साधको का आंतरिक अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव :
मेरा नाम राजकुमारी हैं, मैं दिल्ली की रहने वाली हू। मैं अपने सतगुरु की दया के बारे में कुछ लिखना चाहती हूं। पर उनकी तारीफ मे हर शब्द छोटा ही लगता हैं। मै तो तुच्छ जीव हूं, पाप अपराध का पुतला। मेरे सतगुरु ने मेरे सारे अवगुण परे कर मुझे 2008 मे ही नाम की बकशिश की, मैं 2008 से ही मथुरा से जुडी, सब कहते थे कि मालिक ने सतसग मे कहा था कि मैं सतयुग लगा कर ही जाऊगा जब मालिक ने 2012 मे लीला खेली तो मेरे मुख से एक ही बात निकली कहा है।सतयुग, बडी ही बेचैनी हुई मैं अपने परिवार के साथ मथुरा 19 मई को ही पहुंची ।जब मैने सामने मलिक के शरीर को देखा तो कुछ समझ ही नहीं आया हम सब रात को ही वापस घर आ गए । तब से 2017 तक मन मे यही प्रशन रहा कि सतयुग कहा है । फिर मालिक ने एक दिन दया का द्वार खोला ओर नैट के माध्यम से उनके ग्राम बडेला मे अखंड रूप से विराजमान होने की जानकारी मिली मैं अपने पति के साथ अगस्त 2017 को जन्मष्टमी के अवसर पर पहुंची वहां पहुंचने पर एक अजब ही नजारा था। वहां सब लोगो को देखकर ऐसा लगा कि हम तो सब लोगों को पहले से ही जानते हैं। कुछ समय के बाद जब बडे भाईया ने भजन पर बैठने को कहा तो, मैं बैठी मुझे मालिक की अपार दया मिली मैंने ध्यान मे बहुत सारा सफेद प्रकाश ही प्रकाश देखा ।भजन मे भी कुछ अवाजे सुनी । वहां सारी सगंत सिर्फ गुरु महाराज मे अटल विश्वास रखती हैं। मैं सच में खुद को बडा ही भाग्य शाली समझती हूँ कि मुझे ऐसा सतगुरु ओर ऐसी सतसगंत मिली मुझे अब भी अनुभव होता हैं मैं लगातार तीन बार जा चुकी हूं मेरा परिवार भी बडेला गया था ओर उन्हे भी अनुभव हुआ। मेरी आप लोगों से भी हाथ जोडकर विनती है कि आप सभी भी एक बार बडेला जरूर पहुचें और मालिक कि इस विशेष दया को प्राप्त करे। सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - राजकुमारी राठौर
(दिल्ली प्रदेश ), भारत
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: ०८/०३/२०१५
मेरा अनुभव :एक गुरु बहन से मैं लगभग १-१-१२ वर्ष से इंटरनेट के माध्यम से जुड़ी हूँ | उसकी मालिक के प्रति लगन और भाव बहुत ही अच्छे हैं | अक्सर वो मुझसे साधन भजन और मालिक की चर्चा करती थी | कुछ दिन पूर्व ही उसने मुझे बताया कि वो मेरे पास के शहर में रहने आ गयी है | उससे बातचीत चल ही रही थी कि मालिक ने आदेश दिया कि मैं उसे फ़ोन नंबर दे दूँ | मैं आश्चर्य में थी क्योंकि बहुत सारे गुरु भाई बहन मुझसे फ़ोन न. मांगते हैं इंटरनेट पर और मालिक का सख्त आदेश है कि मैं अपना न. बगैर मालिक की आज्ञा के किसी को नहीं दे सकती , किसी गुरुबहन को भी नहीं | मैंने उसे अपना न. दिया और मालिक का आदेश बताया | उसने भी मुझे अपना न. दिया |
दो दिन पूर्व हमारी फ़ोन पर बात हुई | उसके मन में मालिक को लेकर कई प्रश्न थे | मैंने मालिक से पूछ के उसके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया और साधन भजन में ज़ोर देने को कहा |
बातचीत के दौरान ही उसने मुझे अपनी एक रिश्तेदार के बारे में बताया जो परस्थितिवश इस जगत में पूर्णतया अकेली रह गयी थी |
उससे बात होने के बाद मैं साधन में बैठी | साधन में मैंने देखा कि मैं उस गुरु बहन के घर पर हूँ | उसकी रिश्तेदार मेरे साथ सोफे पर बैठी हैं और वो गुरु बहन मेरे सामने | मैं उसकी रिश्तेदार को कुछ समझा रही हूँ और अंतर से मेरे मुख से प्रार्थना जैसा कुछ काव्य निकलने लगा और मैं मालिक की दया से उसे लगातार बोले जा रही हूँ | अचानक किसी कारणवश मुझे तुरंत ही साधन से उतना पड़ा और वो कड़ी वही टूट गयी | अंतर की वो काव्य पंक्ति अब भी गूँज रही थी | मैंने मालिक से इच्छा प्रकट की, मैं इसे लिख पाऊँ और मालिक ने लिखने का आदेश दे दिया | मैंने उसे लिखना प्रारम्भ किया और मालिक ने उस टूटी कड़ी को पूरा भी करवा दिया |
मैं समझ गयी कि ये मालिक का सेवा का आदेश है | ऐसा पहले भी कई बार मेरे साथ हो चुका है | मालिक ज्यादातर सेवा मुझे अंतर साधन में दिखा के संकेत दे देते हैं | मैंने साधन से उठ के मालिक से पूछा तो मालिक ने इस बात को कह दिया कि हाँ ये सेवा है किन्तु आधार वो गुरुबहन है | पहले वो स्वयं सतगुरु के सानिध्य में जाएगी उसके बाद सतगुरु की सेवा का कार्य कर के वो अपनी रिश्तेदार को मालिक के चरणो में ले जाएगी | बहुत भाग्यशाली होते हैं वो लोग जिन्हें मालिक सेवा का कार्य दे | इससे जाने अनजाने मालिक की सेवा कार्य का अवसर मिलता है और कर्म कर्ज़े भी अदा हो जाते हैं |मैंने तुरंत उस गुरुबहन को ये बात बताई और मालिक का संकेत भी समझाया | उसे भी बहुत अच्छा लगा मालिक का संकेत जान के और वो साधन में समय दे रही है |
जो मालिक ने लिखवाया वो इस प्रकार है -
सतगुरु जयगुरुदेव
मन तुम क्यूँ होवो उदास
जिसको तुम अपना जानो या मानो , कबहूँ न रहे तुम्हरे पास.....मन तुम क्यूँ होवो उदास
जा संग तुम रहने को चाहो , उलझावे जगत जंजाल .......मन तुम क्यूँ होवो उदास
चढ़ी चलो उनकी अगम अटारी , बुलाये पिया तुम्हें अपने पास
मन तुम अब न होवो उदास
वही तो सच्चे पिया तुम्हारे , क्यों नहीं समझो ये बात.....मन तुम अब न होवो उदास
या जग की तुम बात न मानो , चली जाओ तुम निजधाम....मन तुम अब न होवो उदास
इस जग में जब रहना नहीं है , क्यूँ तुम रखो फंसाव..........मन तुम अब न होवो उदास
करो शुकराना उस महाप्रभु का , जग झंझट दियो छुटाय
ता से अब जग आऊँ न कबहूँ , दुःख मिले यहाँ अपार
मन तुम अब न होवो उदास , चलो अब चलो सतगुरु के साथ ll
सतगुरु जयगुरुदेव
मालिक की आज्ञा से ही मैं अपना ये अनुभव बता रही हूँ ताकि अन्य गुरुभाई बहन इस बात को समझ ले मालिक अंतर में संकेत देते हैं | उनके संकेतो को समझने की जरुरत है | अगर आप ये सोचते हो कि मालिक स्वयं चल कर आपको बताने समझाने आएंगे तो हाथ पे हाथ धरे बैठे रहो क्योंकि सतगुरु सदैव मर्यादा में ही कार्य करते हैं और मालिक का कार्य आज भी हो रहा है और आगे भी होता रहेगा |
मालिक सदैव इशारा करते हैं किन्तु उनके संकेतो को समझ पाना हर जीव के वश में नहीं होता | इसके लिए साधकों की संगति की आवश्यकता होती है | साधक जो उस मार्ग पर चल रहे होते हैं और अंतर में सतगुरु से मिलते रहते हैं वो भेद समझ सकते हैं और उनकी मदद से मालिक के संकेत, सेवा और इशारे समझ आ जाते हैं | यदि कोई अहंकारवश उनकी बातों को मानने से इंकार कर दे तो सतगुरु ये सेवा किसी और को देकर अपना कार्य करवा लेते हैं किन्तु वो दुर्भाग्यशाली जीव वहीं रह जाता है | इसीलिए कहा गया है मालिक का कार्य रुकता नहीं |
जो सतगुरु पर भरोसा रखते हैं उन्हें बताने समझाने के लिए मालिक अपने ही कुछ अन्य जीव निमित्त बना कर भेजते हैं जो उस जीव को मालिक का सन्देश देते हैं | सतगुरु के सन्देश समझ के प्रयास करने वाले जीव को कभी निराशा नहीं मिलती किन्तु उसे सतगुरु पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए और सतगुरु पर पूर्ण विश्वास करने वाले जीव सदैव दीन और मालिक की दया के लालायित रहते हैं | ऐसे जीव सतगुरु की दया से अपना कार्य अवश्य कर लेते हैं |
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तीन दिवसीय सत्संग कार्यक्रम में सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर, ग्राम - बड़ेला में दिनांक - 16 फ़रवरी 2015 को आये हुए गुरु भाई - श्री रमेश सोलंगी , जिला - पाली , राजस्थान का निज अनुभव स्वयं उन्ही के मुखारविंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव : महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तीन दिवसीय सत्संग कार्यक्रम में सतगुरु जयगुरुदेव अंतर्घट मंदिर, ग्राम - बड़ेला में दिनांक - १७ फ़रवरी २०१५ को आये हुए गुरु भाई - श्री इंदरजीत विश्वकर्मा, जिला - सीतापुर, उत्तर प्रदेश का निज अनुभव स्वयं उन्ही के मुखारविंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 09-02-2015
मेरा अनुभव :
|| सतगुरु अनाम धाम के वासी , भेद बतावे वो अविनाशी
मुझ सुरत को ये समझाए , अंतर में स्वामी से मिलाय
सुरत चढ़ी तब उनके निवासा , स्वामी मिले पर समझी न भाषा
इस जगत में जो मैं आयी , अंतर में जग छूटे न छुटायी
पिया मिले मोहे बहु समुझाई , पर मैं पिया को चीन्ह न पायी
सुरत पखारे चरण स्वामी के , चलो मुझे निजधाम में ले के
स्वामी कहे तुम जग को छोड़ो , नक़ल में रह मुख असल को मोड़ो
सुरत रोये और फिर पछताये , स्वामी मोहे यहाँ कुछ न भाये
असल नक़ल न भाषा समझ में आये , लौट लौट वो जग को आये
सुरत निरंतर रोती जाये , स्वामी से मिलने फिर फिर जाये
सुरत चढ़ी फिर अगम अपारा , अपने स्वामी जाये निहारा
स्वामी तुम मोहे क्यूँ न अपनाये , सुरत तुम पर न्योछावर जाये
सतगुरु सुरत में शबद समाना , मारग सतगुरु फिर उसे दिखलाना
सुरत कहे मैं वारि जाऊँ , तुम्हें छोड़ अब कहीं न जाऊँ
प्रभु सतगुरु के कंठ से बोले , अंतरपट दरवाजे खोले
कहे तुम्हें मैं वापस पाऊँ , स्वयं को मैं सम्पूर्ण बनाऊँ
सुनकर सुरत है बहुत लजायी , स्वामी में फिर घुलमिल जायी
सुरत भयी अब शबद समाना , सतगुरु समर्पण ही सबकुछ जाना
भयी सुरतिया सतगुरु की अब , सतगुरु पथ दिखलाये जब
सुनि सुनि बात मैं बोली जाऊँ , सतगुरु पर स्वयं को मैं चढ़ाऊँ
बार बार मैं वारि जाऊँ , स्वयं को सतगुरु से अलग न पाऊँ
स्वामी में घुलमिल मैं जाऊँ , सतगुरु में ही मैं स्वयं को पाऊँ
स्वयं में अब सतगुरु दिखलाऊँ ||
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - पल्लवी श्रीवास्तव
जिला - गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 09-02-2015 को 08:30 pm
मालिक की दया से दिनांक 9 -02 -15 को 8 :30 pm पर जब मैं ध्यान में बैठी तो मैंने देखा की मैं किसी हवाई जहाज के अंदर हूँ जैसे अभी अभी प्रवेश किआ हो.दाहिनी तरफ 3 सीट वाली सीट लगी हुई है और बाये तरफ 2 सीट वाली. फिर मैंने सबसे पहली सीट पर बड़े भैया (अनिल भैया) को अकेले बैठे हुए देखा.उनके पीछे की सीट पर पल्लवी दीदी और २ अन्य गुरु बहनो को देखा.तीसरी सीट खाली थीं ऐसा लगा जैसे मुझे वही बैठना हो.फिर मैंने देखा की मालिक अपने आध्यात्मिक स्वरुप में बीच में चल रहे हैं और दोनों तरफ की सीट चेक कर रहे हैं की सब लोग ठीक से बैठ गए हैं की नहीं .फिर मैं सोच रही थीं की मालिक तो बैठे नहीं हैं फिर अचानक ध्यान आया की मालिक तो जहाज चलाएंगे तो ये पायलेट की सीट पर ही बैठेंगे.
मालिक इस नाम जहाज में मुझे भी जगह दिलवा दीजिये.
मालिक द्वारा यह अद्भुत दृश्य दिखाए जाने पर मैं धन्य हो गयी .मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाये रखियेगा.
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - एकता श्रीवास्तव
मुंबई , महाराष्ट्र, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 05-02-2015 को 11 :00 am
मालिक की दया से आज दिनांक 05-02 -2015 को 11 :00 am पर जब मैं ध्यान में बैठी तो मैंने देखा की मै एक बच्ची के रूप में हूँ और एक पुल पर चल रही हूँ फिर मैंने अपने साथ मालिक को आध्यात्मिक स्वरुप में अपने साथ खड़े देखा और दूसरी तरफ बड़े भैया (अनिल भैया) को भी वही पर देखा.हम तीनो पुल पर खड़े थे.फिर बड़े भैया ने मालिक को प्रणाम किआ और मालिक ने उनको वही रुकने को कहा.फिर मालिक ने मुझसे आगे चलने को कहा और मै एकदम छोटे बच्चे की तरह दौड़ कर आगे जाने लगी.तभी मैंने पलट कर मालिक को देखा की वो आ रहे हैं कि नहीं.मालिक भी धीरे धीरे आ रहे थे (एकदम सफ़ेद वस्त्र पहने चमकते हुए ).फिर मैंने मालिक से पूछा की मुझे कहा जाना है और क्या करना है.तो मालिक बोले की" ये जो लोग आगे सोये पड़े हुए हैं इनको जगाना है और "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम के बारे में बताना है."फिर मैंने मालिक से कहा की ये लोग तो अंधे बहरे हैं कुछ सुनते समझते नहीं हैं.तो मालिक बोले की जो सुने उसको बताओ और जो ना सुने या ना माने तो उसको छोड़ के आगे बढ़ जाओ|
फिर मैंने मालिक से अपने इस रूप के बारे में पूछा और कुछ अन्य प्रश्न पूछे जिसका उत्तर मालिक ने दिया.फिर मालिक ने मुझे यह सब लिखने की और सबको बताने की आज्ञा दी |
मालिक के दर्शन व सेवा पाकर मैं धन्य हो गयी |
मालिक अपनी दया सदा बनाये रखियेगा |
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - एकता श्रीवास्तव
मुंबई , महाराष्ट्र, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 04-02-2015 को 05:00 pm
मालिक की दया से दिनांक 04-02-2015 को 05:00 pm पर जब मै ध्यान में बैठी तो मैंने देखा की एक जगह पर बहुत ढेर सारे कोयले गिर रहे हैं इतने सारे की पूरा कमरा भर गया है | तभी वहाँ पर मालिक को नए स्वरुप में बैठे हुए देखा | फिर वहाँ उन कोयले के ढेर में से एक चमकता हुआ हीरा दिखाई दिया तो मालिक ने कहा की जैसे इन कोयले के ढेर में से एक हीरा मिला है वैसे ही मुझे जीवो के ढेर में से अपने हीरे जैसे जीवो को छाटना है उन सच्चे जीवों को अलग करना है ये पूरी मेहनत मुझे ही करनी है|
मालिक अभी भी समझा रहे हैं की समय रहते बात मान लो नहीं तो बाद में पछताने के अलावा कुछ शेष नहीं रहेगा |
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - एकता श्रीवास्तव
मुंबई , महाराष्ट्र, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 02-02-2015, शाम : 5:30
मैंने आज गुरुमहराज से विनती की कि मुझे अनुभव में कुछ बता दीजिये, फिर मैंने सुमिरन किया इसके बाद मैं ध्यान पर बैठी लगभग 10 मिनट बाद गुरुमहाराज के दर्शन हुए | फिर मैंने देखा की गुरुमहाराज कुछ कह रहे हैं | फिर मैंने उस बात पर ध्यान दिया | गुरुमहाराज कह रहे थे की बच्चा तू मत घबरा अब वो दिन दूर नहीं है | जब मैं प्रत्यक्ष रूप से दर्शन दूँगा | देख लेना हम बड़े - बड़े सतसंग करेंगे | सारी अपनी जीवात्मा को ले लेंगे | मैं अपनी जीवात्माओं को सच्ची राह पर लेकर आऊँगा | ये मेरा बड़ा काम है और जो सच्ची लगन से सुमिरन, ध्यान, भजन करेगा मैं उसे अवश्य दर्शन दूँगा | चाहे वो नामदानी हो या नहीं | जो सच्ची लगन से सतगुरु जयगुरुदेव नाम का सुमिरन, ध्यान, भजन करेगा | उसे पूरी - पूरी दया मिलेगी | बच्चो तुम ब्यर्थ ही चिंता करते हो , तुम अपना ध्यान पूरा लगाओ ज्यादा से ज्यादा समय दो फिर देखो कैसे तुम्हे दया नहीं मिलती , ऐ हमारे लिए समझाते हुए गुरु महाराज ने कहा है |
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - वर्षा
सागर, मध्य प्रदेश, भारत
मोबाइल नो :08010330824
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 20-01-2015 को 7:30
मालिक द्वारा अंतर में कहे गए वचन:
मालिक की दया से आज दिनांक 20-01-2015 को 7:30 am पर जब मैं ध्यान में बैठी तो मैंने मालिक की आवाज़ सुनी | ऐसा लगा कि मालिक कुछ कह रहे हैं | फिर ध्यान दिया तो मालिक ने कुछ शब्द कहे जो कि इस प्रकार हैं:
"सतगुरु जयगुरुदेव!
जो सुरते मेरे साथ यहाँ आई हैं उनको तो मैं अपने साथ लेके ही जाऊंगा और उन सूरतो को अपना कार्य करना है जो वो करने यहाँ आई हैं | उनको दूसरी सूरतो को जागृत करने का कार्य करना है और अपने साथ उनको भी ले जाना है | जो भी जीव "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम लेगा वो परम पद पायेगा/पाने का अधिकारी होगा" |
इसके बीच में ही मैंने मालिक से पूछा था की क्या ये लिखना है तो बोले की "पहले सुन लो बाद में लिख लेना" |
मालिक बार बार बता रहे हैं और समझा रहे हैं "सतगुरु जयगुरुदेव" नाम की महिमा के बारे में यदि अब भी किसी को शंका हो तो शंका का कोई समाधान नहीं होता, बस यही कहना चाहूँगी की इस नाम पर और अपने सतगुरु मालिक पर विश्वास रखे | वो मालिक हर पल हम सबको देख रहा है और पल पल हमें निज धाम जाने की याद दिल रहा है तो देर किस बात की है बस सतगुरु जयगुरुदेव बोलते चलो मालिक को याद करते चलो |
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की
गुरु बहन - एकता श्रीवास्तव
मुंबई , महाराष्ट्र, भारत
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 27 दिसंबर 2014 सुबह ०४:०० बजे
परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज की दया मेहर से मैं दिनाक: 27 दिसंबर 2014 सुबह ०४:०० बजे सुमिरन ध्यान भजन में बैठा तब मालिक ने विशेष दया बरसाई :
मोरी सुरतिया कीन्हा सतगुरु को प्रणामी | सतगुरु ने फिर दया उतारी ||
दिव्य शब्द था ओ तो भाई, शब्द में बहुत कशिश थी भाई |
शब्द ने खींचा तुरतै भाई , सुरत चढ़ी तुरत फिर गगना भाई |
पहुंची तुरत फिर अनामधाम तब, जहाँ सतगुरु सत्संग सुनाए रहे थे |
फिर सतगुरु ने मोरी रील को बदला, दिखाया फिर कुछ अचरज आध्यात्मिक स्वरुप में |
सतगुरु ने फिर कुछ गजब सिखाया, सुरत को फिर उड़ना और चलना सिखलाया |
सतगुरु स्वामी को कोटि-कोटि प्रणाम और धन्यवाद जो गुरु स्वामी ने मुझ नीच पर दया उतारी |
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई
सुनील कुमार
नोएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल नो. 09711862774
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 23-12-14 को 6:00pm बजे
मालिक की दया से दिनांक 23-12-14 को 6:00pm बजे जब मैं ध्यान में बैठी तो मैंने देखा की एक ऊँचा सा मंच है और उसके नीचे बहुत सारे लोग खड़े हैं और धीरे धीरे वो भीड़ बढ़ती ही जा रही है .मैं सोच रही थी की कैसे आगे बी बढू लेकिन मैं तो वह उड़ रही थी फिर भीड़ के ऊपर से आगे की ओर गयी तो देखा वो भीड़ एक दिव्य रौशनी की तरफ बढ़ रही है.फिर देखा की वो रौशनी में से एक आकृति निकल रही है फिर वो मालिक की आकृति बन गयी.वो मालिक का आध्यात्मिक स्वरुप था.वो मुझे लगातार देख रहे थे.फिर उन्होंने मुझसे कहा की सब लोगो को यही आना है.मेरे काम में कोई टाल मटोल नहीं होना चाहिए. उसके बाद मैंने देखा की मैं मंच के पास हूँ और मालिक को पीछे से देख रही हूँ फिर आगे आ गयी और उनके दर्शन किये.
मालिक के दर्फशन पाकर मैं धन्य हो गयी.मालिक अपने चरणो से मुझे कभी दूर मत करियेगा.
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई महाराष्ट्र)
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 19-12-14
मलिक आपके चरणो मे सादर सतगुरू जयगुरुदेव
मै दिनांक 28/11/14 से 3/12/14 तक बडेला मंदिर गयी थी. वहा पर दादा गुरू के शुभ जनमदिन अवसर पर बहुत ही उल्लास के साथ सारे गुरू भाइ बहन मिलकर तैयारी करी और सारे लोग बहुत खुश थे .वहा से आने के बाद मै कभी अच्छे से बैठकर ध्यान भजन सुमिरन नही कर पा रहि थी . इसलिये की हर रविवार मेरा परीक्षा था . मै कल 18/12/14 को आफिस से आने के बाद बहुत फ्री महसूस कर रहि थी .और मुझे बहुत खुशी हो रहि थी .की आज मै ध्यान भजन सुमिरन अच्छी तरह से करूँगी | मै जैसे ही सुमिरन मे बैठि तबतक एक लड़की आकर बोली रेखा क्या कर रहि हो कबतक पुजा करेंगी |फिर सुमिरन करने कि बाद मै उठ गायि . फिर जब मै ध्यान मे बैठि तो स्वामी जी महाराज से प्रार्थना किये की मलिक आपके दर्शन किये बहुत दिन हो गये .मालिक आप मुझे दर्शन दे दो . 18/12/14 से 19/12/14 तक मै स्वामी जी से यही प्रार्थना करती रहि मलिक मुझे दरसन दे दो . आज 19/12/14 सुबह जब मै साधना मे बैठि तो मलिक के नये स्वरूप का दरसन हुआ .मलिक के लिये कुर्शी लगायी गयी थी .मै वहा पे खड़ी थी मलीक के साथ कुछ लोग (संगत ) आ रहि थी .मै मलिक का दर्शन किया और जाकर मालिक का चरण स्पर्श किया . और मै बहुत खुश थी की मलिक का दर्शन पाकर मै धन्य हो गयी .
सतगुरू जयगुरुदेव
स्वामी जी की असीम कृपा से मै ग्राम बडेला मंदिर गयी वहा पर जो भी थोडा सेवा कर पाती हू मुझे बहुत खुशी होती है मै स्वामी जी महाराज से हमेशा पूछती रहती हू .मलिक आप बताओ मै तो सेवा कर नही पाती हू अब मै क्या करू मै स्वामी जी महाराज से प्रश्न पूछती हू मलिक ऐसा क्यो होता है .हर क्षण हर पल स्वामी जी को याद करती हु .ये तो मलिक की असीम दया है . जो इस संसार मे ऐसे वातावरण मे रहकर भी स्वामी जी महाराज अपने इस बालक को अपने चरणो मे लगाये रखते है .मै स्वामी जी से प्रार्थना करती रहती हू की हे मलिक जो भी आपके बच्चे सतसंगत का कार्य कर रहे है .इनको इतनी शक्ति दे दो की कभी भी उन्हे परेशानि ना हो .और ओ संगत आपके सहारे सारे कार्य पुरा कर ले . सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरुबहन
रेखा यादव
गाजीपुर उत्तर प्रदेश भारत
सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता जी गुरु महाराज के विशेष आदेश से अंतर्घट जयगुरुदेव मंदिर, ग्राम- बड़ेला से निकल कर कानपुर पहुंचे और वहां रूहानी सत्संग दिनांक (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ | वहां पर आई हुयी गुरु बहन - कविता का निज अनुभव - स्वयं उन्ही के के मुखारबिंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता जी गुरु महाराज के विशेष आदेश से अंतर्घट जयगुरुदेव मंदिर, ग्राम- बड़ेला से निकल कर कानपुर पहुंचे और वहां रूहानी सत्संग दिनांक (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ | वहां पर आये हुए प्रेमी - विश्राम जी का निज अनुभव - स्वयं उन्ही के के मुखारबिंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता जी गुरु महाराज के विशेष आदेश से अंतर्घट जयगुरुदेव मंदिर, ग्राम- बड़ेला से निकल कर कानपुर पहुंचे और वहां रूहानी सत्संग दिनांक (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ | वहां पर आये हुए प्रेमी - आर० के० वर्मा जी का निज अनुभव - स्वयं उन्ही के के मुखारबिंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता जी गुरु महाराज के विशेष आदेश से अंतर्घट जयगुरुदेव मंदिर, ग्राम- बड़ेला से निकल कर कानपुर पहुंचे और वहां रूहानी सत्संग दिनांक (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ | वहां पर आई हुयी गुरु बहन - सीता का निज अनुभव - स्वयं उन्ही के के मुखारबिंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता जी गुरु महाराज के विशेष आदेश से अंतर्घट जयगुरुदेव मंदिर, ग्राम- बड़ेला से निकल कर कानपुर पहुंचे और वहां रूहानी सत्संग दिनांक (१४/१२/२०१४) को कानपुर सिटी में हुआ | वहां पर आये हुए प्रेमी गुरु भाई - राम सुख पाल का निज अनुभव - स्वयं उन्ही के के मुखारबिंद से |
सतगुरु जयगुरुदेव : दादा गुरु महाराज के पावन भंडारे के शुभ अवसर पर पांच दिवसीय कार्यक्रम (दिनाक : २९ नवम्बर २०१४ से ०३ दिसंबर २०१४ तक ) पर जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला में कानपुर, उत्तर प्रदेश से आये हुए गुरु भाई - रविन्द्र कुमार जी का निज अनुभव ||
सतगुरु जयगुरुदेव : दादा गुरु महाराज के पावन भंडारे के शुभ अवसर पर पांच दिवसीय कार्यक्रम (दिनाक : २९ नवम्बर २०१४ से ०३ दिसंबर २०१४ तक ) पर जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला में मिर्जापुर , उत्तर प्रदेश से आये हुए गुरु भाई - कृष्णा पटेल जी का निज अनुभव |
सतगुरु जयगुरुदेव :                     दिनांक: 12-12-14
मालिक की दया से आज दिनांक 12-12-14 को सुबह 7:20 am पर जब मैं ध्यान में बैठी तो मैंने मालिक के बहुत बड़े आध्यात्मिक स्वरुप को देखा.उन्होंने दोनों हाथ में कुछ लिया हुआ था.पहले दाया हाथ खोले तो उसमे शंकर जी बैठे थे और जब दूसरा हाथ खोले तो मालिक का नया स्वरुप दिखाई दिया. मालिक के इस विराट स्वरुप के दर्शन पाकर मैं धन्य हो गयी.
मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाये रखना.
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरुबहन
एकता श्रीवास्तव
(मुंबई महाराष्ट्र)

बिजनौर और हरिद्वार के सत्संगियों का अनुभव दिनाक २८ फ़रवरी 2014

सतगुरु जयगुरुदेव :
परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज के अंतर आदेशानुसार जयगुरुदेव मंदिर , ग्राम - बड़े ला से प्रदान किये गए अनुभव कलश को प्रणाम कर बिजनौर और हरिद्वार के सत्संगिओ ने आंतरिक अनुभव किया :दिनाक : २८ फ़रवरी 2014

१) गुरु भाई - कर्म सिंह , बिजनौर : सतगुरु जयगुरुदेव जब मैंने अनुभव कलश को प्रणाम किया और अंतर में मालिक से दया मांग कर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें गुरु महराज के दर्शन हुए और भजन में घंटे की आवाज और प्रकाश दिखाई दिया |
२) गुरु भाई - राजेश कुमार , हरिद्वार : जब मैंने अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो अंतर में मालिक के दर्शन हो रहे हैं और आवाज और प्रकाश बहुत ज्यादा दिखाई दे रहा है |
३) गुरु भाई - रबिन्द्र, मुज्जफर नगर : हमका प्रकाश स्वरुप गुरु महाराज के दर्शन होते हैं | सुनाई और दिखाई पड़ता है |
४) गुरु भाई - गंगा राम , हरिद्वार : गुरु महराज की दया मेहर से हमारे ध्यान भजन में ज्यादा बृद्धि हुई है |
५) गुरु भाई - कुलदीप: हमने जब अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमको अंतर में गुरु महराज ने तीन बार दर्शन दिए ||

गुरु बहन - एकता श्रीवास्तवा, मुम्बई, महाराष्ट्र का अनुभव: दिनांक १९-०५-२०१४

सतगुरु जयगुरुदेव: दिनांक १९-०५-२०१४ को मालिक की दया से मैं ध्यान में बैठी तो मैंने देखा की मैं कही जा रही हूँ रास्ते में मैंने हनुमान जी को देखा और उन्हें देख कर मैंने कहा की कृपया मुझे आगे जाने दे फिर वो किनारे चले गयी फिर मैंने देखा की एक जगह नदी है और मैंने बहुत ऊंचाई से देख रही हूँ मुझे पार करने में डर लग रहा था मैंने मालिक से कहा मई आगे कैसे जाऊँ तो सामने की तरफ से आवाज़ आई की आ जाओ वो मालिक की आवाज़ थी फिर मैं नाम लेते हुए आगे जाने लगी जैसे मैं किसी पाइप पर चल रही थी और नीचे नदी बह रही थी तो मैंने बिना नीचे देखे आगे चलने लगी फिर अचनक वो रास्ता खतम हो गया उसके बाद काफी देर तक प्रकाश में चलने के बाद मैंने मालिक को देखा वो बिलकुल अलग स्वरुप में थे बिलकुल राजा की तरह कपडे पहने हुए सर पर मुकुट लगाये और मुझे देखकर हंस रहे थे.मैंने पूछा मालिक ये कौन सा धाम है और आप किस स्वरुप में हैं आप अलख पुरुष हैं या अगम या अनामी ?तो वो बोले बच्ची ये अलख अगम और अनामी के बीच का रास्ता है और समझ लो की मैं अगम पुरुष रूप में हूँ .उसके बाद मैंने मालिक से पूछा क्या मैं आगे जा सकती हूँ अनामी धाम तो बोले हा चलो फिर मालिक आगे चलने लगे और मैं उनके पीछे चलने लगी अचानक उनका रूप बदल गया वो एक ऋषि के रूप में परिवर्तित हो गए और मुझे धीरे से एक बार मुड़ कर देखा फिर मैं उनके पीछे जाने लगी मैंने वहाँ एक बड़ा सा वृक्ष देखा वही पर दादा गुरु जी को भी देखा वो बहुत तेज रौशनी में दिख रहे थे और मालिक भी उसके तरफ से जा रहे थे फिर उनके पीछे चलते हुए मैंने देखा की बहुत सारे सिक्के रास्ते में गिरते जा रहे हैं पूरा रास्ता सिक्को से भरा था और मैं उन पर चलती जा रही थी .फिर अचानक एक वन आ गया और मालिक कही गायब हो गए फिर मैंने आगे जाकर देखा तो आसमान में दादा गुरु जी के दर्शन हुए उन्होंने मुझे दाये तरफ दिखाया वह आसमान में मालिक अपने आध्यात्मिक स्वरूप में बहुत बड़े से दिखाई दिए बस आधा भाग दिख रहा था .मैंने उनसे (मालिक से)कहा मैं आपके पूरे स्वरुप को देखना चाहती हूँ आपके चरण भी देखना चाहती हूँ.फिर मालिक एक जगह खड़े हुए दिखाई दिए नए स्वरूप में पर मैं वहाँ नहीं थी मैंने कहा मालिक मैं कहा हूँ.फिर मैंने देखा मैं बहुत सुन्दर स्वरुप में थी एकदम दुल्हन जैसी.मैंने पूछा मालिक ये कैसा स्वरुप है मेरा तो आवाज़ आई ये तुम्हारी सुरत सुहागिन है.फिर मैंने देखा मालिक एक जगह बैठे हुए थे और मेरा स्वरुप मालिक में ही समां गया.
मालिक की ऐसी दया पाकर मैं धन्य हो गयी.मालिक अपनी दया मुझ नालायक जीव पर बनाये रखियेगा .
अखंड भारत सांगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तव
मुंबई (महाराष्ट्र)

देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियों का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव :
परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज के अंतर आदेशानुसार जयगुरुदेव मंदिर , ग्राम - बड़े ला से प्रदान किये गए अनुभव कलश को प्रणाम कर देहरादून के सत्संगिओ ने आंतरिक अनुभव किया :दिनाक :०४ मई २०१४ को देहरादून के सत्संगिओ को हुआ घनाघोर अनुभव

१) गुरु भाई - सुमेर चन्द्र पाल, ग्राम - फतेपुर (रेशम माजरी ), देहरादून : सतगुरु जयगुरुदेव - जब हमने अनुभव कलश को प्रणाम करके अंतर में गुरु महाराज से दया मांगकर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें खूब सारी घंटियों की आवाज सुनाई दी और मेरा मन रुका|
२) गुरु बहन - कुसुम पत्नी श्री सुमेर चन्द्र पाल, ग्राम - फतेपुर (रेशम माजरी ), देहरादून : हमने अनुभव कलश को छूकर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमका ध्यान में दायें से बाएं की ओर एक काला प्रकाश जाता दिखाई दिया जो थोड़ी देर बाद सफ़ेद हो गया और कुछ देर बाद नीले प्रकाश में बदल गया |फिर उसी नीले के बीच में पीला प्रकाश दिखाई देने लगा ||
३) गुरु भाई - विजय सिंह पाल, जीवनवाला (रेशम माजरी ), देहरादून : मैंने जब अनुभव कलश को श्रद्धा से प्रणाम करके अपने मालिक से प्रार्थना करके भजन में बैठा तो हमें झींगुर की बहुत साफ आवाज सुनाई दी |
४) श्री मती पत्नी श्री विजय सिंह पाल, जीवनवाला (रेशम माजरी ), देहरादून : हम जब अनुभव कलश को छूकर ध्यान पर बैठे तो हमें काला बिन्दु दिखाई दिया उसी में बहुत सारे तारे दिखाई दिए |
अखंड भारत सांगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - सेवादार गुरु भाई- राजेश आर्या एडवोकट उच्चन्यायालय उत्तराखंड
पता -१४७/१३७ मानस निवास, अपोजिट डॉ. बंगाली , नाला पानी रोड , देहरादून ( उत्तराखंड)
फ़ोन नंबर -०७४१७७५९५७० , ०९०२७०३१९०३

गुरु बहन - एकता श्रीवास्तवा, मुम्बई, महाराष्ट्र का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव : आज दिनांक ५ मई २०१४ को सुबह 9:40 बजे जब मैं मालिक से दया की भीख मांग कर ध्यान में बैठी तो थोड़ी देर तक इधर उधर मन भाग रहा था फिर अचानक मुझे लगा की एक टेक सफ़ेद रौशनी गोल गोल घूम रही है मैंने सोचा की यह चौथा धाम हो सकता है तो एक आवाज़ आई की यह सतलोक है फिर मैंने मालिक से दर्शन देने की प्रार्थना की तो बड़ी मुश्किल से बड़े दिनों के बाद आज मुझे मालिक ने दर्शन दिए वो अपने नए स्वरुप में थे बाल खुले हुए और सफ़ेद कपडे पहने हुए .मुझे लग रहा था की शायद ये मालिक का सत्पुरुष स्वरुप है फिर मैंने देखा एक बाल्टी मेरे आगे रक्खी थी और वो अपने आप उलट गई जैसे की मैंने ही ऐसा किया हो फिर उसमे से खूब सारे सिक्के गिरने लगे और मालिक मेरे सामने खड़े थे.फिर मालिक गायब हो गए केवल उनकी आवाज़ आ रही थी वो आवाज़ एकदम अलग सी थी फिर मैंने उनसे पूछा क्या मैं अनामी धाम जा सकती हूँ तो वो बोले बिलकुल जाओ रास्ता तो तुम्हे पता है.फिर मैं आगे जाने लगी कुछ बादल से दिखे मगर ठीक से कुछ समझ नहीं पायी.बीच में कही मैंने मालिक को एक बिस्तर पर लेते हुए भी देखा वो एक मटमैले रंग का कम्बल या चादर ओढ़कर दायें करवट सो रहे थे आध्यात्मिक स्वरुप में.वो एक कमरा था और वह पर खिड़की भी थी.उसके बाद मैंने देखा की मैं बहुत उचाई पर से पृथ्वी को घूमते हुए देख रही हूँ और उसमे बहुत सारे चेहरे भी दिख रहे थे.मैंने मालिक से सेवा पूछी तो उन्होंने अपना अनुभव लिखने को कहा. आज बहुत दिनों के बाद मालिक की ऐसी दया मुझ पर हुई तो मैं धन्य हो गयी.
मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाये रखना .
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तवा
मुम्बई ,महाराष्ट्र

देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियों का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव :
परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज के अंतर आदेशानुसार जयगुरुदेव मंदिर , ग्राम - बड़े ला से प्रदान किये गए अनुभव कलश को प्रणाम कर देहरादून के सत्संगिओ ने आंतरिक अनुभव किया :दिनाक :०४ मई २०१४ को देहरादून के सत्संगिओ को हुआ घनाघोर अनुभव

१) गुरु भाई - सुमेर चन्द्र पाल, ग्राम - फतेपुर (रेशम माजरी ), देहरादून : सतगुरु जयगुरुदेव - जब हमने अनुभव कलश को प्रणाम करके अंतर में गुरु महाराज से दया मांगकर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें खूब सारी घंटियों की आवाज सुनाई दी और मेरा मन रुका|
२) गुरु बहन - कुसुम पत्नी श्री सुमेर चन्द्र पाल, ग्राम - फतेपुर (रेशम माजरी ), देहरादून : हमने अनुभव कलश को छूकर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमका ध्यान में दायें से बाएं की ओर एक काला प्रकाश जाता दिखाई दिया जो थोड़ी देर बाद सफ़ेद हो गया और कुछ देर बाद नीले प्रकाश में बदल गया |फिर उसी नीले के बीच में पीला प्रकाश दिखाई देने लगा ||
३) गुरु भाई - विजय सिंह पाल, जीवनवाला (रेशम माजरी ), देहरादून : मैंने जब अनुभव कलश को श्रद्धा से प्रणाम करके अपने मालिक से प्रार्थना करके भजन में बैठा तो हमें झींगुर की बहुत साफ आवाज सुनाई दी |
४) श्री मती पत्नी श्री विजय सिंह पाल, जीवनवाला (रेशम माजरी ), देहरादून : हम जब अनुभव कलश को छूकर ध्यान पर बैठे तो हमें काला बिन्दु दिखाई दिया उसी में बहुत सारे तारे दिखाई दिए |
अखंड भारत सांगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - सेवादार गुरु भाई- राजेश आर्या एडवोकट उच्चन्यायालय उत्तराखंड
पता -१४७/१३७ मानस निवास, अपोजिट डॉ. बंगाली , नाला पानी रोड , देहरादून ( उत्तराखंड)
फ़ोन नंबर -०७४१७७५९५७० , ०९०२७०३१९०३

गुरु बहन एकता श्रीवास्तवा का अनुभव: दिनांक २७ मार्च २०१४ :

सतगुरु जयगुरुदेव :
मालिक कि दया से मैं ध्यान में बैठी थी तो मैंने देखा काफी रौशनी कि तरफ जा रही हूँ .नदी के बीच से पहाड़ रास्ता बना रहे हैं फिर मैं आसमान में कही गयी वहाँ मैंने मीरा बाई जी को देखा मैंने उनको प्रणाम किआ और कहा मुझे मेरे मालिक के पास जाना है . उन्होंने कहा "आयुष्मान भव "," सौभाग्यवती भव " .और आगे नाम लेते हुए जाने को कहा. उसके बाद काफी आगे मेहता जी महाराज (राधास्वामी मत ) को देखा मैंने उनसे भी मालिक के पास जाना है ऐसा कहा .उन्होंने इशारा किआ इस तऱफ से जाओ. फिर गुरु नानक जी दिखे उनकी आवाज काफी धीमी सी थी. मैंने उनको प्रणाम किआ और कहा मालिक के पास जाना है. फिर उन्होंने ऊपर की तरफ इशारा किआ. फिर ऊपर काफी आगे बादलों में होते हुए रौशनी की तरफ जा रही थी फिर आगे एक सुन्दर सा मंदिर जैसा भवन था उसका गुम्बद सोने की तरह चमक रहा था.उसके ऊपर एक मंच पर स्वामी जी अपने नए स्वरुप में दिखे उनसे काफी देर तक बाते हुई. मैंने उनसे पूछा मालिक ये कौनसा धाम है तो वो बोले ये अनामी धाम है. उन्होंने कहा की मुझमे मिलने से पहले अपना स्वरुप देख लो मैंने देखा मैं बहुत सुन्दर हो गयी हूँ और बहुत रौशनी मेरे शरीरसे निकल रही है जैसे कोई दिव्य आत्मा होती है फिर मैंने उनसे पूछा क्या आप हमेशा मेरे साथ रहेगे जब तक मैं जीवित हूँ वो बोले अब मैं हमेशा साथ रहूगा. मैंने कहा मालिक मुझे आपके साथ ही रहना है मरते दम तक और मरने के बाद भी और अब यहाँ इस धरा पर नहीं आना है .वो बोले जो एक बार यहाँ आ गया तो अब नहीं जायेगा मैं धन्य हो गयी मैंने और भी कई सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि जो कर्म हैं उन्हें काटना पड़ेगा काफी तो कट चुके हैं और बस साधन करते रहो बाकि मैं सम्हाल लूंगा.मैंने कहा मालिक मुझे एहसास हो जब मैं आप में मिलूं तो फिर मैं मालिक का आशीर्वाद लेकर उनमे विलीन हो गयी. मालिक अपनी दया ऐसे ही बनाये रखे| सतगुरु जयगुरुदेव,
अखंड भारत सांगत गुरु की से गुरु बहन
एकता श्रीवास्तवा
मुम्बई ,महाराष्ट्र

काशीपुर और हापुड़ जिले के सत्संगियों का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव :
परम संत सतगुरु बाबा जयगुरुदेवजी महाराजजी की असीम दया मेहर से आंतरिक आदेशअनुसार चमत्कारी ऐश्वर्ये महाप्रतापी मनन कलश जब बेतवा ग्राम काशीपुर पहुंचा तो वहाँ के सत्संगी गुरु भाईयों और गुरु बहनों ने बहुत ही ध्यान से मालिक के सन्देश को सुना और मालिक के बारे मे जाने की तीव्र उत्सुकता दिखाई . २५० के करीब लोग थे वहाँ पर . लोगों को वहाँ पर मनन कलश के द्वारा मिली दया से अनुभव हुआ पर यह कहे कर अनुभव नहीं बताया कि स्वामीजी ने मना किया था अनुभव बताने मे .पर वहाँ के गुरु भाईयों और बहनों ने पूरी तरह मालिक को हाज़िर -नाज़िर माना और अपने गुरुदेव के लिए ही अपने को समर्पित माना . बड़ेला ग्राम शीघ्र आने की इच्छा जताई. काशीपुर की कुछ बहनों ने अपने अनुभव बताएं वो इस प्रकार है :
[1] मुन्नी देवी -- ध्यान मे स्वामीजी के दर्शन हुए . मेर पर बाबाजी की बहुत दया रही हमेशा मै अपने गुरुदेव को ही मानती हूँ और बहुत खुश हूँ की बाबाजी जल्दी आयेंगे हमारे पास .
[2] माया देवी -- मन बहुत एकाग्र हुआ .ध्यान मे प्रकाश दिखाई दिया और सामने से धुआं आ रहा था और जा रहा था .बहुत अच्छा लग रहा था ध्यान मे बैठ कर .
[ ३] सपना -- ध्यान मे मैने गुरूजी की छवि देखी वो छवि गुरूजी की बहुत ही बड़ी थी और मै उसको देख कर घबरा गयी और मैने आँखें खोल दी .
[ ४ ] रम्मा -- ध्यान मै बैठने पर बहुत ही एकाग्रता आई ऐसी एकाग्रता पहले कभी नहीं हुई . मेरे शरीर पर बहुत दर्द रहता था और उस समय मै भी बहुत दर्द था पर गुरुदेव की दया से सतगुरु जयगुरुदेव का मनन करके मै जब ध्यान मै बैठी फिर जब मै उठी ध्यान से तो मेरे शरीर के किसी भी हिस्से मै दर्द नहीं था और मै फूल की तरह अपने को हल्का महसूस कर रही थी . मै बड़ेला ग्राम जरूर आऊँगी . मुझे पूरा विश्वास हो गया है की मेरे गुरु देव की वहाँ पर बहुत कृपा है .
हापुड़ जिले के चोपला ग्राम मै भी गुरु भाईयों और गुरु बहनों ने भी मालिक की विशेष सूचना को बहुत ही ध्यान से सुना और ख़ुशी जाहिर की. कुछ परिवार तो मालिक की प्रति इतने समर्पित थे ,कि उनके लिए उनके गुरुदेव उनके पास ही हैं और कहीं नहीं गए . वहाँ पर मनन कलश की दया लेकर लोगों को अनुभव हुआ पर इस डर से लोगों ने अनुभव नहीं बताया की स्वामीजी ने मना किया था अनुभव बताने मै पर गुरु भाईयों और बहनों ने बड़ेला ग्राम आने की उत्सुकता दिखाई .
कुछ गुरु भाईयों और बहनों के अनुभव इस प्रकार है : [ १ [ ताराचंद शर्मा -- नाम जाप से एकाग्रता आई .पहले की आपेक्षा आज बहुत ही अधिक एकाग्रता आई ध्यान ,भजन में . भजन मै असीम आनंद की अनुभूति हुई .
[ २ ] जयविंदर सिंह सैनी -- ध्यान मै जब सतगुरु जयगुरुदेव का मनन कर रहा था तो मै देखता हूँ कि चारपाई बिछी हुई है .गुरूजी आये चारपाई पर बैठ गए फिर उठे और चले गए . यह सब मैने पहेली बार इतने साफ़ - साफ़ देखा ध्यान मे .
[ ३ ] धर्मेन्द्र सिंह -- ध्यान लगते ही अंतरघट पर सतगुरु जयगुरुदेवजी महाराज ने दर्शन दिए और भजन मे प्रकाश देखा और मे यह सब को बताना चाहता हूँ कि सतगुरु जयगुरुदेव मनन करने पर बहुत ही दम है . वहाँ पर आयें लोगों ने भी हामी भरी कि वाकई सतगुरु जयगुरुदेव बोलने मे इतना कुछ मिल रहा है साधना मे और इतनी जल्दी .
[४ ] संगीता शर्मा -- ध्यान मे बाबाजी को मंच पर बैठे हुऐ देखा और मेरे आंसू निकल पड़े बाबाजी को अपने सामने देख कर . मै बड़ेला जरूर - जरूर आऊँगी .
[ ५] सीमा देवी -- ध्यान मे मै देखती हूँ कि सुबह का समय है . रौशनी बहुत ज्यादा थी और बाबाजी का स्वरुप सामने आ रहा था . मेरा ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा बाबाजी को देख कर . मै भी जल्द बड़ेला आऊँगी .
[ ६ ] अनु -- ध्यान मे मै देखती हूँ कि एक बहुत पुराना गांव है . दो या तीन छप्पर क़े घर बने हुऐ हैं .मै देखती हूँ कि लकड़ी क़े तख़्त पर बाबाजी पालथी मार कर बैठे हैं . बयां हाथ सीधा नीचे की और है और दायें हाथ से आशीर्वाद दे रहे हैं . स्वामीजी क़े पीछे से सफ़ेद रंग का प्रकाश आ रहा है . मुझे स्वामीजी को देख कर रोना आ गया .
[ ७ ] आपेक्षा -- ध्यान मे मैने बाबाजी क़े दर्शन किये और मै बहुत खुश हूँ दर्शन पाकर .
[ 8 ] अशोक शर्मा -- ध्यान मे मै देखता हूँ कि बहुत एकांत जगह है . चारों तरफ पहाड़ क़े बीच में स्वामीजी हैं . स्वामीजी क़े हाथ से पीला रंग का प्रकाश निकल रहा है . मै अपने को एक जगह बेठा हुआ पता हूँ और वो मालिक का भेजा हुआ प्रकाश सीधे मेरी तरफ आ रहा है . मेरे सामने आंधी , तूफ़ान चल रहा है जोकि आगे से निकल कर मेरे पीछे की तरफ जा रहा है . मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे कर्मों क़े आवरण मालिक मेरे अंदर से निकल रहे हैं और बाहर कर रहे हैं ,वो कर्म आंधी ,तूफ़ान का रूप लेकर मेरे पीछे की तरफ जा रहे हैं .
मेरे लिए मालिक हमेशा हाज़िर -नाज़िर रहे हैं . केवल सतगुरु जयगुरुदेव हैं मेरे मालिक उनके अलावा कोई नहीं . मै बड़ेला जल्द आऊंगा . सतगुरु जयगुरुदेव,
अखंड भारत सांगत गुरु की से गुरु बहन
अनुभव कलश सेवादार - श्रीमती बिमला शर्मा और रोहिणी शर्मा
देहरादून , उत्तराखंड

मुज्जफरनगर के गुरु भाई और बहनो का अनुभव:

सतगुरु जयगुरुदेव :
1 ) गुरु बहन सुनीता : सतगुरु जयगुरुदेव - जब मैंने अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें कमल के फूल पर बाबा जी बैठे हुए दिखाई दिए |
2) गुरु बहन प्रभा : जयगुरुदेव - हमने ग्राम बड़ेला से आये हुए अनुभव कलश को छूकर सुमिरन ध्यान और बजन किया तो हमें जिलमिल प्रकाश दिखयी दिया ||
3) गुरु बहन पूजा : सतगुरु जयगुरुदेव - जब हमने अनुभव कलश को छूकर साधना कि तो हमें तारा दिखाई दिया और प्रकाश दिखाई दिया और कमल का फूल भी दिखाई दिया ||
4) गुरु भाई अर्जन , ग्राम - रहड़वा , मुजफर नगर , उत्तर प्रदेश : सतगुरु जयगुरुदेव - मैंने ग्राम बड़े ला से आये हुए अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें गुरु महाराज के दर्शन हुए ||
5) गुरु भाई - अमित कुमार , ग्राम भुवा पुर, मुजफर नगर, उत्तर प्रदेश : जब मैंने अनुभव कलश को छूकर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें प्रकाश दिखाई दिया ||
6) गुरु भाई - तारा चन्द्र , ग्राम - मोसा , मुजफर नगर , उत्तर प्रदेश : जयगुरुदेव -जब मैंने ग्राम बड़ेला से आये हुए अनुभव कलश को छूकर सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें प्रकाश दिखाई दिया ||
7) गुरु भाई - विपिन कुमार , मुथुपुर , मुजफर नगर , उत्तर प्रदेश : सतगुरु जयगुरुदेव - मैंने ग्राम बड़े ला से आये हुए अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें हल्का प्रकाश दिखाई दिया |
8) गुरु बहन - जैबिरि देवी, मुन्नापुर, मुजफर नगर, उत्तर प्रदेश : सतगुरु जयगुरुदेव - मैंने ग्राम बड़े ला से आये हुए अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें पहले हल्का प्रकाश दिखाई दिया और फिर गुरु महाराज के दर्शन हुए |
9) अहिल्या ग्राम - बिहार गढ़ : सतगुरु जयगुरुदेव - मैंने ग्राम बड़े ला से आये हुए अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें जिलमिल प्रकाश दिखाई दिया ||
सतगुरु जयगुरुदेव,
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - गुरु भाई सुरेन्द्र सिंह चौहान एवं गुरु भाई देवेन्द्र सिंह चौहान
ग्राम - सियाली , पोस्ट - रामराज, जिला- मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश
मोबाइल नंबर :09917848310 ,09837097535

सतगुरु जयगुरुदेव : दिनांक 08 फ़रवरी २०१४ को गुडगाँव से नोएडा आये हुए गुरु भाई पर मालिक ने दया कि बरसात की:

सतगुरु जयगुरुदेव : परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के अशीम दया मेहर से गुरु भाई अरुण कुमार के अंदर जिज्ञासा जगी की गुरु महाराज अनुभव करा रहे है ग्राम - बड़ेला से प्रदान किये अनुभव कलश के माध्यम से सो अरुण कुमार जी नोयडा में स्थापित अनुभव कलश के पास जाकर जब श्रद्धा प्रेम से परनाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मालिक ने उन पर दया मेहर की :
गुरु भाई - अरुण कुमार के शब्दों में उनका अध्यात्मिक आंतरिक अनुभव : जब मैं अनुभव कलश को सच्चे मन से प्रणाम कर मालिक की दया मेहर से ध्यान पर बैठा तो सबसे पहले मेरा बायां पैर शून्य हो गया और फिर दायां और रीढ़ की हड्डी तक शून्य हो गया और फिर मुझे अंतर में बहुत तीब्र प्रकाश का दरसन हुआ | जिसे देख मेरा रोम रोम प्रफुल्लित हो गया | पुनः मैं मालिक को कोटि कोटि प्रणाम कर धन्यवाद् देते हुए फिर जब मैं भजन पर बैठा तो सर्व प्रथम मेरे उँगलियों में जलन होने लगी | फिर उसके बाद जब फिर ध्यान लगाकर भजन पर ध्यान दिया तब मुझे फिर से तीब्र प्रकाश का दर्शन हुआ | जिसे देख मैं बहुत खुश हो गया | सतगुरु जयगुरुदेव |
अरुण कुमार , काटरपुरी, सेक्टर - २३ , गुडगाँव , हरियाणा , मोबाइल नंबर: ९०१५७५२३१७,९५४०५०३४११)



अखंड भारत संगत गुरु की
अनुभव कलश - सेवादार : गुरु भाई : शैलेश कुमार
बरोला, कल्याण कुञ्ज , सेक्टर - 49 , नोयडा,
उत्तर प्रदेश, मोबाइल नंबर: ९०१५७५२३१७,९५४०५०३४११)

सतगुरु जयगुरुदेव : परम संत बाबा जयगुरुदेव के अन्तर्घट के आदेश अनुशार अन्तर्घट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से प्रदान किये गए अनुभव कलश से आज दिनांक : ०2 फरवरी २०१४ को अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश के सत्संगियो को अनुभव:

1) गुरु भाई - राम मूरत : जयगुरुदेव - ध्यान में मुझे गुरु महाराज जी का दीदार हुआ है |
बैरम पुर , अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश, मोबाइल नंबर :८८५३०६०२६६
2) गुरु भाई - अशोक कुमार सिंह : सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज की कुछ आज अनुभूति हुई |
बैरम पुर, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
3 ) गुरु भाई - बलराम सिंह: सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान में कुछ आज मिला है और भजन में भी अनुभव हुआ है |
बैरम पुर, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
4) ) गुरु भाई - सिधनाथ दोहरी : सतगुरु जयगुरुदेव मैं जब ध्यान में बैठा तो गुरु महाराज की दया से मुझे एक बिन्दु से प्रकाश आता हुआ दिखाई दिया फिर ओ फैलता चला गया और जब मैं भजन में बैठा तो पहले स्थान की ध्वनि सुनाई पड़ी|
धरौहरी, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
5) गुरु भाई - बसंतू : सतगुरु जयगुरुदेव - जब मै ध्यान में बैठा तो सफ़ेद प्रकाश दिखाई दिया और भजन में बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई दिया |
दौलता बाद, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
6) गुरु भाई - विजय कुमार : जयगुरुदेव - ध्यान में कला और सफ़ेद दिखाई दिया |
अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
7 ) गुरु भाई - गोपाल : जयगुरुदेव - ध्यान मैं बिन्दु दिखाई दिया और फिर गायब हो जाता है और भजन मैं घंटी की आवाज सुनाई दी |
अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
8) इंद्रा वती देवी खाजगी पुर, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान मैं हमको चमकता हुआ प्रकाश दिखाई दिया ||
9) सिगरा देवी रवजगीपुर, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान में गुरु महाराज ने हमको दरसन दिए |
10) यद्वन्ति देवी शिवपुर, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान मैं काला विन्दु दिखाई दिया और भजन मैं चू चा की आवाज आई |
11) जमुना धूलि : जयगुरुदेव ध्यान में गुरु महाराज के दरसन हुए और भजन में आवाज सुनाई दे रही थी |
12) सम्बिदा धुली : जयगुरुदेव - ध्यान में लाल दिखाई दिया भजन में आवाज आई |
13) सुनीता बैठी : सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान में स्वामी जी का दर्शन और उजाला दिखाई दिया
14) सरिता नैठी : जयगुरुदेव - ध्यान में बाबा जी ने खड़े होकर दरसन दिया |
15) मंजू मौर्या : सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान में रौशनी की तरह दिखाई दिया |
16) कलावती देवी : सतगुरु जयगुरुदेव - भजन ध्यान करते समय रौशनी दिखाई दिया |
17 ) गुरु भाई - मायाराम दौलताबाद, अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश, मोबाइल नंबर :09651049341: सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान भजन में अनुभव हुवा |
18) गुरु भाई - महमूराम : सतगुरु जयगुरुदेव - ध्यान भजन में मेरा मन रुका |
19) गुरु भाई - बाबू लाल दौलताबाद अदलहाट, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव- ध्यान भजन करते समय मन रुका |


अखंड भारत संगत गुरु की
अनुभव कलश - सेवादार : गुरु भाई : सतीश पटेल,
चकिया चंदौली, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर : 08004021975, 09911630161

देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियो का निज अनुभव - गुरु महराज के अनुभव कलश के माध्यम से - २६ जनवरी 2014 को

सतगुरु जयगुरुदेव : परम संत बाबा जयगुरुदेव के अन्तर्घट के आदेश अनुशार अन्तर्घट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से प्रदान किये गए अनुभव कलश से आज दिनांक : 26 जनवरी २०१४ को देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियो का निज अनुभव के सत्संगियो को अध्यात्मिक आंतरिक अनुभव हुआ:

1) श्री पवन कुमार पुत्र श्री जगदीश ,निवासी रेशम माजरी, दुईवाला , देहरादून फ़ोन नंबर:09411558174 : सतगुरु जयगुरुदेव आज २६ जनवरी २०१४ को शाम को ४.० बजे पवन कुमार जी अनुभव कलश को छूकर अनुभव के लिए ध्यान में बैठे : ध्यान में देखा की स्वामी जी सफ़ेद वस्त्र में सामने खड़े हैं | उन्होंने स्वामी जी के उस स्वरुप को देखा जिसमे उन्होंने नामदान लेते समय पहली बार देखा था | थोड़ी देर के बाद वहाँ सफ़ेद प्रकाश आ गया और अगले दो पल बाद स्वामी जी महाराज पुनः आ गए | स्वामी जी महाराज से कुछ पूछने की इच्क्षा थी पर बात नहीं हो सकी पर स्वामी जी हमारी मनोदशा को देखते हुए मुझे हाथ हिलाकर आशीर्वाद दिए और फिर मैंने लाल पिला और नीला प्रकाश देखा| भजन में मैंने तेज आवाज झना झन की सुनी | सतगुरु जयगुरुदेव ||

2) श्री मति अंजू देवी पत्नी श्री पवन कुमार, निवासी रेशम माजरी, दुईवाला , देहरादून : अनुभव कलश छूकर जब ध्यान में बैठी तब मुझे लाल प्रकाश दिखाई दिया जो बाद में भूरे रंग में बदल गया | उसके बाद दोपहर का तेज सूर्य का प्रकाश दिखाई दिया | उसके बाद मैंने देखा स्वामी जी महाराज बैठ कर अख़बार पढ़ रहे हैं और वहीँ बगल में देवी माँ के दर्शन किये || सतगुरु जयगुरुदेव ||

3) श्री अनूप कुमार पुत्र श्री जगदीश राम, निवासी रेशम माजरी, दुईवाला , देहरादून , फ़ोन नंबर :09627157046 सतगुरु जयगुरुदेव - अनुभव कलश को छूकर जब मै ध्यान में बैठा तो हमें लाल रंग का प्रकाश दिखा और भजन में तेज टना टन की आवाज सुनाई दी ||

4) श्री मति सुशीला देवी पत्नी श्री हर स्वरुप सैनी, दोइवाला, देहरादून : सतगुरु जयगुरुदेव जब हम अनुभव कलश को छूकर सुमिरन ध्यान अरु भजन में बैठी तो हमें ध्यान में सफ़ेद रंग का प्रकाश दिखाई दिया और भजन में झुम झुम की आवाज सुनाई दी |

5) श्री मती सुनीता देवी पत्नी वीरेंदर सिंह : सतगुरु जयगुरुदेव - मैंने जब अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो ध्यान की अवस्था में एक तारा और उसके बीच स्वेत तेज प्रकाश आ रहा था और भजन में तेज तेज घंटे की आवाज सुनाई दी ||

6) श्री नीरज गोयल पुत्र स्वर्गीय परमेश्वर गोयल, नई बस्ती , नदी रिस्पना, देहरादून : सतगुरु जयगुरुदेव - जब मै अनुभव कलश को छूकर ध्यान में बैठे तो हमें नीले परदे जैसा प्रकाश देखा और भजन में बहते हुए पानी के झरने की आवाज सुनाई दी ||

अखंड भारत संगत गुरु की
अनुभव कलश सेवादार गुरु भाई- एडवोकट राजेश आर्या
पता -१४७/१३७ मानस निवास, अपोजिट डॉ. बंगाली , नाला पानी रोड , देहरादून ( उत्तराखंड)
फ़ोन नंबर -०७४१७७५९५७० , ०९०२७०३१९०३

गुरु महाराज कि अशीम दया मेहर से नोयडा के सत्संगियो का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव : परम संत बाबा जयगुरुदेव के अन्तर्घट के आदेश अनुशार अन्तर्घट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम - बड़ेला से प्रदान किये गए अनुभव कलश को श्रद्धा के साथ प्रणाम करके गुरु महाराज से दया कि भीख मांग कर साधना पर बैठे तो मालिक ने नोयडा के सत्संगियो को अनुभव कराया :

1) गुरु भाई - राम गोपाल शुक्ला, सलारपुर, नोएडा: सतगुरु जयगुरुदेव - मै जब गुड़गाव सत्संग से वापस अपने घर पर आया तो २८ जनवरी २०१४ को गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज हमें अंतर में मिले और गुरु जी ने बताया कि - अनुभव का खूब प्रचार करो | सतगुरु जयगुरुदेव ||

2) गुरु भाई - प्रमोद सिंह, सालारपुर, नोयडा : सतगुरु जयगुरुदेव - जब से अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन करना प्रारम्भ किया है तब से मेरा मन रुकता है है और भजन काफी अच्छा बन्ने लगा है और मुझे बहुत अनुभव हुआ गुरु महाराज के द्वारा प्रदान किये गए अनुभव कलश से | जयगुरुदेव ||

3) गुरु भाई - पंकज, सलारपुर , नोयडा : जयगुरुदेव - गुरु महाराज कि दया मेहर से आज इस अनुभव कलश को छूकर और प्रणाम करके जब मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे बहुत अनुभव हुआ ऐसा अनुभव मुझे आज तक और पहले कभी नहीं हुआ जैसा आज मुझे अनुभव हुआ ||सतगुरु जयगुरुदेव|

अखंड भारत संगत गुरु की से नोयडा संगत के
अनुभव कलश - सेवादार : गुरु भाई : शैलेश कुमार ,
बरोला, कल्याण कुञ्ज , सेक्टर - , नोयडा
मोबाइल नंबर : 9990313635

गुरु महाराज कि अशीम दया मेहर से २६ जनवरी २०१४ को गुड़गावं, हरियाणा में सत्संगियो का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव : गुरु महाराज कि अशीम दया मेहर से २६ जनवरी २०१४ को गुरु बहन - शिवा अग्रवाल गुड़गावं, हरियाणा में सत्संग हुआ और वहाँ पर परम संत बाबा जयगुरुदेव के अन्तर्घट के आदेश अनुशार अन्तर्घट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम - बड़ेला से प्रदान किये गए अनुभव कलश को श्रद्धा के साथ प्रणाम करके गुरु महाराज से दया कि भीख मांग कर जब सत्संगी गुरु बहन और भाइयो ने साधना पर बैठे तो मालिक ने वहाँ पर बहुतो को अनुभव कराया :

१) गुरु बहन - रिंकी, गुड़गाव, हरियाणा : जयगुरुदेव - आज जब मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो ध्यान में हमें सूर्य का प्रकाश दिखा और भजन में धम धम कि आवाज सुनाई दी |जयगुरुदेव |

२) गुरु बहन - रेखा यादव , रिवाड़ी , हरियाणा : सतगुरु जयगुरुदेव - जब मै ध्यान में आँख को बंद करली तो इतनी दया गुरु महाराज कि हो रही थी कि मेरा मन ही नहीं कर रहा था कि मैं अपनी आँखों को खोलूं और आज मुझे बहुत अनुभव हुआ || सतगुरु जयगुरुदेव |

३) गुरु भाई - पंकज पाल, रिवाड़ी , हरियाणा : जयगुरुदेव - मै जब आज सुमिरन ध्यान और भजन में बैठा तो मेरा मन रुका || जयगुरुदेव |

अखंड भारत संगत गुरु की से हरियाणा संगत की
अनुभव कलश सेवादार - गुरु बहन - शिवा अग्रवाल
हरियाणा

गुरु महाराज ने जब लगवायी मेरी नौकरी ---

जबसे मैं ग्राम बड़ेला भंडारे से लौट कर आयी हूँ मेरी गुरु महाराज से लगातार बात हो रही है | जनवरी में मालिक से मैंने पूछा कि – “मालिक नौकरी कैसे लगेगी“| तो मालिक ने कहा –“ बच्ची जोएनिंग तो तेरी दो दिन में आ जायेगी अपना काम तो ख़तम कर “ | १२ जनवरी को रात में मालिक ने बताया कि मुझे अनुभव कराने (साधन में बिठाने ) का कार्य करना है | ये कार्य १३ जनवरी २०१४ से शुरू करना था और इसके लिए मालिक ने मुझे १५ दिन का समय दिया | इन १५ दिनों के कार्य का अनुभव मैं गुरु महाराज की आज्ञा से पहले ही बता चुकी हूँ | १३ तारिख से लगातार दोपहर में मैं मालिक की सेवा का कार्य कर रही थी | कई वेकेंसीस भी आयी थी लेकिन उनके लिए अप्लाई करने का मेरा मन ही नहीं होता था | मेरे पति भी कई बार कहते की तुम अप्लाई नहीं कर रही हो | थोडा इसे सीरियसली लो तभी काम बनेगा वर्ना बैठे बैठे जॉब थोड़े ही मिलेगी | लेकिन मेरी इच्छा ही नहीं होती थी कि मैं जॉब अप्लाई करूँ क्योंकि इसमें टाइम वेस्ट होता था | शुक्रवार दिनांक १७ जनवरी २०१४ को दोपहर में मालिक ने कहा कि चल बच्ची अब तू थोड़ा अपना काम कर ले | मालिक की आज्ञा मानकर मैं कंप्यूटर पर जॉब अप्लाई करने बैठी | एक दो जगह ऑनलाइन रिज्यूमे भी भेज दिए | इसी बीच मालिक ने कहा – बच्ची अपने रिज्यूमे की दो कॉपी मंगवा ले और कल कार्मल स्कूल और सेंट मैरी’स स्कूल दोनों में डाल दे | मैंने पूछा मालिक कार्मल में डालूं या सेंट मैरी’स में तो मालिक ने कहा अपने बच्चे के लिए दोनों में देख रही है न तो दोनों में डाल दे | मेरा बेटा सेंट मैरी’स के किंडरगार्टन में पढ़ता है और मैं उसका एडमिशन कार्मेल में करना चाहती थी | मालिक की आज्ञानुसार मैंने अपने पति को रिज्यूमे भेज दिया और दो कॉपी का प्रिंट लेन का मेसेज भी लिख दिया |
मेरे पति ने मेल में लिखी बात पढ़ी ही नहीं और स्वयं रिज्यूमे की दो कॉपी प्रिंट निकाल लाये |
अब तक मैंने अपने पति को भी सेवा के कार्य के बारे में नहीं बताया था | अगले दिन शनिवार था और मेरे पति की छुट्टी थी | मैंने सुबह चाय देते समय उन्हें बताया कि मालिक ने आज कार्मल और सेंट मैरी’स में रिज्यूमे डालने को कहा है | मैं थोड़ा टाल रही थी कि चलो बाद में सोमवार को डाल दूंगी लेकिन मेरे पति ने कहा जब मालिक ने कहा है तो चलो अभी चलते हैं और स्वयं भी तैयार हो गए साथ जाने के लिए | हमें तैयार देख बेटे ने भी ज़िद पकड़ ली और साथ जाने को तैयार हो गया | हम लोग अपनी कार से कार्मल जाने के लिए निकले | मेरे पति जिस रास्ते से ले गए उसमे सेंट मैरी स्कूल पहले आया | मैंने कहा चलो पहले यही रिज्यूम डाल देती हूँ और बेटे के एडमिशन के बारे में भी पूछ लूंगी | बच्चे को साथ में देखकर गेट कीपर ने हमें अंदर जाने दिया |
एडमिशन के लिए पूछने के बाद निकलने से पहले मैंने अपना रिज्यूम रिसेप्शन वाली महिला को दिया | उसने कहा जिस पोस्ट के लिए आपने रिज्यूम दिया है आज उसी का एग्जाम था | मैंने कहा मुझे एग्जाम का नहीं पता था मैं तो सिर्फ रिज्यूम डालने आई थी | मेरा रिज्यूम लेकर उसने किसी से फ़ोन पर बात की और फिर मुझे बुलाकर पूछा क्या आप एग्जाम देना चाहेंगी ? मेरे पति ने तुरंत मुझसे कहा कि एग्जाम दे दो किसे मौका मिलता है | मैं एग्जाम देने बैठ गयी | पेपर कुछ ज्यादा अच्छा नहीं हुआ | एग्जाम देने के बाद मैंने अपने पति को फोन करके बुलाया फिर हम एक गुरुभाई के घर गए और रात तक वापस आये | सोमवार सुबह ( २० जनवरी २०१४ ) को मेरी तबियत खराब थी | मेरा फोन बज रहा था लेकिन मैंने नहीं उठाया | सिर काफी भारी था | थोड़ी देर बाद मेरे पति का फोन आया और उन्होंने बताया सेंट मैरी स्कूल से फोन आया था तुमने फोन नहीं उठाया, उस नंबर पर फोन कर लो | मैंने उस नो. पर फोन किया तो उन्होंने अगले दिन २१ जनवरी २०१४ को डॉक्यूमेंटस के साथ इंटरव्यू के लिए बुलाया | मैं इंटरव्यू के लिए गयी | सब कुछ काफी पॉजिटिव था | मुझे लग रहा था मेरा सेलेक्शन हो जायेगा ३ दिन बाद शुक्रवार २४ जनवरी २०१४ को मेरे पास पुनः फोन आया जिसमे उन्होंने अगले दिन से ज्वाइन करने के लिए कहा | मैंने उन्हें इंटरव्यू के दौरान ही बता दिया था कि २८ जनवरी से पहले नहीं ज्वाइन कर सकती (क्योंकि २७ जनवरी तक मुझे सेवा का कार्य करना था ) | २७ जनवरी को उन्होंने मिलने के लिए बुलाया | मैं सुबह १ घंटे के लिए स्कूल गयी और काम और बाकी चीज़े समझ कर वापस आ गयी | २७ जनवरी को मालिक की सेवा का कार्य समाप्त हुआ और २८ जनवरी २०१४ से मैंने उस स्कूल की उस पोस्ट पर ज्वाइन किया जिसके लिए मैंने आवेदन भी नहीं किया था | मालिक के कहने पर सिर्फ रिज्यूम डालने गयी थी | मालिक ने मुझसे सेवा कार्य के दौरान कहा था - " बच्ची तू सेवा का कार्य कर, तेरा संसार और परमार्थ दोनों मैं देख लूंगा “ |
मालिक ने वास्तव में संसार और परमार्थ सब दिया | मालिक की मौज और दया को बता पाने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं | जितनी दया मालिक ने मुझ पर की है, मैं उस दया के लायक नहीं हूँ लेकिन फिर भी मालिक ने मुझ पर अपनी दया मौज फ़रमाई |
मालिक के चरणों में कोटि - कोटि प्रणाम
सतगुरु जयगुरुदेव
अखंड भारत संगत गुरु की से
पल्लवी श्रीवास्तवा

गुरु महाराज कि अशीम दया मेहर से ग्राम तिलसड़ा पोस्ट तिलसड़ा जिला ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश के सत्संगियो का अनुभव

सतगुरु जय गुरुदेव : परम संत बाबा जय गुरुदेव मालिक कि कृपा और दया से गुरु भाई सावन संतोष, श्रवण राज , शर्मा यादव ने साधक गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता के कहे अनुसार मालिक के बताये गए ध्यान भजन सुमिरन को गुरु भाइयो के बीच में बताया गया जिससे सभी गुरु भाई मालिक के प्रति समर्पित होकर ध्यान भजन सुमिरन करने लगे और इस प्रकार कई गावो में ध्यान भजन सुमिरन के बारे में बताया गया और मालिक कि बहुत दया हुई और मालिक कि दया से सभी गुरु भाइयो ने अपनी अनुभव बताया जो इस प्रकार है || (मालिक के द्वारा प्रदान किया गया ऐशर्व प्रतापी अनुभव कलश छूने के बाद ) सुनील राजभर (पप्पू) : ध्यान - ध्यान में चारो तरफ अँधेरा और अँधेरे में एक रोशनी दिखाई दिया और उसके बाद बादल दिखाई दिया और बादल में गुरु महाराज कि छाया दिखाई दिया |और फिर मैंने देखा कि एक गुफा है और गुरु महाराज गुफा में से आ रहे है |
भजन - भजन के सुरुवात में रेवे कि आवाज इसके बाद करतल और झुन झूने कि आवाज आ रही थी और उसके साथ बहुत सी आवाजे आ रही थी |
अरविन्द राजभर - ध्यान - जब मै आख बंद किया तो अँधेरा और अँधेरे में गुरु महाराज कि छाया और प्रतिबिम्ब दिखाई दिया |
संदीप राजभर - ध्यान -जब मै ध्यान पे बैठा तो स्वामी विबेकानन्द और दादा गुरु जी को देखा इसके बाद फूल और चारो तरफ हरा दिखाई दे रहा था |उसमे बाबा जी दिखाई दे रहे थे और आशीर्वाद दे रहे थे |
भजन - घंटियों कि आवाज सुनाई दी |
रामवती देवी - ध्यान - गुरु महाराज जी का प्रतिबिम्ब दिखाई दिया
भजन - डमरू कि आवाज सुनाई दी
दुर्गावती देवी - ध्यान - बाबा जी का और दादा गुरु का दरसन हुआ |और वहा पे दीपक जल रहा था भजन- दीपक जल रहा था और करतल कि आवाज सुनाई दी |
गायत्री देवी - ध्यान - ध्यान में प्रकाश दिखाई दिया और प्रकाश में बाबा जी दिखाई दे रहे थे |
सीमा देवी - ध्यान - ध्यान में बाबा जी का दरसन हुआ |साल ओढे हुए थे और सबको अशिर्बाद दे रहे थे |
भजन - दीपक सजाया हुआ था और हारमोनियम कि आवाज सुनाई दे रही थी |

अखंड भारत संगत गुरु की
अनुभव कलश - सेवादार : गुरु भाई : सावन संतोष ,
ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर : ९७९२४५२७३७

देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियो का निज अनुभव - गुरु महराज के अनुभव कलश के माध्यम से - 21 जनवरी 2014 को

सतगुरु जयगुरुदेव : परम संत बाबा जयगुरुदेव के अन्तर्घट के आदेश अनुशार अन्तर्घट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से प्रदान किये गए अनुभव कलश से आज दिनांक : 21 जनवरी २०१४ को देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियो का निज अनुभव के सत्संगियो को अध्यात्मिक आंतरिक अनुभव हुआ:

जसवीर सिंह (नये प्रेमी ), देहरादून, उत्तराखंड : सतगुरु जयगुरुदेव - जब हमने अनुभव कलश को छूकर के सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें ध्यान में गुरु जी सफ़ेद दाढ़ी में बैठे हुए देखा और भंडारा चल रहा था और भजन में गुरु महाराज काली लम्बी दाढ़ी में गुरुवाणी सुनते देते देखा और सुना | अंत में शिव जी की तीसरी आँख दिखाई दी | जब तक तीसरी आँख खुलने वाली थी तब तक सतगुरु जयगुरुदेव कहकर बहन जी शर्मा जी ने आँख खोलने के लिए कह दिया |

राजीव अवस्थी, देहरादून, उत्तराखंड : सतगुरु जयगुरुदेव - अनुभव कलश को श्रद्धा से छूकर जब हमने सुमिरन ध्यान भजन किया तो हमको ध्यान में बाबा जी का चेहरा दिखाई दिया और नीली रोशनी दिखाई दी | उस रोशनी के बीच में गुरुदेव जी दिखाई दिए |

अखंड भारत संगत गुरु की से देहरादून संगत की
अनुभव कलश सेवादार - माता जी (गुरु बहन -विमला शर्मा ) , गुरु बहन- रोहिणी शर्मा
देहरादून ( उत्तराखंड)

सतगुरु जयगुरुदेव : देहरादून संगत के सत्संगियों का अनुभव:

सतगुरु जयगुरुदेव : १) सतगुरु का ध्यान करते ही मुझको सतगुरु का अनुभव हुआ और उनका निज स्वरुप मेरे सामने आ गया | भजन में भी अनुभव हुआ | एक अलग तरह कि आवाज सुनाई दी | बहुत ध्यान देने पर कानों में ऐसा लगा जैसे घंटी कि सी आवाज आ रही हो कही से | वो आवाज कुछ अलग सी थी और इससे पहले मैंने कभी ऐसी आवाज नहीं सूनी |
अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन निलम चौहान

२) अनुभव कलश के स्पर्श के बाद बड़ी आस के साथ मैं ध्यान में बैठी कि अब तो कुछ अनुभव होगा | मैं सतगुरु जयगुरुदेव का ध्यान कर रही थी उनको कोटी प्रणाम किया अंतर में और ध्यान करने लगी तब ध्यान करते समय पहले पूरा काला अधेरा देखा | फिर उस अधेरे में ही गुरुमहाराज कि हल्की सी झलक दिखाई दी | भजन में आवाज सुनाई दी ऐसा लगा कही दूर से किसी स्थान पर छोटी - छोटी घंटियाँ बज रही है | और नदी के पानी कि आवाज साफ़ - साफ़ सुनाई दे रही थी |

अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन चंदा देवी

३) ध्यान में स्वामी जी के दर्शन हुए | ऐसा आभास हुआ कि वो खड़े है और पूर्ण स्वस्थ और हष्ट- पुष्ट है | भजन में ऐसा लगा जैसे मैं ऊपर को कही जा रही हूँ |
अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन जगदम्बा उपाध्याय

४) मुझको अनुभव कलश से बहुत अच्छा अनुभव हुआ | ध्यान में तो बाबा जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ | भजन में तो बहुत रस आया खूब धुनें सुनाई दी मैंने भजन में पहले और दूसरे धाम की आवाज को पकड़ा | काफी आनंद आया |
अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन गोदामबरी काला

५) सतगुरु जयगुरुदेव का ध्यान करने से मुझको उनके दर्शन हुए | मुझको ध्यान में बैठने पर शुरू - शुरू में अँधेरा दिखाई दिया, परन्तु ऐसे ही ध्यान लगाये रखने के बाद जब चित में थोड़ी एकाग्रता आयी तब उसी अधेरे में धीरे - धीरे से प्रकाश होता दिखाई दिया । थोड़ी ही देर में तेज प्रकाश हो गया | उस प्रकाश में एक आकृति बनी फिर गुरु महाराज कि छवि दिखाई दी | गुरु जी खड़े हुए थे , कपडे सफेद एकदम स्वच्छ और साफ़ | गुरु महाराज का बहुत ही स्प्ष्ट दर्शन हुआ ऐसा मानो प्रत्य्क्ष में सामने खड़े हो | अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन दीपा कोटला



अखंड भारत संगत गुरु की
अनुभव कलश - सेवादार : गुरु बहन - रोहिणी शर्मा एवं माताजी (श्रीमती विमला शर्मा )
देहरादून, उत्तराखंड

बिजनौर जिले के सत्संगियों का अनुभव

सतगुरु जयगुरुदेव :
परम संत सतगुरु जयगुरुदेव जी महाराज के अंतर आदेशानुसार जयगुरुदेव मंदिर , ग्राम - बड़े ला से प्रदान किये गए अनुभव कलश को प्रणाम कर सत्संगियों ने आंतरिक अनुभव किया :दिनाक : ०६ फ़रवरी २०१४:
१) गुरु भाई रविन्द्र सिंह , ग्राम - सालेम पुर, बिजनौर , उत्तर प्रदेश : सतगुरु जयगुरुदेव : हमने जब अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमको सफ़ेद रंग का प्रकाश दिखाई दिया ||
२) गुरु बहन तारावती , ग्राम -सलेम पुर , बिजनौर , उत्तर प्रदेश : हम जब ध्यान कर रहे थे तो हमको लाल प्रकाश दिखाई दिया फिर एक तरफ गुरु महाराज और उनके बराबर चाँद दिखाई दिया ||
३) गुरु भाई रोहताश , ग्राम - सलेम पुर , बिजनौर , उत्तर प्रदेश : सतगुरु जयगुरुदेव जब मैंने अनुभव कलश को प्रणाम कर के सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें झिलमिल सा प्रकाश सफ़ेद लाइट जलती बुझती दिखाई दी ||
४) गुरु भाई संतोष , ग्राम - सलेमपुर , बिजनौर , उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव जब हम अनुभव कलश को प्रणाम करके ध्यान पर बैठा तो हमको रोशनी सी दिखाई दी ||
५) गुरु भाई ओमपाल सिंह सैनी , ग्राम - सलेमपुर , बिजनौर , उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव - जब मैं अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमका तारे से दिखाई दिए ||
६) गुरु भाई लोकेन्द्र , ग्राम - सलेमपुर , बिजनौर , उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव - जब मैं अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें प्रकाश की ज्योति दिखाई दी ||
७) गुरु भाई गलचंद चौहान , ग्राम - सलेमपुर , बिजनौर , उत्तर प्रदेश: सतगुरु जयगुरुदेव - जब मैं अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमको बहुत ज्यादा प्रकाश दिखाई दिया ||

अखंड भारत सांगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - गुरु भाई सुरेंदर सिंह चौहान

देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियो का निज अनुभव - गुरु महराज के अनुभव कलश के माध्यम से:

सतगुरु जयगुरुदेव : सतगुरु जयगुरुदेव : परम संत बाबा जयगुरुदेव के अन्तर्घट के आदेश अनुशार अन्तर्घट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से प्रदान किये गए अनुभव कलश से देहरादून, उत्तराखंड के सत्संगियो का निज अनुभव के सत्संगियो को अध्यात्मिक आंतरिक अनुभव हुआ:
1) ध्यान में हल्का उजाला दिखाई दिया | फिर भजन में बहुत दया का अनुभव हुआ और उसी दया के वेग में बहुत से रूहानी आवाजे सुनाई दी मैंने तीसरे और चौथे धाम की धुन को सुना |
अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन शान्ती देवी

2) ध्यान में मुझको गुरु मालिक का दर्शन हुआ वो सत्संग कर रहे थे । मैंने उनको एक मंच पर विराजमान देखा | भजन में भी गुरु देव की दया का अनुभव हुआ और रूहानी आवाजे सुनाई दी जिसमे से तीसरे धाम की धुन सुनाई तो दी परन्तु आवाज बहुत धीमी थी। बहुत जोर लगाकर सुनाई देती है |
अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन नंदी देवी

3) मुझको सतगुरु का चेहरा दिखाई दिया ध्यान में | भजन में मुझको अनुभव होने लगा | मुझको सतगुरु के दर्शन हुए और मैंने उनको रोशनी पर चलते हुए देखा उनका स्वरुप बदला हुआ था | थे तो बाबा जी ही परन्तु अपनी जवानी की अवस्था में दिखाई दिए क्योंकि उनकी दाढ़ी काली थी और वो एक दम हष्ट- पुष्ट दिख रहे थे |
अखंड भारत संगत गुरु कि देहरादून संगत से गुरुबहन रानी देवी

4) मैं रोहिणी शर्मा और इनकी माता जी को बहुत पहले से अच्छे से जानती हूँ और इनकी काफी इज्जत भी करती हूँ इसी कारण जब इन्होने अनुभव कलश के बारे में बताया तो इन पर विश्वास करके मैंने बात को सुना | सुनकर जिज्ञासा बड़ी अनुभव करने की तो इनके दिए गए दिशा निर्देश अनुसार अनुभव कलश को स्पर्श और संकल्प करके सतगुरु की दया मांग कर मैं साधन पर बैठी तो मुझको (सतगुरु जयगुरुदेव जी ) हमारे बाबा जी के मुझको दर्शन हुआ और फिर भजन में भी मुझको रूहानी आवाजे सुनाई दी |
देहरादून संगत की गुरु बहन उषा रस्तोगी

5) -मुझको साधन पर बैठने पर स्वामी जी महाराज के दर्शन हुए और भजन में भी मुझको अनुभव हुआ मै भजन में हल्की - हल्की आवाजों का सुना।
देहरादून संगत से विनीत

6) अनुभव कलश के स्पर्श के बाद साधन में हमको सतगुरु के दर्शन हुआ | हमने देखा सतगुरु को वह साइकिल पर सवार थे और कही को चल रहे थे मुझको भी उन्होंने दूर ले चलने कि बात किया | ऐसा लगा मानों कह रहे हो दूर ले जाने को | भजन में मुझको कही से खनखनाहट की आवाज आ रही थी जैसे बरतन की खनखनाहट हो ऐसा लगा |
देहरादून संगत से गौरव

अखंड भारत संगत गुरु की से देहरादून संगत की
अनुभव कलश सेवादार - माता जी (गुरु बहन -विमला शर्मा ) , गुरु बहन- रोहिणी शर्मा
देहरादून ( उत्तराखंड)

मेरा (बबली चौरसिया ) अनुभव :

सतगुरु जयगुरुदेव : दिनाक १४\११ \१३ को रात्री बारह बजे जब मैं सोने के लिए गयी तो मुझे नींद नहीं आ रही थी और इच्छा हुई भजन करने की | जब मैं कान में अंगुली डाली तो कान में अंगुली डालते ही पहले स्थान की ध्वनि बहुत तेज और एक दम साफ़ सुनाई दी। मैं उसको सुनती रही फिर ऐसे ही सुनते - सुनते तीसरे धाम की बहुत सुरीली आवाज सुनाई पड़ने लगी |

जब तीसरे धाम की आवाज को पकड़ कर और ध्यान को केंद्रित करने लगी तो पाँच मिनट के बाद मेरे कान से उंगली निकल गयी और मुझे एक तरह की खुमानी चढ़ने लगी मुझे ऐसा लगा जैसे मैं सोने लग रही हूँ लेकिन मुझे नींद नहीं आयी | फिर मुझे ऐसा लगा जैसा शरीर सो गया हो और दिमाग यानी बुद्धी चेतन हो ऐसे में मुझे मालिक के सशरीर हाज़िर होने की अनुभूती हुई मुझे ऐसा अनुभव हुआ की चेतन स्वामी जी हमारे शरीर में ही हाज़िर - नज़ीर है और हम उनको अपने शरीर के अंदर से ही दर्शन कर रहे है कही बहार से नहीं यानी ऐसा लग रहा था की गुरु महाराज हमारे अंदर आ गए हो |

मुझे दो घंटे तक सैन में अचेत अवस्था में हमारे शरीर में होने का अनुभव हो रहा था | और मालिक संगत के बारे में इशारा किया कि संगत काफी बढ़ेगी | जिसमे संगत के सारे लोगों की चढ़ाई ऊपर के लोक तक की होगी | मालिक बराबर संगत की सम्भाल करते रहेगे | स्वामी जी बेहद मौज़ में थे और बहुत देर तक बहुत सारी बाते किया | खास कर संगत की | स्वामी जी ने संगत के बारे में बहुत कुछ बताया खोलकर समझाया कि संगत जो अब तैयार हो रही है ये संगत नयी संगत है और अनुभवियों की संगत है | ऐसे जीव इस संगत में जुड़ेगे जो साधन - भजन के चोर नहीं प्रेमी होगे | जो गुरु को हाड - मास का न जान परमात्मा रूप में देखते है वो देर सवेर इस संगत से जोड़ लिए जायेगे | अभी भर्ती चल रही है एक समय बाद एक झटके में सबको शिव नेत्र खुल जायेगे | अभी इस नयी संगत को ऐसा उच्चा सत्संग सुनाया जायेगा की सत्संग सुनते - सुनते जीवात्मा ऊपर के लोको में चली जायेगी | ऐसा समय नजदीक ही आ गया है |

स्वामी जी ने ये भी साफ़ - साफ़ कहाँ की अभी बहुत से नए लोग जुड़ेगे | मेरे बहुत से जीव ऐसे है जिनको अभी नामदान नहीं मिल पाया है | और उनमे से कुछ को बहुत तड़प है सत्संग और नामदान की तो ऐसो को जल्द ही नामदान मिल जायेगा |

अब जो संगत सतगुरु की तैयार हो रही है वो सब सतयुग का आनंद लेगे | स्वामी जी ने कहाँ अब संगत बहुत तेजी से बढ़ेगी | और संकेत दिया की चौथा सतयुग का हवन वो अपनी इस नयी संगत के साथ ही सम्पन करेगे | पहले शिव जी का डमरू बजा था सबने सुना और सबने देखा अबकी सबके शिव नेत्र खुलेगे सब देखेगे और सब सुनेगे कोई अँधा - बहरा और बंद घाट का नहीं होगा | स्वामी जी ने और भी बहुत कुछ संगत के बारे में बताया |

मैंने स्वामी जी से कहाँ स्वामी जी संगत बहुत टूट गयी है और सब भ्रम में इधर - उधर हो गए है किसी को सच्चा मार्ग नहीं मालूम | स्वामी जी बुलंद आवाज में बोले "नहीं " --"जो मेरे बच्चे मुझको सब कुछ जान कर मुझ पर पूरा विश्वास करते है वो कही नहीं गए वो आज भी अडिग है और मेरे संकेत के इंतजारी में है | बाकी जो मुझको गया हुआ मान लिए तो उनके लिए तो मैं चला ही गया हूँ | जिन्होंने जानबुझ कर गुरुद्रोह किया वो अब अंतर और बाहर से इस जनम में मेरा दर्शन नहीं पायेगे |

मालिक ने संगत के कुछ लोगो के बारे में चुस्त रहने का इशारा किया और कहाँ कि मैं इन लोगो से बहुत खुश हूँ और इन्होने ऐसे समय में जो गुरु का साथ दिया तो अब ये मेरा कर्त्तव्य है मैं इन सबको परम धाम प्रदान करता हूँ इनके लिये मैं बराबर हाज़िर - नज़ीर हूँ | इनकी अंतर और बाहर से सम्भाल की पूरी जिमेदारी मैं अपनी मानता हूँ |

ऐसी स्थिती को देख हमारे मन में बहुत सारा प्रश्न उठ रहा था | जिन प्रश्नो का मालिक ने इस प्रकार उत्तर दिया और उस रात्री की सुबह से बराबर ऐसा लग रहा है जैसे स्वामी जी हर समय हर पल हाज़िर - नज़ीर हो | मेरे साथ हर पल , हर जगह अंग संग है | हमको आभास हुआ की घाट पर सतगुरु का जो स्थान होता है जहां वो हर दम हाज़िर - नाज़ीर रहते है मानो वो स्थान हमारा सतगुरु ने अपनी दया से जागृत कर दिया है | यानी सूरत रूपी राधा ने स्वामी को उस स्थान पर पा लिया जिस स्थान पर वो दोनों रहते थे , मगर राधा अपने स्वामी को नहीं देख पा रही थी | आज सतगुरु की दया से राधा ने अपने स्वामी को अपने ही घाट में पा लिया | हमको ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो जिस जगह में खड़ी हूँ उसके आगे मालिक खड़े हो या कभी - कभी हमारे मस्तिष्क में कुछ बोल रहे हो और मैं बोलती जा रही हूँ | हमको जो आभास हो रहा था उस पर यकीन नहीं हो रहा था |

ये अविश्वास अपने स्वामी जी पर नहीं खुद पर हो रहा था क्योंकि मैं तो यह जानती ही हूँ की मैं इस दया के योग्य नहीं | मुझमे कहाँ इतनी भक्ति है जो ऐसे वरदान को प्राप्त कर सकूं अत मुझको अपने उपर अविश्वास हो रहा था और बार - बार ये ही सवाल उठ रहा था की दया तो उस पर होती है जो लायक हो और सतगुरु अपनी ऐसी दया उस बर्तन में डालते है जो साफ़ हो तो मैं तो ऐसी पात्र हूँ नहीं फिर मुझ पर ये दया क्या सच में हो सकती है ? ऐसी ही सवाल बार - बार आ रहे थे तब मालिक ने एक चमत्कार के तौर पर हमें प्रेरित किया

उस दिन सुबह जब में एक दवा खरीदने के लिए मार्किट जा रही थी | उस दवाएं का दाम १०० रूपए था |मालिक ने कहाँ इसका दाम ३०० रूपए है | लेकिन उस समय मेरे पास १०० रूपए था | तो मालिक ने कहाँ बच्चा पैसा मिल जायेगा और जब में दुकानदार के पास गयी तो उनसे पूछा दाम तो उन्होंने ठीक ३०० रूपए बताया |इतने के बाद भी मुझे विश्वास नहीं हुआ और मैं बोली इसका डिब्बा दिखाओं

जिसका दाम २९५ रूपए था | दाम देखते ही हमारी होश उठ गयी और उस दुकानदार ने कहा दाम बढ़ गया है | स्वामी जी ने कहाँ था पैसों का इंतजाम हो जायेगा तो वो भी हो चूका था जब मैं दूकान पर जा रही थी तो रास्ते में पापा मिले बोले कहाँ जा रही हूँ मैंने बताया की सामान खरीदने तो उन्होंने मुझे ५०० रूपए दिया बोले जो खरीदना हो खरीद लेना | इतना होने पर मेरे पैरों से मानो जमीन ही खिसक गयी हो |

मन में गुनावन करती हुई मैं सीधे घर की और चल दी साइकिल चला कर तो मुझे ऐसा लग रहा था की साइकिल गुरु महाराज चला रहे हो | स्वामी जी यौवन अवस्था में थे और बड़ी तेजी से साइकिल चला रहे थे मानो साइकिल की स्पीड एकदम स्वत: से ही तेज हो गयी । बिना प्रयास के और सब कण्ट्रोल भी स्वामी जी स्वयं ही करे हुई थे मैं बस बैठी हुई थी |

स्वामी जी अंतर में कह रहे थे की अमित नाम का व्यक्ति आज के सत्संग में आयेगा और तुम्हारे प्रार्थना करने के बाद इस-इस तरह से बोलेगा अनुभव कलश और संगत के बारे में | साइकिल चलाते - चलाते स्वामी जी ने मुझको सब कुछ समझा दिया आगे का , कि कैसे कहाँ पर क्या - क्या करना है | मैं जब घर पहुची तो सत्संग का समय होने ही वाला था तो जल्दी से मैंने अनिल भैया के द्वारा दी गयी एक प्रार्थना और कुछ सामान और जो अनुभव कलश अनील भैया ने दिया है उसको लेकर में तुरंत ही मैं सत्संग में गयी |

वहाँ पर हमने अनील भैया द्वारा दी गयी प्रार्थना जो उन्होंने अंतर प्रेरणा से लिखी है उसको गया प्रार्थना --" पधारों मेरे सतगुरु " और जैसे स्वामी जी ने समझाया था वैसे ही हुआ ठीक हमारे प्रार्थना करने के बाद अमुक व्यक्ति ने वैसा ही कहाँ जैसा मलिक ने अंतर में इशारा किया था | ऐसा एक बार नहीं बराबर मालिक भौतिक और आतंरिक चीज़ो के बारे में इशारा करते रहते है और मालिक के हाज़िर - नज़ीर होने का आभास होता है |

सतगुरु जयगुरुदेवअखंड भारत संगत गुरु की से गुरु बहन
बबली चौरसिया (,भागलपुर ) बिहार

अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - अरविन्द सेठी
बिहार

गुरुभाई सुरेंदर सिंह चौहान का अनुभव :

सतगुरु जयगुरुदेव : मुझको पता चला की जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बडेला में स्वामी जी अखंड रूप से विराजमान है। यहाँ उन्होंने अनुभव का केंद्र बना दिया है और यही से अनुभव बाँट रहे है | तो मन मे जिज्ञासा उठी की अनुभव करना तो बहुत बड़ी बात है और बिन सतगुरु के असम्भव है | कोइ कैसे किसी को अनुभव करा सकता है ? यह कोइ हँसी - खेल तो है नहीं । सालो लग जाते है साधन भजन करते पर मन नहीं रूकता । उस अनामी महाप्रभु के सिवा मन को कोई रोक नहीं सकता | बिना मन रुके अनुभव हो नहीं सकता | तो वहाँ इतने लोगो का जाते ही मन कैसे रूक जाता है ? ऐसा क्या है वहाँ पर ?

ऐसे ऐसे संकल्प - विकल्प मन में आते की बुद्धी पागल हो गयी | फिर विश्वास आया की , स्वामी जी अनामी महाप्रभु है| मौज़ में आ जाए तो सब कुछ कर सकते है | रोक कौन सकता है उनको ? अपने आप में विरलै है | जो आज तक कभी न हुआ हो इतिहास में वो हमने स्वामी जी को करते देखा है । उनकी महिमा और समर्थता का पूर्ण ज्ञान है मुझको।

जब वो खुले मंच से लाखो को एक साथ नामदान दे सकते है , मंदिर से बरक्कत बात सकते है , क्षण भर में कर्मो के अम्बर काट कर घाट खोल सकते है । तो मौज़ हो जाने के बाद अनुभव भी करा सकते है | ऐसा मुझको अपने गुरु महाराज पर विश्वास हुआ | तो मैंने विचार किया कि मैं जाऊँगा जरूर |

संकल्प - विकल्प , विश्वास , प्रीत ,विरह, और अनुभव पाने की लालसा में ,मैं जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बडेला पहुँचा | आकर बहुत अच्छा लगा | वहाँ सब तरफ शांति है | सब प्रेम से रहते है और सतगुरु की सच्ची भक्ति करते है । तभी अनुभव होता है | मैं भी आकर भजन में लग गया | बस ये ही अभिलाषा थी कि किसी तरह से अनुभव हो जाए | शुरू के दो - तीन दिन भजन किया कुछ अनुभव नहीं हुआ तो थोड़ा मायूसी हुई। क्या इतना बुरा हूँ कि मुझको अनुभव नहीं हो सकता |

फिर जब भजन पर बैठा तो दया का अनुभव किया | ध्यान में भी दया से प्रकाश को देखा | प्रकाश में गुरुमहाराज विराजमान थे | प्रकाश इतना तेज था कि बर्दास्त नहीं हो रहा था आँख बार - बार हिल जाता था ।अतः गुरु महाराज के दर्शन अच्छे से नहीं हुए बस स्वरुप की झलक आयी जिसको देख ये प्रतीत होता था कि ये गुरुमहाराज है |

मैंने संकल्प कर लिया जब तक पूरा अनुभव नहीं हो जायेगा मैं कही जाऊँगा नहीं | गुरु महारज से मैंने प्रार्थना किया कि मुझको भी पूरा अनुभव कराओ और अपना दर्शन दो | हम अपने प्रयास में लगे हुए है न जाने कब ये अभिलाषा पूरी होगी | समस्त संगत से ये ही कहुँगा सतगुरु पर विश्वास रखे | विनम्रता से झूकना सीखे जो झुकता है वो ही आशीर्वाद को पाता है| जो अकड़ कर खड़ा रहे की आशीर्वाद देना होगा तो ऐसे ही सर पर हाथ रख देगे,वो किसी से कुछ ले नहीं पता | सतगुरु की डगर बहुत संकरी है बिना झुके पार हो ही नहीं सकते | ईर्षा ,द्वेष सच को पहचानने नहीं देते |

सतगुरु जयगुरुदेव,
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरुभाई सुरेंदर सिंह चौहान
श्याली ग्राम , जिला मुजफ्फरनगर
मोबाइल : 9917848310

उत्तराखंड के सत्संगियों का अनुभव:

सतगुरु जयगुरुदेव :
1- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया | मैंने देखा की स्वामी जी महाराज एक बहुत बड़ी नदी के किनारे अपनी धोती सुखा रहे है |
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु भाई
दिनेश कुमार , देहरादून ( उत्तराखंड)

२- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया| मैंने देखा कि एक बहुत बड़ी नदी है वह पर दादा गुरु महाराज विराजमान है जब मेरी दादा गुरु से बात हुई तो देखा कि स्वामी जी महाराज चले आ रहे है | स्वामी जी हाथ में कमंडल पकड़े हुए है |
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु बहन
श्रीमती मनोरमा ,देहरादून ( उत्तराखंड)

३- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया| मुझे ध्यान में गुलाबी प्रकाश और सफ़ेद प्रकाश दिखाई दिया और भजन में भी आवाज पहली बार सुनाई दिया
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु भाई
सत्य प्रकाश पाल, देहरादून ( उत्तराखंड )

४- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया| मैंने ध्यान में सूर्य का प्रकाश देखा '
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु भाई
श्री जयंती प्रशाद , देहरादून ( उत्तराखंड

५- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया| मैंने ध्यान में सूर्य का प्रकाश देखा |
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु बहन
ममता उपाध्याय ,देहरादून ( उत्तराखंड)
६- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया| मुझे ध्यान में नीला प्रकाश दिखाई दिया , और भजन में आवाज भी सुनाई दिया
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु भाई
श्री रजनीश कुमार , देहरादून ( उत्तराखंड)

७- अंतरघट जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बड़ेला से आयी अनुभव कलश को मैंने छुआ और गुरु भाई के बताने के अनुसार मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तो मुझे मालिक ने आतंरिक अनुभव कराया| मुझे ध्यान में प्रकाश दिखाई दिया और झींगुर की आवाज सुनाई दिया |
अखंड भारत संगत गुरु की गुरु बहन
श्री रजनीश कुमार की धर्म पत्नी ,देहरादून ( उत्तराखंड)

सतगुरु जयगुरुदेव,
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - गुरु भाई राजेश आर्या ( एडवोकट)
पता -१४७/१३७ मानस निवास, अपोजिट. बंगाली , नाला पानी रोड , देहरादून ( उत्तराखंड)
मोबाइल नंबर : ०७४१७७५९५७० , ०९०२७०३१९०३

राजस्थान के सत्संगियों का अनुभव:

सतगुरु जयगुरुदेव :
अखंड रूप से विराजमान जयगुरुदेव मन्दिर ग्राम बडेला से दर्शन कर आने के बाद हुआ अलौकिक अनुभव
हम सब प्रेमियों का आध्यात्मिक घनघोर अनुभव आध्यात्मिक अनुभवी कलश के स्पर्श के बाद:
१) गुरु भाई प्रताप सिंह : जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बडेला से आये आध्यात्मिक कलश का स्पर्श करने के बाद एकाएक मेरा रूहानी सफर मालिक की दया से खुल गया | साधना करते-करते मेरी सूरत में जाग्रती हो गई और मुझे दिखाई देने लगा तब मैंने बहुत विचित से विचित नज़ारे देखे | जिन्हें शब्दों में सजोया नही जा सकता | एका - एक मालिक की दया को मै प्रथम बार समझ ही नहीं पाया, की जो मै देख रहा हूँ वह है क्या | फिर धीरे धीरे विवेक हुआ की मेरा आध्यात्मिक मार्ग खुल गया है मैंने पहले नीचे की रचना को देखा ! साधना में मैंने यह भी देखा की एक कतार से हजारों - लाखों स्त्रियाँ नाचते हुए पास आती थी और फिर दूर चली जाती थी | कई देर तक यह दृश्य चलता रहा | उसके बाद मई जब मालिक की दया से फसाव में नहीं पडा तो मालिक ने मुझ पर और अपार दया बरसाए और मुझे प्रथम स्थान के मालिक का दर्शन हुआ | उनका स्वरुप विशाल से भी विशाल| बहुत बड़ी ज्योती का रूप मैंने देखा | उनका रूप बहुत- बहुत सुन्दर है | आती सुन्दर रूप वहां जब दर्शन होता है तो वो ज्योती उनका रूप है इसका ज्ञान हो जाता है और वो बहुत ही सुन्दर रूप के है | इसके बाद मेरी सतगुरु से प्रीत और विश्वास ऐसी लगी की हरदम सतगुरु का ही गुणगान ह्रदय से करता रहता हूँ और मालिक ने भी खूब प्रेम दिया और उसी से मुझे आगे का भी रास्ता मिल गया मैंने तीसरे स्थान के मालिक का अनुभव किया और लगातार मधुर धुन सुनाई देती रहती है जो कभी रुकती नहीं | उस धुन की ओर जब ध्यान करो तो वो बिना कान में अंगुली डाले साफ़ सुनाई देती है|
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई प्रताप सिंह
२ ) गुरु भाई मान सिंह :मैंने जब अनुभव कलश को स्पर्श किया तो मन में बहुत जिज्ञासा थी की क्या इस अनुभव कलश को स्पर्श करने से मुझको भी अनुभव होने लगेगा क्योंकि दिल में बहुत त्रिव इच्छा थी ! मुझको भी अनुभव हो और सतगुरु से ये ही चाहता भी था परन्तु कभी कभी सोचता था की हमने तो इतनी भक्ती किया नहीं | गिरावट भी बहुत रहती है फिर कैसे अनुभव होगा | मुझको यह सोच हरदम रहती थी की कैसे घाट खुलेगा इसलिये जब कलश के बारे में और जयगुरुदेव मंदिर ग्राम बडेला के बारे में सुना तो जिज्ञासा और अनुभव की त्रिव इच्छा जागृत हुई! मैंने भी प्रार्थना की-- कि जैसे सबको मिल रहा है ऐसे मुझको भी कुछ मिल जाए कुछ हमको भी दिखाई - सुनायी दे जाए | फिर साधना करते करते यकायक मुझको अनुभव हुआ की मुझे कुछ धुनें सुनाई दे रही है मैंने उनको ध्यान से सुनना शुरू किया ! अब मुझको चौथे धाम की धुन बंसी बिलकुल साफ़ सुनाई दे रही है | ध्यान में भी तरह - तरह के नजारे देखने को मिल रहे है | मालिक की क्या दया है यह समझ रहा हूँ |
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई मान सिंह

प्रीतम ठाकुर का अनुभव:

सतगुरु जयगुरुदेव : मै मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ| मै यहाँ सैमसंग में २०१० से ऑपेरटर के पद पर नौकरी करता हुँ । मैने पापा के कहने पर 2010 में नामदान लिया । जब मै यहा नोयडा में आया तो मुझको कोई संतसगी नही मिला फिर मुझे गुरु भाई रामसेवक के माध्यम से गुरु भाई सुनील, शैलेष और सतीश का फोन नं0 मिला । मुझे सुमिरन , ध्यान और भजन का सही तरीका नही पता था ।जब मै नॉएडा के सत्संग में आने जाने लगा तो मुझे पता चला कि ग्राम बडेला में गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता पर मालिक की विशेष दया हो रहा है, और मालिक इस समय अखंड रूप से ग्राम बड़ेला में विराजमान है | तो मैंने भी विचार किया कि चलो एक बार जाकर देख कर आते है | जब मै वहाँ पहली बार गया और गुरु भाई अनिल कुमार गुप्ता जी से बात किया तो उन्होंने मुझे सुमिरन ध्यान और भजन करने की सही विधि बतायी | जब मैंने वहाँ पर साधना करना स्टार्ट किया तो मेरा मन जो पहले नहीं रुकता था वो रुकने लगा | उसके बाद में जब नॉएडा वापस आया और सत्संग में बराबर आने जाने लगा तो मुझ पर १७ अक्टूबर २०१३ को मालिक की विशेष दया हुई | मैंने देखा कि मेरा शरीर ऊपर की तरफ कोई खीच रहा है . फिर थोड़ी देर के बाद मुझे तारा दिखाई दिया | तब से मालिक ने मुझ पर बराबर दया बर्षा रहे है फिर जब मै दुबारा ग्राम बड़ेला गया तो अनिल भैया ने मुझे मालिक के आदेश से अनुभव कलश दिया | छुट्टी के समय में मै अपने घर गया था तो मै मालिक से प्रार्थना करता रहा कि - मालिक मै किसी को यहाँ जानता नहीं हूँ | फिर आपका काम कैसे करू जब ऐसा ही विचार मेरे मन में चल रहा था कि उसी समय देखा कि बहुत से प्रेमी लोग शाकाहारी का प्रचार करते हुए आ रहे थे | तभी मैंने एक सत्संगी से बात किया उन्होंने मुझे बहुत से सत्संगिओ के पास ले गया |फिर मैंने अनिल भैया के बताये दिशानुसार सबको बैठाया और सबने अनुभव कलश को स्पर्श करके मालिक को प्रणाम किया फिर मैंने लोगो को सुमिरन ध्यान और भजन करने का सही तरीका बताया | मालिक ने सबको घनाघोर अनुभव कराया | सबको मालिक ने अंतर में दर्शन दिया |
सतगुरु जयगुरुदेव
प्रीतम ठाकुर
जिला -दमोह (मध्य प्रदेश ) फ़ोन -०८०१०३३०८२४

मुज्जफरनगर के गुरु भाई और बहनो का अनुभव:

सतगुरु जयगुरुदेव :
1) गुरु भाई ब्रजेश, ग्राम - बहेडा, जिला - मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश : जयगुरुदेव - जब मैंने ग्राम - बड़ेला से आये हुए अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें जिलमिल सा प्रकाश दिखाई दिया |
2) महिपाल सिंह, ग्राम - बहेडा, जिला - मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश : जयगुरुदेव - जब हमने अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें बादल से होते हुए प्रकाश दिखाई दिया |
3) अंत्रेश, ग्राम - बहेडा, जिला - मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश : जयगुरुदेव - जब हमने अनुभव कलश को प्रणाम करके सुमिरन ध्यान और भजन किया तो हमें गुरु महाराज फूल पर बैठे हुए दिखाई दिए|
4) शियाम कली, ग्राम - बहेडा, जिला - मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश: जयगुरुदेव - अनुभव कलश को छूकर मैंने सुमिरन ध्यान और भजन किया तब हमको जिलमिल सा प्रकाश और तारा दिखाई दिया |सतगुरु जयगुरुदेव
सतगुरु जयगुरुदेव,
अखंड भारत संगत गुरु की से गुरु भाई
अनुभव कलश सेवादार - गुरु भाई सुरेन्द्र सिंह चौहान एवं गुरु भाई देवेन्द्र सिंह चौहान
ग्राम - सियाली , पोस्ट - रामराज, जिला- मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश
मोबाइल नंबर :09917848310 ,09837097535