोगे | ये तुम्हारे लिए कोई बड़ी बात नहीं |
|| एकै साधे सब सधे , सब साधे सब जाए ||
जिसने उस एक अनामा को पुकारा और उसका हो गया उसने सब कुछ पा लिया और सबको प्रसन्न कर लिया | इस बात को वो साधक जानते हैं जो इसे अंतर बाहर से अनुभव कर रहे हैं |
तुम सब देखते जाओ कैसे मैं अपना एक एक काम करता जाऊंगा | मुझे काम करना कराना दोनों आता है | तुम्हें कुछ आता हो या न हो , मैं अपना काम करा ही लूँगा |
तुम लोग मेरे काम को देखकर सकते में आ जाओगे | जो मुझे जानते हैं समझते नहीं, वो आगे जानेंगे और उनकी आँखें खुली की खुली रह जायेंगी |
अभी थोडा समय तुम और हंस खेल लो |
|| जयति करे सतगुरु की जो , जयति करे सतगुरु के बच्चों की ||
तुम सब चरण वंदना के लिए तैयार हो जाओ | अब बहुत जल्दी ही तुम्हें ये अवसर मिलेगा | बागों में फिर से फूल खिल उठेंगे | फिर से चमन महकेगा | अब तुम चाहे जो कर लो , मेरे बच्चे काम करके दिखा देंगे | संसार में मिसाल कायम करके दिखा देंगे |
तुम सब सुन लो | समय पर तो सारा विश्व ही मानेगा इसे |

बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०९/०२/२०१५ प्रातः६:१७


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चो सतगुरु की एकता और अखंडता को बनाये रखना | इस पर आँख न आने देना | अपने सतगुरु की सफ़ेद रूहानी पगड़ी पर आंच न आने देना , आंच न आन दो | सतगुरु के अंतरी अलौलिक वचन को माला की तरह फेरते रहना /रहो | एक भी शब्द भूलो नहीं और न ही शब्दों की हेरा फेरी करो | तुम्हारा सतगुरु बड़ा ही न्यायी , न्याय प्रिय शासक है | रूहों के अंतरी खजानों का सम्राट है | कुल मालिक है | वहां बुद्धि नहीं जाती , चलती , और न ही विवेक काम करता है | वो अंतर का सतगुरुमय देश अपने आप में अत्यन्त अलौकिक है | यहाँ सब अस्थिर है | नाशवान है | जो आज मिला है , कल नहीं मिलेगा फिर क्यों रोने धोने वाले मिलौनी के संसार में पड़े हो | यहां क्या कुछ तुम्हारा है | न ही कुछ लेकर आये हो न ही कुछ लेकर जावोगे | जब सबकुछ छोड़ना ही है , तो आज से ही धीरे -२ ऊँगली निकालने की कोशिश करो | थोड़ा इधर का बंधन ढीला करो |
"बंधन ठगों का तोड़ो , उठ सतगुरु को निहारो "|
कितनी अमर दिव्य ज्योति सतगुरु दिखा रहे | सतगुरु की अमर दिव्य ज्योति को अंतर में देखो और उसी में धीरे से मिल जावो और अपने सतगुरु स्वामी के दिव्य बंधन में बंधकर उनके देश चलने की तैयारी करो | उनके यहाँ कोई जोर जबरजस्ती नहीं , क्योंकि कुल मालिक बड़ा ही दयालु है | धीरे से निकलने की कोशिश करो , जब यहाँ तुम्हारा कुछ है ही नहीं , तो किस रोने धोने नस्वर संसार में पड़े हो |
चलो यहाँ के काम का निपटारा मेरे बड़ेला दरबार में करा लो | वहां घट -घट विराजने वाले समरथ (संत)
सतगुरु साहब कुल मालिक स्वयं विराजमान है |
"घट-घट में सतगुरु का जलवा , सतगुरु ही सबका आसरा है /सहारा है |
आना है तो आ जावो , सतगुरु ने तुम सब को पुकारा है |
राहों को तो तेरे सतगुरु ने दिखाया है |"
रस्ते सतगुरु दिखता है | खोज तो स्वयं तुम्हे करनी है और समरथ की साहबी की पहचान तुम सब को स्वयं करनी है |
"सतगुरु साहब तेरी साहबी , हर घट रही समाय |
बलिहारी वो घट की , जा घट दियो लखाय |
कर्म काज की फांस को , पल में काटो आप |
दिव्य उजाला करके , सतपथ दियो लखाय |
का शब्दन का , शब्दन डोर , माल दियो बनाय |
सुरत मोहनी मोह गयी , शब्दन का भण्डार |
आप ही आप दिखो चहुँओरा , निर्मल मन उल्लास |
प्रेम बांकुरी सुरत भयी, तेरा ही गुड़गान|"
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०८-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चे और बच्चियों तुम सब अपने कार्यों पर ध्यान दो | तुम ये मत सोचो कि मेरा काम कैसे होगा l मेरा काम तो मैं कर ही लूँगा l अब तुम लोगों के एक भी विकार बरदाश्त नहीं किये जायेंगे l तुम लोगों को स्वयं सचेत रहना होगा l मै बार बार एक ही बात बताने वाला नहीं l|
जो दूसरों को ढपोर शंख समझते हैं वस्तुतः वह स्वयं वही हैं l अपने मान सम्मान में दूसरों का अपमान करने से बाज नहीं आते l मुझे मेरे कार्यों में बाधा डालने वाले लोग पसंद नहीं l मैं करने और कराने में विश्वास रखता हूँ l जो कार्य करना चाहते हैं उन्हें मान सम्मान और कार्य में बाधा डालना छोड़ना पड़ेगा तभी वह सतगुरु के कार्यों को करने के लायक बनेंगे l अपने अहंकार में बैठना हो तो मुझे सेवा की आवश्यकता नहीं ||
तुम सब सतगुरु के कार्यों को उन्ही की आज्ञा में रहकर करते चलो l अपनी बुद्धि मत लगाओ l सब काम होता जाएगा l|
तुम सब स्वयं को सतगुरु पर समर्पित कर दो l आगे सब कार्य मैं तुम सब से करवा लूँगा l |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l|
सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०८/०२/२०१५ प्रातः७:२०


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चो ये तुम्हारे सतगुरु के सतयुगी सत्संग की धार/गंगा बह रही है | इस अमृतमयी सत्संग को छक छक पीने की कोशिश करो | जो बात समझ में ना आये उसे दुबारा अपने सतगुरु से पूंछो | सतगुरु तुम्हारे हर प्रश्न का उत्तर देगा और अपना निज भेद भी बताएगा | ये अमर देश का अमर दिव्य सत्संग हैं | बच्चे ये देश तुम्हारा नही है | यहाँ तक ये शरीर भी मिटटी का है | ये नीचे के मसाले लगा कर तैयार किया जाता है /किया गया है | इसको भी नीचे छोड़ना पड़ता है | इसको समझने के लिए सतगुरु की जरुरत पड़ती है | सतगुरु ऐसे वैसे नहीं मिलते | उनकी खोज करनी पड़ती है | रोना पड़ता है |
"हँसत खेलत जो गुरु मिले ,वो सतगुरु न होय |
रोवत डहकत ,विरह ,जगावत नित नूतन हिये |
अंतर उमंग यथावत जगावत वो सतगुरु होय |"
सतगुरु भाग्य से मिल भी जाय तो उनकी पहचान कैसी होगी ,कैसे करोगे ,क्योंकि ऊपर से कुछ है ही नहीं | जो कुछ भी है सब अंतर का है , तो उनके बताये हुए रास्ते पर जब अंतर से मुड़ोगे , अंतर में जहाँ से आये हो ,जहाँ से बोलते हो | वहां जब पहुंचोगे तब उनकी अंतरी ,पहचान होगी | सतगुरु अपना भेद ,उपदेश ,नामदान देता है |मानव पोल पर बैठकर और अंतर का सतगुरु अंतर में रोहानी तौर तरीके से पुनः अंतर ही अंतर अपना रहश्यमयी भेद ,अंतर आध्यात्मिक रूप में देता है | बताता है | बताते समझाते हर मंडलों में ले जाते है | अब अपने मालिक का सच्चा भजन करो | मालिक के सच्चे नाम का सुमिरन करो | मालिक बोलेगा क्यूंकि वह सच्चा सतगुरु है | सच्चे और झूठे की पहचान तो अंतर में होती है | बाहर तो कुछ नहीं बस झूठा फितरती नजारा है | अंतर गहरा रूहानी सत्संग सुनना हो तो मेरे बड़ेला मंदिर पहुँचो | वहां की रूहानी खेल सत्संग अपने आप में कुछ और है ,अपने आप में बेजोड़ है |
"हैं चर्चे जमी पर ,आसमान छूने वालों का क्या होगा |
आसमां उतर के आया है जमी पर धरती वालों से मिला होगा|
धरती वालों की तरह होगा | "
सब पहचानेंगे उसको ,सबकी तरह होगा ,सब से मिला होगा |
बेहोश पड़ी रूहों को होश दिलायेगा|
उनको भी मालिक का सच्चा रूहानी पैगाम सुनाएगा |
अब मालिक का रूहानी अंतरी स्वागत करो | अब देर मत करो ,जल्दी से अपने निज काम को अंतर से मेहनत और ईमानदारी से करो | अंतर में इधर उधर मत देखो | मालिक को देखो और मालिक के पास पहुँचो ,देर मत करो | अब समय नहीं है | नामी को साथी बना लो काम हो जायेगा |
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०७/०२/२०१५ प्रातः६:०६


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चो मालिक के आंतरिक सत्संग सुनने के लिए तैयार हो जावो | अंतर सत्संग नित सुरत के घाट पर हो रहा है | चलो -२ घाट पर चलने की तैयारी करो |घाट पर बैठकर बेहोशी दूर कर लो | तुम्हारे कुल मालिक नित निज घाट पर सत्संग दे रहें हैं | यहाँ क्या देख रहे हो , ये देश तुम्हारा नहीं है | तुम्हारा देश परम प्रकाशवान है |
"परम प्रकाश रूप अति लागी,
नहीं कही दिया ,नहीं कहीं बाती"
उस परम प्रकाशवान सतगुरु के साथ नाता जोड़ लो | क्योंकि युग-२ से यह बिछुड़ी सुरत साईं के लिए
विकल हो उठती है | युग -२ से ये डोर छूटी है | मालिक के सत पथ को निहारती है | सत पथियों से सवाल पूंछती है ,रास्ते को खोजती चलती है |
"सत पथ किसका देखा ,जो पहुँचावे,सतगुरु स्वामी के निज देशा"
मालिक मिलन की सच्ची पीर उठने दो |वह प्रभु सच्ची विरह वेदना को बर्दाश नहीं कर पाता |
हाँथ बढ़ा कर महामंत्र कानो में गूंजा कर उठा लेगा |
"हाँथ उठा कर बुलाते हो ,सब सम्भव कर देते हो |
सत पथियों को साथ मिलाते हो ,सत पथिकों को राह दिखाते हो |"
सत के साथ हमेशा सतगुरु चलता है | सतगुरु आगे-२ चलता है ,पीछे सुरतों की कड़ियाँ , मालिक की बनायी हुयी लड़ियाँ साथ-२ जुड़ती जाती है | सत पथ पर चलने की तैयारी करती हुयी चल देती है |
अब सब के सब तैयार हो जावो | सत सत्संग सुनने के लिए ,सत्संग की नाम गंगा में सब स्नान करो |
"सत सत्संग करो ,सब कोई भाई ,सत सत्संग बिना मैलाई कटे नहीं भाई"
सत्संग सुनते ही जीवात्मा पर लगी हुयी काई कटने लगती है और सुरत धीरे से साफ़ हो जाती है |
सत्संग से एकाग्रता आती है | मन रुकने लगता है | मन की भाग दौड़ धीरे-२ कम होने लगती है | मालिक के सत शब्द सुनाई पड़ने लगते हैं | मालिक हर पल हाज़िर मिलते हैं | ऑंखें हमेशा खुली रहती है | आधा बंद होती है | एक टक मालिक के रास्ते निहारती है |
"इक टक टकी पंथ निहारे ,सतगुरु जी कहाँ छिपे हमारे"
एक पल भी चैन न पाये ,सबसे पूंछें सबको मिलाये |
सबसे पूंछती हैं और सबको साथ -२ लेकर चलती हैं | सबमे सतगुरु दिखाते हैं | सबके हृदय में वह साईं
विराज रहा हैं |
"घट-२ दिखे सतगुरु ,सूना घट न कोय |
बलिहारी वह घट की ,जा घट सतगुरु प्रकट होय"
सतगुरु रुपी मडी को मस्तक पर धारण कर लो | मडी के उजाले में देखते-२ लय हो जावो |
धीरे-२ बढ़ता जायेगा, लेकिन मडी को धारण करना पड़ता है |
उसके चमक से ही अंदर ,बाहर चमक प्रकट होती है |
"सतगुरु नाम का दीप धरकर ,अंदर बाहर उँजियार"
अंदर बाहर एक रस ,अंदर उजाला है | बाहर भी चमक रहा है | अपना काम बनाते चलो | इससे मुश्किल काम भी निपट जाएंगे | हर जगह हर,दर पर सतगुरु हाज़िर मिलेंगे | ये भी दया कृपा बिना सम्भव नहीं है | बच्चे बड़े मिन्नतों प्रार्थनाओं के बाद ये शुभ अवसर आता है | जिससे मालिक का अंतरी अतिसय रूहानी सत्संग सुनने को मिलता है | अब सचेत होकर काम करने का समय है | मुझे देखो ,इधर उधर देखने का वक्त नहीं है | जिस काम को करवाने के लिए लाया हूँ | वो काम पूरा कराते हुए ले जायुंगा|
सतगुरु के वचन ब्रम्हास्त्र होते है | पालन करते रहो | सब कुछ सम्भव हो जायेगा | यहाँ वहां की कोई ऐसी चीज नहीं है , जो तुमको नहीं मिलेगी |सब कुछ के हकदार मेरे सतयुगी बच्चे हैं | इनके सिवा और है ही कौन मेरा | जिससे अपने सतयुगी संसार की दिव्य रचना करूँ ,अब सब लोग अपने कुल मालिक की याद में खो जाने की कोशिश करो | मालिक इक्छा अनुसार मदद करेगा |
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०७-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
सतगुरु दया हुई अति भारी , शब्द भेद जो महिमा गानी
सुरत शब्द का भेद बताये , अंतर का जलवा दिखलाये
सुरत चढ़ी अब गगन लोक में , नाम स्वरुप की महिमा गाये
रूप अनोखा प्रभु दिखलाये , अंतर भेद खुल के बतलाये
सुरत निखारी रूप सुहाना , पिया मिलन का भेद समाना
सुरत सुहानी सतगुरु प्यारी, रूप मनोहर अति मनुहारी
अपने स्वामी को जाये निहारे , अपना अंतर भेद पहिचाने
रूप निहारे स्वयं में लजाये , सतगुरु में ही स्वयं को पाये
राधा स्वामी नाम पुकारे , कृष्णा में स्वामी को पावे
सुरत हो गयी सतगुरुमय अब , सजी दुल्हन जो बनी सुहागन
सतगुरु कंठ में जाये बसाये , स्वामी संग बस उसे है भाये
स्वामी नाम की रटन लगाये , स्वामी बिन कहीं चैन न पाये
जगत में कोई भेद न जाने , न कोई ये प्रेम पहिचाने
सतगुरु की ये अदभुत लीला , समुझ परे न कृत में समाय
सतगुरु ने दीन्हा मोहे लखाय , मोरा भेद मोहे दियो बताय
मैंने स्वयं को आज है जाना , सतगुरु में जा स्वयं को पहचाना
राधा हो गयी अपने स्वामी की , सतगुरु जयगुरुदेव नाम की
नाम पुनः अंतर से बोले
मुझमे हो सतगुरु के मुख से बोले , सतगुरु की वाणी मुझमे घोले
आज हुई मैं शबद अनामा , जा बैठी उस प्रभु के धामा
जन्मों के वो भेद हैं खोले , जब राधा स्वामी संग ही डोले
सुनकर हुयी हूँ बहुत लजाई, मैं प्रभु धूल आपके चरण की
इतना उच्च स्थान दिया प्रभु , मैं उसके लायक न कबहुँ
आप विचारो आप बताओ , पिया बिना करूँ क्या मैं सुनाओ
सतगुरु फिर सतधाम से बोले , सुरत स्वामी के भेद को खोले
जाओ पिया संग रहो उसी धाम में , कृष्णराधा खेले उसी अनाम में
जाय सुरतिया रही विचारी , कौन घड़ी प्रभु आवनहारी
हे प्रभु ले चलो अपने धाम में , तुम बिन रहूँ न मैं इस जहां में ||
सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०६-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
उस मालिक के अथक परिश्रम के बाद उसके जीव जगकर और लगकर सतगुरु से प्रीत करते हैं | उस प्रीत के फलस्वरूप जीव में सतगुरु के प्रति लगन पैदा होती है | यही लगन जीव को हर पल सतगुरु के सानिध्य में रखती है | जीव हर पल सतगुरु के अंग संग होने की अनुभूति करता है |
जब सतगुरु जीव को बोध कराते हैं तो जीवात्मा हर धाम से परे जाकर सतगुरु में विलीन हो जाना चाहती है | जब सतगुरु अपनी दया से जीव को उसके वास्तविक स्वरुप का बोध कराते हैं तो जीवात्मा के रहे सहे जगत के जुड़ाव भी झड़कर मैल की भाँति गिर जाते है | जीवात्मा सतगुरु से हर पल उनमें विलीन हो जाने की प्रार्थना करती है |
ऐसा जीव सतगुरुमय हो जाता है और उसे इस जगत में सतगुरु के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता | जीवों का ये बोध और भाव सतगुरु की अति दया और कृपा से ही आता है |
वस्तुतः जब जीवात्मा अपने असली बोध में आती है तब वह पूर्णतया जगत से परे होकर सतगुरु के संग निजधाम जाने की इच्छा रख पाती है | यही कारण है कि अच्छे से अच्छा साधक भी अपनी आन्तरिक चढ़ाई के घमंड में गिरकर अपने असली कार्य से विमुख हो जाता है |
जो जीव ये कहते हैं कि मैं मालिक का जीव हूँ और मालिक मुझे लेकर ही जायेंगे तो उसे अंतर में मालिक से अपने उस वास्तविक स्वरुप को प्राप्त करने की याचना करनी होगी |
जो जीव अंतर में मालिक से मिल रहे हैं वस्तुतः वही उस सतगुरु के असली जीव हैं और समय आने पर सब सिमट कर एक हो जायेंगे और सतगुरु की महिमा का गुण-गान करेंगे |
मेरे बच्चे जो बोध में आ रहे हैं उन्हें भी सचेत रहने की आवश्यकता है | देश और काल के नियमों का पालन सभी को करना होता है | तुम सभी लोग अपने-अपने समय का सदुपयोग करते हुये , उस सतगुरु के काम के लिए तैयार हो जाओ | इधर उधर के काम में व्यर्थ समय मत गँवाओ | तुम सभी को तुम्हारा मालिक आवाज दे रहा है | उसकी आवाज को सुनकर तुम सब खड़े हो जाओ और निकल पड़ो |
यदि तुम्हें किसी बात की चिंता है तो उसे मुझ पर छोड़ दो | तुम्हें स्वयं से ज्यादा सतगुरु के कार्य की फिक्र होनी चाहिए | उसी में समर्पण का भाव है | तुम्हारी हर प्रकार से मदद हो जायेगी | जब तुम बोध में आओगे तब तुम्हें अहसास होगा कि तुम किस कार्य के लिए आये थे और किसमें उलझ कर रह गये |
अब सभी लोग उस सतगुरु का ही चिंतन और मनन करो | उसी में तुम सभी का कार्य सिद्ध होगा |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०६/०२/२०१५ प्रातः ५:३३


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चे भव सागर पार जाने के लिए साथी बनाना पड़ता है |वो साथी तुम्हारा सतगुरु होता है | यहाँ भी मिलता है |वहां भी सिंघासन पर विराजमान मिलते है | सुरत के अंतरी सिंघासन पर, वहां सत और गुरु के सिवा कोई दूसरा नहीं मिलेगा | सतगुरु वहीँ बैठकर जीवों की संभाल करते हैं | बच्चे अंत में कोई साथ देने वाला नहीं है , इसलिए सतगुरु को अपना साथी बना लो |
सतगुरु एक साथी तेरे यहाँ वहां के ,
तु प्रेम उनसे करले कल्याण तेरा होई |
जगत प्रेम मिथ्या है ,सतगुरु का प्रेम अटल है | सतगुरु कभी डगमग नहीं होता | वह स्थिर है ,उसका प्रेम निर्मल है | सतगुरु को पाने के लिए ,निर्मल बनना पड़ता है |
निर्मल मन जन सतगुरु को पावे |
सतगुरु को कपट छल ,छिद्र न भावे |
बच्चो मन और चित हमेसा फुरना पैदा किया करतें है | ये इसी काम के लिए ही लगाये गयें हैं कि सुरत ऊपर न जाने पावे | इसकी गति जल्दी समझ में नहीं आती ,पर सतगुरु कि दया से सब संभव है |
"या अनुरागी चित कि ,गति समझे सतगुरु |
ज्यों ज्यों भीजे सतगुरु रंग ,त्यों त्यों उज्जवल होय"
सतगुरु के नाम रुपी साबुन से अपनी रगड़ करते रहो | नाम धीरे से प्रकट हो जाएगा |
"अतिशय रगड़ करो सब कोई |
प्रकट नाम सतगुरु का होई |"
नाम प्रकट होते ही नाम में लय होने कि कोशिश करो |
नाम जीह जपि जागो भाई |
नाम लेहु सब कोई भाई |
नाम के बिना सतगुरु के बिना सुरत अकेली कुछ नहीं कर सकती |
सतगुरु नाम बिना बेकार हैं, छप्पन कोटि विलाश |
का सतगुरु का दरबार ,का सतगुरु का धाम निवास |
अपने सतगुरु के साथ-२ चलने कि कोशिश करो | सत और गुरु जब दोनों एक होकर साथ -२ चलेंगें ,
तब ये रूहानी सफर आसान हो जाएगा ,लेकिन ये मुश्किल काम आसानी से निपटाने वाला नहीं हैं |
बच्चू इसके लिए तिल का तेल निकालना पड़ता है | इसके लिए रोना पड़ता है | रिझाना पड़ता है | वहां
चतुराई नहीं चलती |
"चतुराई रीझे नहीं ,रीझे मन के भाव "
मनको इधर से मोड़कर सतगुरु में लगा दो | इतना सा काम है | बस चुटकी बजाते ही मन काबू में आ
जाता है | मन सतगुरु में लग गया तो ,हर जगह सतगुरु ही दिखेंगे | सारा संसारमय हो जाता है |
सुरत सबमे अपने साईं को अपने सतगुरु को निहारती है | अपने कान आँख सब अंगों से देखती है |
सुरत के रोम-२ में सतगुरु बस जाते है | सारा मिटटी का स्वरुप रूहानी हो जाता है | सुरत बावरी हो जाती है | बेचैन हो जाती है | हर राह में सतगुरु कि अगवानी के लिए खड़ी हो जाती है | आरती कि थाल सजाये रहती है | अपना सबकुछ सतगुरु पर नेवछावर कर देती है ,कि सतगुरु मेरे जन्म मरण के बंधन काट दिए | आप क्या सब लोग अपना-२ काम करते | किसी दूसरे को देखने कि जरुरत नहीं है | अपने
सतगुरु समरथ को देखो ,और वो अपना काम बना लो | ये नहीं यहाँ का | यहाँ का नहीं वो ऊपर का |
आते जाते रहो पहचान बनी रहेगी | काम बनने में देर नहीं लगेगी | तो अब देर किस बात की ,रास्ते पर चल पड़ो | समरथ धीरे से उठा लेगा | उठते ही सुरत सतगुरु के सामने खड़ी हो जायेगी | दिव्य स्वरुप धारण कर अब अपना निज काम बना लो | समरथ सतगुरु साथ-२ हैं |
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०५-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चे और बच्चियों हर हाल में खुश रहो और इसी हँसी ख़ुशी में मेरा सारा काम कर जाओ | तुम लोग जब खुश होते हो तो तुम लोगो को देखकर मैं बहुत प्रसन्न होता हूँ |
ये बच्चे मेरे शरीर का एक एक अंग हैं | जब ये खुश होते हैं तो मेरे रोम-रोम में आनन्द छा जाता है | अपने सतगुरु की दया से मेरे बच्चे हर प्रकार से सतगुरु के कार्यों के लिये तैयार किये जा रहे हैं |
जब मेरे बच्चे तैयार होकर तुम्हारे सामने खड़े हो जायेंगे , तब तुम्हारी समझ में आयेगा | मैं अपने बच्चों में प्रकट रूप में विद्यमान हूँ | मेरे प्रत्यक्ष होने में अब ज्यादा देरी नहीं है | तुम समझते हो झूठे ढोल नगाड़े पीटे जा रहे हैं | अभी तुम्हें जो समझना है समझो | जब एक बार कार्य होने प्रारंभ हो जायेंगे तो तुम अपने झूठे अहंकार से बाहर आओगे और पछताओगे कि मैंने इनकी क्यों नहीं सुनी या एक बार प्रयास करके क्यों नहीं देखा | अभी तो दया की धार खुली हुई है , जब बंद हो जायेगी तो तुम्हारे रोने-गाने से कुछ नहीं होगा |
अभी जो रो रहे हैं दीनता में, उन्हें कुछ मिल सकता है , बाद में वो भी नहीं मिलेगा | तुम चाहे दौड़ो या भागो |
समरथ संत कभी झूठा नहीं होता , वो सिर्फ मौज बदलता है | ये धरती और समय उसके इशारों पर चलते हैं | पर तुम जब तक अहंकार में बैठे रहोगे , संत को क्या जान पाओगे |
संत का होता कभी नहीं अंत |
जब समय निकल जाता है तब पछताते हो कि मैंने क्यूँ नहीं सुना | पहले भी कहा था भजन कर लो तब भी किसी ने नहीं सुना | आज भी कह रहा हूँ कि मुझसे अंतर में मिलो तभी भेद समझ आयेगा तो अब भी मानने को तैयार नहीं | अरे मेरा काम तो रुका नहीं और न समय रुका है , रुके तो तुम लोग हो | चल पड़ो नहीं तो पीछे छूट जाओगे | मै और मेरे ये बच्चे अब पीछे मुड़कर देखने वाले नहीं |
तुम चाहे कितना स्वाँग रच लो , दूसरों को बरगला लो, तुम्हारी वही सुनेंगे जो मेरे जीव नहीं हैं |
अपने जीवों को तो मै हीरे की भाँति कोयले की खान में से निकाल ही लूँगा | तुम अपनी सफलता पर प्रसन्न होते रहो और मैं तुम्हारी मूर्खता पर | जिस धन और मान में तुम मदहोश हो वो खुद तुम्हारे घर की मेहमान है |
अब समय ज्यादा नहीं रह गया है | देश व दुनियाँ के लिए वक़्त अच्छा नहीं है | सब संभल कर रहो | अपने अपने कामों को करते रहो | मन में सदभावना का भाव रखो | आगे तुम्हारी संभाल वो सतगुरु करेगा |

बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
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संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०४-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चों और बच्चियों अपने सतगुरु पर भरोसा रखो | तुम्हारा सतगुरु हर प्रकार से तुम्हारे साथ है | जिन कार्यों को करने का बीड़ा तुमने उठाया है उसे मैं हर हाल में पूरा करवा लूँगा | देश व दुनिया के लोग तुम्हारे कार्यो को देखकर अचंभित रह जायेंगे | जब जब मेरे बच्चे जिस जगह से गुजरेंगे वहाँ के लोग हिंदुस्तान और “सतगुरु जयगुरुदेव” नाम की चर्चा करेंगे |
अब तुम सब तैयार रहो | समय की घड़ियाँ चल रही हैं | तुम्हारे कार्य का वक़्त नजदीक आ रहा है | तुम सब मिलकर पुनः पूरे भारत को एकता और अखंडता का परिचय दोगे जिसे पूरा विश्व याद करेगा | तुम सभी अपनी-अपनी कमान संभाल लो | जब समय आ जायेगा तब तुम्हें बता दिया जायेगा | पहले भी बताया है आज भी बता रहा हूँ | कलयुग में कलयुग जायेगा , कलयुग में सतयुग आयेगा | अभी आगे विनाशलीला होगी | बीमारियाँ और प्राकृतिक आपदायें आयेंगी | विश्व में भीषण युद्ध होगा | उस समय भारत की आध्यात्मिक शक्ति चमकेगी और एक लहर के भाँति पूरे विश्व में फ़ैल जायेगी | पहले ही बता रहा हूँ | आगे कोई बताने वाला नहीं मिलेगा |
यदि तुम बचाव चाहते हो तो शुद्ध शाकाहारी रहो और कठिन समय में “सतगुरु जयगुरुदेव ” नाम से मदद ले लेना | मेरा कार्य विश्व शांति है | मेरे बच्चे मेरे इस कार्य में पूरा सहयोग देंगे | समस्त विश्व भारत की आध्यात्मिक शक्तियों के आगे सर झुकायेगा | ये सब अवश्य होकर रहेगा | तुम अभी सुन लो | हो जाये तब मान लेना | अब वैसे भी समय ज्यादा नहीं रह गया है | आगे आने वाला समय स्वयं ही सबकुछ बता देगा |
मैंने अपनी सच्ची संगत को इक्ट्ठा कर लिया है | जो थोड़े बहुत रह भी गये हैं वो आगे आने वाले समय में आ जायेंगे और जो नहीं आये उनके स्थान पर नये लोगो को लिया जा चुका है | मेरा हर कार्य समय से पूरा होकर रहेगा | जो साथ दे देगा उसे भावानुसार दया अवश्य मिलेगी | कोई साथ दे न दे ये कार्य तो होकर रहेंगे | इन कार्यों के लिए ही मैंने अपनी सच्ची संगत और अपने बच्चों को एकत्र किया है | जब सारे कार्य हो जायेंगे तो तुम क्या पूरा विश्व मान जायेगा |
देखो बच्चों तुम सब अपने-अपने काम पर लगे रहो | एक दूसरे के साथ प्रेम व्यवहार बनाये रखो | यह प्रेम ही मेरी वास्तविक पहचान है | इसके कारण सारे कार्य सुगमता से होते चले जायेंगे | एक दूसरे को सहायता देकर तुम सब मेरे काम को अतिविशिष्टता से कर जाओगे | तुम सबसे मै बहुत प्रेम करता हूँ | यदि कभी मुझसे मिलना चाहो तो एक दूसरे में ही मुझको ढूँढ लेना | तुम्हें तुम्हारा सब कुछ मिल जायेगा |
|| हम आये वहि देश से , जहाँ तुम्हारो धाम
तुमको घर पहुँचावना एक हमारो काम ||

बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :०४/०२/२०१५ प्रातः ४:४३


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चे तुम सब मेरे सतयुगी बच्चे हो | इन्ही गिनती के मुट्ठी भर बच्चों को लेकर सतयुगी राज्य कायम करूँगा | मेरा अमर आशिर्वाद तुम सब के साथ है | तुम सब सतगुरु की एकता और अखंडता की मिशाल बनकर सामने आवोगे | बच्चे सतगुरु का बटवारा मत करो | सतगुरु आजाद है | सबका है | किसी एक का नहीं है | उसके यहाँ लाइन लगी हुयी है जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता है | अब सम्भल कर आगे बढ़ने की जरुरत है | मेरे ये सतयुगी बच्चे सतगुरु की रहनुमाई करेंगें | इनके सामने किसी की तिकड़म बाजी अटकल बाजी नहीं चलेगी | ये अपने सतगुरु का भाल ऊंचा करेंगे | इनकी कीर्ति ,इनकी पताका मै ऊँचा करूँगा | बच्चे तुम सब मिलकर अपने सतगुरु जयगुरुदेव का नाम अमर कर दिया | तुम्हारी अनुसाशन प्रीयता की मिशाल बनेगी /कायम होगी | तुम्हारी बराबरी कोई नहीं कर पायेगा |
तीन लोक नौखंड में सतगुरु जयगुरुदेव बच्चो से बड़ा न कोय |
करता करे न कर सके सतगुरु के बच्चे करे सो होय |
बच्चे मेरा अजस्त्र सतयुगी आशिर्वाद तुम्हारे साथ है |
"जो इच्छा करिहौ मन माहि ,सतगुरु जयगुरुदेव प्रताप कछु दुर्लभ नाही"

बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
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सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :०३/०२/२०१५ दोपहर: २:१९


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बच्चियों सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चे अपने सतगुरु सतगुरु की धीर गंभीर आवाज सुनो , और चेतो , उनकी एक-एक बात का शब्द का मनन करो | अब नये पुराने सबके सब संभल जावो , सतगुरु की पुकार सुनकर , सत के रास्ते पर निकल पड़ो | आगे बहुत कुछ होने वाला है | क्योंकि कुदरत बौखलाई हुयी है | ये है कि महात्मा बीच बचाव में लगें हुए है | बार -२ विनती प्रार्थना समस्त जीवों के लिए कर रहे हैं , करवा रहें है | महात्मा कि बात मान गए तो बीच बचाव करा देंगे | नहीं तो वही होगा जो हर युगों में होता आया है | अभी क्या देखा भुखमरी , बिमारी, कोलाहल वो आगे आ रहा है | अगर मेरे सतयुगी बड़ेला मंदिर के बच्चों कि बात मानकर आ गए , सतगुरु के बड़ेला दरबार में तो मांफी करा दी जायेगी , नहीं तो वही होगा , जिसका कोई अंदाजा नहीं, जो हर युगों में होता चला आया है |
"चलेगा नाश का खेल यूँ ही , भले ही दिवाली यहाँ रोज आये"
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०४-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
वो सतगुरु और उसका भेद निराला है | उसका देश भी अनोखा है | कोई उसके भेद को नहीं जानता | उसे जानने के लिए उस सतगुरु की दया कृपा होनी चाहिए जिसे ये मिल जाती है वही सतगुरु की दया को और उसके अनोखे भेद को जान समझ पाता है | वो सतगुरु तुम्हारे भाव और प्रेम से मोम की भांति पिघल जाता है | जब तुम उसे याद करते हो तो वो भी तुम्हारे प्रेमवश बँधकर तुम तक आ जाता है | वो तुम्हारे आस-पास ही होता है जब तुम याद कर रहे होते हो | तुम सोचते सिर्फ तुम ही उस प्रभु की याद में तड़प रहे हो | अरे ! वो स्वयं भी तुम्हारे प्रेम में रोता है | वह अपने जीवों से बहुत प्रेम करता है और चाहता है जल्द से जल्द उसके जीव उस तक पहुँच जायें | वो प्रभु सब कुछ जानते हुये भी सिर्फ अपने जीवों का भला करता है और उनका पथ प्रदर्शन करते हुए अपने जीवों को मुक्तिधाम ले जाने का प्रयास करता है | जितनी जल्दी जीव को नहीं होती उससे कहीं ज्यादा जल्दी मालिक को होती है किन्तु वो अनमोल समय के भेद को जानता है और मर्यादा और समय की सीमा में रहते हुये अपना सारा कार्य समय से कर लेगा | तुम अधीर मत हो | बस अपना काम करते जाओ | वो प्रभु तुम्हे समय पर सब कुछ बता समझा देगा किन्तु तुम सदैव उसी के भाव में रहोगे तभी ऐसा संभव होगा | जिसने सतगुरु की आस छोड़ दी उसे कुछ कैसे मिलेगा | मिलेगा उसे ही जो अंत तक अपने सतगुरु की आस और विश्वास के साथ रहेगा | सतगुरु के सारे कार्य होने हैं और होकर रहेंगे | जब पहले का कहा हुआ असत्य नहीं था तो आज जो बतायेंगे वो हर हाल में होकर रहेगा | बच्चों तुम सब अपने-अपने काम में लगे रहो | किसी भी बात की फ़िक्र मत करो | तुम आपस में मिलजुल कर रहो और प्रेम भाव बनाये रखो | ये तुम्हारा प्रेम ही तुम सबको मुझ तक ले आयेगा | मैं भी तुम सबसे मिलने के लिए तड़प रहा हूँ | अभी थोड़ा वक़्त है | तब तक तुम सब सारी चीजें जान समझ लो | वक़्त आने पर तुम्हें तुम्हारा कार्य खुलकर सामने आकर करना है | उसके लिए तैयार रहो | अब सभी बच्चे –बच्ची अपने अपने काम में लगो | संभलकर रहो | इस दुनिया के फँसावे में फँसने की जरूरत नहीं है | सब मिलजुल कर प्यार से रहो | अपने मालिक की महिमा की गुणगान करते चलो |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०३-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
सतयुग की कामना रखने वाले जीवों के लिये आगे अच्छा समय आयेगा | सतयुग देवता धरती पर पाँव रख चुके हैं | अभी उन्हें धीरे-धीरे पाँव फैलाना है | सतयुग देवता इस धरती पर कहीं भी पाँव नहीं रख सकते इसलिए उन्हें पावन भूमि पर ही पाँव रखना होता है | वही उसी पावन भूमि पर सतयुग देवता के साथ-साथ अन्य शक्तियों को भी स्थान मिला है | अखंडेश्वर मंदिर विश्व का एक मात्र मंदिर होगा जहाँ आध्यात्मिक ज्ञान और रूहानी दौलत बँटेगी | विश्व के अनेक देशों के लोग यहाँ आकर सजदा करेंगे | तमाम मुल्क एवं धर्म के लोग एक साथ एक ही झंडे के नीचे होंगे और सतयुग धरा पर पूरी तरह फैलेगा |
आध्यात्मिक शक्तियाँ इस धरती पर उतारी जा चुकी हैं | इस बात का प्रमाण मेरे बड़ेला मंदिर के उन बच्चों के पास है जिन्होंने स्वयं अपनी चर्म आँखों से उन्हें बड़ेला की पावन भूमि पर उतरते देखा है |
तुम सोच रहे होगे कि मालिक ने जो कहा वो पूरा नहीं हुआ | अरे अभी वो मेरी एक-एक बात सच होकर रहेगी | मुझे तो सिर्फ अपनी सच्ची संगत एकत्र करनी है और जिन्हें मेरा काम पूरा करना है वो शक्तियाँ भी एकत्र हो चुकी हैं | धीरे-धीरे आगे जो और आयेंगे , उन्हें भी सेवा मिलेगी | मैंने कहा था मेरे काम को कोई रोक नहीं सकता | आगे मेरी एक-एक बात सच होती दिखाई पड़ेगी | यह बात पूरे विश्व के लोगों के लिए है | पहले मैंने शाकाहार का प्रचार करवा दिया | अब अपने बड़ेला मंदिर का प्रचार करवा रहा हूँ ताकि विश्व के लोग जान जायें कि रूहानी दौलत पाने के लिए उन्हें भारत आना ही पड़ेगा | भारत तो आध्यात्मिक शक्तियों का गढ़ है ही | जब यहाँ की शक्तियाँ पूर्ण रूप से प्रकट होंगी तब सबको समझ आयेगा |
मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चों में इतनी शक्ति है कि पूरा विश्व हिला कर रख दें किन्तु वो अपने सतगुरु की आज्ञा के बिना कुछ नहीं करेंगे |
आगे का समय बतायेगा कि इन बातों में कितनी सच्चाई है | अभी तो सुन लो और समझ लो | जब ये बातें पूरी होने लगे तो मान लेना | और सबको भी बता दो ताकि कोई इसे जानने से बचा न रह जाये |आगे संभाल और मदद मेरे सतयुगी बच्चे ही करेंगे | अगर तुम्हें मदद की जरुरत हो तो शुद्ध शाकाहारी रहना और “ सतगुरु जयगुरुदेव ” नाम से मदद मांगना | मदद हो जायेगी | इस नाम में सतयुगी शक्ति है | वही शक्ति जो मेरे बच्चों में है | तुम्हें मदद मिलेगी | इस नाम को कभी भी मुसीबत में परख कर देख लेना | इसकी सत्यता का प्रमाण मिल जायेगा | जब प्रमाण मिल जाये तो शुद्ध शाकाहारी रहते हुए इस नाम का मनन करना , अंतर में चलोगे ( ध्यान की अवस्था में ) तो मैं मिलूँगा और संसारी मदद चाहिये तो वो भी मिल जायेगी |
विश्वास में ही सबकुछ है , अविश्वास से कुछ नहीं मिलता | जब तुम्हें मेरी जरुरत हो बुला लेना मैं आ जाऊँगा | तुम्हें प्रमाण भी मिल जायेगा और मदद भी मिल जायेगी |
मेरे इस सन्देश को पूरे विश्व में जन जन तक पहुँचा दो | ये मेरी सेवा का कार्य होगा | जिसे समाचार मिल जायेगा वो अपनी जीवात्मा के कल्याण के लिए इस नाम का प्रयोग अवश्य करेगा | मैने अपने बच्चों को काम पर लगा दिया है | ये मेरे बच्चे इसी कार्य के लिए लाये गये थे | इनमें अपार शक्ति थी | किन्तु इन्हें इसका बोध न था | अब ये बोध में आ रहे हैं | जब इन्हें अपनी शक्तियों का पूर्ण ज्ञान होगा तो ये अपनी मर्यादा एवं सतगुरु की आज्ञा में रहते हुए पूरे विश्व को आध्यात्म का पाठ पढ़ा देंगे | पूरा विश्व इनकी शक्तियों को देखेगा | भारत की भूमि पर आज भी वही शक्तियाँ पैदा होती हैं जिन्होंने भारत का इतिहास रच दिया | आगे ये मेरे बच्चे भी इतिहास बनायेंगे | पूरे विश्व में भारत की शक्ति का डंका बजेगा | पूरा विश्व भारत की आध्यात्मिक शक्तियों का लोहा मानेगा |
कल्याण के लिए सत्मार्ग चुनना ही होगा | आगे जैसा तुम स्वयं के लिए उचित मानो | मेरा कार्य बताना , समझाना था | आगे का समय स्वयं बतायेगा |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ०२-०२-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चों सतगुरु के दरबार में हाजिरी लगाते रहो | इससे तुम्हारी लगन बनी रहेगी | छूटोगे नहीं , गिरोगे नहीं | तुम नहीं जानते अंतर में क्या रूहानी खेल चल रहा है | जो खेल रहे हैं वे स्वयं भी उसका भेद पूरी तरह से नहीं जानते | यह भेद सिर्फ सतगुरु ही बता सकते हैं | तुम लोग लगे रहो | धीरे-धीरे आईना साफ होता चला जायेगा | तुम लोग अभी कुछ नहीं समझ पा रहे | जब समझोगे तो पूरी तरह बोध में आ जाओगे | |
तुम्हें अब अपना काम करना है | जिस काम के लिए लाये गये हो वो अब समय आ गया है | तुम सभी को कहीं भी देखने की जरुरत नहीं सिर्फ मुझे देखो और जो कहा जाये उसे करो | अपनी बुद्धि मत चलाओ | अभी मेरे बहुत से सेवादार आगे आयेंगे | सभी मेरी सेवा का कार्य करेंगे | मैंने अपने जीवों को इस धरा पर बिखेर दिया था | मुझे पता था समय आने पर ये उठ खड़े होंगे और मेरा कार्य (विश्व स्तर पर) करेंगे | अब मेरे सारे जीव जाग रहे हैं | विश्व स्तर का कार्य भी प्रारम्भ हो चुका है | तुम बच्चों को मेरा कार्य इस प्रकार करना है कि पूरा विश्व जग जाये | तुम्हारे अंदर बहुत शक्तियाँ हैं | समय पड़ने पर तुम इसका उपयोग करोगे | पूरा विश्व भारत की आध्यात्मिक शक्ति को देखकर काँप उठेगा ||
जब जब आवश्यकता पड़ी हमारा देश वीर बालको और बालिकाओं से सुशोभित हुआ है | अतः आगे भी ऐसा ही होता रहेगा | तुम ये मत समझना कि कलयुग में इन वीर बालकों एवं बालिकाओं द्वारा भारत भूमि पर कार्य नहीं होगा | मीरा , लक्ष्मीबाई इत्यादि भी कलयुग में कार्य कर गयी तो क्या अब माताओं के गर्भ से पुनः ऐसी वीर बालायें जन्म नहीं ले सकती क्या ||
आगे चलकर तुम्हें भारत भूमि की पवित्रता का ज्ञान होगा | ईश्वरीय शक्ति आज भी भारत की भूमि पर कार्य कर रही है और समय आने पर पूर्णतया अपने बोध में आकर ऐसा कार्य कर जायेंगी कि पुनः पूरे विश्व में भारत का नाम जगमगा जायेगा ||
भारत के बच्चे और बच्चियों तुम सब मर्यादा में रहो | यही मर्यादा ही तुम्हारी असली पहचान है | विश्व के अन्य देशों में तुम्हारी मर्यादा का उदाहरण दिया जाता है | इसे खोकर तुम अपनी पहचान खो दोगे ||
समस्त विश्व में ये बात फैला दो कि भारत में आध्यात्मिक शक्तियाँ आज भी काम कर रही हैं | यदि कोई भी इस बात को नहीं मानता है तो भविष्य में उसे मुँह की खानी पड़ेगी | बहुत सारी महान आत्मायें अपने बोध में आ रही हैं और जब ये कार्य कर जायेंगी तब तुम्हें समझ आयेगा कि मैं क्या कह रहा था | भारत का परचम पूरे विश्व में लहराने वाला है | भारत की शक्तियाँ सिमट कर एक हो रही हैं | जब ये कार्य करना प्रारंभ करेंगी तब तुम सबको मेरी एक-एक बात याद आयेगी | तुम अहंकार और अभिमान में बैठे रहो लेकिन काम होने पर सबकी अकल ठिकाने आ जायेगी | यह आसान काम नहीं है | इसके बारे में बहुत से लोग जानते और मानते हैं | जो नहीं मानते वो भविष्य में मानने पर मजबूर हो जायेंगे ||
मेरी हर बात सत्य होकर रहेगी | तुम चाहे जो कर लो अब मेरे कार्य को कोई रोक नहीं सकता | न ही मेरे इन बच्चों को कोई रोक पायेगा | ये वो महान विभूतियाँ हैं जिन्होंने भारत देश में ही जन्म लिया है किन्तु इनमे वो विशेष आध्यात्मिक शक्तियाँ हैं जिनके आगे कोई टिक नहीं सकता | पूरा विश्व इन शक्तियों के आगे नतमस्तक होगा | तुम अभी सुन लो , जब मन करे तब मान लेना | मेरा कार्य तुम सब को आगाह कर देना था ||
मेरे वीर बच्चों और बच्चियों | अपने कार्य पर लगे रहो , डटे रहो | समय आने पर तुम्हें सब कुछ बता दिया जायेगा | पूरे विश्व की शक्तियों के आगे भी तुम्हारी शक्ति ज्यादा है | अपना कार्य करते चलो ||
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ३१-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
संत सतगुरु का कार्य निराला होता हैं | सब यही सोचते हैं कि यह कार्य असंभव हैं या ये कार्य नहीं हो सकता किन्तु सतगुरु मर्यादा में रहते हुऐ उस कार्य को कर देते हैं | कारण इस प्रकार के बनते हैं कि लोग इस कार्य को समय का नाम दे देते हैं किन्तु सतगुरु अपना कार्य समय से ही करते हैं और समय का चक्र सतगुरु के अधीन होता हैं |
सतगुरु के कार्य एक सुखद भविष्य का निर्माण करते हैं | जब जब धरती पर पाप या अन्य अनैतिक कार्य बढ़ जाते हैं तो ईश्वरीय अवतार धरती पर जन्म लेकर धर्म की स्थापना करते हैं | वो सत्संग के द्वारा जीवों को समझाते बुझाते हैं | जीवन में सत्य और धर्म का मार्ग प्रशस्त करते हैं | जीवों को निजघर की याद दिलाकर उनके लिये मोक्ष का मार्ग बताते हैं |
संत सदैव परमार्थ का मार्ग बताते हैं जिस पर चलकर मनुष्य कर्मबंधन से मुक्त हो, जन्म मरण के चक्कर से मुक्ति पा जाता हैं | यह सिलसिला सैकड़ों वर्षों से कलयुग में चला आ रहा हैं | संत एक निश्चित संख्या में अपने जीवों को निजधाम पहुँचाने का कार्य लेकर आते हैं | जो जीव छूट जाते हैं उनकी संभाल अगले आने वाले संत करते हैं | एक मनुष्य के लिये ये सिलसिला कई जन्मों तक चल सकता हैं जब तक वह मुक्तिधाम तक ना पहुंच जाये | यह अमोलक मनुष्य शरीर बार बार नहीं मिलता|
यह चौरासी लाख योनियों के बाद अथवा संतो की दया कृपा से मिलता हैं |
संतो की बातें सदैव गूढ़ होती हैं | उनकी बातों में भेद होता हैं जिसे एक सच्चा साधक ही अपने अनुभव से समझ पाता हैं | साधकों की संगत संत के जीव के लिये पारस के समान होती हैं | जिस प्रकार पारस लोहे को सोना बना देता हैं ठीक उसी प्रकार साधक की संगति में रहने वाला जीव संत की दया कृपा एवं साधक की मदद से अपनी जीवात्मा का कल्याण कर लेता | यह संगति जाने अनजाने भी मिल जाये तो
भी जीव का कल्याण सुनिश्चित होता हैं |
साधक ही संतो की असली पहचान कराते है | अंतर में जाने वाला जीव ही संत के असली भेद को उन्हीं की दया कृपा से जान समझ पाता हैं | साधकों की संगति जीव को संसार और परमार्थ में गिरने से बचा लेती हैं और हर पल उसकी आंतरिक चढ़ाई में सतगुरु की दया लेकर मदद भी कर देती हैं |
जब जीव को संत सतगुरु की आतंरिक दया का बोध होता है तो वह अत्यंत प्रसन्न होता है और पुनः अन्य जीवों के लिये मदद एवं प्रेरणा का स्त्रोत बन जाता है |
सतगुरु की दया के बिना परमार्थ में एक पल भी ठहर पाना संभव नहीं | सतगुरु की दया प्राप्त करने के लिये समर्पण का भाव अतिआवश्यक है | समर्पण के भाव के साथ जब जीव सतगुरु प्राप्ति की इच्छा करता है तो वह मालिक प्रसन्न होकर उसका रास्ता खोल देता है | उसे हर प्रकार से परमार्थ के मार्ग पर चलने में मदद देता है | संसार में उसका संयोग साधकों से करवाकर वाह्य जगत के झंझटों से बचे रहने के लिये सदबुद्धि एवं मार्ग देता है |
जीव की लगन, सेवा, भाव , भक्ति , तड़प , विरहवेदना ये सब सतगुरु की दया कृपा का आधार होते हैं | परन्तु इन सबसे पूर्व जीव की इच्छा होती है | जब जीव की इच्छा जागृत होती है तभी शेष भाव उसे मदद कर सकते हैं |
|| भाव का भूखा सतगुरु बैठा , मांगे नहीं तोरा धन मान
भूत भविष्य का ज्ञाता वो तो , सतगुरु ऊँचा पद ये जान
बिन सतगुरु दया कृपा मिले , जाने न तू खुद की कोई पहिचान
जिस दिन जायेगा जग को छोड़ के , मान न तेरा कोई सम्मान
मनुज तन छोड़ जाये चौरासी , वहीं बसेगा तेरा डेरा वही तेरी पहिचान
बिन सतगुरु तू मुक्ति न पइहो , जन्म मरण में घूमत रहो अजान
सतगुरु शब्द जो कान पड़े तो , मूरख बने सुजान
अपना भेद बताये वो तोहे , तुझे ले चले अंतर धाम
सूरत उड़े जब गगन माहि तब , समझे तू सतगुरु ज्ञान
अंतर बोध न जब तक पइहो , मूरख ही रहे बुद्धिमान
बिन सतगुरु दया कृपा के , बुद्धि न होव सुजान
मान अब ले सतगुरु की मान ||

बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :१/०२/२०१५ रात्रि :१२:३७


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बच्चियों को मेरा सतगुरु जयगुरुदेव :
मेरे बड़ेला दरबार में मंदिर बनाये जा रहें है ,कारीगर लगे हुए है तरासने में | बच्चे इसी तरह अंतर में रूहानी कारीगर लगे हुए है |अंतर में चेतन मंदिर बनाये जा रहें है |अंतरघट में जौहरी लगे हुयें हैं तरासने में |बच्चे अंतर का जौहर बाहर आने वाला है |अंतर बाहर सब एकरस होकर काम करना है |अब सब लोग जल्दी से तैयार हो जावो |तुम्हारा सतगुरु विह्वल होकर पुकार रहा है |उसके ब्याकुलता की घड़ियां बढ़ रही है |अब देर मत करो |अब अपने सतगुरु से अपनी गढ़त करवा लो |अपने अंतर गुनाहों की मांफी करवा लो |अभी तो तुम्हे बहुत काम करना है |तुमको डर किस बात का ,तुम्हारा समरथ सतगुरु साथ-२ है |अरे बच्चे बच्चियों तुम सब तो मेरे वो बच्चे हो जो करोङो जन्मो से बेजान हुयी ,भटकती रूहुँ में जान डाल दोगे |मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चो को देखकर पढ़ पौथे ,पशुपक्षी भी अपनी अचेतन अवस्था को छोड़कर चेतनता में आ जाएंगे |ये मेरी रूहानी गढ़त से बनाये गए बच्चे अपने आप में बेजोड़ हैं |इनके जैसा यहाँ कोई है ही नहीं ,जिससे इनकी बराबरी की जाय |बच्चे तुम सब मेरे काम में लगे रहो |मै भी दिन रात तुम सबके काम में लगा रहता हूँ |बच्चे तुम्हारे सतगुरु जबसे वहां से आये हैं ,बस एक काम जीव जागरण का कर रहे है और करवा रहें है |बच्चे हमेशा से सतगुरु यहाँ रहे है ,रहते आयें हैं |बच्चे ये भारत भूमि वीरों और वीरांगनावों कुर्बानी लहू से हमेसा नहाती आई है और आज भी अपने आँचल में छीपाये माँओं से वीर बालक एवं वीर बालाओं की याचना कर रही है | बच्चे बच्चियों कुदरत की कराह पुकार सुनकर अपने -२ बच्चे बच्चियों को बड़ेला सरकार सतगुरु जयगुरुदेव की गोद के हवाले कर दीजिये |
कर चले हम फ़िदा जाने तन सत साथियों ,
अब तो सतगुरु जयगुरुदेव के हवाले सत साथियों |
साँस थमती रहे नब्ज रूकती रहे ,
लाहु अब किसी का गिरने न देंगे हम साथियों |
कारवां सतगुरु का अब निरंतर चलता रहे |
सतगुरु की दया धार का स्रोत अब तो निरंतर बहता रहे |
कर चले हम फ़िदा जाने तन सत साथियों |
मिन्नत (कसमे) हमने खायी सतगुरु के बड़ेला दरबार में |
सतगुरु जयगुरुदेव के हवाले करेंगे ,कर्म और धर्म साथियों |
कर चले हम फ़िदा जाने तन सत साथियों |
सबने अब कोई देव भी आ जाए तो क्या |
सतगुरु जयगुरुदेव का सतयुगी झंडा तिरंगा हिमालय
पर हम सब लहराते चले |
कर चले हम फ़िदा जाने तन सत साथियों |
जब तलक न हिमालय की बुलंदियों से सतगुरु जयगुरुदेव
की आवाज आने लगे |
तब तलक न बैठेंगे हम सत साथियों |
अब तुम्हारे हवाले ये तन सत साथियों |
कर चले हम फ़िदा जाने तन सत साथियों ,
बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: ३०-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चे और बच्चियों शुभ आशीर्वाद | मेरे बच्चे और बच्चियों मेरे काम को लगकर तल्लीनता के साथ कर डालो | ये काम ही तुम्हारा पहचान है | तुम इसलिए लाये गये हो | अपने बोध में आओ | किसी भी प्रकार अभाव न आने दो | तुम्हारे अंदर बैठा हुआ सतगुरु का अंश तुम्हें पुकार रहा है | उसे समझ कर पूरे बोध में आ जाओ |
सुरत और स्वामी जब एक हो जाते हैं तो वह अत्यंत शुभ घड़ी होती है जिसका स्वयं सतगुरु भी इंतजार करते हैं | उन्हें (उस स्वामी को) भी अपने सुरत से अत्यंत प्रेम होता है और इसी प्रेमवश सतगुरु मनुष्य स्वरुप में आकर अपनी सोयी हुई जीवात्माओं को जगाते हैं |v जब जीवात्माये जग कर अपने बोध में आती हैं तब संत सतगुरु उन्हें उनके धाम का बोध कराते हैं और ये सुरतें जगत के बंधन को छोड़कर अपने असली स्वामी के पास उन्हीं के साथ जाने के लिए तैयार हो जाती हैं | कई जन्मों के अथक मेहनत के बाद जीवात्मा अपने असली स्वामी और अपने सच्चे घर की पहचान करती है | इसके लिए संत सतगुरु जीवात्मा की कई जन्मों तक संसारी और परमार्थी संभाल करते हैं |
सुरत अपना सच्चा भेद जानकर अपने स्वामी, अपने प्रभु के लिए तड़पती है | उसे इस संसार में कुछ भी अच्छा नहीं लगता है | हर वक़्त बस सतगुरु की ही लगन लगी रहती है | वे हर जगह अपने सतगुरु को ही पाना चाहती हैं |
यह बिल्कुल उसी प्रकार है जैसे गोपियाँ कृष्ण के प्रेम में तड़प रही थी और किसी भी प्रकार से कृष्ण के अलावा कुछ और उन्हें नहीं भा रहा था |
जब सुरत का सतगुरु के प्रति ऐसा तड़प भाव जागृत हो जाता है तो सुरत पिया मिलन के लिए अपने स्वामी की ओर चल पड़ती है | सतगुरु से मिलकर वो उन्हीं में विलीन हो जाना चाहती है |
जब सुरत सतगुरु से मिलकर एक हो जाती है तो उसे पूर्ण तृप्ति होती है | जिस प्रकार एक बूंद जल सागर में मिलकर सागर ही बन जाता है उसी प्रकार सुरत सतगुरु में मिलकर सतगुरुमय हो जाती है |
उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं रहता और वो स्वयं सतगुरु ही बन जाती है | इसे ही सुरत का सुहागन होना कहा गया है |
सुरत सुहागिन होकर उस मालिक में घुलमिल जाती है | सुरतों का अवतरण भी सतगुरु से ही हुआ था और पुनः उन्हीं में मिलकर वो पूर्ण हो जाती हैं | इसे समाधी भी कहते हैं | इसके बाद कोई और प्राप्ति शेष नहीं रह जाती |
सुरत और सतगुरु का मिलन ही इस मनुष्य जीवन का उद्देश्य होता है जिसे कोई-कोई सुरत ही सतगुरु की दया कृपा से प्राप्त कर पाती है |

सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : ३१/०१/२०१५ प्रातः ३:२२


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बोलो प्रेमियों सतगुरु जयगुरुदेव :
ये माँ की गोद में पलने वाले बच्चे नहीं है | ये कुदरत की गोद में खिलखिला रहें हैं | इनकी किलकारियां दिग दिगंत में गूँज रही है | दिग दिगंत को अपनी किलकारियों से महकाने के लिए बेताब है | इनकी बुलंद और नैसर्गिक आवाज , सुनने के लिए , देवी , देवता भी आ रहें है ,बड़ेला मंदिर पर | अब वो पुनीत घडी करीब आ गयी है की , ये बच्चे मशीहा बनकर , सब के दिलों में बसने जा रहें है , बसने वालें है | इनकी अनछुई तरंगें अब लहर बनकर फ़ैल रही हैं | ये सब सतगुरु जयगुरुदेव और सतगुरु जयगुरुदेव बड़ेला मंदिर का रहस्मयी कुदरती करिश्मा है | यहां सतगुरु कुल मालिक अनामा महाप्रभु अपने बच्चो की गढ़त स्वयं करता है ,कर रहा है | अति शीग्र जितनी जल्दी हो सके , बड़ेला मंदिर में पहुँच कर अनामा महाप्रभु के बच्चों का दर्शन करो | इन बच्चो से मिल लीजिये , खुद बा खुद होश आ जाएगा | अब देर मत करो , वैसे ही बहुत देर हो चुकी है | अपना , अपने गांव परिवार , घर देश का कल्याण हो तो आ जावो | मुल्क-२ के कौम -२ के देश , विदेश के लोग आ जावो | सतगुरु जयगुरुदेव बड़ेला मंदिर , कुल मालिक स्वयं आवाज दे कर बुला रहा है | घर बार ,जगत जंजाल छोड़कर मालिक से मिलने के लिए चल पड़ो| अपने घर बार की चिंता छोड़कर बड़ेला सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर सतगुरु द्वार के लिए चल पड़ो |
छोडो भेष भवन लेश ,तन मन इंद्री यह प्रदेश |
सतगुरु दया मिला यह बदला सतगुरु देश |
सतगुरु को मैं करूँ अदेश,सतगुरु जी मेरे धनि धनेश |
सतगुरु मेरे अपार हैं ,अपरम्पार सुरतों के स्वामी हैं |जो इस समय सतगुरु बड़ेला धाम में विराज रहे है |
इस महिमा मंडित सतगुरु की महिमा का पूर्ण रूप से वर्णन कोई नही कर सकता और ना ही इनके रहस्यों को कोई जान सकता है ,न समझ सकता है |जितना जनाएंगे ,समझायेंगे ,समझने की क्षमता देंगे उतना ही समझ में आएगा |उसके आगे और पीछे का किसी को कुछ पता नहीं है |आगे क्या होने वाला है ,पीछे क्या बीत चुका है |तुम सब सतगुरु चरणो के भिखारी बनो ,मिन्नत करो | मेरे अनोखे सतगुरु बड़ेला सरकार ,हमसब तेरे द्वार पर आन खड़े |
मेरे मिन्नत सुनो बड़ेला सरकार ,मुझे लेहु सम्भार ,तेरे द्वार आन पड़ा |
मेरे अनोखे सतगुरु बड़ेला सरकार ,हमसब तेरे द्वार पर आन खड़े |
तुम्हारे द्वार के सिवा दिखे न दूजा कोई द्वार,मुझे अब लेहु बचाय
मेरे मिन्नत सुनो बड़ेला सरकार |
मेरे अनोखे सतगुरु बड़ेला सरकार ,हमसब तेरे द्वार पर आन खड़े |
मेरी अर्जी का अब करो ख्याल ,तेरी मर्जी से बड़ेला दरबार आन पड़ा |
मेरे अनोखे सतगुरु बड़ेला सरकार ,हमसब तेरे द्वार पर आन खड़े |
मेरी हिये की सुनकर करुण पुकार ,मेरे अंतर्घट अब देहु उघार |
अब तेरे बड़ेला दरबार आन पड़ा |
मेरे अनोखे सतगुरु बड़ेला सरकार ,हमसब तेरे द्वार पर आन खड़े |
सतगुरु से क्षमा मांगते रहो ,सतगुरु से मिलकर सतगुरु मय बनने की कोशिश करो |सतगुरु को अंतर से पहचानो ,बाहर से कुछ भी नहीं है |सतगुरु स्वामी का सारा पसारा दिव्य रूहानी खेल अंतर का है |
इसको धीरे-२ समझो ,चेतन से मिलकर चेतन बनो |उस परम कल्याणमयी चेतना में लय हो जावो |
मैं को भूल जावो |
मैं पन सब तुममे खो जावे |
अंतर का मल सब धो जावे |
जीवन परम दिव्य अमृतमय हो जावे |
चेतनंता तुम्ही में लय होव |
सतगुरु जयगुरुदेव तुम्हारी जय होवे|
बड़ेला सरकार तुम्हारी जय होवे |
सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २९-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
परम पूज्य स्वामी जी महाराज की असीम दया कृपा से उनके जीवों को नामदान मिला और उस नामधन की कृपा से उन्होंने जीवों को आंतरिक दया प्रदान की |
उन्होंने जीवों को अंतर का बोध और अंतर का ज्ञान दिया और बताया कि नाम डोर पकड़ कर अंतर में चलना, मैं मिलूँगा | जो साधक थे वो अंतर में मालिक से मिला करते थे | यहाँ तक भी कहा कि मरते समय ‘जयगुरुदेव’ नाम बोलना " मैं " (नामधन देने वाला) मिलूँगा |
(सतगुरु के शब्दों में-)
जब जयगुरुदेव नाम पर लोगों ने दुकानें लगा ली तो मैंने (सतगुरु ने) सचखंड से आये हुए नाम में सतयुगी पावर दी और और उस सचखंड के नाम को जोड़कर "सतगुरु जयगुरुदेव " नाम को जगाया | जो मेरे बच्चे अंतर में मुझसे मिलेंगे वही इस भेद को जान सकते हैं क्योंकि वही मेरी सच्ची संगत होगी | बाकी सब भूसे के उस ढेर के सामान हैं जिसमे गेहूं के कुछ दाने छिटक के चले गए और भूसे में मिल गए | मैं उन जीवों को निकाल लूंगा, यदि उन्होंने मेरी आस रखी तो नहीं तो भेड़ चाल चलते हुए वो भी अन्य लोगों की भांतिअपना रास्ता स्वयं चुनेंगे |
जब जीवों को पुकारा तो मेरे सच्चे जीव जो मुझपर पूर्ण विश्वास रखते थे , मुझ तक पहुँच गये और कुछ जीव जो भ्रम और अभिमान में बैठे थे वो मुझे निजधाम गया मान लिये | ऐसे जीवों ने मुझे कभी समरथ नहीं जाना सिर्फ एक साधारण बाबा समझा तो- जिसकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तिन तैसी , ऐसे लोगो की हर प्रकार की आंतरिक दया बंद हो गयी |
जिन्हें मुझ पर भरोसा था उन्होंने मुझसे अंतर में मिल मेरे भेद को जाना | ये जीव ही मेरी सच्ची संगत हैं जिन्हें छँटनी के बाद सतयुगी संगत बनना है | शेष जो जीव अहंकार और भ्रम की बलि चढ़ गये और बार-बार समझाने और संदेश देने के बाद भी अपने घमंड में बैठे रहे , ये अपनी संगति के फलस्वरुप अपना मार्ग तय करेंगे | संगत में इनका स्थान नये जीवों ने ले लिया है जो इस समय मेरे जगाये एक नाम “सतगुरु जयगुरुदेव” से साधन कर आंतरिक दया ले रहे हैं | समय आने पर इन्हें नामदान मिल जायेगा |
मेरी सच्ची संगत अब मेरे सतयुगी संगत के नीचे खड़ी होगी और मेरे अंतर बाहर हर प्रकार से संग होगी | मेरे सभी सतयुगी जीव सिर्फ मेरे साथ होंगे | उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं कि बाकि कहाँ जा रहे हैं और क्या कर रहे हैं |
मेरे सन्देशों को मेरे जीव सुनेगे तो दौड़े चले आयेंगे और जो अहंकारवश छूट जायेंगे , वे अपना भाग्य खुद सँवारेंगे | मेरी गिनती तो हर हाल में पूरी होकर रहेगी | तुम नहीं कोई और सही |
मंदिर का जागृत देवता सोया नहीं , बड़ेला मंदिर में अब भी जाग रहा है और रूहानी दौलत बाँट रहा है | जब तुम्हें इस दौलत को पाना हो तो मेरे अखंड मंदिर बड़ेला चले आना | समय रहा तो तुम्हारा काम हो जायेगा |
मेरे अपने बच्चे मेरा कार्य कर रहे हैं | वे यही बच्चे हैं जिनके बारे में मैंने बता दिया था | अब ये जाग रहे हैं , बोध में आ रहे हैं | जब ये काम कर जायेंगे तब सबकी समझ में आ जायेगा | मेरे काम को कोई रोक नहीं सकता | इनमें दिव्य शक्ति है जो हर असंभव कार्य भी कर सकती है | विश्व के लोग इसी दिव्य शक्ति को नमन करेंगे और भारत की आध्यात्मिक शक्ति के आगे घुटने टेक देंगे |
भारत विश्व गुरु बन कर रहेगा |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 30/01/2015


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बच्चियों बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
दिनाक : 09/12/2014 समय : सुबह : 10:00
बच्चे , सतगुरु जयगुरुदेव
वचनो का खंडन मत करो | बवाल बाजी में उलझो नहीं | बहज बाजी मत करो |
||हरित भूमि (त्रिनशंकुल), समझ परत नहीं पंत ||
||जिन पाखंड विवाद से, लुप्त भये सब ग्रन्ध ||
(इतनी वाणी लिखवा सतगुरु ने वाणी को विराम दे दिया | सतगुरु जयगुरुदेव नहीं कहे तो पूरा नहीं हुआ | 30\ १ \१५ को पुन: साधना में जब यही पक्तियाः सूनी तो तुरंत बोध हो गया उनको की इस दिन साधना में यह पूरा नहीं हुआ था स्वामी जी से पूछी तो सतगुरु ने कहाँ की इसके आगे से लिखो )
दिनाक : ३०/०१/2015 समय : सुबह ७: ५५
बच्चे तुम्हारी बवाल बाजी की वजह से बड़ेला मंदिर के सारे (ग्रन्थ ) रहस्य मैंने गुप्त कर दिए है | मेरे बड़ेला मंदिर की भूमि इतनी रूहानी है, इतनी हरित है, इस भूमि पर रूहे पैदा होती है | जन्म लेती है | यहाँ मंदिर बनते नहीं बनाये जाते है | यहाँ मंदिर ऊपर से आते है , आये है | इसका रहस्य ,इसका भेद विधाता भी नहीं जानता | यह उसके लेखे में नहीं है | इसका भेद सतगुरु जब बताएगा तब ही पता चलेगा |
मेरे रूहानी बडेला मंदिर और मेरे रूहानी बड़ेला मंदिर के बच्चो के प्रति जैसी जिसकी सोच होगी, वैसी ही उसको फल मिलेगा | इसलिए मेरा बड़ेला मंदिर और मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चो के प्रति अपनी सोच को सही बना लो |
जाकी रही भावना जैसे बड़ेला प्रभु मंदिर देखी तीन तैसे
सतगुरु जयगुरुदेव पर जिही कर परम सत्य सनेहु
सतगुरु जयगुरुदेव तेही मिले न कछु सन्देहुँ
सतगुरु जयगुरुदेव अखंड ,सतगुरु जयगुरुदेव कथा अखंडा |
कहत सुनत बहु विधि सब संता |
इनकी सेवा भावना इनकी सतगुरु भक्ति को देखो और समझो इनके कार्यो को देखो कैसे करते है कैसे कर रहे है |
|| सतगुरु बड़ेला मंदिर प्रचार प्रसार का रहे ध्यान इतना
सतगुरु सन्देश बिन धरा का कोई कोना छूट न पाये हम से
इनसे सच्ची सतगुरु भक्ति की सीख मिलेगी
यह ऊपर से जो दिखते है अंदर से कुछ और है | इनके अंतर के रहस्य और इनकी अंतरी सतगुरुमई लीला कहन मन्नन से दूर है | वही सतगुरु जयगुरुदेव इनके अंदर भरपूर रूप से विराज रहा है | जिनको सब लोग बहार खोज रहे है |
अरे बच्चे बच्चियों सतगुरु का दिया हुआ मेरा सब अंतर का है | अंतर खोज करते तो उसकी अंतरी रूहानी पहचान मिलती | अब बहार भटकना बंद करके अंतर में सतगुरु के दरवाजे पर बैठ करके पुकारो सतगुरु बोलेगा | और उसकी आवाज को सुनो | बहार से विमुख होकर | ऐसे भटकने से कुछ मिलने वाला नहीं है | अब आंतरी आवाज लगाने का समय है | अंतर में पुकारो सतगुरु जरूर सुनेगा | और इच्छा अनुसार, कर्मा अनुसार, मदद भी करेगा | अब देर मत करो | सब अपने साधन करो | मालिक की रहमत सबको मिलेगी | वो महाप्रभु किसी एक का नहीं है , वह सबका है | सबका मालिक है
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २८-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
वो प्रभु अनाम अरूप और अविनाशी है | वो न तो जन्मता मरता है और न कोई उसे जानता है | वह अपना भेद स्वयं बताता है |
जब उस महाप्रभु की कृपा होती है तो अपनी जीवात्माओ से मिलने और उन्हें अपना भेद देने के लिए वह मनुष्य शरीर धारण करता है | इस मानव पोल पर रहते हुये वो हर प्रकार से मर्यादा का पालन करता है | मर्यादा के परे कार्य भी इस प्रकार सीमा में रहकर वो प्रभु करता है कि उसके अपने सच्चे जीव ही उसका बोध कर पाते हैं | ये बोध करने वाले जीव भी साधारण नहीं होते | ये वो अवतारी शक्तियाँ होती हैं जो उस महाप्रभु की आज्ञा और इच्छा से इस भूमिमंडल पर अवतरित होती हैं | जब ये अपने बोध में आती हैं तो उस महाप्रभु के कार्यो में सहयोग प्रदान करती हैं | वो महाप्रभु अपने कार्यो को इन्हीं अवतारी शक्तियों द्वारा संपादित कराते हैं | ये अवतारी शक्तियाँ उस महाप्रभु के प्रेम में दीवानी रहती हैं और सतगुरु (महाप्रभु) के एक इशारे पे सबकुछ लुटाने को तैयार रहती हैं |
( सतगुरु के शब्दों में -) मैंने पहले ही बताया था कि आगे चलकर नये लोग सामने आयेंगे |
ये मेरे बच्चे इनमें बहुत शक्ति हैं |
समय आने पर इन्हें इनका बोध होगा |
इनकी शक्तियों को बस थोड़ा उभारना है |
अब मेरे यही बच्चे बोध में आ रहे हैं | ये हर प्रकार से सक्षम हैं | तुम इन्हें कम समझने की भूल कभी मत करना | इनके कार्यो को देखकर तुम्हारी बुद्धि फेल हो जायेगी | तुम सब स्तब्ध रह जाओगे | पूरा विश्व इनके कार्यो को देखेगा | अभी तो थोड़ा समय है | ये जब पूर्णतया तैयार हो जायेंगे तो इनके आगे कोई टिक नहीं पायेगा |
मेरे कार्यो के पूरा होने के बाद इन बच्चों को पूरा विश्व जानेगा | ये मेरे बच्चे ही मेरी असली पहचान हैं | ये पूरे विश्व में मेरे जगाये “सतगुरु जयगुरुदेव ” नाम का डंका बजा देंगे | इस नाम को पूरा विश्व जानेगा और मानेगा |
मुझे गर्व है अपने इन बच्चों पर जो सतगुरु सेवा में नाम अमर कर जायेंगे | अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से पूरे विश्व का कठिन समय में बचाव करेंगे | ये भारत के वीर पुत्र एवं वीरांगनाओं में से हैं जो भारत की भूमि पर आध्यात्मिक प्रचार प्रसार के साथ-साथ वो आध्यात्मिक कार्य करेंगे जो इनकी पहचान बतायेगा |
मेरी आवाज को सुनकर मेरे बच्चे तत्क्षण खड़े हो जायेंगे और अपने कार्यो को सतगुरु (महाप्रभु) की दया कृपा से कर जायेंगे |
मनमोहक मेरी मोहिनी छाया ये मेरे बच्चे हैं | आध्यात्मिक शक्तियों से भरपूर ये बच्चे मेरे शक्तियों का प्रारूप हैं | जब सम्पूर्ण विश्व जल रहा होगा तो ये मेरे बच्चे रक्षा बचाव कार्य करेंगे | अभी तुम्हें इनकी शक्तियों का अंदाजा नहीं है |
मेरे सभी सतयुगी बच्चों को मेरा सतगुरु जयगुरुदेव |


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २८/०१/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बच्चियों बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
मेरे जितने नामदानी जीव है | जिनको तुम सबके ,सतगुरु जयगुरुदेव ने नामदान दिया है | वो सब मेरे जीव बड़ेला मंदिर में अति शीघ , जितनी जल्दी हो सके आ जाये | उन सब को चेतावनी देते हुए बता दो ये मेरे आखिरी सन्देश मेरे पुराने नामदानी जीवो के लिए है |
यह मेरे बड़ेला मंदिर के आल राउंडर बच्चे , पूरी देश दुनिया को सतगुरु जयगुरुदेव की फैलाई हुई अनामी धाम तक की फौलादी चादर के नीचे ले आयेगे | उस फौलादी चादर के नीचे आने वालो का बाल बांका नहीं होगा | विदेश के लोग भी यहाँ के लोगो की तरह जमीन पर बैठ कर साधन करेंगे और अपनी तीसरी आँख खोलेंगे | सब एक धर्म सतगुरु जयगुरुदेव को मानेगे | सबका एक रूहानी सतयुगी झंडा सतगुरु जयगुरुदेव होगा | इस झंडे के नीचे आने वालो की लाइन लग जाएगी | यह मेरे सतयुगी बच्चे द्रिव्य अलौकिक मिसाल बनेगे | पूरी दुनियाँ को चैलेंज करेंगे |
ये खेती, दूकान ,दफ्तर जहाँ भी रहेंगे | ये जिस दिन काम नहीं करेंगे उस दिन का वेतन ये सरकारी कोष में जमा कर देंगे | खेती वाले उतना ही अन्न अपने घर में रखेंगे जितनी जरूरत है | बाकी का अन्न गरीबो या सरकारी अन्न कोष में जमा कर देंगे | दूकानदार भी एक पैसे की हेरा फैरी नहीं करेंगे |
सब योग करेंगे | सब नियम से ध्यान भजन करेंगे | शुभ कर्मो की एवं भगवत भजन की होड़ लग जाएगी | यह सतगुरु जयगुरुदेव के नूर है | जौहर है | इनकी बराबरी कोई नहीं कर पायेगा | यह अपने सतगुरु के सिवा और अपने बड़ेला मंदिर के सिवा कहीं झुकेंगे नहीं | यह मेरे बड़ेला मंदिर और सतगुरु जयगुरुदेव का प्रचार प्रसार करने विदेशो में जा रहे है | इनकी रूहानी धार वहाँ भी बह रही है , चल रही है | बच्चे सब तरफ चेतावनी देते हुए अपने सन्देश दे दो / बोध करा दो | अपने कुल मालिक, अखंड अमर सतगुरु जयगुरुदेव , अपने मंदिर की रूहानी रहसयमयी लीला बता दो |
"आये न आये जाने भाग्य उनका , सुनते तो जाओ सन्देश सतगुरु का "
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २७-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को अंतर में बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
यह सारा जग का पसारा फैलाया गया है ताकि जीव इसमें फँसकर कभी भी इससे बाहर न निकल पाये | लेकिन वो प्रभु वो मालिक अपनी जीवात्माओं से अत्यधिक प्रेम करता है और चाहता है कि उनकी जीवात्माये (जीव) उनके पास वापस आ जायें | वह मालिक मनुष्य शरीर धारण करके अपने जीवों को समझाता बुझाता है , अपने घर की याद दिलाता है | वो प्रभु दयावान है और अपने जीवों पर निरंतर दया करता है | उसकी दया मेहर से जीव अंतर का ज्ञान प्राप्त कर अपना निज भेद जान पाते हैं | अपने निरंतर प्रयास एवं सतगुरु की दया मेहर से जीव अंतर के पथ पर चल अपने धाम पहुँच जाता है | यही संत सतगुरु (प्रभु) के मनुष्य शरीर में आने का ध्येय होता है | वह देश यहाँ से बहुत दूर है किन्तु उस पथ पर चलने वाला जीव यदि इच्छा रखे एवं प्रयास करता रहे तो एक न एक दिन वो सतगुरु की दया कृपा से निजधाम पहुँच जाता है |
वो संत सतगुरु उस जीव का आजीवन ध्यान रखते हुये पल-पल उसकी संभाल करते हैं | किन्तु यदि जीव की निजधाम जाने की इक्छा बीच में ही समाप्त हो जाये तो सतगुरु उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी मदद नहीं कर पाते | संत सतगुरु परमार्थ और संसार दोनों में हीं दया प्रदान करते हैं | अपने जीव को संसार में भी उतना ही देते हैं जितना उसे संसार में रहने मात्र के लिए आवश्यक हो और जीव की इच्छा परमार्थ में बनी रहे | इस कार्य के लिए संत सतगुरु इतनी मेहनत करते हैं कि उस जीव के कई जन्म बीत जाते हैं | कई जन्मों के अथक प्रयास के बाद जीव परमार्थ के मार्ग पर चलने के लायक बन पाता है | जब जीव परमार्थ के पथ पर चलकर अंतर में सतगुरु का जलवा देखता है तब उसे अहसास होता है कि वो अब तक जग में भटक रहा था | अब जीव का सतगुरु के प्रति प्रेम, भाव और सतगुरु के प्रति कृतज्ञता बढ़ जाती है जो जीव के परमार्थी मार्ग में मददगार होती है | जीव हरपल सतगुरु के प्रति दीवाना हो उनकी चर्चा और उन्हीं की महिमा का गुणगान करता है | सतगुरु की वास्तविक दया का भेद कोई साधक ही जानता है और वही उनके संकेतो को समझ सही रूप में उनकी महिमा का बखान करता है | ऐसा साधक अन्य जीवों की मदद कर सतगुरु की सेवा का कार्य करता है |
सतगुरु ऐसे जीवों से प्रसन्न हो उन्हें रूहानी दौलत से मालामाल कर देते हैं |
जीव हर प्रकार से सतगुरु की दया कृपा प्राप्त करते हुये अपना पूर्ण कल्याण कर लेता है | इस जग में रहते हुये भी सतगुरु की दया से यहाँ उलझता नहीं , संसारी कार्यो में लिप्त नहीं रहता | वह अपनी पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुये अपने धाम को प्राप्त करता है | यह संत सतगुरु के अथक परिश्रम एवं उन्हीं के दया से सम्भव हो पाता है |
|| जब लगि दया सतगुरु की न मिलिहें
मान बड़ाई जग फाँस न छुटिहें
इधर उधर भटकत फ़िरिहै सब
जाने न भेद सतगुरु का दुर्लभ
सतगुरु आये अगम धाम से
लोक अनामी उनका डेरा
तुम्हें ले चले वो सब समुझाय
जानु दया कृपा उनकी पाय
संग चले वो लेकर तुमको
जग की फ़ांस डरि वो हटाय
जुग-जुग मानो कृपा उन्हीं की
जो तुम नामदान उन्हीं से पाय
नाम खजाना देकर तुमको
दया देत वो करे निहाल
दया कृपा से तुम्हें सजाकर
ले जायें वो अपने धाम ||
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २७/०१/२०१५ सायंकाल:६:०७


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बोलो सब मिलकर सतगुरु जयगुरुदेव :
बड़ेला मंदिर की वीरांगनावों अब तुम्हारे जौहर दिखाने का समय आ गया हैं | तुम्हारे जौहर की वीर गाथाएं आदि काल से अमर है | तुम सब मिलकर , इन बच्चों को सतगुरु भक्ति का , ऐसा दिव्य पाठ पढ़ा दो | ऐसा दिव्य तेज , सतगुरु जयगुरुदेव का भर दो कि ये रणबांकुरे पूरी देश दुनिया को झकझोर के रख दें | मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चे गर्भ में पलने वाले शिशु नहीं हैं | ये मेरी औतारी अमर शक्तियां हैं | ये उपर से उमड़ते बादलों कि तरह , पूरी देश दुनियां में छाने जा रहे है | यही मेरे औतारी बच्चे , मेघों पर नित्य आरुण होकर वर्षा करेंगें ये तेजस्वी एवं आकर्षित ब्यक्तित्व से भरपूर , इनके मुख मंडल की तेजस्वी आभा के सामने आने की किसी की हिम्मत नहीं होगी | ये मेरे होनहार बच्चे पूरे विश्व का भ्रमण करेंगे , पूरे देश दुनिया को सतगुरु जयगुरुदेव का पाठ पढ़ाएंगे , सिखाएंगे | सतगुरु भक्ति की महिमा गायेंगें और गा गा कर दुनियां को झंकृत करेंगे | इनकी आवाज को सुनकर अपने आपको बड़ेला मंदिर के देवता को सौंप दो | वो रहनुमा सतगुरु जयगुरुदेव तुम सब की परवरिश एवं संभाल करेगा | चलो-२ जल्दी करों , अब समय नहीं है | सतगुरु के बड़ेला दरबार में पहुंचकर , सतगुरु की नामावली सूचि में नाम लिखवा लो | नहीं तो बाद में प्रायश्चित करने पर कोई सुनने वाला नहीं मिलेगा|
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २६/०१/२०१५ दोपहर:१:३८


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चे दिन रात अपने सतगुरु के कदमो के पद चाप सुनने के लिए अधीर हो जावो |मालिक से मिलने के लिए अधीर हो जावो |वीरता और अधीरता ,यही वीरों वीरांगनाओं का अमूल्य गहना है |
वीर तुम सब बढ़ते चलो
वीरांगनाओं तुम सब बढ़ते चलो |
समय की पुकार है , सतगुरु जयगुरुदेव की गुहार है ,ललकार है |
बड़ेला मंदिर के सिवा कहीं रुको नहीं |
बड़ेला / सतगुरु जयगुरुदेव चरण के सिवा कहीं झुको नहीं |
बच्चे अपने सतगुरु जयगुरुदेव के एक एक शब्द को याद करते रहो |
--> कड़ी से लड़ी पिरोते चलो ,रहो |
--> सबको आगाह कर दो , मेरी सतयुगी आवाज सुना दो |
--> सतगुरु जी बुला रहे है बड़ेला मंदिर में.
-->सतगुरु जी बुला रहे है घट घट में |
--> अंतर घट बड़ेला मंदिर है , अंतर में बुला रहे है |
--> सतगुरु जयगुरुदेव जी अंतर का भेद बताते है और अंतर में मिलते है |
मोको बहार क्या खोजे , मै तो तेरे पास |
सतगुरु अंतरघाट पर ही दया करता है | बाहर कुछ नहीं | बाहर का राज्य बाहर है | अंदर का साम्राज्य सतगुरु का है | तुम्हारे सतगुरु जयगुरुदेव का है | जिसका रास्ता अंतर से ही गया है | अपने सतगुरु के रूहानी साम्राज्य में प्रवेश करो और अंदर अपने सतगुरु का रूहानी जल्वा देखो ,बाहर कुछ नहीं मिलेगा | बाहर की खोज करते करते युग बीत जायेंगें , कुछ नहीं मिलेगा , अंतर में चलो , सतगुरु समरथ का साथ ले लो संभाल हो जाएगी |
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २७-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
इस जगत में कोई किसी का नहीं है | कभी कोई समय ऐसा भी आ जाता है जब घर-परिवार के लोग साथ देने से इंकार कर देते हैं | ऐसे में लोग ईश्वर को याद करते हैं और उस समय में कारण को जानना चाहते हैं | ऐसा समय किसी ना किसी पर कभी ना कभी अवश्य आता है | वो ईश्वर तुम्हें अपनी शक्ति को समझाना चाहता है | जो उसकी शक्ति को नकार कर इस समय जीवन का आनंद ले रहे हैं वो भी ऐसे समय में जरुर आयेंगे |
“ सतगुरु जयगुरुदेव ” नाम उस महाप्रभु का है | वो हाजिर-नाजिर है | यह वक़्त का जागृत नाम है | इस नाम से सभी इंसानों की मदद हो जाएगी |
इन्सान उसे कहते है जो मनुष्य शरीर में रहकर इस शरीर की मर्यादा का पूरा-पूरा पालन करता है | यह मनुष्य शरीर मांस खाने के लिए नहीं बनाया गया है | जो मनुष्य मांस भक्षण करते हैं वे इन्सान कहलाने के योग्य नही | जिसने दूसरों का क़त्ल किया हो, ऐसा मनुष्य इन्सान नहीं होता | तो वो महाप्रभु इंसानों और जीवों पर दया करता है | मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बनाया गया है | यह शरीर प्रभु प्राप्ति का मार्ग है | परन्तु इस शरीर से जीवों का (मनुष्य अथवा जानवर) क़त्ल किया जाये तो वो प्रभु नाराज़ हो जाता है | उसकी दया ऐसे जीवों पर कदापि नहीं होती |
इस शरीर से उस ईश्वर को रिझाने के लिए और उसमे मिलने का प्रयास करने होते हैं जो जीव इस प्रकार की इच्छा रखता है , उसे मार्ग मिल जाता है | जो इस मनुष्य शरीर खाने में एवं अन्य जीवों के नुकसान में व्यर्थ गँवाता है वो मनुष्य होकर भी पशु के समान है |
|| जन्म गँवात खेल खाय में
ते नर पशु कहलाय
जन्म गँवात जो पशु खाय में
ते पशु से भी गँवार
अमोलक मनुष्य शरीर ये
मिले तो भाग्य सँवार
प्रभु प्राप्ति निज घट में ढूँढे
मिले जो प्रभु घट माँहि
मनुष्य जनम स्वारथ भया
अब ना घूमे जग माँहि ||
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २६-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
बच्चों मुझसे मिलने का प्रयास करने से पूर्व तुम्हें हर प्रकार के भावों को त्यागना होगा | वह कुलमालिक पूर्ण समर्पण के भाव पर ही रीझता है | जिन बच्चों ने सतगुरु को पाया और उनकी महिमा का बखान किया उन्होंने उस सतगुरु के अलावा किसी को भी नहीं देखा | स्वयं के माता-पिता को भी किनारे रख सतगुरु को ही अपना सबकुछ जाना और माना | ये बच्चे किसी का बुरा नहीं करते किन्तु सतगुरु के अलावा किसी की सुनते भी नहीं हैं | वो मालिक भावों पर रीझता है तुम्हारी चालाकी और बुद्धि पर नहीं | तुम चाहे जितनी बुद्धि लगा लो मुझ तक पहुँचने के लिए , दीनता और तड़प जब तक नहीं होगी काम बनने वाला नहीं |
इस संसार में उस सतगुरु ने अपने जीवों को बिखेर दिया है | ये सतगुरु के बच्चे चिंगारी बन कर हर तरफ सतगुरु के नाम को फैला देंगे | जब विश्व जग जायेगा तब तुम देखना की तुम जिसे अपना सब कुछ सौंपे बैठे हो वो सिर्फ तुम्हारा अहंकार और जिद है | सतगुरु का काम तो आज भी हो रहा है और पूरा होकर रहेगा |
|| जानत बूझत न समझो भाई
समर्पण भाव मन में ले आओ जाई
सतगुरु मिलेंगे तोहि भाव तड़प से
घमंड में नहीं तो बैठे रह जाओगे भाई
जो सत समझे वो तोहे दिये बताई
घमंड में जो बैठे रहे , कुछ समझ न पाई
आगे मालिक जाने मौज तुम्हारी
हम तो पूरे जग को दिये बताई
समझो न समझो अब तुम जानो भाई
समझ परे न कुछ दिखाई दे न सुनाई
अंतर की बातें हम तुमको दिये बताई
सतगुरु मिलेंगे अंतर में ही भाई ||
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २४/०१/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
***अंतर्घट सन्देश नंबर :१ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ****** दिनाक :०९/०१/२०१५ सायं काल: ३:२१
बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
करिश्माई ब्यक्तित्व से भरपूर मेरे बच्चो अब क्या सोंच रहे हो | अब सोंचने का वक्त नहीं है | अबतो कुछ कर गुजरने का समय है | बच्चे तुम्हारे कुदरती करिश्माई कार्यों का , क्रिया कलापों का सारे विश्व को इन्तजार है | बच्चे अपने अपने हिस्से की सेवा करते रहो , मिल बाट कर जल्दी काम हो जाएगा | अपनी परख निगरानी करते रहो | भाव में कमी न आने पाये , माया के विकार से बचते रहो , भाव बढ़ाते चलो , अहंकार से सजह रहो | साधन भजन नित्य नियम , समय से बैठकर करो | बस निमित मात्र करना है | अंतर सत्संग की दर्शन की चाह , मालिक मिलन की सच्ची पीर हमेशा कसकती रहे , खटकती रहे | धन घमंड से दूर रहो , क्योंकि जो कुछ भी इन चर्म आँखों , दिव्य आँखों से दिखाई देता है | सब उस अनामी प्रभु की लीला है | वही सब कुछ देने वाला है | देनदार सतगुरु सतगुरु जयगुरुदेव है , देत रहत दिन रात | क्यों भरम तू करत है , बनत बड़ा होशियार | मालिक का काम करते रहो | मालिक सतगुरु जयगुरुदेव को ह्रदय में पुकारो | घाट पर हाज़िर ,नाज़िर मिलेगा | शंका क्यों करते हो | शंका मत करो | शंका दुःख देने वाली है |

अंतर्घट सत्संग भाग :२ (दिनांक : २४/०१/२०१५ सायंकाल:७:१५)
बच्चे सबका कुशल मंगल हो | सतगुरु जयगुरुदेव स्वामी दाता दयाल तुम सब के साथ है | बच्चे ये फ़साहत का देश है | तुम यहाँ के वासी नहीं हो | तुम्हारा दिव्य देश बहुत दूर है | अपने देश जाने का रास्ता अंतर से गया है , अंतर में ही मिलेगा | क्योंकि सतगुरु अंतर का रास्ता बताते है और अंतर में अंतरि रहनुमाई करते है | अब अंतर घाट पर बैठ कर मालिक के अंतरि रहस्यमयी भव्य उत्सव का स्वागत करो | समरथ कुल मालिक सरकार हर जगह मैजूद है | मेरे बड़ेला मंदिर में समय से पहुँच कर दिन रात अबाध गति से उतरती रहमत का भव्य स्वागत करो | सतगुरु दाता दयाल साहब को अपने नैनो में बसा लो |
बसो मेरे नैनन में सतगुरु दयाल |
अनोखी मूरत सतगुरु की सुहानी चाल |
आय के विराजे बड़ेला मंदिर में सतगुरु नन्द गोपाल |
***सतगुरु जयगुरुदेव ***

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २३/०१/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
***अंतर्घट सन्देश नंबर :१ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ****** दिनाक :३१/१२/२०१४ प्रातः ४:४१
बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
अभी कहाँ सत्संग आप लोगों को सुनने को मिला है | असली सत का साथ तो अभी किया ही नही गया है | अब अपनी पारी का इन्तजार बेसब्री से करो |अभी तो प्यास जगा रहा हूँ |अभी परमात्मा से मिलने की सच्ची प्यास जगी कहाँ है | बिना प्यास भूख के कितना भी अच्छा ,अन्न पानी मिल जाय मजा नहीं आएगा |तो प्यास जागने दो |देखो कैसे रोते चिल्लाते दौड़ पड़ते है | धीरे धीरे हज़म करने की आदत डालो | एक बरगी नहीं |इन्द्रियों के घाट पर बैठ कर दुनिया का मजा लो और सतगुरु के घाट पर बैठकर ऊपर चढ़ो| शब्द पकड़ो अपने निज घर की तरफ मुङो | "शब्द शब्द पौड़ी हम रची ,चढ़ी-२ पहुंचों सच्ची नगरी" कहाँ आये हो कहाँ जाना है |ये तो अभी कुछ पता नहीं है |इन्द्रियों के दरवाजे पर बैठकर डायने फड़फड़ा रहे हो और पंख फैलने के बजाय शिकुडते जा रहे है | अपने सतगुरु के घाट पर बैठकर उड़ना सीखो | मान अपमान में लगे रहते हो | साधक बनो |

अंतर्घट सत्संग भाग :२ (दिनांक : २३/०१/२०१५ प्रातः ४:४१)
सच्चे साधक बनना सीखो | भाव से मुझे फल,फूल,पान अपर्ण करोगे मुझे स्वीकार है | अभाव में तो कुछ नहीं |घर का काम नहीं कर पाते हो ,तो सतगुरु का ,अपना रूहानी काम कैसे तय करोगे |बच्चे सतगुरु तुम्हारे धन का भूखा नहीं है |वो तुम्हारे भाव भजन का भूखा है |किसी को देखने सुनने की जरुरत नहीं है |मुझे देखो मेरी तरफ देखो | सतगुरु बनकर तुम सब को लेने आया हूँ |अब तो बेहोशी दूर करा लो |धीरे धीरे अपना काम मेल मिलाप से निपटा लो |मै तुम्हारी सुरत की सफाई करना चाहता हूँ |निखालिश सुरत को सतगुरु सामने पेश करो और है ही क्या तुम्हारे पास सतगुरु को देने के लिए | अपना आपा सतगुरु को भेंट करो और सतगुरु की रूहानी दौलत लेते रहो |सतगुरु मिलन की रूहानी प्यास भरपूर जागने दो |
"सतगुरु मिलन की प्यासी सुरत ,अबतो सतगुरु दीवानी हो गयी |
सतगुरु दीवानी सुरत अबतो ,रवानी हो गयी |"
बच्चे ये तुम्हारे कुल मालिक का रहस्यमयी खेल है | सतगुरु के इस रहस्यमयी खेल जल्दी समझ में नहीं आएगा | धीरे धीरे समझने की कोशिश करो |सत वचनो का पालन करते रहो | मालिक सतगुरु तुम्हे अपना सबकुछ सौपना, देना चाहता है | जो दे रहा है धीरे से लेते रहो |सब कुछ तो मिल रहा है | बस अपनी ,रूहानी रवानी लाइन में लगे रहो |सतगुरु की दया धार आते ही सतगुरु में मिल जावोगे |
बच्चे हर चीज का मुहूर्त होता है | इस समय सतगुरु जागरण का रहस्यमयी शुभ मुहूर्त का लाभ सब के सब लेते रहो |बड़ेला मंदिर में विराजमान ,सतगुरु साहब सतगुरु जयगुरुदेव ही तुम सबके कुल मालिक है | बच्चो तुम्हारा सतगुरु अजन्मा है अपनी मौज मर्जी से प्रकट होता आया है और अपना भेद स्वयं बताते है ,खोलतें है |मेरे बड़ेला मंदिर का रहस्यमयी इतिहास क्या है | ये किसी को भी नहीं मालुम है | इसके गर्भ में क्या छुपा है | इसकी रूहानी तरंगें बहुत ही असंख जोजन , अनगिनत , बहुत ही ऊपर तक जा रही है | वहीं से (रूहानी), वहां से क्या-२ इस मंदिर की परम पावन रहस्यमयी धरती पर उतर रहा है |इसका खुलासा धीरे धीरे वो अजन्मा कुल मालिक स्वयं करेगा| बच्चे अपने सतगुरु को सर पर धारण करके अपने काम में लगे रहो |
"सतगुरु जयगुरुदेव को सिर पर धारिये ,चलिए बड़ेला मंदिर माहि"
असंख कोतिमय लोक में सतगुरु जयगुरुदेव से बड़ा न कोय |
असंख कोटि देव न कर सके ,सतगुरु जयगुरुदेव करे सो होय |
"बच्चे बोलो प्रेम से सतगुरु जयगुरुदेव "

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २३-०१-२०१४


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव |
उस महाप्रभु की असीम कृपा से उनका भेद मिलता है | इस भेद को बताने के लिए वो महाप्रभु संतों को इस धरा पर भेजता है | संत उस महाप्रभु के धाम से ही आते हैं और मनुष्य चोला धारण कर अपने जीवों के बीच रहकर उन्हें उस महाप्रभु का भेद बताते हैं | संतों को पहचानना इतना आसान नहीं होता | उन्हें वही जान पाता है जिसे वे अपनी मौज में आकर बता दें , जना दें , समझा दें |
सतगुरु की दया से जीव उस महाप्रभु के धाम जा सकता है | ये वही धाम होता है जहाँ से सभी जीवात्माये आयीं हैं और उन्हें वहाँ वापस उसी धाम जाना है | ये जीवात्माये इस मृत्यु लोक में कर्म-कर्जो में फंसकर रह गयी है | बगैर उस महाप्रभु की दया के ये वापस नहीं जा सकती है | वो महाप्रभु संत रूप में आकर स्वयं भी उन्हें समझाता है और समझा बुझाकर उन्हें मार्ग देकर उनके अपने घर पहुँचा देता है | सत्मार्ग पर चलने वाले जीव संतों की दया के लायक बन जाते हैं तो उन्हें कोई न कोई संत अवश्य मिल जाते हैं जो उन्हें सच्चा रास्ता दिखाकर उन्हें असली घर जाने का मार्ग बता देते हैं |
संत इस धरा पर अकेले नहीं आते | वे अपने साथ अपने ही धाम से कुछ जीवात्माये लेकर आते हैं | ये जीवात्माये भी मनुष्य शरीर में संत (सतगुरु) के समीप रहती हैं और सतगुरु की सेवा का कार्य करती हैं | ये जीवात्माये शारीरिक रूप से इस धरा पर कहीं भी हो किन्तु अंतर में ये सभी जीवात्माये सतगुरु से मिलती रहतीं हैं | सतगुरु इनके द्वारा अपना कार्य करवाते हैं | यही विशिष्ट जीवात्माये सतगुरु की भक्ति और सेवा कर इस संसार में मिसाल कायम करती हैं | ये जीवात्माये एक प्रकार से संत सतगुरु का अंश होती हैं | सतगुरु की रूहानी ताकत इन जीवों में समाहित होती है | ये जीव अपनी शक्तियों के साथ संत सतगुरु के विशिष्ट कार्यो को करते हैं |
सतगुरु के ये जीव निराले होते हैं | ये सिर्फ और सिर्फ सतगुरु में ही अपनी लगन रखते हैं | सतगुरु की भक्ति और उन्हीं के सेवा में अपनी जीवन व्यतीत करते हैं | इनका जीवन सतगुरु के अन्य जीवों के लिए उदाहरण के रूप में होता है | सतगुरु के जीव अपनी सेवा और लगन के द्वारा इतिहास रच देते हैं | ये वो महान विभूतियां होते हैं जो उस महाप्रभु की आज्ञा और उन्हीं के सेवा कार्यो के लिए अवतरित होते हैं |
सतगुरु की संगत प्राप्त करने वाले जीव अत्यंत भाग्यशाली होते हैं | सतगुरु का संग प्राप्त करने का अर्थ उनके आस-पास रहना नही अपितु सतगुरु का अंतर-संग है | जो जीव अंतर में सतगुरु की दया प्राप्त करते हैं वस्तुतः वही संगत के जीव होते हैं | संतों के आस-पास रहने वाले जीव भी उन्हें उनकी मौज के बिना नही जान पाते |
जो जीव मन के साफ़ और ईश्वर में विशवास रखने वाले होते हैं तथा जो समर्पण का भाव रखते हैं ऐसे जीव संत शरणागत के लायक होते हैं | इसके अतिरिक्त करोड़ों जन्मों के पुण्य-कर्म संत की शरण दिलवा पाते हैं | संत निजघर का भेद बताकर जीवों की चढाई में मदद करते हैं | अपने जीव की कर्म-कर्जो को काटकर उसकी हर प्रकार से संभाल करते हैं | संत संसार के साथ-साथ परमार्थ में मदद देते हैं और इस प्रकार जीव हर प्रकार के कर्म-कर्जो से मुक्त होकर अपने धाम वापस चला जाता है |
यह कार्य अत्यंत कठिन होता है और संत अपने शरणागत जीव की संभाल कई जन्मों तक करते हैं एवं उसके कर्म-कर्जो को भोग एवं योग द्वारा समाप्त कर उसके लिए मोक्ष का पथ प्रशस्त करते हैं | जीव कई जन्मों तक भी अपने सतगुरु का गुण गाये अथवा सेवा करे, वो उसका ऋण कभी नही चुका सकता | वो महाप्रभु दयालु है और अपने जीवों पर दया कर के वो इस मनुष्य शरीर में आता है | कष्ट झेलकर अपने जीवों की मदद करता है और उन्हें मुक्तिपद प्रदान करता है |
उस महाप्रभु की महिमा अपरम्पार है |
गुरु गुण कैसो गाया जाय
सात समुन्द्र की मसि करू,
लेखनी सब वनराय
गुरु गुण कैसो गाया जाय |
चलत फिरत मनु मन ही सोचे
बहुत बहुत पछिताये
कहूँ मैं कैसे सुनु मैं किससे
गुरु गुण कैसो गाया जाय |
मन ही मन मै गाऊं सुनाऊं
नाचत फिरूँ इस जग में
कुछ नहीं अब तो मुझको सूझे
जाऊं किसे मैं कहने
कि गुरुगुण कैसो गाया जाय |
नाचत-नाचत पहुचीं सतगुरु
मिले मोहे सतगुरु प्यारे
उन्हीं के मैं चरनन में बैठी
रोये रोये कहूँ मैं उनसे
कि गुरु गुण कैसो गाया जाय |
उन चरनन की कबसे प्यासी
मेरे नैनन भरी उदासी
सतगुरु तोहरे धाम मैं आऊं
कटे ये जम की फांसी
बतावो, गुरु गुण कैसो गाया जाय |
मैं मतवाली चली गगन में
पाऊँ पिया मैं अपने
अब न आऊँ इस जग में मैं
पहुँचू गुरु के धामा , कि बोलो
गुरु गुण कैसो गाया जाय |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २२ /०१/२०१५ प्रातः ७:२८


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
***अंतर्घट सन्देश नंबर :१ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ****** दिनांक :२२ /०१/२०१५ प्रातः ७:२८
बच्चे बच्चियों सतगुरु जयगुरुदेव:
मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चे मान अपमान से पर है , ये मेरे बच्चे मान अपमान वाले देश से नहीं आये हैं |
किस मान सम्मान में पड़े हो , तुम्हारा मान सम्मान तो सतगुरु जयगुरुदेव है | ये बच्चे अपने काम में लगे हुये है | इनकी हर बाधावों का निवारण सतगुरु स्वयं कर रहे है , स्वयं ले रहे है | बच्चे अपने सतगुरु का बटवारा मत करो | परम तेजमय दिव्य रोशनी से भरपूर , सतगुरु जयगुरुदेव आजाद है |
ये परम आजाद रूहानी रोशनी अब बड़ेला मंदिर में आके समा गयी है | अब यही रिहाई , आजादी सब मिल रही है और मिलती रहेगी | यहाँ आ करके अपने सतगुरु की परख करो | परीक्षा लो , अपनी अंतरि निगरानी स्वयं करो | ये तुम सबके दयाल सतगुरु का बड़ेला मंदिर है | यहाँ जोर जबरजस्ती किसी की नहीं चलती | यहाँ के कुल मालिक सतगुरु जयगुरुदेव ही करता धरता है | वहीँ अंतरि ज्ञान अंतरि योग सिखातें है | उन्ही की अंतर प्रेरणा से यहाँ सबकुछ होता आया है और आगे होता रहेगा | यहाँ आने वाले बच्चे अंतर में आला फ़कीर सतगुरु जयगुरुदेव से मिलते है और अंतर से फकीरी बाना धारण किये हुये है और किये हुये अंतर में मिलेंगे | ये मेरे बच्चे अपने सतगुरु की निगरानी में अपनी रूहानी पढ़ाई पढ़ रहें है | अंतर का योग विधान , ज्ञान विज्ञान स्वयं सतगुरु सीखा रहें है |
मेरे बड़ेला मंदिर में आके शिज़दा कीजिये |
मेरे रूहानी बच्चों से मिल लीजिये |
मेरे बड़ेला मंदिर में शिजदा करने का मिन्नत करने का कब ध्यान आएगा |
मेरे रूहानी बच्चो से मिलने का कब ध्यान आयेगा |
बच्चे आगे बढ़ते रहो , अब पीछे मुड़कर देखने का समय नहीं है | जो शरण आये सतगुरु जयगुरुदेव के उसे माफ़ी करा दो | जो स्वयं चल के आये बड़ेला मंदिर में उसे दिव्य ज्योति दिला दो , दिखा दो |
"बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव "


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
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Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २२-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चे और बच्चियों तुम सब का ख्याल मुझे है | मैं जानता हूँ मेरे अपने बच्चे मुझसे मिलने के लिए तड़प रहे हैं | मै भी उनसे मिलने के लिए बेचैन हूँ |
मैंने अपने बच्चों को , अपनी सच्ची संगत को समझाने का पूरा पूरा प्रयास किया | जिन्होंने अहंकार को छोड़ बात सुनी और मेरे संदेशों को माना उन्हें अनुभव देर सबेर अवश्य होगा | किन्तु जिन्होंने धन मान सम्मान और अपनी बुद्धि को सर्वोपरि माना, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है |
मेरे सतयुगी बच्चे मेरी सेवा का कार्य कर रहे हैं | ये पूरे विश्व में मेरे जगाये “सतगुरु जयगुरुदेव” नाम का प्रचार कर देंगे | मेरे अखंड मंदिर में रूहानी दौलत बंट रही है | जो मेरे मंदिर में आकर सच्ची लगन से साधन भजन या पूजन करेगा उसे आतंरिक दया अवश्य मिलेगी | मेरे सतयुगी बच्चे पूरे विश्व को जगा देंगे | पूरा विश्व भारत की महिमा का गुण गायेगा | ये समय अवश्य आएगा | मेरी कोई भी बात अब तक कटी नहीं है | जब मेरी एक एक बात सच होने लगेगी तब समझ आएगा |
सतगुरु की दया कृपा से कोई भी जीव निहाल हो सकता है | कोई भी संसारी व्यक्ति जो अंडा मांस मछली एवं शराब का सेवन न करता हो ,यदि सच्चे विश्वास के साथ “सतगुरु जयगुरुदेव” नाम का सुमिरन करे तो उसे हर प्रकार से मदद मिलेगी एवं वो अन्य नामदानी जीवों की तरह रूहानी दौलत अर्थात आतंरिक दया प्राप्त कर सकता है | जो मेरे अखंड सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला के प्रचार प्रसार के कार्य में किसी भी प्रकार का सहयोग प्रदान करेगा वो भी सतगुरु की रूहानी दौलत प्राप्त करने के लायक होगा | ऐसा व्यक्ति संसार और परमार्थ में(शाकाहारी होने पर ही) संत सतगुरु की पूरी पूरी दया प्राप्त करेगा |
जब जीवन किसी कठिन परिस्थिति में हो तो मेरे जगाये सतयुगी नाम (“सतगुरु जयगुरुदेव”) को बोलना , तुम्हारी मदद हो जायेगी | पूरे विश्व में समस्त शाकाहारी जीवों पर ये बात लागू होती है | ये सन्देश समस्त विश्व के लिए है | इसे जान लो , मान लो और परख लो | सतगुरु के सन्देश को समस्त विश्व में फैला दो |
भविष्य में भारत देश अपनी आध्यात्मिक शक्तियों के लिए जाना और माना जाएगा | इस देश की भूमि आध्यात्मिक शक्तियों का गढ़ है | यहाँ संत सतगुरु का आना अनवरत लगा हुआ है | इस जमीन पर महान शक्तियों और विभूतियों का अवतरण हुआ है और आज के समय में भी महान शक्तियाँ इस जमीन पर कार्य कर रही हैं | भविष्य में ये सभी शक्तियाँ संगठित हो संत सतगुरु के कार्यों को पूरा करेंगी | पूरा विश्व भारत के आगे नतमस्तक हो यहाँ की शक्तियों को स्वीकार लेगा |
जो समझ जायेंगे, समय रहते रास्ते पर आ जायेंगे उनका कल्याण हो जाएगा | शेष को स्वयं की बुद्धि और कर्मों पर निर्भर रहना होगा |
मेरे अति विशिष्ट जीवों द्वारा मेरा कार्य विश्व स्तर पर किया जाएगा | जब मेरा सारा कार्य पूर्ण हो जाएगा तब पूरे विश्व में सतयुग व्याप्त हो जाएगा | इस धरा पर राम राज्य हो जाएगा | भारत की धरती धर्म और सत्य से खिल उठेगी | हर तरफ धर्म और सत्य का ही राज्य होगा |
मेरे सतयुगी बच्चों तुम्हें उसी दिन के लिए लाया गया है | तुम्हें मेरे इस कार्य में सहयोग देकर इसे पूर्ण करना है | जब तुम्हारा काम पूरा हो जाएगा तो तुम अपने निजधाम वापस चले जाओगे | मेरे सतयुगी जीव, मेरे सतयुगी बच्चों अपने कार्यों पर लगे रहो और एक वीर योद्धा की भांति पूरे विश्व में सतयुग और “सतगुरु जयगुरुदेव” नाम का परचम फहरा दो |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Satguru jaigurudev The Name Of God:

Dated:20th Jan 2015

Dated:22nd Jan 2015 (Antarghat Sandesh No:2)
The current spritual master Saint "Satguru jaigurudev" said. In saint's words"
"Children say Satguru Jaigurudev"
My Children I take care of you. I know my children are dying to meet me.
I am also eager to meet them.I did full effort to convince the relevant to my children and true sangat(group of religious people). Those who listened me and admit my message,leaving their ego,will have experience sooner or later definitely. But those who honor wealth and wisdom to be paramount,are left on their recent. My satyugi children are working in my service. They will advertise my awakened name “Satguru Jaigurudev” in whole world. In my monolithic temple spiritual treasure is being distributed. Person who meditates (sadhan bhajan) or worships with true heart in this temple , he will definitely get inner kindness of Malik (God). My satyugi children will wake up the whole world. The whole world will sing glory of Bharat (India).
This time will definitely come. My no word has become untruthful.
You will understand when my each word will starts becoming truth.
Anybody can be overwhelmed by kindness and blessing of God.
Anybody who doesn’t take egg, flesh, fish and hard drinks; if he chants the name “Satguru Jaigurudev” with trust then he will get all kind of help and he can also also get spiritual treasure or inner kindness of God like other persons ( running on the same path) with the name of God.
People who help in any way in my work of advertising and spreading, can also be eligible to get spiritual kindness of God. Such person will get the complete kindness of God if he is pure vegetarian.
When you are in some difficult situation, you chant my awakened name Satguru Jaigurudev, you will get help. This message is for the world.Know it , assume and check it.Spread the message of Satguru in the whole world. In future,the country India will be known for its spiritual power.This land is the centre of spiritualism. Here there is constant movement of Saint Satguru.Great powers have descended on this land and the great powers are working on the ground in today's age also.In the future they will get organised and will fulfil the functions of Satguru.World will accept the powers of India and will subservient in front of India. Those who get understand in time and back on track,will get their welfare.The rest will have to rely on their own wisdom and deeds. My work will be done globally bye my highly specialized souls.when my entire work will be completed, The Golden age will be rife on whole world.The whole world will become state of truth and peace .Righteousness and truth will bloom from Indian soil.Each side will be state of religion and truth.My Golden age children are here only for that day. My Golden age children have been brought here for the same day.You have to support me for the fulfilment of this divine work. When your work would be done,you'll get back to your divine dwell(nijdhaam).My Golden age children be engaged in your actions and as a heroic warrior raised the banner of Golden Age and " Satguru Jaygurudev " name in the world.
Say children Satguru jaigurudev
Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Devotee : Pallavi Srivastava
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
District:Faizabad(U.P.),India.

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :२१/०१/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
***अंतर्घट सन्देश नंबर :१ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ****** दिनांक :२१ /०१/२०१५ प्रातः ७:२४
बच्चे बच्चियों सतगुरु जयगुरुदेव
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
ये कलम ये रिफिल आपकी दी हुयी इक अमानत है ,
इसमें आपके सिवा कोई और समाता नहीं |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
इससे आपके गुन के सिवा कुछ लिखा जाता नहीं |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
इस आईने में अपने सतगुरु जयगुरुदेव के सिवा,
कोई और दिखता नहीं ,कोई सुहाता नहीं |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
सतगुरु की ये सुहानी मौज अब बड़ेला मंदिर पे छा रही |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
सतगुरु जयगुरुदेव की सुहानी झंकार अबतो ,
चहुँदिश दस दिशावों में गूँज रही |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
अपने सतगुरु सरकार के असंख्यों दीप जला रही|
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
सतगुरु सरकार की बैन बांसुरी सूना रही |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
ये कलम ये रिफिल,सतगुरु सरकार की दी हुयी
इक रूहानी अमानत है |
क्या लिखूं खत सतगुरु ,कुछ लिखा जाता नहीं |
सतगुरु जयगुरुदेव
***अंतर्घट सन्देश नंबर :२ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ******दिनांक :२१ /०१/२०१५ प्रातः ५:३६
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव बोलो "
बच्चे अब तुम सब सतयुग में प्रवेश पा गए हो | अब तुम सब रूहानी खुली आँखों से जन्नत का नजारा देखने जा रहे हो | मेरी बड़ेला नगरी में स्वर्ग उतर आया है | कुल मालिक की असीम दया तुम सब पर दिन रात बरस रही है | कुल मालिक सतगुरु जयगुरुदेव की दया दृष्टि ये मेहरवानियां बस देखने लायक हैं | उसे अपने बच्चो की की हर क्षण फ़िक्र लगी हुयी है | अपने सुकोमल बच्चो को रह रह कर उड़ना सीखा रहें है | ये मेरे बच्चे हर पल मुझे निहार रहें है और कुल मालिक सतगुरु भी पल पल बच्चो को पुकार कुल मालिक अपने बच्चो को सतयुगी बलकल वस्त्र पहना कर उनके मस्तक पर तिलक लगा दिए है | बड़ेला मंदिर से अनामी धाम तक आरती का थाल सज गया है | बड़ेला मंदिर से अनामी धाम तक होने लगी आरती हज़ार हो |
बड़ेला मंदिर से अनामी धाम तक मंगल कलस सजायें खड़ी सखियाँ हमार हो |
सखियों के सतयुगी चुनरी में ,जड़ा कोहनूर अपार हो |
सखियों की चुनरी ,ऐसे चमके जैसे चमके कोटि चंदा हज़ार हो |
ये चुनरी सतगुरु जयगुरुदेव जी के कृपा से,
बड़े भाग्य से पायी सखियाँ हमार हो |
बच्चे तुम सब का योगक्षेम मै वहन कर रहा हूँ |तुम सब निडर होकर आपस में ,प्रेम सौहार्द बनाकर एक मुख होकर काम करो |आगे बढ़ो |मेरे बच्चो दो मुख न बनो |एक सतगुरु का दिवाना,असंख रुहनो को साथ लेकर चल सकता है |चलता है |बच्चे तुम सब आपस में प्रेम सौहार्द की मिशाल कायम करने जा रहे हो |एक दूसरे के रूहानी काम में मदद करो |तुम्हारा सतगुरु जयगुरुदेव भी हर क्षण तुम सबकी रूहानी मदद कर रहा है |अंदर बाहर एक रस सतगुरु जयगुरुदेव तुम सबके साथ है |
देखा अपने बड़ेला मंदिर के बच्चो को ,ये साथ साथ चलें |
बड़ेला मंदिर से अनामी धाम तक ,ये फूले खिले हुये|
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव बोलो "


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २० /०१/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
***अंतर्घट सन्देश नंबर :१ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ****** दिनांक :२० /०१/२०१५ प्रातः ८:००
बोलो बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव :
मेरी रूह में हरदम ख़याल आता है |
ये बड़ेला नगर बनाया किसने है |
ये बड़ेला नगर बसाया किसने |
ये बड़ेला मंदिर बनाया किसने |
मुझे अपने सतगुरु का दीवाना बनाया किसने |
ये बड़ेला मंदिर तो बनाया गया है
बस मेरे लिए ,हम सब के लिए |
मेरे सतगुरु जी तो आये हुए है ,
बस मेरे लिए ,हम सब के लिए |
इससे कहाँ था ये बड़ेला नगर ,
कहाँ से आया हुआ है बड़ेला मंदिर |
मेरे रूह में ख़याल आता है हरदम |
इससे पहले अमाया धाम में बस रहे थे ,
मेरे सतगुरु ,तेरे सतगुरु जी |
वहीँ से ये बड़ेला नगरी उत्तर के आई है जमी पर |
बस तेरे लिए ,तुम सब के लिए |
वहीँ से ये बड़ेला मंदिर उत्तर के आया धरा धाम पर |
बस तेरे लिए ,तुम सब के लिए |
मेरी रूह में हरदम ख़याल आता है |
ये बड़ेला नगर ,बड़ेला मंदिर धाम बनाया किसने |
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव

***अंतर्घट सन्देश नंबर :२ ***
*******सतगुरु जयगुरुदेव ****** दिनांक :२० /०१/२०१५ प्रातः ५:११
" बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "
बड़ेला नगर सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर बड़ेला में अवतरित फ़कीर देश दुनिया को झकझोर कर रख देगा |इसके विचार इतना प्रभावशाली ससक्क्त एवं समायिक होंगे की पूरी दुनिया को विवश होकर सुन्ना पडेगा | पूरी दुनिया के लोग इस नूरी धरती को , जमी को शिज़दा करेंगे | इस धरती के एक एक कड़ को पाने के लिए तरसेंगे | अभी मेरे बच्चे सूना रहे है | होश दिला रहे है | आगे इन बच्चो को खोजते फिरोगे | इनके सत संदेशों को सुनने के लिए दौड़ोगे | ये वही बच्चे हैं जिनको अपने साथ लाया हूँ | ये मेरे शांति के दूत है | प्रेम के सुख समृद्धि के अवतार है | ये बच्चे अपने अमर सतगुरु का अमर पावन एवं अपने मालिक का अति परम दिव्य प्रवित्र चरित्र गा गा कर सूना रहें है | पढ़ा रहें है |
"अब तो सुन लेहु , सुनी सुनी चेत लेहु , जगवा के लोगवा"
हमरे सतगुरु जी के दिव्य वाचनिया बनिया हो |
अब अपने नयनवा में बसाय लेहु सतगुरु जयगुरुदेव के दिव्य चरणवा हो |
बच्चे ये परमार्थी सेवा है | इसे अखंडता पूर्वक करते रहो | मालिक की बहुत बड़ी दया है | जो ये सेवायें मिल रही है | अभी सेवा क्या देखि , अभी तो सेवा करने वालों की लाइन लग जाएगी | होड़ लग जायेगी , सब सेवा करेंगें | सब साधन भजन करेंगे | मेरे बड़ेला धाम के बच्चों सतयुग उतर आया है | ये बच्चे सतयुग में प्रवेश पा चुके हैं | इनके योग और विज्ञान की प्रबल शक्तियां जागृत हो गयी है | इनके सतगुरु भक्ति के मिशाल कयाम होने जा रही है | इन हुनरमंदों के अनोखे कारनामो को देखकर पुरे विश्व के लोग अबाक रह जायेंगे | ये साधारण सादे भेष भूसा वाले मेरे बच्चे देखने में इंसान है , लेकिन इनकी अंतरि रचना महिमा क्या है | ये स्वयं नहीं जान रहे है | ये अंतर से पूर्णतः कुल मालिक से जुड़े हुए है |
श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ किया था | जो त्रिलोकी नाथ थे | रामायण को पढ़िए ये महात्मा की लिखी रचना है | अपने इन बच्चो की शक्तियां सतगुरु से जुडी है | इनकी रगों में , नशों में सतगुरु जयगुरुदेव की जादुई करिश्माई पावर काम कर रही है | इनकी अर्ध चेतना अवश्था धीरे धीरे ख़त्म हो गयी है | ये बोध में आ गयें है | बस नाम मात्र की देरी है | बच्चे ये तुम्हारे सतगुरु का खेल है, हैरान मत होवो| जल्दी मत करो|
बच्चे तुमसे ज्यादा जल्दी मुझको है |बस समय का थोड़ा सा इन्तजार है |बच्चे तुम अत्यंत निश्छल सतगुरु भक्त हो |तुम्हारे सतगुरु जयगुरुदेव का परम पावन आशीर्वाद तुम्हारे साथ है |
"बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव "


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २२-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
सतगुरु इस धरा पर हैं और अपना काम अपनी चुनी हुई जीवात्माओं द्वारा करा रहे हैं l
जब लोगों के दिलों में उस ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास जागने लगे और जब सभी मिलकर उस प्रभु से मदद की गुहार लगायें तो समझ लेना सतयुग का कार्य शुरू होने वाला है l फिर सतयुग इस कलयुग को हटाकर अपना वर्चस्व दिखायेगा l कलयुग भी यूँ ही नहीं जाएगा l जाते जाते वह अपना फैलाया हुआ साम्राज्य वापस समेट कर जाएगा l
यह सिमटाव पूरे विश्व में होगा l सतयुग के इस धरा पर फैलने से पहले कलयुग का वर्चस्व वहाँ से समाप्त होगा l इन युगों की आमने सामने भारी टक्कर होगी l इसमें करोड़ों का सफाया हो जाएगा l जो लोग बचेंगे वो शुद्ध शाकाहारी और धर्म और ईश्वर में विश्वास रखने वाले होंगे l
ये बात सबको बताई जा रही है l पूरा विश्व इसके लिए तैयार हो जाए l सब समझ लो क्यूंकि बताने समझाने वाला आगे कोई और नहीं आएगा l ये उस ईश्वर की मौज है जिसकी इच्छा से इस सृष्टि का निर्माण किया गया l सब उसी ईश्वर की पूजा करते हैं किन्तु उसे जान नहीं पाते l
उस ईश्वर का भेद बताने संत इस मनुष्य शरीर में आते हैं l कबीर नानक पलटू सब उसी का भेद देने आये थे l अपना कार्य करके ये वापस चले गए l तुम्हें क्या लगता है कि अब कोई नहीं है उस ईश्वर का भेद बताने वाला l तुम सुनोगे तब तो तुम्हें समझ आएगा l तुम सन्देश सुनना ही नहीं चाहते l
मेरे बच्चे ये सन्देश तुम तक पहुँचा देंगे l मानना न मानना तुम्हारी मर्ज़ी l वो ईश्वर किसी के लिए बैठा नहीं रहता l वो सब कुछ देखता है | सब के मन के भावों को जानता है | तुम उसे कुछ समझो या न समझो वो तुम्हें अन्दर से जानता है l वो तुम्हारे भावों को पढ़ सकता है l तुम नहीं समझ सकते कि वो तुम्हारी कितनी फिक्र करता है l तुम जानकर भी अनजान बन जाते हो और उसके (ईश्वर के) अस्तित्व को भी नकार देते हो | तुम नहीं जानते कि भविष्य क्या है l
ये खुदा का पैगाम है , उस ईश्वर का सन्देश है l तुम मानो या न मानो उसे तो अपना कार्य करना ही है l सम्पूर्ण विश्व को बता दो l कठिन समय में सब याद आएगा l तुम अपनी मौज मर्ज़ी चला लो लेकिन उसकी मौज के सामने तुम्हारी एक नहीं चलेगी l अभी तुम मौज मस्ती में समय बिता लो आगे तुम्हें तुम्हारे समय की कीमत पता चलेगी l वक़्त का इंतज़ार तो वो महाप्रभु भी करता है l तुम्हें भी करना ही पड़ेगा l जाग जाओ तो उस प्रभु की शरण गहो और शुद्ध शाकाहारी हो जाओ नहीं तो कुदरत अपने नियमों का पालन करना जानती है l
तुम ये मत सोचो कि तुम प्रकृति की संभाल कर रहे हो l ये प्रकृति स्वयं को संभालना जानती है और वस्तुतः यह तुम्हारी संभाल करती है l तुम इसकी गोद में खेलते हो और यह तुम्हारी जरूरतों को पूरा करती है l यह उस महाप्रभु की रचना है l तुम स्वयं भी उसी की रचना हो l उसकी रचना को तुम मिटा नहीं सकते भले ही इसके लिए स्वयं मिट जाओ l
हे महाप्रभु ! ये जीव आपकी रचना है किन्तु इन्होने स्वयं को अपना रचनाकार मान लिया है l इनकी मदद करो ताकि वे आपकी सत्ता को स्वीकार कर सकें l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: २०-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
मेरे अखंड मंदिर बड़ेला को जानने और समझने के लिए मेरे अपने बच्चे पूरे विश्व की मदद कर सकते हैं l इन बच्चों में बहुत शक्ति है l इस शक्ति का संचार बहुत पहले ही हो गया था किन्तु मैंने इन्हें बोध नहीं होने दिया वर्ना ये अपनी शक्तियों से कुछ का कुछ कर देते l इनकी शक्तियों का अब मै प्रयोग करूँगा l इस नाम (“सतगुरु जयगुरुदेव”) का प्रयोग पूरा विश्व करेगा l ये सतयुगी नाम है l आगे समय में यह नाम बचाव कराएगा l विश्व के दूसरे देशों में जाकर मेरे बच्चे प्रचार प्रसार करेंगे l इसका आगाज हो चुका है l
मेरे बच्चों, मेरे सेवादारों ! तुम उम्र में कम हो किन्तु तुम्हारे आत्मविश्वास में कहीं कमी नहीं है l तुम्हारा तेज़ और प्रताप देखकर अच्छे अच्छे दांतों तले उंगली दबा लेंगे l
मेरे विश्व स्तरीय बड़ेला मंदिर का प्रचार प्रसार कर दो ताकि सबको पता चल जाए कि इस मंदिर से रूहानी दौलत मिलती है l इस नाम (“सतगुरु जयगुरुदेव”) को परख कर सभी लोग देख लो l मतिभ्रम में मत पड़ो l ये ईश्वरीय शक्ति है जो हर जगह काम करती है l दुनिया के हर देश के लोग ईश्वर या अन्य किसी शक्ति को जरूर मानते हैं l ये वही शक्ति है l आगे आने वाले समय में पूरा विश्व इस शक्ति को मान जाएगा l
विश्व का अनोखा ऐतिहासिक मंदिर ग्राम बड़ेला में है जो अपनी रूहानी दौलत और अपने बच्चों की अदभुत शक्तियों के कारण जाना जाएगा l मैंने तो पहले ही बता दिया था कि जब मेरे बच्चे बोध में आ जायेंगे तो ऐसा ऐसा कार्य कर जायेंगे जो तुम सोच भी नहीं सकते l मेरे ये बच्चे तैयार हो गए हैं अपने बोध में आ चुके हैं l मेरी एक एक बात सत्य होकर रहेगी l पूरे विश्व में हलचल मचेगी ,सिमटाव होगा l मेरे जीव सुरक्षा का कार्य करेंगे l “सतगुरु जयगुरुदेव” नाम से बचाव कार्य होगा l मेरी दी गयी रूहानी दौलत तुम्हारे काम आएगी l जो अभी नहीं समझ पा रहे हैं , उस समय याद करेंगे l पछतावे से पहले ही उठ खड़े होना चाहिए l मेरा काम तो होकर रहेगा l तुम चाहे जो कर लो l मेरा काम , मेरे जीवों की गिनती पूरी होकर रहेगी l जो मेरे इस काम में सहयोग दे देगा उस पर दया हो जायेगी l यदि वो रूहानी दौलत चाहेगा तो उसे आतंरिक दया मिल जायेगी l
मेरे सतयुगी बच्चों मेरे जगाये सतयुगी नाम (“सतगुरु जयगुरुदेव”) और मेरे सतयुगी मंदिर का नाम पूरे विश्व में रोशन कर दो l पूरा विश्व इस नाम से जगमग हो जाए l उसके बाद जो होगा उसे पूरा विश्व देखेगा l तभी वो इस नाम की महिमा और मंदिर की अखंड महत्ता को समझ पायेगा l भारत का नाम पूरे विश्व में फ़ैल जाएगा और समूचा विश्व भारत की आध्यात्मिक शक्तियों को देखकर उसका लोहा मान लेगा l विश्व के सभी देश भारत की आध्यात्मिक शक्ति को पहचान लेंगे और उसक अनुसरण करेंगे l भारत की भूमि की पवित्रता का ज्ञान पूरे विश्व को होगा l विश्व में यही सतयुगी झंडा लहराएगा l पहले भी मेरे बच्चों ने बताया था l आगे फिर मेरे सतयुगी बच्चे गायेंगे -
कहें सतगुरु पुकार ज़माना बदलेगा l
इस सच्ची रहनुमाई को , सतगुरु की पुकार को सुन लो, तुम्हारा कल्याण हो जाएगा l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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Satguru jaigurudev The Name Of God:

Dated:20th Jan 2015

The current spritual master Saint "Satguru jaigurudev" said(Inside inner soul) to His devotee "Pallavi Srivastava".
In saint's words"
"Children say Satguru Jaigurudev"
My children can help the whole world to know and understand my Akhand Temple Badela.
These children have great power.They were having this power from long back but I didn’t let them know about it otherwise they could have done a lot with their power.Now I will use their power.
The whole world will use this name(Satguru Jaigurudev).This is a Satyugi name. In forth coming time this name will save people in difficult time.My children will advertise and spread this name in all other countries of the world and it has been started.My children you are younger in age but there is no lack of self-confidence in you. People will be surprised and shocked to see your quick and majesty.Advertise and spread My world level The Badela temple name,so that everyone would get to know that spiritual treasure can be obtained from this temple. Everyone try to see and authenticate the divine name“Satguru Jaigurudev”. Do not engage in hallucinations. Its the power of God which works everywhere.
People from all countries from all over world believes in God or some other power.
This is the same power. In forth coming time the whole world will admit this power.
World’s historical temple is in village Badela which will be known by its spiritual power and strange power of its children. I have already told you that when my children will come in the sense(spiritual consciousness), they will do work which you can not even think. My children are ready now; they are in their real sense(spiritual consciousness). My words will definitely come true. The whole world will shake. My children will do the saving work.
the rescue work would be done using divine name Satguru Jaigurudev.The spiritual power given by me will help you.
Those who are not understanding,will remember at that time. You must stand-up before you feel regret.
Whatever you do, my work would be done definitely.My work,to finish the count(in reference with number of life(jeev)).
Those who would help Me in this holly work would get mercy and if they(one who help in divine work) desire to feel internal peace,they will get it.My Satyugi Children make the divine name "Satguru Jaigurudev" and divine Satyugi temple famous in the whole world.Let the whole world shine with this divine name(Satguru jaigurudev) and then the whole world would see.Only then the importance of this divine name and the monolithic importance of this holly temple would be get recognised.
Our country name (Bharat) would then spread over the whole world and seeing spiritual power of ours the whole world would acknowledge it firmly.All countries of the world will recognize the spiritual power of India and they will follow it.
The world will know the sanctity of the Indian land.This Satyugi flag will flutter in the world.Already my children told,and again my Satyugi children will sing.
"kahen satguru pukaar jamana badlegaa."(The Satguru(God) is saying loudly world would get changed) To the true mastermind, listen to the call of Satguru , you will be well "

Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Devotee : Pallavi Srivastava
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
District:Faizabad(U.P.),India.

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :१९ /०१/२०१५ प्रातः ७:१८


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
बोलो बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव :
मेरे बड़ेला मंदिर के प्रचार प्रसार को जाइए, तज मोह माया अभिमान |
ज्यों ज्यों तुम आगे बढे सहत्र कोटि यज्ञ समान |
देखा अपने बच्चो को ,ये साथ साथ चले |
बड़ेला मंदिर से अनामी धाम तक ये गुल खिले हुए |
ये बच्चे अंतर ऐसे अंतर से सतगुरु से मिले हुए |
बड़ेला मंदिर से अनामी धाम तक महकते हुए |
देखा अपने बच्चे को , ये साथ साथ चले |
बच्चे चारों तरफ आवाज लगा दो | सब मेरे बड़ेला मंदिर में समय से पहुंचकर हाज़िरी लगा दो |
अपने गुनाहो को गिन-२ कर मंदिर के देवता के चरणो पर अर्पण कर दें और है भी क्या तुम्हारे पास देने के लिए | बुराई छोड़ दो मेरे बड़ेला मंदिर पर और यहाँ से मालिक का आंतरिक खुदाई खजाना लेते जावो | बच्चे मालिक तुम्हारे भाव का भूखा है | भाव बनाये रखो अभाव मत आने दो | बिना भाव के यहाँ से कुछ भी मिलने वाला नहीं है | इस चक्कर में न रहो की मालिक के दरबार में (बड़ेला मंदिर) में हाज़िर हुए नहीं की अपनी दुनियावी मांग मिन्नत पूरी करने का ख्वाब देखने लगे | अरे बच्चे ये सच्चा दरबार है अंतरी नूरानी खजाने का | यहाँ मालिक का नूर बहस रहा है नूर | तुम्हारा सच्चा साईं सतगुरु जयगुरुदेव स्वयं अपनी अवतारी दिव्य शक्तियों के साथ विराजमान हैं और अपने दोनों हांथों से क्या अपने सहस्त्र भुजावो से अपार दिव्य बरक्क्त लूटा रहा है | बच्चे सब के सब आ जावो मेरी नूरानी रूहों से मिल लो, मेरे नूरानी बच्चों से मिल लीजिये | इनके संदेशों को सुनकर उसका पालन करों | आगे समय अच्छा नहीं है | सब बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव बोलते रहो | आगे आने वाली संकट की घड़ी में , ये नाम सतगुरु जयगुरुदेव तुम्हारी रक्षा करेगा | यही सतगुरु जयगुरुदेव नाम मुशीबत आने पर सहाय करेगा | जो इन मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चो की बात मान लेगा उसका बचाव अनामी महाप्रभु सतगुरु जयगुरुदेव दयाल स्वयं करेंगे क्योंकि रूहें तो सब कुल मालिक की ही हैं |
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :१८/०१/२०१५ प्रातः ७:१८


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया: मालिक के शब्दों में
सतगुरु जयगुरुदेव प्रेमियों :
जास नाम सुमिरत सुख होई ,सो सतगुरु जयगुरुदेव मेरे बड़ेला मंदिर आवा सोयी |
जास नाम ही मन गनि ज्योति ,सो सतगुरु जयगुरुदेव सुमिरत दिव्य दृष्टि होती |
अब सब लोग सतगुरु के खरे सीधे निशाने पर आ जावो | अब इधर उधर भटकने का समय नहीं है |
अब एक दूसरे को क्यों देख रहे हो ? सीधा समाने बैठकर तीर चलाना सीखो , तुक्के लगाना छोड़ दो |
अपने जीवन की अमूल्य घड़ियाँ एक एक कर काम होती जा रही है | साँस पूरा होते ही इस मनुष्य मंदिर की कोई कीमत नहीं होती है | जैसे कलम की रिफिल खत्म होते ही ,उसे फेंक देते हो वैसे ही यह शरीर है |
जब तक जतन जीवात्मा इसमें है ,तब तक इसकी कीमत है |यह मनुष्य शरीर साधन करने के लिए मिला है |(इससे मुक्ति पा लो) | साधन भजन करने के लिए सतगुरु की खोज करनी पड़ेगी |
"सतगुरु की खोज करते चलो भाई ,जगत से मन को मोड़कर"
तुम सबको आये यहाँ बहुत दिन बीत गया | ये देश तुम्हारा नहीं है | ये प्रदेश है प्रदेश | इसमें सुख की खोज कर रहे हो ? असली सुख और आनंद कहाँ है ,इसकी खोज तो तुमने की ही नहीं | राजपाठ ,सोना चांदी ,महल अटारी ,खान खजाने, कही सुख किसी को मिला? सबके सब परेशान है ,बेचैन है | किसके लिए आनंद मिल जाय | असली सुख आनंद यहाँ है ही नहीं ,तो ये कहाँ से मिलेगा |इसके लिए फकीरों महात्माओं की खोज करनी पड़ेगी |उनके पास जाना पडेगा |उनका साथ करना होगा |उनकी शरण में झुकना होगा |अब इधर उधर देखना छोड़कर फकीरों महात्माओं की रूहानी आवाज को पहचानो ,सुनो | फ़कीर सतगुरु जयगुरुदेव स्वामी ,निरंतर रूहानी आवाज लगा रहें है | उसको सुनो चेतो , क्योंकि महात्मा निरंतर चलो चलो की आवाज लाग रहें है | महात्मा का रूहानी पैगाम , रूहानियत नूर , नूरी अंतरंग खजाना जो अब तक गुप्त था | अब उसका सतगुरु ने खुलासा ,ऐलान किया है और अपने अंतर्घट मंदिर बड़ेला का (खुल्लम खुल्लम ) खुलासा ताबड़तोड़ लगातार प्रचार प्रसार करवा रहे है | मंदिर में कोई और नहीं बच्चे तुम्हारा जीता जागता देवता अमर सतगुरु जयगुरुदेव स्वामी स्वयं विराजमान है |
"पीरे हक़ संत सतगुरु जयगुरुदेव जी बड़ेला मंदिर में आय के विराजे है |
उनके कदम पोशी का, उनके सुकुमार चरणो का रहनुमाई का कब ध्यान आएगा | "
अब मेरे बड़ेला मंदिर के बच्चे आवाज लगा रहे है | उनकी आवाज पहचान कर सुनकर अपने कुल मालिक के दर्शन , दीदार करने के लिए दौड़ पड़ो, निकल पड़ो , देर मत करो |(देर करने से तुम्हारा बड़ा नुकशान हो रहा है )| तुम्हारा सतगुरु समरथ है | तुम सबकी संभाल भी वाही करेगा | दाता के आगे अपना दामन फैलावो | अपने समरथ आश्रय दाता सतगुरु जयगुरुदेव के पास पेशानी करो |
"आश्रय एक बड़ेला मंदिर है दुनिया का , दाता एक सतगुरु जयगुरुदेव जी है "

बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १८-०१-२०१४


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
अखंड भारत संगत गुरु की उस संत सतगुरु की असली संगत है l ये संगत भारत की ही नहीं पूरे विश्व की है l पूरे विश्व में " सतगुरु जयगुरुदेव " नाम का डंका बजने वाला है l भयानक समय में इस नाम से मदद मिलेगी l
अखंड सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला अपने आप में एक ऐतिहासिक मंदिर है l बड़ेला का इतिहास बहुत पुराना है l यह प्रभु राम की जगह है यहीं पर प्रभु राम लक्ष्मण एवं सीता एक साथ इसकी भूमि पर चरण रख चुके हैं l
प्रभु राम ने इसी स्थान पर बैठकर संकल्प लिया था कि इस धरा से पाप और अनाचार को मिटा देंगे l वे सबकुछ जानते थे लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम थे l
बड़ेला के इतिहास में लगभग सभी संतो ने अपने चरण कमलो से इस जमीन को पखारा है l ये वही पवित्र भूमि है जहाँ संतों ने बैठकर यज्ञ किये और पवित्र जीवात्माओं ने साधन भजन किया l
बड़ेला का इतिहास बहुत पुराना है l नाम बदल जाने मात्र से जमीन की पवित्रता ख़तम नहीं हो जाती l आने वाले समय में सभी आध्यात्मिक कार्य यहीं से होंगे l बड़ेला में बना ऐतिहासिक अखंड मंदिर स्वयं अपनी गाथा खुद गायेगा l ये आने वाले समय में पता चलेगा l
जिसे इस मंदिर की वास्तविकता जाननी हो , वह उस मंदिर में बैठकर सच्चे मन से साधन भजन करे या वो जिस भी देवी देवता को या गुरु को मानता हो , इस मंदिर में बैठकर अपने ईश्वर या गुरु का पूजन करे , उसे इस मंदिर की महिमा का और उस जमीन की पवित्रता का ज्ञान हो जाएगा l
जिसने भी इस "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम को लिया और वो समर्पण का भाव रखता हो तो उसे हर प्रकार से मदद मिलेगी l यह बात पूरे विश्व पर लागू होती है l
जो इसे जानता मानता होगा वो इस भेद को अन्य लोगों को बता समझा सकता है l यह कार्य विश्व स्तर का है l सभी को जान लेना आवश्यक है l कठिन समय में इसकी जरुरत पड़ेगी l सभी को शुद्ध शाकाहारी ( अंडा, मांस ,मछली एवं शराब से पूर्ण परहेज ) बनना ही होगा तभी पूरी मदद मिल पाएगी l इस नाम की परख कोई भी कभी भी कर सकता है l स्वयं को उठाना ही होगा l गिरे रहोगे तो संभल नहीं पाओगे l स्वयं को पवित्र बनाना ही होगा l
यह सन्देश विश्व के कोने कोने तक पहुँच जाना चाहिए l इस कार्य में मदद करने वालों को हर प्रकार की आतंरिक वाह्य दया मिलेगी l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :१८/०१/२०१५ प्रातः ६:४९


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया:
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चे सब मिलते रहो आपस में अपने सतगुरु जयगुरुदेव से :
आ बड़ेला मंदिर के बच्चे ,तुम्हे प्यार करें सतगुरु इतना |
क्या कोई कर सकेगा इंतना |
मेरी रूह के टुकड़े बच्चे तुम कैसे मै रह सका इतना |
आ बड़ेला मंदिर के बच्चे ,तुम्हे प्यार करें सतगुरु इतना |
मेरे बच्चे जितना फ़िदा है सतगुरु पर ,क्या कोई फ़िदा हो सकेगा इतना |
आ बड़ेला मंदिर के बच्चे ,तुम्हे प्यार करें सतगुरु इतना |
मेरे बच्चो की साँस चले अबतो सतगुरु से ,क्या कोई चल सकेगा इतना|
आ बड़ेला मंदिर के बच्चे ,तुम्हे प्यार करें सतगुरु इतना |
मेरे बच्चे मिले अंतर्घट ,सतगुरु स्वामी से ऐसे |
क्या कोई अंतर्घट में सतगुरु स्वामी से मिल सकेगा इतना |
आ बड़ेला मंदिर के बच्चे ,तुम्हे प्यार करें सतगुरु इतना |
सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :१७/०१/२०१५ प्रातः११:४४


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया:
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव :
सतगुरु जयगुरुदेव नगर बड़ेला में घर घर बाजन लागे अनवरत बधैया उठन लागे सोहर हो |
अरे अरे भैया अरे अरे बहनो सतगुरु जयगुरुदेव आई गये हो |
धन्य धन्य यही बड़ेला के लोगवा हो |धन्य धन्य तोहरा भाग्य हो |
जहँवा अनामी प्रभु मोरे सतगुरु सरकार ,लियो हो अवतार |
अरे अरे देशवा विदेशवा के लोग सुनी सुनी धायी लेव सतगुरु नगर बड़ेला हो |
जहँवा आय विराजे जगवा के पालनहार सतगुरु अंतर यामी हमार हो |
सुनी सुनी आय जावो सब जगवा के लोगवा अपने सतगुरु की बड़ेला नगरिया हो |
अपने सतगुरु सरकार का लेवो बलइया उतार हो |
फिर अपने सतगुरु स्वामी से मिल लेव अचला पसार हो
सतगुरु मोरे आय गये,अबतो अपने सतगुरु साई को लेव निहार |
आय गये सतगुरु स्वामी हमार हो |
अब तो अपने सतगुरु जयगुरुदेव नामवा की महिमा से पुरे जगवा ,
पुरे दुनिया का कर लेहु सम्भार हो |
सतगुरु स्वामी मोरे आय गये हो |
यही बड़ेला नगरिया की हो ,यही सतगुरु जयगुरुदेव नमवा के पुरे ,पुरे जगवा में मचै लागि धूम हो |
होय लागि महिमा अपरम्पार हो |
कि मेरे सतगुरु जयगुरुदेव सरकार आय गये हो |

"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव"


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : १५/०१/२०१५ सायंकाल: ६:३०


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया:
बच्चे बच्चियों सतगुरु जयगुरुदेव :
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव की रटन लगाते लगाते अपने मालिक परम दिव्य में समा जावो | सतगुरु के सिवा तुम्हारा कोई नहीं है , सच्चा हितैसी जो तुम्हारी भटकती रूह की आंतरिक संभाल कर सके | जहाँ सब वेद पुराण आदि सब धर्म ग्रन्थ मौन रह जाते है | वहां सतगुरु जयगुरुदेव परम दिव्य शक्ति सिरोमणि का सुहाना अखंड दिव्य परम ज्ञान ध्यान उभरता है | ऐसी परम सुहावनी लुभावनी परम पुनीत दिव्य घडी बड़ी मुद्द्त के बाद आती है | ऐसे अनाम प्रभु धरनी पर आकर, धरती को अपना बिछौना बना लेते है और उसी कल्याणमयी बसुंधरा की गोद में अपने गिनती के दैहिक बच्चो के साथ एक सुहानी रहस्य्मयी परम दिव्य लीला खेलते है | रास रचाते है | ये नूरानी खेल जल्दी किसी के समझ में नहीं आता| मालिक के नूरानी कुदरती करिश्माई खेल को कोई नाम दिवाना परम भक्त शिरोमणि ही समझ सकता है | बच्चे मेरे खेल में हैरान मत होवो | इसमें सबका परम हित है | ये जागृति का सुहाना समय है | इसमें अपने सतगुरु कुल मालिक का साथ गह कर अपना काम बनाते चलो | मेरे सतयुग सेनानियों अब इस नूतन मंगलमयी कुदरती घडी की सुइयां अबाध रूप से हिल रही है ,चल रही है |
अब इंतजार का, सोने का वक्त नहीं है | सतगुरु जाग्रति का डंका बजा दो, अब दो युग आपने समाने खड़े है | मेरे सतयुगी बचो अब देखने का समय नहीं है| कुदरत भी तुम्हारा इन्तजार कर रही है |
सब कुछ तो वह मालिक बता ही रहा है | बच्चे तुम्हारा पल पल बढ़ता आत्मविश्वास अब सतगुरु जयगुरुदेव का प्रकट रूप बनने जा रहा है| बच्चे तुम नादान नहीं हो, सब समझ रहे हो | अब अपने समरथ सतगुरु जयगुरुदेव को हाज़िर समझ कर रूहानियत कुदरती पहचान धीरे धीरे करते चलो | वक्त पर काम आएगा |

बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:१७ /०१/२०१५ सायंकाल:४:५५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया:
बच्चे अंतर से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव:
दुनिया में एक अनोखा मंदिर है |
सूरतों की अजब कहानी है |
सतगुरु की गजब निशानी है |
रूहें जो जागृत है ,सतगुरु जयगुरुदेव की दीवानी है |
धुन सुन सुन कर होश में आती है |
धुन सुन सुन कर होश में आना है |
कुल मालिक से मिल मिल कर ,कुल मालिक की हो जाती है |
कुल मालिक से मिल मिल कर ,कुल मालिक की हो जाना है |
बच्चे अब अंतर्यामी प्रभु से अर्जी करते चलो ,अब अपना सब कुछ मालिक को अर्पण कर दो |जहाँ भी हो जिस हाल में हो वहीँ पहुँच कर सतगुरु तुम्हारी संभाल करेंगे |अब अपने बच्चो को अंतर्यामी बेहाल नहीं देखना चाहता |बच्चे तुम्हारा अंतर्यामी पिता सतगुरु जयगुरुदेव बड़ा ही परम सामर्थवान है |
बच्चे अपने अनामी महाप्रभु परम पिता सतगुरु जयगुरुदेव पर गर्व करो |मेरे सतयुगी बच्चे ,तुम सब बधाई के पात्र हो ,तुम्हारा परम पिता अपने बच्चो पर गर्व कर रहा है |बच्चे अपने काम में डटे रहो निर्भीक बनकर |मुझे अपने बच्चो पर भरोसा है |बच्चे आज के अरण (वन) में निष्ठा पूर्वक मेहनत करो अनामी धाम ,राज्य तुम्हारा है |अपने बच्चो को नवनीत नूतन मंगलमय हार्दिक बधाई देता हूँ ,देता रहूंगा |बच्चे मेरे मुझे याद करते रहो ,रहना ,मै तुम्हे याद करता रहूंगा |

प्रेम से बोलो मेरे सतयुगी होनहार बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

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सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १६-०१-२०१४


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
सत्य और असत्य का ज्ञान सतगुरु ही कराते हैं l जो अपनी बुद्धि और अहंकार का त्याग कर सतगुरु चरणों में समर्पण करता है , उसे ही सत्य का ज्ञान हो पाता है l बैठे बैठे अपनी बुद्धि लगाना और ये तय करना कि क्या सत्य और क्या असत्य है एक सत्संगी कभी नहीं कर सकता l उसे सतगुरु चरणों में समर्पण करना ही होगा l बगैर इसके उसे सतगुरु का पता ठिकाना मिलने वाला नहीं l
सुरत की संभाल सिर्फ और सिर्फ सतगुरु ही करता है l सतगुरु वो होता है जो सचखंड से आता है , जीवों को जगाता है और निजधाम लेकर जाता है l संत की छटा निराली होती है l उनका जलवा तो अंतर में ही देखने को मिलता है l संतो के जीव बहुत भाग्यशाली होते हैं | वे संतो की दया के पात्र अपने भाग्य से बन जाते हैं l किन्तु यदि वे उस दया को लेने से इनकार कर दें तो ऐसे जीव दया से अपने कर्मानुसार वंचित भी हो जाते हैं l ऐसे जीव ये कार्य जानबूझकर करें या जाने अनजाने में अपने कर्मों का परिणाम वो स्वयं भुगतते हैं l
सतगुरु की दया को लेने के लिए दीन बनना पड़ता है l जो दीन बन जाते हैं उनमें अहंकार नहीं होता , ऐसे जीव के दिल में सतगुरु निवास कर सकते हैं l यदि ऐसा जीव मन बुद्धि , चित्त से पूर्ण समर्पण कर दे तो वो सतगुरु चरणों के अधिकारी बन जाता है और सतगुरु उसे सत्य असत्य का पूरा बोध देते हैं l सतगुरु न सिर्फ उसका मार्ग प्रशस्त करते हैं बल्कि उस मार्ग पर चलने में उसकी पूरी पूरी मदद भी करते हैं l सतगुरु की दया अंतर में पाने के लिए उसे सतगुरु को हर प्रकार से समरथ मानना होगा l जो समरथ होता है वो अपनी मौज के अनुसार सब कुछ कर सकता है l जब चाहे जिस नाम को जगा दे , जब चाहे किसी जीव को उठा दे l ये सब उसकी मौज पर निर्भर करता है l उसकी मौज को जानने समझने के लिए अंतर में उस सतगुरु से मिलना पड़ता है l जो अंतर में सतगुरु की दया लेते हैं वही वस्तुतः सतगुरु की मौज को जान पाते हैं l
ll जेहि जाने जिसे देत जनाय
सतगुरु दया कृपा से भाई
वे ही जाने सतगुरु मौज उपजाई
जो अंतर में चढते हों भाई
जानत बूझत मिलत सतगुरु से
तुम्हें वो भेद बता दे भाई
चढो उच्च गगन में तुम भी उन संग
जो चढ़ी चलते करते बड़ाई
अपने गुरु की दया सब जग गाई
गावत गावत चले वो भाई
सतगुरु दया मिले उन्हें भाई
सतगुरु जयगुरुदेव कहें वो
गुरु की आज्ञा रखें सर माही
चले चले वो चले सतगुरु पथ पर
तुम भी उन संग हो लो भाई
गावत गावत तुम भी पा लो
सतगुरु दया तो मिल रही भाई ll
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:१५ /०१/२०१५ प्रातः ७:०९


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश :
बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव :
मेरे सभी बच्चे बच्चियों अपने सतगुरु जी की मंगल कामना करते रहो |अपने सतगुरु की दिव्य अगवानी करो | अपने सतगुरु जयगुरुदेव जी की दिव्य मंगलमय आरती लेते रहो | अनामी महाप्रभु की मंगलमय आरती का भरपूर स्वागत अभिनंदन करो | दिव्य भाव बढ़ाते रहो | दिव्य भाव बढ़ाते बढ़ाते एक न एक दिन पूर्ण दिव्य सिंधु बन जाएगा(में मिल जावोगे)|
आरती करूँ अपने अमर सतगुरु जयगुरुदेव अनामी की |
परम दिव्य स्नेहमय , सतगुरु जयगुरुदेव ज्ञानी की |
परम दिव्य मै अंतर ध्यान करूँ अपने सतगुरु जयगुरुदेव ज्ञानी की |
अरति करत परम दिव्य ही होत उजास ,
ऐसो परम सतगुरु जयगुरुदेव नमामि की |
अरति करत परम दिव्यमय ज्ञान का सुहाग उतरत,
ऐसो परम दिव्य अमर सतगुरु जयगुरुदेव सहिदानी की |
अरति करत अपने सतगुरु साहब में ऐसो मिलत , ऐसो समात
जैसे बीना के धुन में मीरा समानी |
ऐसे परम अमर सतगुरु जयगुरुदेव की आरती
करत सभी परम भक्त जन , मुदित होत मन |
गावत परम उछाह , अपने परम सतगुरु की देख बरात सुहानी |
अरति करूँ अपने अमर सतगुरु जयगुरुदेव अनामी की |
बच्चे अपना अखंड परम सौभाग्यमय सतगुरु जयगुरुदेव की रूहानी आरती उतारते चलें | अब आपका परम दिव्य सतगुरु बच्चो की आंतरिक रूहानी आरती सुनने के लिए बेताब है | अब बाहर का भटकाव छोड़कर अंतरी पुकार लगावो | अंतरघाट पर बैठकर सतगुरु को गुहारो | मालिक के दरबार में हाज़िर नाज़िर होकर, मिन्नत प्रार्थना करते चलो | देर मत करो | इस जागरण की शुभ बेला का परम दिव्य रूहानी लाभ लेते रहो |मालिक की दयामयी रूहानी दिव्य दृष्टि निहारते रहो |दिव्य लाभ ले लो | मेरी बड़ेला मंदिर में हाज़िर होने का समान बनाते रहो | इसमें चूको नहीं , इसी में तुम्हारा कल्याण है |
सतगुरु समरथ हैं साथ साथ है |
"बोलो बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर ,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :१४/०१/२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश :
मालिक के शब्दों में सुरत स्वामी संवाद :
"हे सतगुरु तुम कहाँ से आये ,कौन है देश तुम्हारा"
*****************************
सुरत अपने सतगुरु से पूंछ रही है |हे सतगुरु मेरे मालिक तुम कहाँ से आये |कौन सा देश तुम्हारा है |
*****************************
"मै तुमको खोजत फिरूँ ,कहीं न मिले ठौर ठिकाना "
*****************************
सुरत अपने सतगुरु को हर जगह खोज रही है और मालिक से प्रश्न करती है |हे मालिक मुझे अपना पता बता दीजिये |आपका अता पता नहीं मिल पा रहा है |
*****************************
"मुझको कहाँ ढूंढे रे बन्दे ,मै तो तेरे पास में "
*****************************
सतगुरु मालिक कहते है |मुझको कहाँ ढूंढ रहे हो बच्चे ,मै तो तुम्हारे पास अंतर में बैठा हूँ |अपने बच्चों का अंतर्घट ही मेरा पता है ,यही मूल ठिकाना है ,यहीं मै रहता हूँ |
*****************************
अपने अंतर्घट जाग री,सुरत सुहागिन |
तेरे अंतर्घट में ही ,तेरा अमर सतगुरु जयगुरुदेव सदा विराज री |
सुरत सुहागिन |
*****************************
हे सुरत तेरे निज अमर घाट पर ही तेरे अमर सतगुरु जयगुरुदेव का आसन है ,बैठक है |वाही तेरा सतगुरु जयगुरुदेव आसन लगाकर विराजमान है और वहीँ से निरंतर पुकार लगा रहा है |
*****************************
"हे सुरत तुम निज घाट पे आवो ,
यही से दिखे इक तारा,बिन्द निराला|
यही बुंद तुम पकड़ कर आवो ,
तोहे मिल जाए अमर सतगुरु जयगुरुदेव सिंधु अपारा"
*****************************
हे सुरत तू अपने निज घात पर बैठकर सदा विराजमान अपने सतगुरु को अपलक निहारने की कोशिश में लग जावो |वहीँ तेरे सतगुरु की झलक दिखाई देगी ,वाही तेरा मूल आधार है | जो कुछ दिखाई दे उसे पकड़ कर अपने सच्चे सतगुरु के देश चलने की तैयारी करो | इसी बिंदु को पकड़ कर अपने अमर सतगुरु जयगुरुदेव रुपी सिंधु में मिलने की कशिश ,जतन करो |वहीँ सतगुरु तुझे सच्चा पता ठिकाना दिखायेंगे|
*****************************
"चल री सुरत सुहागिन ,अब अमर सतगुरु जयगुरुदेव के देश |
जहाँ मिले न सतगुरु के सिवा ,कोई दूजा सन्देश |
अमर सतगुरु जयगुरुदेव दया से मिला यही देश |
यही अखंड सतगुरु जयगुरुदेव ,मंदिर बड़ेला |
यही तेरे अमर अमिट सतगुरु जयगुरुदेव का देश |
यही सतगुरु देशवा की ,करीय खोजरी मोरी सुरत सुहागिन |
यही बड़ेला देशवा में आई ,विराजत अमर सतगुरु जयगुरुदेव तोर री |
मोरी सुरत सुहागिन |" *****************************
हे सुरत अब अपने सतगुरु के बड़ेला मंदिर में पहुँच कर | अपने निज काम में लगकर अपने सतगुरु में मिलने की कोशिश करो |
**सतगुरु जयगुरुदेव ***


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
संपर्क सूत्र : 09651303867, 07052705166, 09711862774, 08800228964, 08004021975

Guru Purnima

Satguru Jaigurudev The Name Of God

Dated:12th Jan 2015


Param Saint Satguru Jaigurudev ji Maharaj's Message to those who are willing to meet Satguru(The God).
Satguru Swami Maharaj param saint Baba Jaigurudev is seated in monolithic form in his spiritual temple Jaigurudev Akhandeshwar in village Bdela.That is why there,people start experiencing the Satguru Swami grace in inner soul and On the order of Him they glorify the temple and owner(satguru) .This is Satguru's world level temple and it is going to be a centre of self realisation.Every one coming here is getting the mercy of God and inner soul experience. Those who are willing and waiting for malik(God) and wanted to do self realisation after taking His mercy ,then they must come here and call the Malik(Satguru).The owner(God)is alive and he is in human body.For the benefit of his children,He is behind the scenes but He will come out,with His grace and mercy third eye and ear would get open and everyone will able to see the God.Then all will able to listen the voice of God and able to tell other. The edge of mercy is very sharp,down on everyone who come here.Until you do not listen the divine voice ,till then you don't understand anything.Feel yourself , know and understand.
Note:Money service is not taken here in this temple.Reached there with full responsibility.
For any kind of information contact on below numbers:
Devotee: Anil Kumar Gupta:+919651303867
Shailesh Kumar:+918800228964
Satish Patel:+918004021975
Suneel kumar:+919711862774
Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
Ayodhya,
District:Faizabad(U.P.),India.
Note: The name "Satguru Jaigurudev" is the name of God,"Sat" means truth ,guru means The Teacher, "Jai" translates to "victory" and "gurudev" to "teacher".
Satguru Jaigurudev is neither any human name nor that of another object such as animal, tree or river.
The phrase "Satguru Jaigurudev" to be a representation of "Anami Purush", the nameless supreme being.It is told by the great Spiritual Master (Saint Satguru Jaigurudev)that a soul sent from Sat Lok (the place of truth), the perfect realm where enlightened souls dwell, can designate an indicative name for Anami Purush just as Kabir used the name "Sahib", Goswami Tulsidas used "Ram" and Guru Nanak Dev used "Wahe Guru". Such names have miraculous powers.
Miraculous powers attributed to the name Satguru Jaigurudev include the power to :
1.reduce existing pain and misery
2.save people from premature death, also known as Akaal Mrityu.
3.reduce distractions of the mind
4.reduce the burden of karmas which enables the soul to attain higher spiritual levels
5.save the soul from temptation and deception while performing sadhanas. These are believed to be fearsome
shapes or erotic images that impede progress to self-realization.
Satguru Jaigurudev is the only name that can liberate the soul from the negative powers of kal (mortality) and maya (illusion).


Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १३-०१-२०१४


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चे और बच्चियों तुम्हें जो नामदान मिला है उसका उपयोग करो l ये नाम तुम्हें तुम्हारे सच्चे पिता से जोड़ता है l इस नाम में बहुत ताकत होती है l इस नाम के सहारे चलकर मेरा जीव मुझ तक पहुंचता है l जब जीव को नामदान मिलता है तो नामदान देने वाले सतगुरु से उसका तार जुड़ जाता है l सतगुरु सचखंड से आते हैं और जीव को नाम के तार से जोड़कर चढ़ाई में मदद करते हैं l
यदि इस नाम को कोई ऐसा जीव दे जो सचखंड का नहीं हो तो ऐसे जीव पर करोड़ों जन्मों के कर्म लद जाते हैं l यह जीव स्वयं में कुछ नहीं कर सकता एवं जिसे नामदान दिया उसका कुछ भी कार्य नहीं होता l ऐसे जीव की संगति अन्य जीवों को पथभ्रष्ट कर देती है l जो जीव ऐसे जीव की संगति में रहते हैं वे अपनी अध्यात्मिक जमा पूंजी नष्ट कर बैठते हैं l ऐसे जीवों को नामदान मिलने के बाद भी वे एक संसारी व्यक्ति के समान होते हैं l
नामदान देने वाला सतगुरु जीवों को नामदान देने के साथ साथ उनकी संभाल कर ऊपरी लोकों में ले जाता है l यदि जीवों की संभाल नहीं हो रही हो तो उन्हें स्वयं की परख करने की आवश्यकता है l सतगुरु हर प्रकार से अंतर में विद्यमान होता है और अपने जीवों की संभाल उस जीव के भाव के अनुसार करता है l जो जीव अपने सतगुरु को छोड़ देते हैं तो उसी भाव के अनुसार सतगुरु को भी उन्हें छोड़ना पड़ता है l ऐसे में जीव की संभाल अन्य कोई तब तक नहीं कर सकता जब तक स्वयं नामदान देने वाले सतगुरु उसकी डोरी अगले सतगुरु (सचखंड से आने वाले संत) के हाथ नहीं सौंप देते l
नामदान लेने के बाद जीव पूर्णतया सतगुरु के अधीन हो जाता है l उसकी संभाल एवं उसके कर्मों की पूर्ण जिम्मेदारी संत सतगुरु की होती है किन्तु यदि यह जीव स्वयं भ्रम में पड़कर या अन्य किसी कारण से सतगुरु से विमुख हो जाए तो सतगुरु उसे समझाते बुझाते हैं किन्तु न मानने पर उसे उसके कर्मों के साथ वहीँ छोड़ देते हैं l ऐसा जीव पूर्णतया संसारी बन जाता है और सतगुरु की दया को नकार कर स्वयं के कर्मों से अपनी मुक्ति का मार्ग बंद कर लेता है l
जीव को चाहिए कि वो हर पल अपने सतगुरु से दया की गुहार लगाता रहे l स्वयं को छोटा और सतगुरु के अधीन माने व अपने सभी कर्मों को सतगुरु को समर्पित कर दे l ऐसा जीव सदैव सतगुरु चरणों में रहता है और सतगुरु उसकी हर पल संभाल करते रहते हैं l
जीव का मुक्ति पथ संत सतगुरु ही प्रशस्त करते हैं l संतो का भेष धरने वाले कभी संत नहीं बन पाते क्यूंकि संत तो सचखंड से आते हैं l कोई भी जीव अपने सतगुरु की आज्ञा और दया के बिना अन्य जीव की मदद नहीं कर सकता l संत सतगुरु यदि शक्ति किसी जीव को देते हैं तो उसे समेटना भी जानते हैं l संत सतगुरु मर्यादा से बंधे होते हैं और यही कारण है कि जीव उन्हें एक साधारण मनुष्य समझने की भूल कर बैठता है l अंतर में जाने वाला साधक सतगुरु का जलवा देखता है और वास्तव में वही थोडा बहुत सतगुरु को जान पाता है | सतगुरु को पूर्णतया जानने वाला जीव कोई बिरला ही होता है जो उच्च कोटि का साधक होने के साथ ही संत सतगुरु के साथ अभेद होता है l
जानत बूझत है सब कुछ वो
पर वो तुम्हें जानने दे न भाई
करे समर्पण संत सतगुरु को
वही कुछ बूझे जाने भाई
इधर उधर चल फिर कर समझे
सतगुरु शरण गहि न भाई
ऐसो जीव कछु न समझे
समझ परे फिर कुछ न बुझाई
जेहि जानत जेहि जाए हेराई
जानत जेहि उसी में समाई
बूझे समझे सब कुछ जाने
वो ही जाने जो उसमें जाए हेराई |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक: १३-०१-२०१४


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चे और बच्चियों अब होश में आ जाओ l ये वक़्त सोने का नहीं l अहंकार छोड़कर मेरे संदेशों को सुनो l बाद में कोई बताने वाला नहीं मिलेगा l
तुम समझते हो वो अनामी पुरुष करतार तुम्हारे घर चल कर आएगा तो ऐसा तभी होगा जब तुम हर प्रकार के विकार से मुक्त होकर सतगुरु जयगुरुदेव की शरण में आ जाओगे l तुम स्वयं विकारों की खान हो और चाहते हो अनामी पुरुष स्वयं तुम्हें दया देने तुम्हारे घर आयें l ये तो इसी प्रकार हुआ कि प्यासा घर में बैठा रहे और कुएं का पता बताने के बावजूद कहे कि जब कुआँ स्वयं चलकर आएगा प्यास बुझाने , तब मानूंगा l तुम प्यासे ही बैठे रह जाओगे l
वो अनामी पुरुष करतार सर्व समरथ है उसके लिए न जीवों की कमी है न सेवादारों की l तुम नहीं उठोगे तो किसी और जीव को उठा लिया जाएगा l मुझे तो अपनी गिनती पूरी करनी ही है l मेरे बड़ेला मंदिर जो भी आएगा उसे दया जरुर मिलेगी l अखंडेश्वर मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं जाता l जो आएगा लगन और विश्वास के साथ , उसकी आशा अवश्य पूरी होगी l आजमाना चाहो तो आजमा लो रूहानी दौलत तो बांटी जा रही है l जिन्हें मिला उन्होंने आदेश को माना और खुलकर बताया , जगाया l
जाग जाओगे तो तुम्हें भी मिल जाएगा l नहीं तो जब होश आ जाये तो चल पड़ना l समय पर आ गए तो मदद हो जाएगी नहीं तो मेहनत करके फिर कुछ पाना होगा l संतो के दरबार में न तो रिश्वत चलती है न ही पहुँच l जिसके जैसे भाव होते हैं उसे वैसे ही दया मिलती है l यदि कुछ पाना है तो लगन भाव और तड़प से ही मिलेगा l जो सतगुरु को हाज़िर नाज़िर जानता है और सतगुरु से मिलने की तड़प रखता है वो मेरे अंतर्घट मंदिर जरुर आएगा और दया भी अवश्य मिलेगी l तुम समझो कि मेरे रहते तुम्हें कोई बहका लेगा तो ऐसा सिर्फ तुम्हारे अहंकार के कारण होगा l जिसे सतगुरु की सच्ची लगन है उसका रास्ता मै स्वयं बना रहा हूँ l यदि तुम मान लोगे तो तुम्हारा काम बन जाएगा l इससे ज्यादा और मैं क्या मदद कर सकता हूँ l अपनी मदद तुम्हें स्वयं करनी होगी l मेरे बच्चे मेरी सेवा का काम कर रहे हैं l जिससे जितना बन रहा है सब लगे हैं l आगे के समय में ये वो कर जायेंगे कि तुम सब चकित रह जाओगे l मानना न मानना सब तुम्हारे हाथ में है l काम भी तुम्हारा ही होना है l जिन्हें करना है वो लगे हुए हैं , तुम्हें करना हो तो तुम भी लग जाओ क्यूंकि समय की कमी है l आगे के समय में सब व्यस्त होंगे अपने अपने काम में l तुम्हें मेहनत करनी पड़ेगी अभी तो सब आसानी से मिल रहा है l तुम्हारे बस का कुछ नहीं है l जब सुगमता में नहीं कर पाए तो आगे क्या कर पाओगे l
ये करयुग है जो करता है वही पाता है l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:१२-०१-२०१५


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चे और बच्चियों आज का दिन शुभ है l कुछ विशेष काम होना है , उसके लिए मुहूर्त अच्छा है l वो काम आज हो जाए तो अच्छा है l
समय पर काम होना बड़ा जरुरी है l अब तो ज्यादा वक़्त भी नहीं है l तुम सब लोग मिलकर के काम कर जाओ l मिलजुल कर काम करोगे तो अच्छा होगा l मेरी शुभकामनाएं सदैव तुम्हारे साथ हैं l तुम बच्चों पर मेरा आशीर्वाद सदैव रहेगा l
गुरु का संग बहुत भाग्य से मिलता है l अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझो l सतगुरु की दया प्राप्त करने वाले जीव साधारण नहीं होते l ये वो असाधारण जीव होते हैं जिनके पास आध्यात्मिक शक्तियाँ होती हैं l इन शक्तियों का प्रयोग वे सतगुरु की आज्ञा से संगत के हित में करते हैं | अपनी शक्तियों को पहचानो l जब तक पहचानोगे नहीं , अपने बोध में नहीं आ पाओगे l एक बार बोध में आ जाओगे तो सारा काम बगैर किसी कमी के पूरा करते चले जाओगे l सब समय पर निर्भर करता है l समय का सदुपयोग करना सीखो l
सुनो बच्चों ! चेत जाओ और काम करो l स्वयं को छोटा और पीछे न समझो l कोई किसी से कम नहीं है l सबको अपना अपना काम करना है l दूसरे के काम को मत देखो l स्वयं में तल्लीनता लाओ l स्वयं को सतगुरु में मगन कर दो l फिर जो दिक्कत परेशानी है दूर हो जायेगी l
काज (जग के) बिसारे सतगुरु मिले
काज (सेवा) मिले सतगुरु से
काज (सतगुरु का) करन सतगुरु का
काज (सतगुरु का) बनाओ मगन रह सतगुरु में
काज करन के वास्ते सबको भुला
सतगुरु में रम जाओ |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:११ /०१/२०१५ (सायंकाल:३:२४ से ४:४५)

(नोट: ये वचन गुरु बहन बिंदु सिंह को मालिक(परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी) ने आध्यात्मिक रूप से बोल बोल कर लिखवाया है:-) मालिक के शब्दों में :-:
"प्रेम से बोलो बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव"
अपनी अपनी पूजा साधना करते चलो |ये औतारी बच्चे जब मैदान में उतर कर अपना काम करेंगे तो ये अपने माँ बाप को भी नहीं माफ़ करेंगे | ये क्या हैं क्या करेंगे ये समय बताएगा, समय से ही इनकी पहचान बनेगी | बस थोड़ा सा इंतजार है | इनकी शक्तियों का विकाश धीरे धीरे हो रहा है |( ये बच्चे खुद ही नहीं जानते की इनके अंदर क्या क्या रूहानी दौलत मौजूद है ) बच्चे रहमान का काम है | धीरे धीरे समय आने पर बोध होता जाएगा | समय से साधना करते रहो , जागकर मालिक के दया की धार (ज्वार भाटा) आएगी| ये जागृति का समय है | जागरण करावो और स्वयं जागृति में आ जावो | मालिक के निशाने पर बैठकर दया धार लेना सीखो | हर चीज का समय होता है | सतगुरु जागरण का मुहूर्त धीरे धीरे आन पहुंचा है | समय से लगकर सेवा साधन करते चलो | समरथ सतगुरु जयगुरुदेव को भूलो नहीं | अपने बड़ेला मंदिर के प्रसार प्रचार कार्य में तेजी लावो | अभी जल्वा कहाँ देखा है | अपने सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर बड़ेला का और अपने सतगुरु जयगुरुदेव का |
जल्वा देखा जल्वा देखा ,ऐसा निराला जल्वा देखा अपने सतगुरु जयगुरुदेव का |
जल्वा देखा जल्वा देखा ,अपने सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर बड़ेला का |
उत्तर देखा दक्षिण देखा ,पूरब देखा पश्चिम देखा |
जल्वा देखा अपने अनामी प्रभु सतगुरु जयगुरुदेव का |
अखंडेश्वर मंदिर का जल्वा देखा ,जल्वा देखा |
जल्वा देखा अपने सतगुरु जयगुरुदेव का |
नीचे देखा ऊपर देखा ,ऐसा निराला जल्वा देखा अपने मालिक का |
ऐसी अदभुत लीला देखी अपने सतगुरु जयगुरुदेव की |
ऐसी निराला अदभुत करिश्मा देखा,अपने सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर बड़ेला का |
जल्वा देखा जल्वा देखा जल्वा ,जल्वा चारों तरफ ही जल्वा मेरे सतगुरु जयगुरुदेव का |

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक:१०/०१/२०१५ शाम:७:२५

(नोट: ये वचन गुरु बहन बिंदु सिंह को मालिक(परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी) ने आध्यात्मिक रूप से बोल बोल कर लिखवाया है:-) मालिक के शब्दों में :-:
"बच्चे प्रेम से बोलो सतगुरु जयगुरुदेव"
बच्चे शंका क्यों करते हो | शंका मत करो , श्रृष्टि के जर्रे जर्रे में जीवात्मा है | अनामी प्रभु का अंश है | इनकी सेवा करना (सबसे बड़ा धर्म है) सीखो | मालिक के वचन (प्रार्थना), मालिक की आवाज जो सच खंड से आ रही है | इसकी सी. डी. बनवाकर प्रसार, प्रचार करो | जल्दी करो ये जागृति का समय है , सोने का नहीं है |
तुम्हारा सतगुरु जग रहा है | निरंतर आवाज लगा रहा है | उसको सुनो और अपनी शक्ति , भक्ति को अपने सतगुरु में विलीन कर दो | मिला दो | शक्ति तो मालिक दे ही रहा है (पहले लेने के काबिल बनो) कुदरती शक्ति सब में समायी हुयी है | लेकिन बच्चे तुम्हे अपना बोध नहीं है , होश नहीं है | सब कुछ वो अनामा प्रभु समझा रहा है | होश दिला रहा है | अब तो बोध में आ जावो , अब सोने का वक्त नहीं है |
स्वयं में जागृति लावो |
"खुद जागो और जगत को जागते चलो ,इतनी शक्ति मुझे दो सतगुरु "
बच्चे बच्चियों पूरे विश्व को तुम्हारी जरूरत है |अपनी दिव्यता की सुगंध से दिग दिगंत को महका दो ,
अपनी परम दिव्य शक्ति की पहचान में आ जावो |तुम्हारा सतगुरु अपने (निज) बच्चो का आवाहन
कर रहा है |बच्चे बड़ेला सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,तुम्हारी अपनी दिव्य पहचान है |आगे बहुत कुछ होने जा रहा है |मेरे बच्चे यह चुनौती का वक्त है |अब अपने सतगुरु जयगुरुदेव की आंतरिक आवाज सुनो ,उठो स्वयं जगो और पूरे विश्व को अपने सतगुरु जयगुरुदेव की दिव्य शक्ति का खुलासा ,अहसास करा दो |
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "|

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 09-01-2015


गुरु महाराज (परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज) ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन वचनों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव -
देखो बच्चों मेरा तो सब काम हो गया, तुम्हारा अभी बाकी है l मेरे काम से मतलब मैं जिस कारन से परदे के पीछे गया था वो काम मेरा अब सब हो चूका है l मेरे सच्चे जीव मेरे साथ हैं l मेरे वो बच्चे अब अपने बोध में आ चुके हैं l उन्हें अहसास है कि जो शक्तियां उन्हें मिली हैं उसे कहाँ और कैसे प्रयोग करना है l इन बच्चों को छेड़ना मत l क्रोध में आ जाएँ तो कुछ का कुछ कर सकतें हैं l अब इन बच्चों का तुम सब कार्य देखना l ये वो हैं जो तुम सोच भी नहीं सकते , ये अपनों को भी नहीं छोड़ेंगे l तुमने गलती की तो तुम कैसे बच पाओगे l ये वो जीव हैं जिन्हें मैंने संजो कर रखा था l ये मेरी बगिया के वो फूल हैं जो स्वयं अकेले ही पूरे के पूरे देश को महकाने के लिए पर्याप्त हैं l बच्चू ! मेरे काम को तो कोई रोक नहीं सकता l जिन्होंने मुझे काल के हवाले करने का प्रयास किया वो स्वयं काल के ग्रास बनेंगे l तुम्हें कुछ कहने सुनने की आवश्यकता नहीं l उन्होंने अपना काम स्वयं कर लिया है l अब आगे का तो भविष्य ही बताएगा l
तुम मेरी बात पर भरोसा करो या न करो, एक दिन तुम्हें समझना ही होगा l वक़्त रहा तो उठा लिए जाओगे, नहीं तो पुनः अपने कार्य पे लग जाना l मनुष्य शरीर मिलना इतना आसान नहीं है l तुम्हारी गलत संगत तुम्हें चौरासी के द्वार तक खींच कर ले जायेगी l संभलना तुम्हें ही होगा क्यूंकि अपना रास्ता तुम्हें स्वयं चुनना है l भीतर की गन्दगी को निकालने के लिए सर्वप्रथम निरिक्षण और परिक्षण की आवश्यकता होती है l अपने अहंकार को छोड़ोगे तभी तो स्वयं का परिक्षण कर पाओगे l ये मत समझना कि तुम्हारे बिना मेरा काम नहीं चलने वाला l मेरा तो काम हर हाल में होकर रहेगा l मेरे पास सेवादारों की कमी नहीं है l जो कह दूँ वो पूरा हो ही जाता है l तुम बस अपनी फिक्र करो l समय रहते अपना काम कर लो, नहीं तो बाद में पछतावे के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर,
ग्राम : बड़ेला, पोस्ट : तालगाँव, तहसील: रुदौली, अयोध्या, जिला: फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : १३/१२/२०१४ प्रातः १२:५४

***सतगुरु जयगुरुदेव मालिक का विश्व के समस्त मुल्को के नाम सन्देश ****
(नोट: ये वचन गुरु बहन बिंदु सिंह को मालिक(परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी) ने आध्यात्मिक रूप से बोल बोल कर लिखवाया है:-) मालिक के शब्दों में :-:
"बच्चे बच्चियों सतगुरु जयगुरुदेव "
सभी बच्चे बच्चियों आपस में लड़ो झगड़ो नहीं |प्रेम सौहार्द से मिल जुलकर रहो | सतगुरु जयगुरुदेव नाम की निरख परख करते रहो |नाम नामी दोनों एक ही है |"
"राम न सकैन्हि नाम गुण गाई""
नाम का गुण तो नाम लोक से आने वाले ही गायेंगे | नाम संतों के आधीन हैं | बेसुमार त्रिलोकियां नाम से (ही) आई हुयी है और नाम में ही समायी हैं | जब नाम स्वयं अपना परिचय देता है , तब ही उसकी पहचान होती है | उस परवर दिगार का लाख लाख शुकराना करते हुए, उसके शाही दरबार में पेश होने के लिए अपने आप को उसकी खिदमद में लगा दो | मालिक के दरबार में अर्जी लगा दो (अर्जी वो क़ुबूल करेगा) | और उस आला फ़कीर से मिलने के फिक्र में लग जावो | कोई न कोई मिल ही जायेगा जो शाह इनायत के दरबार में पेशगी करा देगा | अपने हक और हकूम की पहचान तो तुम्हे स्वयं करनी है | रब की बंदगी करो , उसके इलहाम का कब ध्यान आयेगा? उस मुर्शिद से अपने गुनाहों की माफ़ी करवा लो |तब उसकी रूहानियत की झलक मिलेगी | अपने को ही नहीं समझ पाये , तो खुदा की क्या पहचान करोगे |"
कौम कौम को मुल्क मुल्क को सन्देश भेजवा दो | अब वक्त सोने का नहीं है | अपने आप में जगो और जगावो , उस अल्लाताला का लाख लाख शुकराना करो और उसकी बनायी हुयी बेसकीमती इंसानी जामे की कद्र करो | वरना बहुत सताये जावोगे | उसकी इजलाश पर चढ़ गए तो कोई सुनवाई नहीं होगी | समय रहते फकीरों की रूहानी आवाज को पहचान कर उनके दरबार में हाज़िर होकर अपने जन्मो जन्मो के गुनाहों की माफ़ी करवा लो | उसकी सच्ची नमाज़ अदा करो| अरे कौम कौम के बच्चे बच्चियों आँख पर बंधी उस काली पट्टी को खोलकर सच्ची पेशगी करो | वरना सताए बहुत जावोगे | रहमत की रहनुमाई का स्वागत कर उसकी आवाज की पहचान में लग जावो |"
"संत सतगुरु हैं आये हुए , उनके इलहाम का कब ध्यान आएगा , कब तवज्जो करोगे ""
अरे बन्दों अपनी खुदी को पहचान कर अपने स्वयं में आ जावो | खुदाई का भण्डार तो तुम्हारे अंदर लहरा ही रहा है | उस आती जाती लहर को पकड़ो | स्वांसों की पूंजी गिनकर मिली है | स्वांस पूरी होते ही कोई बचाने वाला नहीं मिलेगा |"
"सतगुरु जयगुरुदेव हैं रहनुमा तुम्हारे,तुमको लेने आये हुए (हैं)|"
उनके स्वागत का कब ध्यान आयेगा ,अपने बन्दों के लिए स्वयं बन्दा बनकर आये हुए |""
सतगुरु जयगुरुदेव का डंका सुनकर होश में आ जावो | अपने निज नाम की रटन लगाते जावो |"
कड़ी से लड़ी पिरोते जावो |
"नाम की जहाज लेकर सतगुरु जी आये ,तुम्हारे लिए हैं किनारे लगाए |""
नाम को पकड़ कर आ जावो किनारे | नाम ही करेगा अब तो सबकी सम्भाल|"
"बोलो बन्दों सतगुरु जयगुरुदेव " |

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : ०९/०१/२०१५ ( रात्रि : ८:२० से ८:३५ )


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश :
"बच्चों बोलो सतगुरु जयगुरुदेव"
बच्चे अपने बड़ेला मंदिर के प्रचार प्रसार में तेजी करो , देर मत करो | अपने अपने कार्यों की धीमी गति में तेजी लावो | आलस मत करो | तुम्हारा सतगुरु तुम्हे रह रह के याद कर रहा है | उसकी पुकार सुनते जावो | सुन कर अनसुनी क्यों करते हो ? संतों के दरबार में चमत्कारी खेल नहीं दिखाए जाते है , उनके यहाँ मालिक की अंतर महिमा का गुड़गान किया जा रहा है , जाता है | अंतर महिमा धीरे धीरे समझ में आती है | कोई मदारी का खेल थोड़े है | तमसा देखा और ताली ठोक कर चलते बने | बच्चे ये आतम विद्या है | ( इसको सीखने के लिए अपना सबकुछ खोना पड़ता है | दांव पर लगाना पड़ता है | तब जाकर कहीं कुछ रंच मात्र , रत्तीभर समझ आती है ) ये अध्यात्मवाद है | मालिक की पराविद्या है | इसके लिए आतम ज्ञान वाला सतगुरु मिलना चाहिए , खोजना पड़ता है | जो तुम्हारे घट के परदे खोल सके |
"खोज री सतगुरु को निज घट में ,बिन सतगुरु तेरा और न कोई जग में"
"बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव "|

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : ०८/०१/२०१५


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश :
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "
बच्चे तुम्हारी दिव्यता की महक चारो तरफ ,हर तरफ फैलने जा रही है |तुम्हारे दिव्य (दैवीय) गुणों को देखकर लोग दांतों तले अँगुंली दबाएंगे ,तुम विश्व को महकाने जा रहे हो |बच्चे अभी तो बहुत कुछ होना है ,खेल तो अब शुरू होने जा रहा है |ये है की मालिक के खेल जल्दी समझ में नहीं आते हैं|उसको वही समझ सकता है |जो मालिक में अपने को मिला दिया है |सतगुरु का रूप बन गया है |ऐसे संत सतगुरु का अंतर दर्शन करते रहना चाहिए |
"अंतर दर्शन कीजै संत सतगुरु का दिन में कई कई बार ,आसोजा का मेह जो बहुत करे उपकार "|
मालिक की एक बूँद यहाँ आ करके समायी हुयी है |इन चरम आँखों से जो दिखाई देता है |मालिक की एक बूँद का पसारा है |सतगुरु को आगे पीछे का सब दिखाई पड़ता है |संत के यहाँ पहेली नहीं बुझाई जाती ,नहीं सुनाई जाती |सतगुरु के एक एक वचन सिरमौर्य होते है|उनकी वाणी अकाट्य होती है |कोई
मेट नहीं सकता |इसलिए उनके वचनो को अमल करते चलो |अमल करते रहो |संत वचन जल्दी से समझ में नहीं आते ,पकड़ में नहीं आते |लेकिन समय आने पर सब समझ आ जाएगी |चिंता क्यों करते हो |लगे रहो |उठते बैठते हर घडी याद करते रहो |वह कुल मालिक ,वह सद्गुरु भी तुम्हे हरपल ,हर घडी याद कर रहा है |दर्शन लेने के लिए और दर्शन देने के लिए |दोनों के लिए तड़प रहा है |कुल मालिक के काम में थोड़ी सी मदद कर दो ,बस निमित मात्र ,बाकी तो करना कराना ,संत सतगुरु की मौज पर हैं |सतगुरु अपने वचनो में कहते है कि "भाव सहित जो भी अर्पण करते हो वो सब मुझे स्वीकार है "|
"भाव वाले भक्त का भरपूर मुझ पर भार है"
बच्चे अपने सेवा भाव को बढ़ाते चलो ,इसमें कमी न आने दो |संत सतगुरु के वचन अमल करो |
सतगुरु जयगुरुदेव रुपी जड़ी से मदद ले लो |
"बच्चे बोलो सतगुरु जयगुरुदेव "|

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : ०७/०१/२०१५ प्रातः ४:४८


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश :
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "
बच्चे आलस मत करो ,आलस अच्छी चीज नहीं है |जिस काम के लिए लाये गए हो उसमे सुस्ती मत लावो |इधर देखो एक एक बात पर ध्यान दो |
"सतगुरु का ध्यान कर प्यारे |
सतगुरु आने ही वाले है |
मान दो बात यह मेरी ,कही और नहीं फंसना |
बड़ेला सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर का प्रचार कर पहले |
बहुर अंतर सत्संग सुनना "|
सतगुरु का दर्शन अंतर बहार करो ,अंतर तड़प विरह वेदना से पुकारो |
"दर्शन की मेरे सतगुरु अंतर हिये उठे प्यास करारी ,दर्शन दीजौ सतगुरु मोरे आय"
तो बच्चे अपनी धुलाई करवा लो |सुरत एकदम साफ़ हो के सामने आ जाय |उसे अपना होश नहीं है |
अपने आप को सतगुरु में कुल मालिक में समाहित कर दो ,तभी तो कहती है "हम और पिया एक ,पिया और हम एक " सतगुरु में अपने को मिला देती है |सतगुरु का रूप हो जाती है |सतगुरु को छोड़कर कहीं अलग नहीं रहना चाहती |बेहोशी दूर हो जाती है |सद्गुरु का एक पल का विछोह सहन नहीं कर पाती |
"पल बिछड़े पिया हमसे ,न हम बिछड़े पियारे से"
सद्गुरु रुपी मणि को पाकर ,वह अपने सद्गुरु को एक पल छोड़ना नहीं चाहती |
सद्गुरु पास रहे या दूर उसे अहसास रहता है ,बोध रहता है कि,सतगुरु मेरे पास है |
"जे जानत जग जाय हेराई ,जानत तुम्ही ,तुम्ही होई जाई"
उसे अपने सतगुरु के अलावा दुनिया के कोई काम अच्छा नहीं लगता |जो भी करती है सतगुरु से आज्ञा
लेकर |दिन रात सतगुरु कि आज्ञा बजाती रहती है |
"मुझे तो काम सतगुरु से ,दुनिया से क्या लेना "
हमेशा सतगुरु के अंग संग रहने के लिए बेचैन रहती है |इसके लिए दिन रात मिन्नत प्रार्थना करती रहती है |तो बच्चे मेहनत करके अपने निज घर कि तरफ मुड़ जावो |एक बार अपने पिता के घर पहुँच गए तो जब इक्षा हो तब आवो जावो कोई रोक टोक थोड़े है |वही तो तुम्हारा अपना सच्चा घर है |
बच्चे इस मनुष्य रुपी मकान में बैठकर भजन कर लो ,अपना निज घाट जगा लो |अपने सतगुरु के देश निकल चलो |
"चलरी सुरत अब सतगुरु के देश ,वहां न काया कर्म कलेश"
बच्चे दृढ़ संकल्प से सब काम करो ,संका क्यों करते हो ?सतगुरु समरथ है ,साथ है |
"बोलो बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "|

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक :०६/०१/२०१५ प्रातः 06:35


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश:
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव "
बच्चे सेवा करते चलो ,थोड़ी थोड़ी सेवा करते रहोगे तो काम हो जायेगा |अपना काम समझ कर करो |यहाँ कुछ भी तुम्हारा नहीं है |यहाँ अन्धेरा ही अन्धेरा है |अँधेरे में क्या ढूंढ रहे हो |अँधेरे में हाँथ पांव मारने से कुछ मिलेगा नहीं |इसलिए सतगुरु के हर काम में मदद करो |समझौती करा लो |यहाँ धीरे से निकल चलो ,यहाँ रहना थोड़ी है |ये देश तुम्हारा नहीं है |तुम्हारा देश जहाँ से आये हो |परम दिव्य प्रकाशमान चैतन्य है |
"परम प्रकाश रूप दिन राती,नहीं कछु चाहि दिया गृत बाती"
सेवा करते रहोगे तो सफाई हो जाएगी |शुद्धिकरण करवा लो |रगड़ाई कर लो |तो मनुष्य मंदिर चमचम चमचम चमकने लगेगा |निखार आ जाएगा इसमें ,फिर जब चाहो जहाँ चाहो इससे काम ले लो |पहले अपना काम बना लो |अपना काम तो बनाये ही रखो फिर सतगुरु से आदेश लेकर ,दूसरों की जहाँन की सेवा करो |मदद करो ,इसलिए ही तो आये हो |इस अमूल्य मनुष्य शरीर की कीमत अदा कर दो |
परम दिव्य शक्ति का भण्डार तो ,अंदर गुप्त रूप से समाया है |तो बच्चे सत्संग सेवा के लिए लालायित
रहो |सत्संग की चाह हर वक्त बनाये रखो |
राम बुलावा भेजिया ,दिया कबीरा रोय|
जो सुख है सत्संग में ,सो बैकुंठ न होय ||
सत्संग शिरोमणि के पास पहुँच कर दिव्य सत्संग सुनो |
"बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव" |

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 05-01-2015 प्रातः 02:55


गुरु बहन बिंदु सिंह का निज अनुभव सन्देश:
आज सुबह २:५५ मिनट पर साधना में बैठ गयी ,देखा मालिक सामने बैठे हुए है |मालिक के चरण स्पर्श किये |मेरे साथ एक सत्संगी बहन है ,उन्होंने भी मालिक के चरण स्पर्श किये |मालिक के चरणो में माथा झुका दिया |मालिक बारी बारी से दोनों लोगों के सर पर अपने चरण रखा |हम लोग धन्य हो गए |मालिक से पूंछा मालिक सुमिरन कर लें ,मालिक ने उत्तर दिया "हाँ बच्ची कर लो कर लो "|सुमिरन किया प्रतिदिन की तरह फिर २ माला सतगुरु जयगुरुदेव की और करके मालिक से कहा ,"मालिक इसको अपनी झोली में रख लीजिये,आपकी सतसंगत के लिए |जहाँ जिसको चाहें उचित हो लगायें,यही मेरी परमार्थी सेवा है "|मालिक एक सोंटा लिए है और उसमे बहुत सुन्दर की गठरी बंधी हुयी है ,बिलकुल सफ़ेद |देखा एक बिन्दुं प्रकाश का मालिक के गठरी के पास गया और उसमे विलीन हो गया |धन्य हैं मेरे मालिक और उनकी सत संगत |फिर रील चलने लगी |मालिक कई जगह ले गये|मालिक ने सत्संग सुनाया |एक जगह मालिक बैठे है |सिंघाशन जैसा दिखाई पड़ रहा है |अपने दोनों तरफ कुछ रखे हुए है |मालिक एक पैर से पालथी लगाये हुए है ,और दूसरा पैर नीचे है |मालिक के पैर के नीचे एक थाल जैसी रखी है |उससे ऊपर कुछ चमक आ रही है |मैंने मालिक से पूंछा ये क्या है ?तो मालिक ने कहा बच्ची ये नूर है |ये नूरी देश है |मन ,चित,बुद्धि का भण्डार अलग अलग है |इसी भण्डार में ,अपने अपने भण्डार में विलीन हो जाते है |मालिक ने समझाया सुनाया |
"या अनुरागी चित की गति समझे नहीं कोय ,ज्यों ज्यों भीगे सतगुरु रंग ,श्याम रंग त्यों त्यों उज्वल होय"
कई जगह मालिक सत्संग कर रहे है |कहीं भीड़ ज्यादा है ,कहीं कम है |एक जगह गुरुदेव ,गुरुदेव की आवाज आ रही है |मालिक से पूंछा "मालिक ये क्या है ?" मालिक ने कहा "बच्ची ये विष्णु लोक है "|फिर मालिक ने समझाया की देवता भी मनुष्य शरीर पाने के लिए लालायित रहते है ,कि "मुझे भी मनुष्य शरीर मिल जाय और मै भी सतगुरु कि खोज करूँ "| फिर मालिक ने बहुत कुछ दिखाया |धन्य है मेरे सतगुरु जयगुरुदेव और उनकी दया कृपा का वर्णन ही नहीं कर सकती |
सतगुरु जयगुरुदेव |

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 03-01-2015 प्रातः 08:15


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को लिखवाया सन्देश:
"बोलो बच्चो सतगुरु जयगुरुदेव "
बच्चो तुम्हारा धर्म भी दिव्य हो| तुम्हारा कर्म भी दिव्य हो|बच्चे तुम जहाँ से आये हो वो देश निराला है | उसके समान यहाँ कुछ भी नहीं है | जिसकी तुलना यहाँ नहीं की जा सकती|वहां से संत आते हैं | आये हैं | वो अपने डंग से यहाँ समझाते हैं | मेला लगाते हैं | तमासा देखने बहुत से लोग संत के दरबार पहुँचते हैं | साझा मंच बनाते हैं | सबको टेरते हैं | टेर लगाते है | सब कुछ समझातें हैं | माया का सारा पसारा है | सोंच समझ कर चलो क्योंकि माया किसी को छोड़ती नहीं है |
"चौसर बाजी बिछी हुयी है ,सोंच समझ जो खेला |
वो तो बाजी जीत के जावे ,नहीं तो फंसे हैं झमेला |
मेले में तो मेली बहुत हैं, कोई गुरु कोई चेला |
सतगुरु जयगुरुदेव शहंशाह है,सबसे न्यारा न वो गुरु न वो चेला |"
परमार्थ के रास्ते में माया अनेक विघ्न करती है |लेकिन उस विघ्न को हटाने के लिए कोई मददगार चाहिए ,सहयोगी चाहिए ,जो सहायता करे |वह मददगार सतगुरु जयगुरुदेव हैं | जो हर वक्त आपके पास है |अगर सतगुरु स्वामी आपके पास ना रहे |बराबर निगरानी न करें | तो आप फंस जाएंगे | इसलिए अपने सतगुरु जी को हर वक्त याद करते रहो |
सतगुरु जी को याद करने वाले से प्रेम किया, तो हमेसा हर मुसीबत में सतगुरु की याद आयेगी|
जो सतगुरु को भूले हुए है | उनका प्रेम नाक़िस है | भी भी तुम किसी से मिलो ,उठते ,बैठते ,जागते , चलते ,सोते ,खाना बनाते या अन्य और कार्य करते ,सतगुरु जयगुरुदेव को प्यार करने वाले प्रेमी को याद करोगे तो मालिक सदा सर्वदा याद आयेगा| अंतर में भी मालिक का सत्संग ,सतगुरु और उसके प्रेमी मिलेंगें | कुल मालिक यही कहते हैं |जागते सोते सदा होश में रहो और उस दिव्य परम पिता सतगुरु जयगुरुदेव की याद करते रहो | जो सब जानता है | यह दुनिया बावरी है | पता नहीं क्या कर डाले ज़रा सा चूकने पर | हमारा संदेशा बड़ेला सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर ,सतयुगी अगवानी का जगह गांव-गांव ,शहर-शहर कोई जगह छूटे नहीं पहुंचा दो | राम ने रावण को मारा बाली को मारा अकेले नहीं मारा ,ये आध्यात्मिक परम दिव्य भक्ति है | कोई क्या समझ सकता है | इस दिव्य भक्ति भावना को | यह सतगुरु स्वामी की लीला है | अनामी महाप्रभु की दिव्य लीला है | कुल मालिक जिसे चाहे उसे क्षमा कर सकतें हैं | कुल मालिक की परम दिव्य शक्ति स्थायी होती है | वह परम दिव्य शक्ति शिरोमणि, वह जो संकल्प करेंगे , अपने परम दिव्य शक्तियों के साथ वह काम होगा | इसलिए आप सब लोग सतभावना प्रेम के साथ मेरे बड़ेला सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर उत्सव ,सतयुगी स्वागत की तैयारियों में लग जायें|
बच्चे, बच्चियों ,सतगुरु जयगुरुदेव |

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 01-01-2015


गुरु महाराज ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन शब्दों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव -
बच्चों और बच्चियों बहुत बहुत आशीर्वाद l तुम सभी को नूतन वर्ष में भाव सहित आशीर्वाद l देखो बच्चों अब समय जो है पूरा हो रहा है l बार बार एक ही बात नहीं कही जाती l तो अब सब लोग तैयार हो जाओ l विश्व में डंका बजाने का वक़्त आ गया है l काम भी मै डंके की चोट पर करता हूँ l पूरे विश्व को पता चल जाएगा कि मेरा (सतगुरु का) काम हो रहा है l
मेरे सब बच्चों ,अब सब तैयार हो जाओ l चलो सब मिलकर काम करो l अब एक जुट होने का समय आ गया l सब अपना आपा छोड़ दो और सतगुरु में मिल जाओ फिर सब एक हो जाओगे l एक हो गए तो काम तेज़ी से हो जाएगा l जब तक अलग अलग हो मिलकर काम कैसे कर पाओगे l
संगत को पूरी तरह से तैयार कर दो l मैंने बहुत सारे जीव जोड़ लिए हैं l मेरा काम तो पूरा हो गया समझो l मेरे सारे जीव अपना काम पूरा कर लेंगे ,मै मदद कर दूंगा l इतनी दया बाँट चूका हूँ कि मेरे जीव जब चाहे अंतर में चढ़ जाएँ l मेरे अपने बच्चे तो हर समय मुझसे मिलते रहते हैं , कभी काम के सिलसिले में तो कभी अंतरज्ञान के लिए l अब जो नहीं सुनता है उसे छोड़ो l उसे आना होगा तो आएगा नहीं तो जहाँ जाना चाहे चला जाए l
बच्चों अब तैयारी पूरी कर लो l अब संगत को सही दिशा देने का वक़्त आ गया है l मेरी सतसंगत खड़ी हो रही है l मुझे मेरे अपने जीव ही पहचान सकते हैं l बाकी कोई मुझे नहीं पहचान सकता l कोई मेरे शरीर से प्रेम करता है तो किसी ने मुझे जीते जी निजधाम भेज दिया l तो ऐसे लोग मुझे नहीं पहचान सकते l जो मुझे हाज़िर नाज़िर मानता है यदि वो लगन और भाव के साथ अहंकार छोड़कर मुझे पुकारे तो मै दया जरुर करूँगा l
वैसे अब मुझे किसी की जरुरत नहीं है l जिसे मेरी जरुरत होगी वो खुद चलकर आएगा l
l l अब चलने की आई बारी , पूरी करो सब तैयारी
काम मेरा पूरा हुआ अब, संगत मेरी खड़ी हुई सब
मेरे अपने जीव ही आये,मालिक देखो पुकार लगाए
आओ मेरे सब धाम में बैठो ,पुकारे सतगुरु निजधाम चलो ||
अब ,बच्चों मेरी बात मान लोगे तो तुम्हारा काम बन जाएगा l बाद में नहीं तो पछताना पड़ेगा l चलो बच्चों मेरी शुभकामनाएं और आशीर्वाद तुम्हारे साथ है l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 01-01-2015 प्रातः 03:41


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को ब्रह्म मुहूर्त में लिखवाया:
प्रेमियों सतगुरु जयगुरुदेव |
नूतन वर्ष दीव्य हो |इस नूतन वर्ष में सब दीव्य से मिलकर ,अपने दीव्य काम करने का दृढ संकल्प लो |दीव्य देश से आये हुए बन्दों दीव्य के सानिध्य में बैठकर अपनी दीव्यता को जगा लो |दीव्य पंखुड़ियों को फड़फड़ा लो ,उड़ान भर लो |
मोको कहाँ ढूढ़े रे बन्दे,मै तो तेरे पास |
इस नूतन वर्ष की नूतन बेला में अपने करिश्माई ब्यक्तित्व में निखार लावो |
मनुष्य मंदिर के देवता से मिन्नत प्रार्थना करो कि:
"हे प्रभु मुझे बंधन से मुक्त करो | जिससे मै अपने स्वामी संत सतगुरु जयगुरुदेव का काम मेहनत और लगन से कर सकूँ |
बच्चे, बच्चियों ,सतगुरु जयगुरुदेव |

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
ग्राम : बड़ेला, अयोध्या, जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 31-12-2014


गुरु महाराज ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन शब्दों को बोल बोल कर लिखवाया:
मालिक का सन्देश सतसंगत के नाम -
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l बच्चों ! अब तुम्हें बहुत समझा चुका हूँ | अब समझाने का वक़्त नहीं , अब तो करने का समय आ गया है | तुम करो या न करो, मुझे तो करना ही है | अब कुछ कर गुजरने का समय है |
ये जो नया साल लगने जा रहा है इसमें बहुत तेजी से काम करना है तुम्हें | बहुत सारा काम होना है | कुछ उल्टा पलटी भी होनी है | कुछ नए सेवादार और जुड़ेंगे | वो काम में बहुत तेज हैं | तुम तेजी से काम नहीं करोगे तो वो कर ले जायेंगे | मुझे तो हर हाल में अपना काम करना ही है | अब चाहे जो हो जाये | चलो अब लगो सब अपने काम पर | मैं तुम सभी को तुम्हारे काम के लिए बधाई देता हूँ | कम से कम तुम लोग लगे तो रहे | काम की गति थोड़ी धीमी है , इसे और तेज करो |
जो जो करीब आ रहे हैं , वो सिमटते चले जायेंगे | जो दूर -२ भागेगा , वो छूट सकता है | सब मिलकर काम करो | ईर्ष्या, द्वेष क्यों रखते हो , ये तो संसारी का गहना है | जब तक मिलकर काम नहीं करोगे काम अच्छा कैसे होगा |
अब नये वर्ष में नया संकल्प ले लो | उस परम मालिक से विनती करो | वो तुम्हें सब बता समझा देगा | जानते हो फिर क्यों ढिलाई करते हो | ढिलाई करोगे तो बहुत हैं काम करने वाले | मेरे पास सेवादारों की कमी नहीं है | वो तो तुम्हारे भाव देखकर तुम्हें सेवा मिल जाती है | सेवा के लायक जीव तो बहुत कम हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि हैं ही नहीं | मेरे जो सच्चे जीव हैं वो आज भी मुझपर जान छिड़कते हैं | बाकि सब सिर्फ दिखावा करते हैं | सच्चाई तो कुछ और ही है | अब इस धोखे से बाहर आओ कि तुम्हारे बिना मेरा काम चलने वाला नहीं है | संभल जाओ| सतगुरु दया तो करते हैं किन्तु उन्हें दिखावा पसंद नहीं |
अब सब स्वयं को परखो | जानो और समझो | देरी मत करो | अनजान मत बनो | ये सन्देश मेरी सतसंगत के लिए है | तुम सब चुस्त दुरुस्त हो जाओ | खाओ पियो और काम करो | तुमसे ज्यादा मुझे जल्दी है तो तुम्हें भी जल्दी करनी चाहिए |
बच्चों ! अब मैं खड़ा होने जा रहा हूँ | तुम सब भी खड़े हो जाओ | चलो सब साथ चलो , कोई पीछे मत रहो | ज्यादा इधर उधर मत करो | ताका- झांकी मत करो | मेरा सब काम हो जायेगा चिंता मत करो |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : ३०-१२-२०१४


गुरु महाराज ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन शब्दों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चों अब मेरी बात मान लो | अब नहीं सुनोगे तो कब सुनोगे | अब तो समय ख़त्म होने जा रहा है | बाद में पछताओगे | जिन्होंने मुझे चाहा उन्होंने मुझे पा लिया | तुम्हें अगर नहीं मिला तो कुछ न कुछ तो कमी थी | अपनी कमी पहचान लोगे तो सब ठीक हो जायेगा | वैसे भी अब मैं किसी के लिए बैठने वाला नहीं हूँ | मुझे तो अपना काम करना ही है | तुम आ जाओगे तो अच्छा होगा , नहीं तो जिसे चलना है वो साथ चल रहा |
ये मन बड़ा बैरी है | इसे रस नहीं मिलता तो इस पर विकार अत्यधिक हावी हो जाते हैं | अहंकार ईर्ष्या द्वेष और सर्वाधिक मान सम्मान जागृत होता है | ये तुम्हें सतगुरु मिलन से रोक देता है |
ऐ साधक तुम ये न समझो की तुम इससे अछूते हो | ये तुम पर भी कार्य करने की कोशिश करता है और तुम्हें भी गिराने का पूरा प्रयास करता है | एक साधक को सदैव सचेत रहना पड़ता है | ये तुम्हारे लिए चेतावनी है | संभल कर रहो |
|| बड़ा बैरी ये मन घट में , इसी को जीतना कठिना ||
बच्चों मैंने जितने जीवों को लिया था उसमे से बहुत कम ही आ पाये | अगर तुम आ जाओगे तो तुम्हारा ही भला होगा | अपनी गिनती मैं बाहर से पूरी कर रहा हूँ | मुझे अपना काम करने से कोई नहीं रोक सकता | मैं तो अपना काम कर लूँगा , तुम अपनी तो सोचो |
बच्चू अब चेताने और समझाने का समय जा चुका है | समय से सभी बंधे होते हैं , मैं भी बंधा हूँ | काम करने के लिए समय का इंतज़ार किया | अब काम पूरा करने के लिए इंतज़ार नहीं करूँगा |
चलो बच्चों अब सब बढे चलो | आगे आगे चलो | तुम सबके लिए ही तो मैं आया था | तुम लोगों को लेकर जाऊंगा | तुम्ही मेरी सत्य संगत हो | यही सतसंगत सतयुगी ध्वज के नीचे खड़ी होगी | अब काम और तेजी से होने जा रहा है | सब तैयार हो जाओ |
बच्चों मन में विकार मत लाना | अब भी इसकी उसकी देखते हो | अपनी बुद्धि बहुत चलाते हो | अपना ही नुकसान कर लेते हो | अपने को संभाल कर रखो | आगे बहुत सा काम मिलकर साथ करना है |
चलो बच्चों अब सब अपने अपने काम पर लग जाओ | जल्दी करो देरी मत करो | सब मिलकर साथ आगे बढ़ो | साथ मिलकर बढ़ोगे तो सब कम आसानी से कर ले जाओगे |
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २९/१२/२०१४


गुरु महाराज ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन शब्दों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चों और बच्चियों उस सतगुरु को याद करते रहो l वो तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाता , तुम उसे छोड़ देते हो l जिन्होंने नहीं छोड़ा , वो (सतगुरु) आज भी उनके साथ हैं l छोड़ा तुमने है तो आना भी तुम्हीं को पड़ेगा l तुम सोचो सतगुरु स्वयं चलकर आयेंगे तो यह संभव नहीं l
अपनी लगन मन से सतगुरु में लगाये रखो l वो जहाँ भी होगा तुम्हें बुला लेगा l तुम्हारा मार्ग बना देगा , तुम्हें संदेशा भिजवा देगा l
मेरे सच्चे जीव कहानियां नहीं सुनाते , वो उस कुल मालिक का संदेशा लाते हैं l वो मेरा पता बता देंगे l उनकी बात को सुन लेना l अहंकार में आओगे तो सब छूट जाएगा l जिद मत करना l तुम्हारी बुद्धि , तुम्हारी जिद ने ही तुम्हें उस मालिक से दूर कर दिया है l उसे छोड़कर दीन बन जाओ तुम्हारा सब काम हो जाएगा l
जो मेरे सच्चे जीव हैं वो मेरी बात जरुर सुनेंगे और जो अहंकार में बैठे हैं वो पछतायेंगे l सतगुरु के आगे आना है तो लाज , शरम , अहंकार सब छोड़ना ही होगा l दीन बनोगे तभी कुछ मिलेगा नहीं तो बैठे रह जाओगे l
अब तुम सोचो कि सतगुरु नहीं आयेंगे तो वो समय पूरा होने जा रहा है l वो मालिक अपना सब काम करना जानता है l वो कभी चूकता नहीं है l वो तो अपना काम कर ही लेगा l तुम रह जाओगे l अब भी समय है चेत जाओ , जाग जाओ l उस कुल मालिक की पुकार को सुन लो l
जिसने सेवा में हाथ लगा दिया है वो मेरा सवादार बन गया l सेवादार जानते हैं कि उन्हें सेवा के बदले क्या मिलता है l किन्तु ये सेवा ‘धन’ की नहीं लेते l ये मेरी सेवा करते हैं l जो मै कहता हूँ वो करते हैं l मुझे तुम्हारे धन की आवश्यकता नहीं है l पूरा सकल समाज मेरे साथ है l यदि तुम चाहते हो कि धन सेवा देकर दया ले लोगे तो तुम भ्रम में हो l
उस रूहानी दौलत को कोई यूँ ही नहीं पा सकता l उसके लिए उस ऊंचे मालिक की पुकार लगानी होती है l जो पुकार रहा है उसी को कुछ मिल रहा है l बैठे बैठे किसी को कुछ नहीं मिलता l
मेरे अखंड मंदिर में आकर जो सच्चे दिल से सिजदा करेगा , उसके आँख कान खुल जायेंगे l जिसने मेरे संदेशों को नहीं सुना है वो भी अगर वहाँ आकर सिजदा करता है तो मैं उसे अवश्य मिलूँगा , क्यूंकि मैं वहां अखंडेश्वर के रूप में विराजमान हूँ l
वो मेरा जीव जो मेरा सबसे ऊंचा सेवादार है वो तुम्हें मुझसे मिलवा देगा l मेरे अंग संग जीव भी यहाँ हाज़िर हैं जो मेरी सेवा का काम कर रहे हैं l वो तुम्हें मेरा पता बता देंगे l जरुरत पड़ने पर अनुभव भी करवा देंगे l लेकिन तुम्हारी बुद्धि ठीक होगी तब तो कुछ समझ पाओगे l
जिसको मुझसे मिलना हो उसे मेरे अखंड मंदिर में आना ही होगा और नहीं तो घर बैठकर अब कुछ नहीं दूंगा l मेरे बच्चे जाकर तुम्हारा काम कर देंगे लेकिन तुम अगर इन्हें नहीं सुन सके तो फिर तुम्हें मेहनत करनी होगी l करोगे तभी कुछ मिलेगा l
ll करत करत ही पाइयां , वो सतगुरु दरबार ll
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

Satguru jaigurudev The Name Of God:

Dated:29th Dec.2014

The current spritual master Saint "Satguru jaigurudev" said(Inside inner soul) to His devotee "Pallavi Srivastava".
In sanit's words "Say My children Satguru Jaigurudev" "children always remember satguru.He would never leave you alone,you leave Him.Those who did not leave , He ( Satguru ) still with them.You think satguru will walk,its not possible.Keep your passion planted in Satguru with mind. Wherever he is, will be calling you.He will make your route.He will send you message.Everything will discount if you come in ego. Do not be stubborn.By your IQ and insistence that you have turned away from the "Malik"(Satguru).Leave them and become humble your every work would be get done.My true children will sure listen and those who are in ego will regret.You have to leave shame and pride if want to come in front of satguru.Become humble/poor only then you will get something else you will remain seated. You think satguru would not come,the time is going to over now.He knows how to do His all work.He does not miss. He will make His job done.You will be left.time is still remaining get up.listen almighty's voice he is calling. anyone who put their hands in my service,they become My sevadaar(one who serve God).They know what they are going to get in place of My service.They don't take money service.They do My service.They do what I say.I don't need your money. All society is with me.If you think you will get mercy in place of money service then you are in confusion.Its not that simple to find spiritual wealth,for that you would have to call The Great Master(God).Those who are calling they are getting something. Nothing can be achieved just by sitting.One who come in My Akhand(monolithic) Temple and do pure heart sijda,Will open his eyes and ears. Even if those who do not hear My message and come in there and do sijda ,I will sure meet them also.Because I'm sitting there as Akhandeshwar. My great child who is My highest Sewadar, will introduce Me to you.There are many more child with me,who are doing my work,will let you know my address.If needed they will make you feel.You will just be able to understand anything only when your mind would be okay. Those who want to meet me they have to come in My Akhand(monolithic) temple else I would give nothing just by sitting at home. My children will go and make your work get done,but if you fail to listen them,then you have to do hard work.If you do,only then will get something."
"karat karat hi paayiyan,vo satguru darbaar"
"Say My children Satguru Jaigurudev"
Say children Satguru Jaigurudev


Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Devotee : Pallavi Srivastava
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
District:Faizabad(U.P.),India.

Guru Purnima

Satguru Jaigurudev The Name Of God

Dated:26th Dec.2014

The current spritual master Saint "Satguru jaigurudev" said(In inner soul) to His devotee "Bindu Singh".
In sanit's words "Satguru Jaigurudev, my children, God is kind. Satguru Jaigurudev,God is kind to all, all to the gather, and gather is the most. Almost is the param saint (Baba) Satguru Jaigurudev. Satguru jaigurudev temple is in Badela Faizabad Ayodhya(U.P.),Rudauli.Almost news in the all Asia".
Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Devotee : Bindu Singh
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
District:Faizabad(U.P.),India.

Note:
The name "Satguru Jaigurudev" is the name of God,"Sat" means truth ,guru means The Teacher, "Jai" translates to "victory" and "gurudev" to "teacher".
Satguru Jaigurudev is neither any human name nor that of another object such as animal, tree or river.
The phrase "Satguru Jaigurudev" to be a representation of "Anami Purush", the nameless supreme being.It is told by the great Spiritual Master (Saint Satguru Jaigurudev)that a soul sent from Sat Lok (the place of truth), the perfect realm where enlightened souls dwell, can designate an indicative name for Anami Purush just as Kabir used the name "Sahib", Goswami Tulsidas used "Ram" and Guru Nanak Dev used "Wahe Guru". Such names have miraculous powers.
Miraculous powers attributed to the name Satguru Jaigurudev include the power to :
1.reduce existing pain and misery
2.save people from premature death, also known as Akaal Mrityu.
3.reduce distractions of the mind
4.reduce the burden of karmas which enables the soul to attain higher spiritual levels
5.save the soul from temptation and deception while performing sadhanas. These are believed to be fearsome shapes or erotic images that impede progress to self-realization.
Satguru Jaigurudev is the only name that can liberate the soul from the negative powers of kal (mortality) and maya (illusion).


Guru Purnima

Satguru Jaigurudev The Name Of God

Dated:27th Dec.2014

The current spritual master Saint "Satguru jaigurudev" said (In inner soul) to His devotee "Bindu Singh".
In saint Satguru jaigurudev's word "
Satguru jaigurudev(Name of God) living master is the great. My children God is kind to all. Satguru Jaigurudev is the best living master. The living master is born.
The Temple Badela Faizabad Ayodhya India. Best news in human country, my children God is kind, and living master is kind".
**Satguru jaigurudev**

Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Devotee : Bindu Singh
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
District:Faizabad(U.P.),India.

Note:
The name "Satguru Jaigurudev" is the name of God,"Sat" means truth ,guru means The Teacher, "Jai" translates to "victory" and "gurudev" to "teacher".
Satguru Jaigurudev is neither any human name nor that of another object such as animal, tree or river.
The phrase "Satguru Jaigurudev" to be a representation of "Anami Purush", the nameless supreme being.It is told by the great Spiritual Master (Saint Satguru Jaigurudev)that a soul sent from Sat Lok (the place of truth), the perfect realm where enlightened souls dwell, can designate an indicative name for Anami Purush just as Kabir used the name "Sahib", Goswami Tulsidas used "Ram" and Guru Nanak Dev used "Wahe Guru". Such names have miraculous powers.
Miraculous powers attributed to the name Satguru Jaigurudev include the power to :
1.reduce existing pain and misery
2.save people from premature death, also known as Akaal Mrityu.
3.reduce distractions of the mind
4.reduce the burden of karmas which enables the soul to attain higher spiritual levels
5.save the soul from temptation and deception while performing sadhanas. These are believed to be fearsome shapes or erotic images that impede progress to self-realization.
Satguru Jaigurudev is the only name that can liberate the soul from the negative powers of kal (mortality) and maya (illusion).


Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 26/12/2014


गुरु महाराज ने गुरुबहन पल्लवी श्रीवास्तव को मालिक ने इन शब्दों को बोल बोल कर लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चों अब अपनी बुद्धि को किनारे रख दो l अब बहुत हो गया तुम कितनी भी खोपड़ी खुजा लो , अब तुम्हारी समझ में कुछ आने वाला नहीं l मैंने जितना समझाना था समझा दिया l मै तो अपना काम कर ही लूँगा l तुम अपनी सोचो l बड़े चालाक बनते हो , बहुत बुद्धि लगाते हो l कुछ भी कर लो अपनी बुद्धि से मेरे खेल को नहीं समझ सकते l अरे मै तो जिसे चाहूं समझा दूँ , जिस भाषा में चाहूँ समझा दूं लेकिन पहले तुम अपना अहंकार तो छोड़ो l खुद को बहुत बुद्धिमान समझते हो ,सोचते हो तुम्ही बस सही हो और बाकी सब गलत l अरे अपनी बुद्धि और घमंड से बाहर आओगे तब दुनिया देखोगे l अभी तुमने देखा ही क्या है l
पूरे देश के लोग मुझे सुनते हैं चाहे किसी भी भाषा को बोलने वाले क्यूँ न हों l सब समझते हैं मेरी बात l तो तुम ये न जानो कि मैं किसी को समझा नहीं सकता l जब मेरे बच्चे निकल पड़ेंगे तो तुम्हारी बुद्धि फेल हो जाएगी l तब समझ ही नहीं आएगा कि क्या सही और क्या गलत l जिसे पीछे लगना है वो मेरे पीछे लग चुका है l मेरा सारा काम हो रहा है l कोई इसे रोक नहीं सकता l मै आज भी यही कहता हूँ मैं वो नहीं जिसे तुम गोली मार सको l तुम क्या सोचते हो मुझे मारकर अपना काम बना लोगे l तुम्हारा बना कुछ नहीं, बिगड़ जरुर गया l मैं अपनी संख्या पूरी कर लूँगा l तुम क्या समझते हो मेरे जीवों को तोड़कर अपना बना लोगे l अरे! काल का ग्रास तो तुम्हें बनना ही होगा l अब बहुत हो गया l तुमने जो करना था कर लिया l अब मैं करूँगा l
मेरे अपने जीव मेरे साथ हैं और मेरा काम कर रहे हैं l अब ये बोध में आ चुके हैं l इन्हें बच्चा समझने की भूल मत करना l इनके पास वो अपार शक्ति है जो ऊपर से आती है l
मेरे सत्संग वचनों को तुमने बहुत सुना किन्तु गुना नहीं l यदि एक भी वचन ढंग से पकड़ लेते तो आज गिरते नहीं l खुद को बड़ा ऊंचा जीव समझते हो , कुछ दिखाई सुनाई तो देता नहीं l अहंकार में दूसरे की सुनते नहीं l अब तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता l जब घमंड छोड़ोगे तभी कुछ समझ आएगा l जो साधक हैं वो सब जानते हैं l वो तुम्हें भेद बता सकते हैं , मुझसे मिलवा सकते हैं l साधकों की सुनने के लिए दीनता जरूरी है l दीनता होगी तो उनसे पूछ लोगे , नहीं तो घमंड में बैठे रह जाओगे l अब आगे तुम जानो तुम्हारा काम जाने l
मेरे गुरु महराज ने इसी समय के लिए कहा था कि पीछे मुड़कर नहीं देखना l कोई गिर जाएगा तो अब उसे उठाने का वक़्त नहीं है l
मेरे बच्चों ! सच्ची साधना में लगे रहो l अभी काम आगे बहुत करना है l जो नए लोग आयेंगे उन्हें बताना समझाना है l जो नए हैं वो कर ले जायेंगे ,पुराने अपने को पुराना समझ बैठे ही रहेंगे l
अब मेरे पास वक़्त ज्यादा नहीं है l तुम लोगों को लग कर काम करना होगा l मेरी बात को ध्यान से सुनना l संकेत तो मैं बहुतों को देता हूँ पर सब बुद्धि लगाते हैं इसलिए कुछ समझ नहीं पाते l जब समर्पण का भाव होगा तो धीरे धीरे सब समझ आ जायेगा l
मुझे हमेशा हाज़िर नाज़िर जानना , मैं कोई शरीर नहीं हूँ , न ही तुम लोग मेरे लिए शरीर हो l तुम तो वो सुरतें हो जिन्हें मैंने कई जन्मों से अपने साथ जोड़ रखा है l तुम्हें शरीर देता रहा ताकि तुम उससे अपना काम कर सको l मेरे लिए मेरा शरीर सिर्फ एक मर्यादा है , तुम्हारे समीप रहने का l मेरे शरीर से प्रेम मत करो, मुझसे करो , वैसे ही जैसे मैं अपनी सुरतों से करता हूँ l तुम सब मेरे बच्चे हो l जब मेरे जीवों को कष्ट होता है तो मुझे दुःख होता है l मैं चाहता हूँ तुम्हारा कष्ट सदा के लिए मिट जाए और तुम अपने धाम चले जाओ l
ऐ मेरे बच्चों वो मालिक बता रहा है , समझा रहा है l उसके संकेतों को बुद्धि को किनारे रखकर समझो l सतगुरु के मिलने के लिए तड़प जरुरी होती है जिन्हें तड़प होती है वो मुझतक पहुँच ही जाते हैं l मार्ग मैं बना देता हूँ l अब भी संभल जाते हो तो ये ( मेरे जीव ) मदद कर देंगे l बाद में पछताना पड़ेगा l समय रहते काम कर लो तो अच्छी बात है l तुम्हारा भी काम हो जाएगा और मेरा भी l तुम तो सिर्फ दिखावा करते हो l भाव एक कौड़ी का नहीं और चाहते हो घर बैठे सब मिल जाए l ऐसा नहीं होता l वो कुल मालिक तुम्हारी मेहनत लगन और भाव के बदले ही कुछ देता है l मुझे तो अपना काम करना ही है , तुम नहीं कोई और सही पर अब काम रुकने वाला नहीं है l
जिसने जिसने जो भविष्यवाणीयां की वो सब मैंने काट दी l तुम सोचते हो मेरी नक़ल कर कुछ पा लोगे तो वो संभव नहीं l अब मैं ऐसा नहीं होने दूंगा l जब आऊंगा तो विश्व हिलाकर रख दूंगा l तब समझ जाना मेरा काम चरम पर है l मेरे ये बच्चे बहुत शक्तिशाली हैं l जो खून इनकी रगों में दौड़ रहा है वो गरम है l इसी गर्म जोशी में सब काम कर ले जायेंगे l जब तुम पीछे रह जाओगे तब तुम्हें दुःख होगा l याद आएगा कि इसने बताया समझाया था |
l l सतगुरु कहें पुकार के बढे चलो भाई ,
दुनिया में फंसना नहीं निजधाम चलो भाई l l
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

Satguru jaigurudev The Name Of God:

Dated:26th Dec.2014


The current spritual master Saint "Satguru jaigurudev" said(Inside inner soul) to His devotee "Pallavi Srivastava":
In saint's words "Say children Satguru Jaigurudev, Children now put your intelligence aside.Enough is enough, how much you have scalp Scratch,now you will not understand anything.I explained what I had to explain.I will do my work,think about your self . you think you are big slick and have much wisdom to apply.Do anything with your intellect you can not understand my game. I can make understand to anyone whom I want in any language first you leave your ego.You consider yourselves to be very wise. You think only you are right and everyone else are wrong.come out of your intellect and arrogance see the world. you have seen nothing till now.All country people hear me inspite of in what language they speak,and they understand me.Don't think I can not explain to anyone.when my children come in the way your intelligence will have to face failure. Then you will not understand what is right and wrong.They are following me.My all work is going on,and no body can stop it.I still say that I'm not that one whom you can shoot.what you think you will make your work(spiritual work) done by killing me.You got nothing in the wrong course in-spite of sadness/misery.I'll finish my number. what do you think you will mold my children to your way.Hey! So you will have to go in mortality's hand. You have had that you want,its enough now.I'll do now.My children are with me and are doing my work.Now they are conscious. Don't be mistaken they are children.They have full power that comes from above.You hear a lot of my preachings(discourses), but you do not fold my discourses.If you had a single word in a right manner,you were not fallen today. you consider yourselves towering creatures.You don't hear and see anything(regarding God voice and his face). Your ego not let you listen other.Now nothing can be done to yourselves.you will understand only after leaving you Boasting(ego).Everyone knows who he Seekers.They can tell you the difference ,can introduce me. Humility is required to listen to seekers.You will ask if you have humility ,else you will be sitting in the vanity.You will be responsible for you job.My Guru Maharaj told the same time,not to look back.So now is not the time to raise a fall. My children keep true in practice.Need to do lots of work in future.If new people come,explain them and they will take. The oldest old will understand the sitting.I don't have much time now.You guys have to work with you full faith. Listen to me carefully.I'll sign over many but they do not understand because they use their intelligence. If you have a sense of dedication you will gradually understand all.Always consider Myself "Hazir Nazir"(availabe in all forms). I'm not a body neither you are body for me.You are that soul(suraten) that are with me from multiple births. Given you the body that you can do your job.My body is just an honor for me for Living near you. Do not love my body , let me,Just like I do with my Surton(soul).You all are my children I feel sad when my suraten(soul) suffer.I want to erase your all trouble and you get your dwelling. O my children God is telling and explaining.keep your intelligence aside and understand His sign. Yearning is necessary to meet Satguru(The God) and those who have this anyway they reaches to Me.I am telling the way. if you still take care of these my children would help you.You will regret later.It is a good thing to complete work in time.Your work would be done and mine also.You're just showing off.Don't have sense of a penny and expecting to have all sitting at home.This is not the way how it happens.Kul Malik(The Supreme Power) quotes you something in place of your hard work and dedication.I have to do my work.If you are no more here then some one else can do it,but the work is going not going to be stopped.I cut all Bvishywaniyan which you made.If you think you will get something by making my Doublet then its not possible.I will not allow you to do this.when I'll come, will rock the world now.Then get understand ,my work is on it supreme level.My child are very powerful,hot blood is running in their veins.all work will be done in the verge of this. You will be left behind and will feel the pain,and every explanation would be remembered." Satguru kahe pukar ke bade chalo bhae.
duniya me fansna nahi,nijdhaam chalo bhae.
"Satguru God is saying take a move brother.
Not steeped in the world,go nijdham brother."
Nijdham="dwell of soul";
Say children Satguru Jaigurudev


Akhand Bharat Sangat Guru ki:
Devotee : Pallavi Srivastava
Satguru Jaigurudev 'Antarghat' Temple.
Village:Badela.
Post:Taalgaon.
Tahseel:Rudauli.
District:Faizabad(U.P.),India.

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : 27/12/2014


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को ब्रह्म मुहूर्त में अंतर में लिखवाया:
बच्चो सतगुरु जयगुरुदेव,
धीरे धीरे सब काम होता है | मन को इधर से हटा कर उधर मालिक में लगा दो |बस तुमको इतना ही करना है | फैलाव कम करो | बहार क्या खोज रहे हो ? सारी नूरी खिलकत अंदर समाई हुई है | बहार सुख - शांति नहीं है | सब कुछ अंदर समाया है |
||सुख शांति का भंडार तो अंदर समाया गुप्त है ||
जीवात्मा के घाट पर बैठ कर खोजो |
|| दे दिया खोज प्रभु धन मेरा |
|| सतगुरु तुम्हारी जय होवे |
||सतगुरु जयगुरुदेव तुम्हारी जय होवे ||
भजन करने के लिए नाम डोर छूट गयी है उसे पकड़ कर मालिक के सच्चे भजन में लग जाओ | नागा मत करो | बिना नागा रोज करो | जिसे संतो का अंतरी खज़ाना पाना है वह दीन हो जाएगा | इधर त्यागेगा उधर मिलेगा | फ़कीर आवाज लगा रहे है ,फेरा लगा रहे है |
|| अरे बन्दे सतगुरु तेरा ,घट घट में लगा रहा है ज्योति वाला फेरा ||
|| अंदर बहार दोनों मिलेगा सतगुरु जयगुरुदेव तेरा अलबेला ||
अरे बच्चे वो मालिक चुप नहीं है | अपने आप तो कुछ समझ में नहीं आता | पर उसको सब दिखाई देता है कौन हमको खोज रहा है |
|| जिन खोजे तीन पाईया गहरे पानी पैठ ||
|| मैं बोरा बुरण डरा रहा किनारे बैठ ||
खोज करते रहो कोई न कोई मिल जाएगा | मालिक का सच्चा रास्ता बताने वाला | चेत धराने वाला क्योंकि जीव को होश ही नहीं है | खाने - पीने में लगे है | जब तक संत फ़कीर नहीं मिलेंगे तब तक उनका कल्याण नहीं हो पायेगा |
जीव सब भटक गए है | इधर - उधर हाथ पाँव मार रहे है | कुछ मिल नहीं रहा है , किसी को अपना होश ही नहीं है | बेहोशी में कुदा - फांदी में लगे हो |यहाँ मिल जाये - वहाँ मिल जाये |
सूरत की दयनीय स्थिति मालिक बरदाश नहीं कर पा रहा है | कैसे - कैसे रास्ते सुर्लभ तरीके अपने डंग से मालिक खोज रहा है |
बच्चो सब आ जाओ | अपनी अपनी खुराक लेकर सच्चे अंतरमुखी भजन में लग जाओ | तो अब देर मत करो | सतगुरु जयगुरुदेव मंदिर, ग्राम - बड़ेला, पोस्ट - तालगाँव, जिला - फैज़ाबाद, अयोध्या पहुँचो | अपनी सोई हुई सूरत को सच्ची खुराक देकर मंदिर के देवता से मिन्नत प्रार्थना करो | अर्जी पर अर्जी लगाते जाओ | चुको नहीं | चूक गए तो फिर बहुत पश्ताओगे |
कोई सुनने वाला नहीं मिलेगा | इसलिए समय से पहुंच कर अपना सर्वस्य मालिक के चरणो में , सतगुरु जयगुरुदेव के चरणो में समर्पित कर दो | जनम - जनम की लगी हुई काई को साफ़ करवा लो | रगड़ कराते जाओ |
|| जनम जनम का कालिख लगा साई संग कस समोही ||
||अत्तीशय रगड़ करे जो कोई प्रकट अनल चन्दन ते होई ||
खोज करते रहो सच्चे सतगुरु मिल जायेगे |
|| जब तक गुरु मिले नहीं साचा |
|| तब तक गुरु करो दस -पाँचा ||
सब कुछ तो जहाँ कही जाओगे मिल जाएगा | लेकिन आतम खुराक सच्चा आतम धन
तो खोज करने पर ही मिलेगा | तुम्हारी धुलाई - रगड़ाई कौन करेगा ? उसकी तो खोज करनी पड़ेगी | तो देर किस बात की निकल पड़ो सब सच्चे फ़कीर की खोज में | कही न कही मिल जायेगे | क्योंकि उनको बहार से नहीं पहचान सकते | बाहरी कोई पहचान नहीं है | मोह माया का पर्दा हटाना पडेगा |
|| जरा मोह माया हटा कर के देखो |
|| मिलेंगे तुझे भी सतगुरु जयगुरुदेव स्वामी |
|| जरा अपनी हस्ती सतगुरु जयगुरुदेव में मिला कर तो देखो |
|| तुम्हे भी मिलेंगे सतगुरु जयगुरुदेव स्वामी ||
||बोलो बच्चो सतगुरु जयगुरुदेव ||


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २४/१२/२०१४ प्रातः ०४:५४


गुरु महाराज ने गुरुबहन बिंदु सिंह को ब्रह्म मुहूर्त में अंतर में लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चे सतगुरु जयगुरुदेव l तुम सब मेरे अपने बच्चे हो l मेरा अपना है ही कौन l बच्चों तुम्हारे कीचों को धोने सतदेश से संत आते हैं l जाने अनजाने में जो भी जीव उन तक पहुँच जाते हैं उनको भी रास्ता मिल जाता है और नाम कमाई में लग जाते हैं l जैसे जिसके संस्कार होते हैं उसी अनुसार उसका कल्याण धीरे धीरे शुरू होने लगता है l बच्चे धीरे धीरे लगन बढ़ाते रहो l रटन लगाते जाओ l जिसने नाम धन की बक्शीश दी है वो ही संभाल करेगा l क्यों चिंता करते हो l गुरु नानक जी का ( के समय ) एक जीव नरक में चला गया l जब अपने सब जीवों को सहेजने लगे तो एक शिष्य नहीं मिला l उसके लिए उनको नरक में अपना अंगूठा लगाना पड़ा l उसके साथ ही नरक में पड़े सब जीवों का कल्याण हो गया l
ll नानक जाए अंगूठा बोरा
सब जीवों का किया निबेरा ( निपटारा ) ll
अरे बच्चे ! संत तुम्हारे लिए क्या नहीं करते l इसलिए लग कर नाम कमाई में लग जाओ l सेवा भी करते रहो l मेरे बड़ेला मंदिर का प्रचार कर दो l देर मत करो जल्दी करो l समय बहुत कम है l सबमें जागृति लाओ l सतगुरु जयगुरुदेव नाम का डंका बजा दो l
बच्चू मौन साधने से काम बनने वाला नहीं है l ये इम्तिहान की घडी है l उसके यहाँ देर नहीं है l रोज करो लगकर रोज तनख्वाह मिलेगी , प्रतिदिन का हिसाब सब समय से l वो न्यायकर्ता बड़ा न्यायी है l उसके यहाँ किसी की मजदूरी रोकी नहीं जाती l करोगे तो पाओगे नहीं तो खाली हाथ जैसे आये थे वैसे चले जाओगे l इसलिए कुछ नाम कमायी भी कर लो l मेहनत तो करना ही पड़ेगा l बिना मेहनत किये यहाँ कुछ नहीं मिलता , दिनरात लगे रहते हो बनाने में , तब भी रात में चैन नहीं मिलता l न दिन चैन न रात चैन l तो अब बहुत बीत गया है l अपने लिए कुछ करो सोचो l खोज करो कोई न कोई मिल ही जाएगा , मालिक का सच्चा पता ठिकाना बताने वाला l ( मैंने ) तो बहुत प्रचार प्रसार कराया ,अब भी चल रहा है ,बंद थोड़े ही है l लेकिन तरीका बदल गया है l मुखौटे बदल गए हैं l समय के अनुसार मालिक रास्ते बना देता है l कुछ बंद थोड़े ही है l प्रकृति अलग अलग अपने ढंग से अपना काम करवा रही है l
ll बंद नहीं अब भी चलते हैं
नीयत नटी के कार्य कलाप
पर कितने एकांत भाव से
कितने शांत और चुपचाप ll
बच्चे अब अपनी अपनी तैयारी लगन और मेहनत से कर लो | प्रचार प्रसार में लगे रहो l बड़ेला धाम उत्सव का स्वागत करो और मंदिर का प्रचार लगन से करते जाओ l बड़ेला मंदिर की रूहानी कीमत पहचानकर सबके सब बड़ेला मंदिर का दर्शन लाभ अवश्य लें l कोई चूके नहीं l मंदिर में कुल मालिक रूहों के बादशाह विराजमान हैं l रूहानी दौलत दोनों हाथों से लुटा रहे हैं l समय से हाज़िर होकर आला फ़क़ीर से मिन्नत प्रार्थना करो , अर्जी लगाओ l लगन से विरह से पुकारते रहो l नाम की रूहानी धार न जाने कब किस घडी किसके हिस्से में आ जाए l इसलिए समय की कीमत जानकर निकल पड़ो l मेरे पास अब समय बहुत ही कम है l बच्चे सब मिलजुलकर प्रेम सौहार्द बनाकर अपना काम बना लो l मालिक का काम है देर मत करो l अपने अपने काम में लग जाओ l अपने अपने शब्द छांट लो , उसी अनुसार सेवा प्रचार प्रसार तेज़ी से हवा की तरह लहरा दो l चहुँदिश बिखर कर दसों दिशाओं में अपने सतगुरु की आवाज पहुंचा दो l
सब सतगुरु के खरे निशाने पर आ जाएँ , बैठकर अपने निज काम का निपटारा करा लो जिससे समय रहते काम हो जाए l इसलिए अनुभवी समय का लाभ समय से हाज़िर होकर ले लो l आगे समय अच्छा नहीं है l बच्चे अपनी आती जाती स्वांस को “सतगुरु जयगुरुदेव “ नाम में लय कर दो l अपने आप को मालिक के ऊपर छोड़ दो l अपना आपा सतगुरु चरणों में समर्पित कर दो l काम धीरे धीर होता चला जाएगा l जल्दबाजी मत करो , जल्दबाजी का काम शैतान का है l जो काम धीरे धीरे होता है स्थायी होता है l वह रहमान का काम है l मालिक का सतगुरु का काम है l लगकर मेहनत से समय से करते रहो l कल्याण देर सबेर हो ही जाएगा इसके लिए सतगुरु शरण में आना पड़ेगा l बिना शरण गहे काम बनने वाला नहीं है l
ll कल्याण शरण में आते ही
सतगुरु का दर्शन पाते ही
पथ प्रदर्शक सतगुरु जयगुरुदेव को बनाते ही
आनंद लाभ अतिशय होए
सतगुरु तुम्हारी जय होवे
सतगुरु जयगुरुदेव तुम्हारी जय होवे ll
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l


अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : १९-१२-२०१४ प्रातः ०७:०६


गुरु महाराज ने गुरु बहन बिंदु सिंह को अंतर सन्देश लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l
बच्चों बोलो सतगुरु जयगुरुदेव l
अखंड मंदिर सतगुरु जयगुरुदेव बड़ेला अयोध्या का प्रचार कर दो l लग कर के ढीलवाई मत करो l सब पहुंचे देर अबेर मंदिर के जागृत देवता का दर्शन दीदार करें l कोई चढ़ावा नहीं , खाली हाथ दरसन करो l कुल मालिक स्वयं विराजमान हैं और सबको न्योता देकर बुला रहा है l जो जैसे हो उठते गिरते मालिक के दरबार में हाजिरी लगवा लो l (सच्चे फ़क़ीर) सतगुरु की बंदगी करो l सतगुरु जयगुरुदेव की मिन्नत प्रार्थना करो l मालिक कबूल करेगा l शंका क्यूँ करते हो l शंका मत करो l अपने सतगुरु पर भरोसा रखो l सब के सब दर्शन लाभ लो l (सबका कल्याण) होगा भाव सहित सतगुरु जयगुरुदेव की पुकार करोगे) और लगकर के साधन भजन करो l सतगुरु समरथ हैं , साथ हैं l कुल मालिक पर भरोसा रखो इधर उधर मत देखो l अपने सतगुरु को निहारो कल्याण हो जाएगा l
|| सतगुरु जयगुरुदेव ||

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत

Guru Purnima

सतगुरु जयगुरुदेव :

दिनांक : २३/१२/२०१४ प्रातः ०४:०२


गुरु महाराज ने गुरु बहन बिंदु दीदी को ब्रह्म मुहूर्त में लिखवाया:
बोलो बच्चों सतगुरु जयगुरुदेव l बच्चों हज़ार पांच सौ सतयुगी लोग मिलकर एक अलग नयी दुनिया बसाते हैं और उनकी बनायीं हुई दुनिया निराली होती है l इस अपनी दुनिया में जो प्रवेश करता है उसको भी विशेष आत्मानंद की अनुभूति होती है l वो महात्मा की बसाई हुई एक अलग थलग सृष्टी होती है l स्वयं उसके मालिक सतगुरु ही होते हैं l अब सबको महात्मा को खोजना पड़ेगा l उनकी शरण में जाना होगा l बिना सतगुरु के मिले बच्चा काम बनने वाला नहीं है l जितने संत महात्मा , पीर , औलिया इस धरा धाम पर आये सबने सतगुरु को आगे किया , उनकी रहनुमाई की और सतगुरु को अपना रहनुमा बनाया l सबने अपने अपने सतगुरु का गुण गाया और गुण गा गा कर उनको रिझाया l अपने को ख़ाक समझा और अपने को ख़ाक में मिला दिया , सतगुरु में मिला दिया l
l l मै मिल जाए पाय पिया अपने
तब मोरी पीर बुझानी l l
बिना सतगुरु के अंतरी घाट पर मिले पीर बुझने वाली नहीं है l
मालिक की अंतरी धार ( पहले कंठ में समायी ),मालिक की अंतरी धार से जुड़ना पड़ेगा l बिना जुड़े कल्याण होने वाला नहीं है l सतगुरु के अगाध प्यार की , दया की तुलना यहाँ किसी से नहीं की जा सकती l थोडा बहुत उस माँ से मिलता है जो उस बच्चे को जन्म देती है l बच्चे को सूखे में रखती है और स्वयं गीले में सोती है l बच्चा जैसे रोता है अपना काम काज छोड़कर दौड़ पड़ती है l जब तक बच्चा छोटा रहता है माँ का सारा ध्यान बच्चे के ऊपर ही लगा रहता है l अपने बच्चे का बिछोह बरदाश्त नहीं कर सकती , तड़प उठती है l लेकिन उस परम पिता परमात्मा सतगुरु का प्यार जो सतगुरु जयगुरुदेव के रूप में अवतरित हुआ है , कई गुना अधिक होता है l उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती l अपने बच्चों के लिए अपना परमधाम छोड़कर नंगे पैर दौड़ा चला आया और अपने सभी बच्चों को बुला रहे हैं , बार बार होश दिला रहे हैं l बच्चे यह देश तुम्हारा नहीं है l यहाँ आकर फँस गए हो l नाम की डोर पकड़कर आये थे l आते समय मालिक ने समझा बुझा कर भेजा था , ये नाम की डोर है इसको पकड़ कर जाओ बीच में कहीं छोड़ना नहीं l इसी को पकड़कर चले आना ( चढ़ आना ) l शुरू में सब रूहें पूरे होशो हवास में रहती थीं , अपने मालिक का निरंतर ध्यान करती थीं और समय पूरा होने पर वापस अपने परमपिता के परमधाम में चली जाती थीं l
l l सतयुग योगी सब विज्ञानी
करि हरि ध्यान तरे सब प्राणी l l
कितनी खेपे आईं और वापस अपने निजधाम में अपने परमधाम में समा गयीं l कलयुग में संतों का पर्दापरण हुआ , संत तो हमेशा से ही यहाँ रहे , लेकिन उनको कोई पहचान नहीं सकता l वो गुप्त रूप से जीवों की संभाल करते रहते हैं l लेकिन अबकी बार वो अनामी मालिक वह परमपिता सतगुरु जयगुरुदेव बनकर आये हैं l
l l सतगुरु आये तुम्हें लिवाने को
तुम तत्पर (तैयार) हुए न जाने को l l
अरे बच्चे ! अब अपने परमधाम जाने की तयारी करो l वह सतगुरु कितने प्यार से तुम्हें समझा रहा है , तुम्हें बुला रहा है l चलो चलो सभी आ जाओ मालिक स्वयं बुला रहे हैं l
l l नाम जहाज लेकर सतगुरु जी आये
खेय के तुम्हारे लिए हैं किनारे लगाए l l
सबको समझा रहे हैं , बता रहे हैं , चेता रहे हैं l सब के सब जग जाओ होश में आ जाओ l सन्देश तुम्हारे लिए दिलवा रहे हैं l
l l जागो न जागो भाग्य तुम्हारा
सुनते तो जाओ संदेशा हमारा l l
अरे बच्चों तुम सबके लिए वह सतगुरु क्या क्या जतन कर रहा है l अपने बच्चों को अपलक निहार रहा है कि कब मेरा भूला हुआ जीव मेरी तरफ देखे l लेकिन तुम सब के सब इधर देखने में लगे हुए हो l थोडा इधर से चित्त हटाकर उधर लगा दो l बस मिनटों में काम बन जाएगा l यह समय जागृति का है l जागो और जगाओ l घाट पर बैठकर पुकारो l बस निमित्त मात्र करना है l बच्चे बड़े भाग्य से यह सन्देश सुनने को मिलते हैं l सुनकर अमल करो l मालिक की चर्चा एक दुसरे से करते रहो और संदेशों का प्रचार तेज़ी से हवा की तरह फैला दो , मालिक का काम है , ढीला ढाली मत करो l आलस ठीक नहीं है l चुस्त दुरुस्त बनो l आलस में घर का काम नहीं हो पाता l वो तो उस परमपिता सतगुरु जयगुरुदेव का काम है l काम तो कब का हो गया होता लेकिन मालिक का काम बिना मालिक की मौज मर्जी से संभव नहीं है l तो आलस मत करो लग के भजन करो , मेहनत से निपटारा हो जाएगा l
l l काल करे सो आज कर
आज करे सो अब
पल में परलै होएगी
बहुरि करोगे कब l l
|| सतगुरु जयगुरुदेव ||

अखंड भारत संगत गुरु की से
गुरु बहन - बिंदु सिंह
जिला - फैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु भाइयों और बहनो गुरु महाराज के द्वारा अन्य गुरुभक्त - भाई - बहन को लिखाये गए अंतर सन्देश दिनाँक: 23 दिसंबर २०१४ से पहले के शीघ्र ही इस पृष्ठ पर उपलभ्ध होंगे |